05/04/2025                                                                            
                                    
                                                                            
                                            साकरोदा गांव के गरबी पालीवाल परिवार का अनोखा इतिहास 
एक प्रसिद्ध घटना 
हवा का रूख देखकर बता देते थे मौसम का हाल
============
आर्टिकल -श्री मनीष जी  पालीवाल
 विज्ञान की प्रगति से हम आज मौसम का सटीक पूर्वानुमान चुटकियों में कर सकते हैं, परंतु 200 साल पहले, मौसम की भविष्यवाणी का कार्य विज्ञान की बजाय अनुभव, परंपरा और आध्यात्मिक सिद्धांतों पर आधारित था।
 राजस्थान के उदयपुर जिले के मावली उपखंड के साकरोदा गांव में ऐसा ही एक परिवार था, जो मौसम का पूर्वानुमान लगाने में निपुण था और जिसे गरबी ब्राह्मण (पालीवाल) परिवार के नाम से जाना जाता था। 
यह  परिवार  ग्रामीणों के लिए बरसात, गर्मी और सर्दी के मौसम की भविष्यवाणी कर किसानों की सहायता करता था।
साकरोदा गांव के खुमचंद (खुमो बा) पालीवाल नामक व्यक्ति, अपने आध्यात्मिक शक्ति से मौसम का पूर्वानुमान लगाते थे। उनके पूर्वानुमानों के आधार पर किसान फसलें बोने और काटने का निर्णय लेते थे, जिससे फसलों की सुरक्षा होती थी। उनकी इस अद्भुत क्षमता के चलते यह परिवार गांव में गरबी के नाम से जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है "बादल, हवा, आकाश और मिट्टी को देखकर पूर्वानुमान लगाने वाला।"
150 वर्ष पहले की एक प्रसिद्ध घटना बताती है कि कुचौली ठिकाने के ठाकुर साहब ने एक ब्राह्मण भोज का आयोजन किया था, जहां सभी ब्राह्मणों के साथ गरबी ब्राह्मण खुमचंद (खुमो बा) भी उपस्थित थे। भोज के दौरान ठाकुर साहब ने सभी ब्राह्मणो को  पूछा कि कब बरसात होगी? क्योंकि उस समय वर्षा का मौसम होते हुए भी बारिश नहीं हो रही थी और अकाल जेसी स्थिति थी। तभी उनमें से एक ब्राह्मण ने हास्यास्पद रूप से कहा कि हमारे बीच उपस्थित साकरोदा गांव के खुमो बा बता सकते हैं की बरसात कब होगी । तब ठाकुर साहब ने खुमो बा से पुछा की बासा बताओ की बरसात कब होगी?  खुमचंद गरबी ने आकाश की ओर देख कर भविष्यवाणी की कि शाम 4 बजे वर्षा हो जाएगी।
ठाकुर साहब को यह सुन कर आश्चर्य हुआ की आसमान में एक भी बादल नहीं है और भीषण गर्मी है फिर भी यह ब्राम्हण कह रहा है कि आज 4 बजे बरसात हो जाएगी!!
ठाकुर साहब ने सोचा कि यह ब्राह्मण ढोंगी है। तब ठाकुर साहब ने खुमो बा की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्हें 4 तक रावले के परिसर में ही आराम करने को कहा। 
सूरज की तीव्र धूप और आसमान में बादलों की कमी के बावजूद, ठीक 4 बजे आसमान में बादल घिर आए और वर्षा शुरू हो गई। इस अद्भुत घटना ने गांववासियों और ठाकुर साहब को आश्चर्य  चकित कर दिया, तब  ठाकुर साहब बारिश देख कर खुश हो गये, और खुमो बा के पास आए और कहा कि आपकी यह विद्या सच्ची है ।
और ठाकुर साहब ने खुमचंद गरबी को ढेर सारा अनाज, वस्त्र और सम्मान के साथ विदा किया। इस घटना के बाद से कुचौली के ठाकुर और साकरोदा के  ब्राह्मणों का संबंध गहरा हो गया।
गरबी परिवार का वर्तमान
समय के साथ इस परिवार में मौसम का पूर्वानुमान लगाने की यह विशेष विद्या खत्म हो गई, कोई भी वंशज इस विरासत को आगे नही लेजा पाया, लेकिन उनकी यह अनोखी परंपरा और पहचान आज भी ग्रामीणों की यादों में जीवित है।
 पूर्वजों के कारण साकरोदा गांव में रहने वाले इन कुटुंब के कई परिवार आज भी गरबी ब्राह्मण के नाम से मशहूर है।  गरबी बाह्मण उदयपुर मुबई इंदौर नाथद्वारा आदी जगहों पर जाकर बस रहे हैं।