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23/08/2025

"साधक को कितना भजन करना चाहिए जिससे भगवान की प्राप्ति हो? – माधवी शरण जी" ✨

भजन केवल गिनती का विषय नहीं है, यह तो भाव और समर्पण की गहराई है। 🙏
कई साधक सोचते हैं कि कितने घंटे या कितनी संख्या में भजन करने से भगवान की प्राप्ति होगी। परंतु भक्ति मार्ग विशेषकर निम्बार्क सम्प्रदाय की निकुंज उपासना सिखाती है कि ईश्वर का साक्षात्कार केवल उस भजन से संभव है जिसमें हृदय का प्रेम, श्रद्धा और पूर्ण समर्पण जुड़ा हो। 🌸
अर्थात निरंतर स्मरण और हृदय की तल्लीनता ही सच्चे भजन की पहचान है। ✨

23/08/2025

🌸 “नाम-देव जी का यह प्रसंग आपका जीवन बदल देगा (सच्चे भक्त की निशानी)” – माधवी शरण जी 🌸

👉 सच्चे भक्त की निशानी यही है कि वह हर सुख-दुःख में समान भाव से भगवान को याद करता है और उसका जीवन केवल प्रभु के नाम में रमा रहता है।

“सच्चा भक्त वही है,
जो भगवान को केवल मंदिर में नहीं,
बल्कि हर श्वास में अनुभव करता है।”

22/08/2025

राम की शरण में आ – स्वामी करुण दास जी

22/08/2025

"अध्यात्म पथ पर प्रगति के लिए साधक को सत्संग क्यों ज़रूरी है? – माधवी शरण जी" ✨

आध्यात्मिक मार्ग कठिन है क्योंकि मन निरंतर भटकता रहता है 🌀। ऐसे में सत्संग साधक को सही दिशा देता है। 🌸
सत्संग केवल प्रवचन सुनना नहीं, बल्कि संतों और साधकों की संगति है जहाँ से प्रेरणा, ज्ञान और भक्ति का संचार होता है। 🙏

22/08/2025

🌸 “विद्या का सर्वोत्तम फल क्या है?” – माधवी शरण जी 🌸

यदि विद्या से अहंकार बढ़े, दूसरों को तुच्छ समझने की प्रवृत्ति आए या केवल धन कमाने का साधन बने, तो वह अधूरी विद्या है।
विद्या का सर्वोत्तम फल है – विनम्रता और लोक-कल्याण।

21/08/2025

कहीं आपकी भक्ति भी रावण जैसी तो नहीं... – स्वामी करुण दास जी

भक्ति का स्वरूप कैसा है, यह बहुत गहरा विषय है।
रावण शिवजी का परम भक्त था —
🔸 उसने तप किया, जप किया, असीम शक्ति पाई।
🔸 लेकिन उसकी भक्ति अहंकार, शक्ति की लालसा और स्वार्थ से भरी हुई थी।
🔸 इसलिए वह सच्चे अर्थों में भक्त नहीं, बल्कि भोगी और दुराग्रही था।

👉 सच्ची भक्ति वही है जहाँ —

नम्रता हो,

समर्पण हो,

ईश्वर के चरणों में प्रेम हो,

और भक्ति का लक्ष्य केवल भगवान को पाना हो, न कि अपना स्वार्थ।

इसलिए हर साधक को बार-बार खुद से यह प्रश्न पूछना चाहिए –
"क्या मेरी भक्ति प्रेम और समर्पण से भरी है या फिर उसमें रावण जैसा स्वार्थ छिपा है?"

21/08/2025

🌸 “भक्त प्रह्लाद जी के जीवन का एक दृष्टान्त” – माधवी शरण जी 🌸

राजा हिरण्यकश्यप के महल में जन्म लेने वाले प्रह्लाद बचपन से ही भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे।
उनके पिता ने उन्हें बार-बार भगवान का नाम छोड़ने के लिए बाध्य किया, पर प्रह्लाद जी ने कभी हार नहीं मानी।
चाहे उन्हें हाथियों के पैरों तले डलवाया गया, विष पिलाया गया, या अग्नि में बैठाया गया –
हर बार प्रह्लाद जी के अटूट विश्वास और भक्ति ने उन्हें बचा लिया।

20/08/2025

भजन-भक्ति में यह छोटी-छोटी गलती कभी न करें – स्वामी करुण दास जी

भक्ति सबसे सरल मार्ग है, लेकिन अक्सर हम अनजाने में ऐसी छोटी-छोटी गलतियाँ कर बैठते हैं जो साधना की गहराई को रोक देती हैं।

🔸 केवल रस या आनंद पाने के लिए भजन करना।
🔸 तुलना करना कि कौन कितना भजन करता है।
🔸 दिखावे के लिए साधना करना।
🔸 अधीर होकर जल्दी परिणाम चाहना।
🔸 नाम-स्मरण में मन को बार-बार भटकने देना और उसे पकड़कर न लाना।

20/08/2025

🌸 “भारतवर्ष की भूमि पर मनुष्य योनि में जन्म लेना ही कई जन्मों के पुण्य का फल है” – माधवी शरण जी 🌸

भारतवर्ष की भूमि कोई साधारण भूमि नहीं है। यह वह पावन धरती है जहाँ-जहाँ प्रभु ने अवतार लिया, जहाँ ऋषि-मुनियों ने तपस्या की, जहाँ संत-महात्माओं ने जन्म लेकर संसार को धर्म, प्रेम और भक्ति का संदेश दिया।

मनुष्य योनि में जन्म लेना वैसे भी 84 लाख योनियों में सबसे दुर्लभ है, और यदि यह जन्म भारतभूमि पर हुआ है, तो यह समझना चाहिए कि हमारे कई जन्मों के पुण्य फलित हुए हैं।

19/08/2025

🌸 “ज्ञान मार्ग या भक्ति मार्ग” – राधा शरण जी 🌸

मोक्ष प्राप्ति के दो प्रमुख साधन बताए गए हैं –

ज्ञान मार्ग – जहाँ साधक आत्मा और परमात्मा के तत्व का विवेचन करता है, शास्त्रों का गहन अध्ययन करता है और तर्क-विवेक से सत्य की खोज करता है।

भक्ति मार्ग – जहाँ साधक प्रेम और समर्पण के भाव से भगवान का आश्रय लेता है, नाम-स्मरण, कीर्तन और सेवा के माध्यम से ईश्वर से जुड़ता है।

ज्ञान मार्ग कठिन है, उसमें गहन अध्ययन और गूढ़ विचार की आवश्यकता होती है।
भक्ति मार्ग सरल और सहज है – इसमें केवल प्रेम, विश्वास और समर्पण की जरूरत है।

“ज्ञान मार्ग आत्मा को जाग्रत करता है,
भक्ति मार्ग आत्मा को प्रभु में समर्पित करता है।”

19/08/2025

🌸 “संतान को जन्म देना तब ही सार्थक है जब संतान ऐसे गुणों से युक्त हो” – माधवी शरण जी 🌸

केवल संतान प्राप्त करना ही जीवन का उद्देश्य नहीं है।
सार्थक संतान वही है जो –

गुणी, संस्कारी और धर्मपरायण हो।

माता-पिता का सम्मान करे।

समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी बने।

भक्ति और सेवा के मार्ग पर चले।

👉 केवल शरीर से जन्म देना ही मातृत्व-पितृत्व नहीं है, बल्कि सद्गुणों का संस्कार देना ही वास्तविक मातृत्व-पितृत्व है।

18/08/2025

अकेली लक्ष्मी की पूजा किसी खतरे से कम नहीं इसलिए सदैव..... – स्वामी करुण दास जी

शास्त्रों में कहा गया है कि केवल लक्ष्मी जी की पूजा करना उचित नहीं है।
क्योंकि –
🔸 जब लक्ष्मी आती हैं लेकिन विष्णु या नारायण तत्व साथ न हों, तो वह अस्थिरता और अहंकार लेकर आती हैं।
🔸 अकेली लक्ष्मी की उपासना से धन तो मिलेगा, लेकिन शांति और स्थिरता नहीं मिलेगी।
🔸 ऐसा धन कई बार अनर्थ, विवाद और मोह का कारण बन जाता है।

👉 इसलिए कहा गया है – “लक्ष्मी सदैव विष्णु के साथ पूजनीय हैं।”
जहाँ लक्ष्मी-नारायण की संयुक्त आराधना होती है, वहाँ धन के साथ धर्म और शांति भी आती है।

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