Rajput’s of Uttar Pradesh

Rajput’s of Uttar Pradesh political views

31/07/2025

#अखिल_भारत_हिन्दू_महासभा पीड़ित किसान परिवार के साथ तन मन धन हर तरह से सहयोग और कानूनी लड़ाई के लिए तैयार है हमारी जिलाध्यक्षा महोदया Chhaya R Gautam जी को धन्यवाद देना चाहूंगा जो दीदी ने पीड़ित किसान परिवार के लिए आवाज उठाई है Kunwar Narendra Singh 🙏

30/07/2025

मथुरा में पुलिस प्रशासन की तानाशाही चरम पर है

30/03/2025

500 सिपाहियों की सुरक्षा में बैठकर(आगरा)
प्रशासन से छूट मांग रहा है खराबी लाल सुमन😁

सभी बंधु घायल करणी सैनिकों का समर्थन करें।उनकी बात भी सुनी जाए कि उस दिन सही घटना क्या थी? जिसमें करणी सैनिक व पुलिस  घा...
30/03/2025

सभी बंधु घायल करणी सैनिकों का समर्थन करें।

उनकी बात भी सुनी जाए कि उस दिन सही घटना क्या थी?

जिसमें करणी सैनिक व पुलिस घायल हो गए।

लेकिन जिनके विरूद्ध प्रदर्शन था ।वो एक भी घायल नहीं हुए।

सच सभी के सामने आना चाहिए। करणी सैनिकों की भी FIR दर्ज की जाए।

टीम अपने कार्य पथ पर अग्रसर ...

राणा अजय सिंह गौर एडवोकेट

#मुद्दा_महापुरुषों_के_सम्मान_का_है
#पुख्ता_इलाज_हो_हराम_लाल_सुमन_जैसे_हरामियों_का

क्षत्रियों के अहसानों से दबी है समाजवादी पार्टी? ठाकुर विश्वनाथ प्रताप सिंह, ठाकुर चंद्रशेखर सिंह और ठाकुर अमर सिंह की क...
30/03/2025

क्षत्रियों के अहसानों से दबी है समाजवादी पार्टी? ठाकुर विश्वनाथ प्रताप सिंह, ठाकुर चंद्रशेखर सिंह और ठाकुर अमर सिंह की क्या रही भूमिका? पढ़िए विस्तार से—

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अपना राजनैतिक करियर सन 1967 में इटावा ज़िले की जसवंतनगर विधानसभा सीट से अनंतराम जायसवाल की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधायक बन कर किया। नेताजी 1967-1969 तक सिर्फ़ 2 साल ही विधायक रहे। इसके बाद जाट नेता चौधरी चरण सिंह से जुड़ गए 1974 में भारतीय क्रांति दल के टिकट पर 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट पर विधायक बने। 1982 में लोक दल के टिकट पर पहली बार एमएलसी बनाए गए। 1985 में लोकदल के टिकट पर चौथी बार विधायकी जीते।

▪️1989 में पहली बार जनता दल के टिकट पर मुलायम सिंह यादव को पहली मुख्यमंत्री ठाकुर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बनवाया।

1989 में उस समय देश की राजनीति के चमकते सितारे ठाकुर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपनी पार्टी जनता दल से मुलायम सिंह यादव को टिकट दिया और विधायकी जीतने के बाद पहली बार मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनाया। मतलब मुलायम सिंह यादव को पहली बार मुख्यमंत्री ही क्षत्रिय समाज के बड़े नेता ठाकुर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बनाया।

केन्द्र में भाजपा के सहयोग से ठाकुर विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने भाजपा ने जब केन्द्र में समर्थन वापस लिया तो वीपीसिंह की केन्द्र सरकार गिर गई। तब ऐसी स्थिति में मुलायम सिंह यादव ने ठाकुर विश्वनाथ प्रताप सिंह का साथ छोड़कर ठाकुर चंद्रशेखर सिंह का साथ पकड़ कर अपनी सरकार बचाई।
1991 में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार समाजवादी जनता पार्टी से ठाकुर चंद्रशेखर सिंह ने बनाया।

1989 का चुनाव मुलायम सिंह यादव ठाकुर विश्वनाथ प्रताप सिंह के जनता दल से लड़े और मुख्यमंत्री बने लेकिन इसके दो साल बाद ही 1991 के विधानसभा चुनाव में जिस साल उत्तर प्रदेश में भाजपा को पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल हुआ उस साल मुलायम सिंह यादव ठाकुर चंद्रशेखर सिंह की नवगठित पार्टी समाजवादी जनता पार्टी से चुनाव लड़े। ठाकुर चंद्रशेखर सिंह की पार्टी से मुलायम सिंह यादव को 34 विधायक और 12.52% वोट हासिल हुए।

▪️1992 के बाद समाजवादी पार्टी के प्रचार-प्रसार में सहयोग ठाकुर अमर सिंह ने किया।

इसके बाद 4 अक्टूबर 1992 को जब समाजवादी पार्टी की स्थापना की गई तो ठाकुर अमर सिंह ने तन-मन-धन से इस नवगठित पार्टी का जीवन पर्यन्त सहयोग किया। बॉलीवुड के फ़िल्मी सितारों से लेकर उद्योग जगत की बड़ी से बड़ी हस्तियों को समाजवादी पार्टी से जोड़ने का काम जीवन पर्यन्त ठाकुर अमर सिंह ने किया।

मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के गठन तक हमेशा नए-1967 संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1974 भारतीय क्रांति दल
1977 भारतीय लोक दल
1985 लोक दल
1989 जनता दल
1991 समाजवादी जनता पार्टी
1993 - निधन तक समाजवादी पार्टी

सपा-बसपा के उदय और भाजपा के पतन काल में उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण समाज बसपा और क्षत्रिय समाज समाजवादी पार्टी से जुड़ा रहा। सपा के जितने भी गढ़ हैं विशेषकर आज़मगढ़, मैनपुरी और इटावा में ठाकुरों ने हमेशा समाजवादी पार्टी को तन-मन-धन से सहयोग किया।

2017 से उत्तर प्रदेश का क्षत्रिय समाज भाजपा की तरफ़ स्विच हुआ है। सपा को आभास है कि 2027 में भी तुलनात्मक रूप से क्षत्रिय वोट कम ही मिलेगा। दलित वोट मिलने की सपा को उम्मीद है। लेकिन अतीत में क्षत्रिय समाज के सपा को मिले सहयोग को कोई भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।

2027 में ये देखना दिलचस्प होगा कि दलित समाज के वोटों के लिए सपा जो मेहनत कर रही है उसमें कितनी कामयाबी मिलती है।नए दल से चुनाव लड़ते रहे।

योगी जी और मोदी जी इस व्यक्ति को प्रशासन पूरी छूट दे ।हम इसका निपटारा आगरा के खानवा मेदान में कर लेगे ।
माँ भगवती की कसम हमारी तरफ़ से कोई मुक़दमा या कोई शिकायत दर्ज नहीं होगी ।मर्द का बच्चा है तो जबान पर क़ायम रहना 👍

13/07/2024

अंतरराष्ट्रीय शादी में Rahul Gandhi नहीं पहुंचे क्या 😝

13/07/2024

शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस की आवश्यकता ही क्यों पड़ी ❓
शिक्षक तो अनुशासन सीखाते हैं 💁‍♀️तब स्वयं भी समय पर ही आते जाते होंगे, और अगर शिक्षक समय पर आते जाते हैं तब फिर विरोध क्यों कर रहे हैं❓🤔

रविंद्र एबीवीपी से जुड़ा था और इसने जोधपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में टिकट मांगा लेकिन इसे टिकट नहीं दिया गया।रवि...
01/05/2024

रविंद्र एबीवीपी से जुड़ा था और इसने जोधपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में टिकट मांगा लेकिन इसे टिकट नहीं दिया गया।रविंद्र लड़ा और निर्दलीय ही चुनाव जीत गया।

कोई भी संगठन जीतने वाले कैंडिडेट पर दाव लगाती है लेकिन एबीवीपी के टिकट बाटने वालो को रविंद्र की स्वीकार्यता समझ नही आई।

फिर अगले चुनाव में रविंद्र के पसंदीदा कैंडिडेट ने एबीवीपी से टिकट मांगा ।लेकिन उसे भी टिकट नहीं दिया गया।यह ध्यान देने की बात है की पहली बार रविंद्र को टिकट नहीं दिए जाने पर हम यह तर्क स्वीकार कर सकते हैं की टिकट देने वालो को उसकी छमता का अंदाजा नहीं था।लेकिन जब रविंद्र के कैंडिडेट ने टिकट की मांग की तब तक रविंद्र अपनी छमता दिखा चुका था।लेकिन फिर भी टिकट नहीं दिया गया ।अब यहां वजह साफ दिख जाती है की संगठन रविंद्र को स्वीकार करना नही चाहता।रविंद्र अपने कैंडिडेट को एसएफआई से चुनाव लड़ा उसे जितवा देता है।

फिर वो विधानसभा चुनाव से कुछ समय पूर्व बीजेपी में शामिल होता है टिकट मिलने के आश्वासन के बाद लेकिन उसे फिर से टिकट नहीं दिया जाता।रविंद्र एक बार फिर निर्दलीय लड़ गया और विधान सभा का चुनाव भी जीत लिया।
अभी तक रविंद्र ने बीजेपी और उसके शीर्ष नेताओं के विरुद्ध कुछ नही बोला था।विधायक बनते ही ओरण संरक्षण ,स्थानीय लोगो को रिफाइनरी में रोजगार सहित कई मांग उसने सीएम भजनलाल के सामने रखी और इसके साथ ही पानी की किल्लत वाले अपने इलाके के लिए हैंडपंप की भी मांग की ।लेकिन रविंद्र जो विधायक था उसे दो हैंडपंप की स्वीकृति दी गई वही उसी क्षेत्र के एक बीजेपी से जुड़े व्यक्ति को इक्कीस हैंडपंप उसकी सिफारिश पर दिया गया और इसका खूब प्रचार हुआ।कोई भी सामान्य समझ का व्यक्ति भी इसके पीछे छिपी सोच समझ सकता था।रविंद्र को समझ आ गया की ये मुझे काम नही करने देंगे।फिर इसने लोक सभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।

रविंद्र के चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही राजपूत ही नही मूल ओबीसी जो की बीजेपी का वोटर था वो बीजेपी से दूर जाने लगा ।रविंद्र ने कांग्रेस के वोट बैंक मुस्लिम में भी सेंध लगानी शुरू कर दी ।रविंद्र बीजेपी और कांग्रेस दोनो के कोर वोटर को अपने पक्ष में करने लगा और यह देख दोनों पार्टी ने इसका पुरजोड़ विरोध करना शुरू कर दिया।

क्षेत्र में जिस तरह अमीन खान ,केके विश्नोई को घेरा गया और बीजेपी के कैंडिडेट को हरा प्रियंका चौधरी को जिताया गया वो विश्नोई और मुस्लिम मतदाताओं के लिए भी खतरे की घंटी थी ।लोग समझने लगे की क्या हो रहा है और इसी लिए गुड़ा मलानी में विश्नोई वोट और शिव में मुस्लिम वोट रविंद्र को गया।
जिस तरह से पश्चिम राजस्थान में नए समीकरण बन रहे हैं वो राजस्थान की राजनीति को बदलने की कुबत रखता है।
पक्ष और विपक्ष दोनो ही छटपटा रहे हैं अभी और उसी का परिणाम है रविंद्र के खिलाफ हुई एफआईआर।लेकिन राजनीति में रविंद्र जिसकी अभी शुरुआत ही हुई है उसके लिए इस तरह की करवाई वरदान ही है।

इसे छात्र संघ के चुनाव से मैं नोटिस कर रहा हूं।यह लड़का पश्चिमी राजस्थान में धार्मिक विवाद कभी खड़ा नहीं होने देगा और आपको पढ़ के आश्चर्य भले लगे आज की स्थिति को देख लेकिन ये जातीय टकराव को भी कम करने में अहम भूमिका निभाएगा।यह महत्वकांछि है और सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहता है।छात्र संघ चुनाव से अभी तक इसने खुद को पहले से बेहतर ही बनाया है।
राजपूत समाज को ऐसे लोगो के पीछे ही खड़ा होना चाहिए जो जनता के बीच में जाकर समर्थन मांगता हो ।जो पार्टी का मोहताज नहीं वही लीडर कहलाने लायक होता है।
Ravindra Singh Bhati Bhajanlal Sharma BJP Rajasthan

बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है।                  " धनंजय सिंह " ...
05/03/2024

बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है।
" धनंजय सिंह "

#राजपूत_विरोधी_भाजपा
#जौनपुर_मांगे_धनंजय

26/12/2023

युवाओं के हितों एवं उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए आपकी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

इसी क्रम में UP Police में आरक्षी नागरिक पुलिस के पद पर भर्ती हेतु जारी प्रक्रिया में सभी वर्गों के अभ्यर्थियों के लिए उच्चतम आयु सीमा में तीन वर्ष की छूट देने का निर्णय लिया गया है।

13/12/2023

370 अस्थाई था, हटा दिया, अच्छा किया,
आरक्षण भी अस्थाई था,
कब हटेगा,?
👉पूछता है सवर्ण समाज👈

06/12/2023

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