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*राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का मथुरा दौरा*मथुरा, 25 सितंबर 2025 - राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज मथुरा का दौरा किया, जहा...
25/09/2025

*राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का मथुरा दौरा*

मथुरा, 25 सितंबर 2025 - राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज मथुरा का दौरा किया, जहां उन्होंने विभिन्न धार्मिक स्थलों के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की।

*वृन्दावन रोड रेलवे स्टेशन पर आगमन*

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु प्रातः 10 बजे वृन्दावन रोड रेलवे स्टेशन पर पहुंची, जहां उनका स्वागत उत्तर प्रदेश के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, महापौर विनोद अग्रवाल, और अन्य अधिकारियों ने किया।

*श्री बांके बिहारी जी मंदिर के दर्शन*

राष्ट्रपति ने श्री बांके बिहारी जी मंदिर में पूजा-अर्चना की और ठाकुर जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने मंदिर में चंदन कोठरी की देहरी पर इत्र सेवा की और सम्मान कुंज बिहारी अष्टक एवं दीप प्रज्जवलन किया।

*श्री निधिवन के दर्शन*

इसके बाद, राष्ट्रपति ने श्री निधिवन के दर्शन किए, जहां उन्होंने तुलसी वन के हरे भरे वृक्षों का दर्शन किया और ललिता कुण्ड के दर्शन किए। उन्होंने रंग महल में राधारानी को श्रृंगार अर्पण किया और रास मण्डल में इत्र व पुष्प अर्पण किए।

*श्री सुदामा कुटी के दर्शन*

राष्ट्रपति ने श्री सुदामा कुटी में पूजा-अर्चना की और गौ पूजन किया। उन्होंने बछिया को चुनरी व माला पहनाई और टीका किया।

*श्री कुब्जा कृष्ण मन्दिर और श्री कृष्ण जन्मस्थान मन्दिर के दर्शन*

इसके अलावा, राष्ट्रपति ने श्री कुब्जा कृष्ण मन्दिर और श्री कृष्ण जन्मस्थान मन्दिर के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। उन्होंने श्री केशव देव जी मन्दिर, श्री योग माया जी मन्दिर, और गर्भगृह मन्दिर में पूजा की और आशीर्वाद प्राप्त किया।

*मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से प्रस्थान*

दर्शन और पूजा-अर्चना के बाद, राष्ट्रपति मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गईं। इस अवसर पर विभिन्न अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

भारत में सूर्य ग्रहण की कोई मान्यता नहीं।
09/09/2025

भारत में सूर्य ग्रहण की कोई मान्यता नहीं।

06/09/2025

कब से प्रारम्भ होंगे श्राद्ध पक्ष?

मथुरा - पंचांग के अनुसार अके आश्विन कृष्ण पक्ष श्राद्ध का प्रारम्भ 07 सितम्बर 2025 (भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा उदयात में रहेगा) से 21 सितम्बर 2025 (आश्विन कृष्ण अमावस्या) तक रहेगा।

श्राद्ध करने का समय - अपरान्ह काल का दिव्य समय (दोपहर 012:36 से 03:30 बजे तक)होता है ।
पूर्णिमा के बाद अमावस्या के ये 15 दिन पितरों को कहे जाते हैं। इन 15 दिनों में पितरों को याद किया जाता है और उनका तर्पण किया जाता है। श्राद्ध को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 07 सितम्बर से 21 सितम्बर तक श्राद्धपक्ष रहेगा। जिन घरों में पितरों को याद किया जाता है वहां हमेशा सुख समृद्धि खुशहाली रहती है। इसलिए पितृपक्ष में पृथ्वी लोक में आए हुए पितरों का तर्पण किया जाता है। पितृ पक्ष में किस दिन पूर्वज़ों का श्राद्ध करें इसके लिये शास्त्र सम्मत विचार यह है कि जिस पूर्वज़, पितर या परिवार के मृत सदस्य के परलोक गमन की तिथि याद हो तो पितृपक्ष में पड़ने वाली उक्त तिथि को ही उनका श्राद्ध करना चाहिये। यदि देहावसान की तिथि ज्ञात न हो तो आश्विन अमावस्या को श्राद्ध किया जा सकता है इसे सर्वपितृ अमावस्या भी इसलिये कहा जाता है। समय से पहले यानि जिन परिजनों की किसी दुर्घटना अथवा सुसाइड आदि से अकाल मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। पिता के लिये अष्टमी तो माता के लिये नवमी की तिथि श्राद्ध करने के लिये उपयुक्त मानी जाती है। श्राद्ध का मतलब श्रद्धा पूर्वक पितरों को प्रसन्न किए जाने से है. मान्यता के मुताबिक किसी के परिजनों का देहांत हो जान के बाद उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धा के साथ तर्पण किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहते है. मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म और तर्पण करने से पितरों को शांति और मुक्ति मिलती है। पुत्रों को श्राद्ध करने का अधिकार है लेकिन अगर पुत्र न हो तो पौत्र, प्रपौत्र या विधवा पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है. वहीं पुत्र के न होने पर पत्नी का श्राद्ध पति भी कर सकता है।
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पुत्र, पत्नी, सहोदर भाई आदि श्राद्ध करने के अधिकारी होते है अर्थात् सबसे पूर्व मृतक का पुत्र श्राद्ध करे, यदि पुत्र नहीं हो तो पत्नी श्राद्ध करे। पत्नी भी न होने पर सहोदर भाई आदि क्रमश: श्राद्ध करे। पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र, पुत्री का पुत्र, पत्नी का भाई, भाई का पुत्र, पिता, माता, बहू, बहिन सपिण्ड सोदक इनमें पूर्व के न होने से पिछले-पिछले पिण्ड के दाता कहे गये है।
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07 सितंबर 2025 :- भादों पूर्णिमा

08 सितंबर 2025 :- प्रतिपदा का श्राद्ध, पितृ पक्ष व महालय प्रारम्भ होता है।

09 सितंबर 2025 :- द्वितीया का श्राद्ध

10 सितंबर 2025 :- तृतीया का श्राद्ध एवं चतुर्थी का श्राद्ध

11 सितंबर 2025 :- पंचमी का श्राद्ध, भरणी नक्षत्र का श्राद्ध

12 सितंबर 2025 :- षष्ठी का श्राद्ध, कृत्तिका नक्षत्र का श्राद्ध

13 सितम्बर 2025 :- सप्तमी का श्राद्ध

14 सितम्बर 2025 :- अष्टमी का श्राद्ध

15 सितम्बर 2025 :- नवमी का श्राद्ध, अविधवा नवमी, सौभाग्यवती मृतकाओं का श्राद्ध (ऐसी सुहागन स्त्रियां, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो)

16 सितम्बर 2025 :- दशमी का श्राद्ध

17 सितम्बर 2025 :- एकादशी का श्राद्ध

18 सितम्बर 2025 :- द्वादशी का श्राद्ध, सन्यासियों का श्राद्ध

19 सितम्बर 2025 :- त्रयोदशी का श्राद्ध, मघा नक्षत्र का श्राद्ध

20 सितम्बर 2025 :- चतुर्दशी का श्राद्ध, विष-शास्त्रादि से मृतकों का श्राद्ध

21 सितम्बर 2025 :- सर्वपितृ श्राद्ध व अमावस्या व पूर्णिमा श्राद्ध (वे सभी जातक जिनकी मृत्यु तिथि का हमें ज्ञान नहीं है, उन सभी का श्राद्ध इस दिन कर सकते है) पं.अजय कुमार तैलंग ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पूर्णिमा का श्राद्ध क्यों कि वह भादों की पूर्णिमा होती है इसलिए इस श्राद्ध को व्यतिपात तिथि में करना चाहिए। अब के यह तिथि 12,15,18, व 21 सित. किसी दिन भी कर सकते हैं।

पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ. अभिजित मित्र ने कार्यभार ग्रहण किया। मथुरा -उत्तर प्रदेश पंडित दीनदया...
06/09/2025

पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ. अभिजित मित्र ने कार्यभार ग्रहण किया।
मथुरा -उत्तर प्रदेश पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा के नव नियुक्त कुलपति डॉ. अभिजित मित्र, पूर्व आयुक्त, पशुपालन, भारत सरकार; अध्यक्ष, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, भारत सरकार; अध्यक्ष, पशु प्रयोगों के नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण समिति, भारत सरकार ने कार्यभार ग्रहण किया। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा 11 मई 2025 को डॉ. मित्र को पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय का कुलपति, कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से 3 वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया है। कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत नव नियुक्त कुलपति डॉ. मित्र ने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षा, शोध एवं प्रसार गतिविधियों को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों के शैक्षणिक, मानसिक, शारीरिक एवं व्यक्तित्व विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। छात्र हमारे देश का भविष्य हैं। यह विश्वविद्यालय, मत्स्यिकी, डेरी साइंस, पशु चिकित्सा एवं पशुपालन तथा जैव प्रौद्योगिकी में स्नातक, परास्नातक के साथ-साथ पशुपालन में डिप्लोमा भी प्रदान करता है। अतः हमारा उद्देश्य प्रदेश एवं देश को उच्च कोटि के विशेषज्ञ, मानव संसाधन के रूप में उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कोठारी पशु चिकित्सालय को रेफरल पशु चिकित्सालय के रूप में स्थापित करना तथा उसमें पशुओं के लिए ब्लड बैंक की व्यवस्था करना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हमें वन हेल्थ पर कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि मानव, पशु तथा पर्यावरणीय स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं । इस दृष्टिकोण से जोखिमों का प्रबंध किया जाता है । जिससे महामारियों तथा अन्य स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि पशुपालक एवं मत्स्य पालक किसानों के लिए नवीनतम तथा वैज्ञानिक तकनीकी गांव-गांव तक पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है। जिससे हमारे किसान अच्छी उत्पादकता प्राप्त कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके।

*|| श्रीद्वारकेशो जयति ||*गोवा में हेल्थकेयर आइकॉनिक  अवार्ड (HIFAA) 2025 का आयोजन 30 और 31 अगस्त 2025 को किया गया।इस मह...
03/09/2025

*|| श्रीद्वारकेशो जयति ||*

गोवा में हेल्थकेयर आइकॉनिक अवार्ड (HIFAA) 2025 का आयोजन 30 और 31 अगस्त 2025 को किया गया।

इस महत्वपूर्ण समारोह में, पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजकों ने तृतीय गृहाधीश कांकरोली नरेश पूज्यपाद गोस्वामी १०८ डॉ. श्रीवागीशकुमारजी महाराजश्री को आमंत्रित किया। पूज्य महाराजश्री ने इस निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार किया और अपने कर-कमलों से अनेक गणमान्य व्यक्तियों को पुरस्कार और शुभाशीष प्रदान किए।

इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

कब है रक्षा बंधन 8 या 9 अगस्त?मथुरा - पंचांग के अनुसार भारत में रक्षा बंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा, उसी दिन ...
08/08/2025

कब है रक्षा बंधन 8 या 9 अगस्त?
मथुरा - पंचांग के अनुसार भारत में रक्षा बंधन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा, उसी दिन सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है।
पं.अजय कुमार तैलंग ज्योतिषाचार्य ने बताया कि रक्षा बंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है , एक शुभ हिंदू त्योहार है जो भाई-बहन के प्यार का जश्न मनाता है और पूरे देश में व्यापक रूप से मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि बंधन का अर्थ है "सुरक्षा, दायित्व और देखभाल का बंधन", और इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर एक धागा बांधती हैं, जिसे राखी के रूप में जाना जाता है, जो प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है।
रक्षाबंधन की उत्पत्ति भगवान कृष्ण और द्रौपदी की लोकप्रिय कथा से जुड़ी है। शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली काट ली थी, तो द्रौपदी की चिंता उन्हें बहुत खल गई थी। खून बहने से रोकने के लिए, द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर लपेट दिया था।
त्यौहार के दिन, बहनें राखी, रोली (पवित्र लाल धागा), चावल, मिठाई और एक दीया लेकर एक थाली तैयार करती हैं। वे आरती उतारती हैं, अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और राखी बाँधती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें अपने प्यार के प्रतीक के रूप में उपहार या पैसे देते हैं।
राखी का त्यौहार भाई-बहन के बीच प्रेम, स्नेह और बंधन का प्रतीक है और सुरक्षा, देखभाल और सम्मान के मूल्यों को बढ़ावा देता है; परिवार उपहारों का आदान-प्रदान करने, गुणवत्तापूर्ण समय बिताने और विशेष और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेने के लिए एकत्र होते हैं। यह त्यौहार हिंदू माह श्रावण के अंतिम दिन, यानी पूर्णिमा के दिन पड़ता है। इस वर्ष यह त्यौहार शनिवार, 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा और उसी दिन सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त है। पं.तैलंग ने बताया कि
देश भर में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में इसे 'झूलन पूर्णिमा' के नाम से जाना जाता है और भगवान कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है। महाराष्ट्र के कोली समुदाय के लोग रक्षा बंधन को नारली पूर्णिमा (नारियल दिवस) के साथ मनाते हैं। इस दिन पितृ के निमित्त श्रावणी पर्व भी मनाया जाता है। लोंग अपने पितृओ के निमित्त तर्पण आदि भी करते हैं।

31/07/2025

Rashifal
1/8/2025

भव्य कालसर्प योग अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।मथुरा - राजलक्ष्मी ज्योतिष वास्तु हस्तरेखा शोध संस्थान की ओर से श्रावणमास की नागपं...
29/07/2025

भव्य कालसर्प योग अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।
मथुरा - राजलक्ष्मी ज्योतिष वास्तु हस्तरेखा शोध संस्थान की ओर से श्रावणमास की नागपंचमी वेला पर 29 जुलाई को गरूड़ गोविंद मंदिर छटीकरा मथुरा पर पं.अजय कुमार तैलंग ज्योतिषाचार्य द्वारा समस्त भक्तजन जिनकी कुण्डली में ग्रहणदोष, कालसर्प दोष, पितृदोष, आदि दोष थे निवारण करायें गये। पं. तैलंग ने बताया कि ऐसे जातक जिनके विवाह में देरी, कोर्ट-कचहरी,रोग से पीड़ित, व नौकरी व्यवसाय, संतान आदि में परेशानी होती है ऐसे व्यक्तियो की कुंडली में राहु से केतू के मध्य बनने वाले योग के कारण आने वाले व्यवधान से छुटकारा पाने के लिए यह पूजा हवन किया जाता है। इसके करने से जातक की मनोकामना पूर्ण होती है । इस महायज्ञ में विभिन्न लोगों ने भाग लिया। दिल्ली से आये अशोक कुमार, वृन्दावन से मनोज, गाजियाबाद से किशोरी पाठक, मथुरा से हनीश चतुर्वेदी, बूरा ,राजेश , दीप्ति,आगरा से किरन आदि ने पूजन कर लाभ कमाया। पं. ने बताया कि प्रत्येक बर्ष यह कार्यक्रम कराया जाता है।जो जातक इस वेला पूजन करने से वंचित हो गये है वे अब दूसरी श्रावण वेला में दिनांक 3 , 10, ओर 15, अगस्त को करा सकते हैं।

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