राष्ट्रदेव

राष्ट्र जागरण का शंखनाद
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04/07/2025

हम हिन्दुओं की फूट के चलते हमें तोड़कर अपने स्वार्थ के उल्लू सीधे करने की सब ताक मे हैँ - सरसंघचालक जी

04/07/2025

कनाडा के टोरंटो मे हिंदू स्वयंसेवक संघ ने कनाडा दिवस के अवसर पर परेड में भाग लिया, एक हाथ में कनाडा का राष्ट्रीय ध्वज और एक हाथ में भगवा ध्वज लेकर स्वयंसेवकों ने परेड मे प्रतिभाग किया।

मुस्लिम युवतियाँ भी अब लव जिहाद मे मुस्लिम पुरुषों का साथ दे रही हैँ ऐसे कई मामले सामने आए हैँ ज़ब मुस्लिम युवतियाँ हिन्द...
04/07/2025

मुस्लिम युवतियाँ भी अब लव जिहाद मे मुस्लिम पुरुषों का साथ दे रही हैँ ऐसे कई मामले सामने आए हैँ ज़ब मुस्लिम युवतियाँ हिन्दू लड़कियों के संपर्क मे आती हैँ और फिर उनकी जान पहचान अपने मुस्लिम मित्रों, परिचितों और गैंग के सदस्यों से करवाती हैँ इस प्रकार एक पूरा जाल बुनकर हिन्दू युवतियों को धर्मान्तरित करने की यह साजिश बुनी जाती है।

1976 मे आपातकाल लगाकर संविधान की प्रस्तावना मे “धर्मनिरपेक्ष" शब्द इसलिए जोड़ा गया थाताकि अपराध का दंड यह देखकर दिया जाये...
03/07/2025

1976 मे आपातकाल लगाकर संविधान की प्रस्तावना मे “धर्मनिरपेक्ष" शब्द इसलिए जोड़ा गया थाताकि अपराध का दंड यह देखकर दिया जाये की अपराधी कौन से पंथ, धर्म और मजहब का है?

ऐसा प्रतीत होता है की हिन्दुओं की बालिकाओं को मतातंरित करने का कोई बड़ा अभियान चलाया जा रहा है अभी तक तो केवल हिन्दू बालि...
03/07/2025

ऐसा प्रतीत होता है की हिन्दुओं की बालिकाओं को मतातंरित करने का कोई बड़ा अभियान चलाया जा रहा है अभी तक तो केवल हिन्दू बालिकाओं को बहला फुसला कर, फर्जी पहचान के साथ सम्बन्ध बनाकर उन्हें मुस्लिम बनाना ही उद्देश्य था लेकिन अब हिन्दू बालिकाओं को आतंकी बनाने की जैसे मुहीम छेड दी गई है।

प्रेस वक्तव्य : आस्था व राष्ट्रीय एकात्मता की प्रतीक कावड़ यात्रा के यात्रियों के अधिकारों की भी हो रक्षा - VHPनई दिल्ली...
03/07/2025

प्रेस वक्तव्य : आस्था व राष्ट्रीय एकात्मता की प्रतीक कावड़ यात्रा के यात्रियों के अधिकारों की भी हो रक्षा - VHP

नई दिल्ली। जुलाई 1, 2025। विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने कावड़ यात्रा के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए आज कहा कि राष्ट्रीय एकता, समरसता और एकात्मता की प्रतीक इस यात्रा का सभी मत-पंथ संप्रदाय व धर्मों के लोगों को ना सिर्फ खुले मन से स्वागत करना चाहिए अपितु, कावड़ यात्रियों के संवैधानिक अधिकारों की भी रक्षा करनी चाहिए।
कावड़ यात्रा अनादि काल से चली आ रही है। लगभग 8 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष इस पवित्र त्रा में भाग लेते हैं। वे ‘बम भोले’ के साथ ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष भी करते हैं। अपने कंधे पर कावड़ लेने के साथ, हाथ में तिरंगा लेकर भी चलते हैं। यह यात्रा आस्था के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता, समरसता और एकात्मता का प्रतीक बन चुकी है।
डॉ सुरेन्द्र जैन ने आज यह कहा कि इस यात्रा का समाज के सभी वर्गों के द्वारा भरपूर स्वागत होना चाहिए। यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं जुटानी चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक के रास्ते में कई बार इन यात्रियों पर हमले होते थे, जान से मार दिया जाता था, मल-मूत्र और मांस के टुकड़े फेंक कर कावड़ को अपवित्र किया जाता था। यात्रा रोक दी जाती थी। सेकुलर सरकारें जिहादी हमलावरों के संरक्षण पर खड़ी होती थी। यात्रियों की आस्थाओं का उनके लिए कोई अर्थ नहीं होता था।
यूपी सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि योगी सरकार आने के बाद यात्रियों और उनके सम्मान की सुरक्षा के लिए कुछ नियम बनाए गए और उसका परिणाम हमलावर समाज पर भी दिखाई दिया। कुछ मुसलमानो ने स्वागत करना शुरू किया परंतु जेहादियों ने एक नया प्रकार खोज लिया। थूक कर रोटियां बनाना, जूस में पेशाब मिलाना, अपने नाम व पहचान छुपा कर हिंदू नाम से दुकान खोलकर हलाल के समान के साथ यात्रियों को भोजन भी देना। इससे हिंदुओं की आस्थाएं अपमानित होती थीं। यह यात्रियों का अधिकार है कि जिस दुकान से वह सामान ले रहे हैं, वह दुकान किनकी है। किसी जिहादी के द्वारा चलाई जा रही दुकान तो नहीं है, यह जानने का उसका संवैधानिक अधिकार है। इसलिए वर्तमान सरकार ने जो नियम बनाए हैं हम उन नियमों का स्वागत करते हैं। वे नियम यात्रियों के लिए भी है और वहां पर रहने वाले समाज के लिए भी। यात्री तो नियमों का पहले से ही पालन करते हैं। वहां का सम्पूर्ण समाज भी करेगा यह हमारी अपेक्षा है।
उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि जब ऐसा कोई भी विषय आता है तो कुछ लोग तुरंत न्यायपालिका में जाते हैं और कोई एक जज अपने व्यक्तिगत संस्कार और विचारों के आधार पर तुरंत स्टे दे देता है। इससे न्यायपालिका की आलोचना भी शुरू हो जाती है। सोशल मीडिया पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है। न्यायपालिका के सम्मान की सुरक्षा हमारी भी चिंता का विषय है। लेकिन जिम्मेदारी न्यायपालिका की भी बनती है। इसलिए हम मुख्य न्यायाधीश महोदय से निवेदन करते हैं कि वे सभी न्यायाधीशों को संकेत दें कि किसी भी विषय पर निर्णय देने से पहले हिंदुओं के संवैधानिक अधिकारों का भी विचार करें। संविधान के धारा 25 और 26 हिंदुओं के अधिकारों के लिए भी हैं। स्थानीय परिस्थितियों, हिंदुओं की भावनाओं तथा वहां की परिस्थितियों, इन सब का विचार करके ही निर्णय देना चाहिए।
डॉ जैन ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोग इस विषय को राजनीति से भी जोड़ने की कोशिश करते हैं। भारत में तो प्रत्येक महीने कहीं ना कहीं चुनाव होते ही रहते हैं। यात्रा हर वर्ष निकलती है, निश्चित तिथि पर निकलती है। इसको राजनीति से जोड़ने वाले वास्तव में, हिंदू आस्थाओं का अपमान करते हैं। इसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वह अपने वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए इतना नीचे ना गिरे कि उनका उठाना मुश्किल हो जाए।

जारीकर्ता:
विनोद बंसल
राष्ट्रीय प्रवक्ता
विश्व हिन्दू परिषद

श्रद्धा, समर्पण, तप एवं त्याग का पर्व काँवड यात्रा आने ही वाला है श्रावण मास मे देश के विभिन्न भागों मे होने वाली भगवान ...
02/07/2025

श्रद्धा, समर्पण, तप एवं त्याग का पर्व काँवड यात्रा आने ही वाला है श्रावण मास मे देश के विभिन्न भागों मे होने वाली भगवान शिव के प्रति हमारी आस्था की प्रतीक कांवड़ यात्रा हमारी महान परम्पराओं मे से एक है जिसमे हम अपनी पवित्र नदियों का जल पैदल यात्रा द्वारा लाकर अपने क्षेत्र के शिवालयों मे भगवान शिव को अर्घ्य देकर समर्पित करते हैँ

प्रायः ऐसी भी परंपरा है की घर से जब कोई कांवड़ यात्रा पर जाता है तो घर पर पकवान बनाने निषेध होते हैँ ऐसी मान्यता है की परिवारजनो के पकवान खाने से कांवड़ यात्री के कष्ट बढ़ते हैँ तामसिक भोजन का त्याग तो कांवड़ यात्री व उनके परिवारजन भी करते हैँ कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ यात्री न स्वयं कोई व्यसन करते हैँ और न उनके परिवारजन ही ऐसा करते हैँ

कांवड़ मार्ग मे धर्मावलंबियों द्वारा लगाए गए भंडारों में भी किसी प्रकार का कोई तामसिक भोजन परोसा नहीं जाता है बल्कि भगवान शिव को भोजन का अंश समर्पित करने के बाद ही प्रसाद रूप में भंडारे में भोजन कावड़ यात्रियों को भरोसा जाता है पवित्र जल को सुरक्षित रखने के लिए कावड़ यात्री अपनी कावड़ को पूरी यात्रा के दौरान पवित्र स्थान पर ही रखते हैं पूरे मार्ग मे कांवड़ यात्री स्वयं मे भगवान शिव का ही एक स्वरूप होते हैँ यात्रा मार्ग पर आने वाले गांव, कस्बे व शहरों के लोग श्रद्धा पूर्वक इन शिव के स्वरूपों को नमन करने के लिए मार्ग पर एकत्र होते हैँ उनकी सेवा को तत्पर रहते हैँ कांवड़ यात्री भी एक दूसरे को नाम से नहीं वरन भोला अथवा भोली कहकर ही पुकारते हैँ श्रावण मास मे पूरा कांवड़ यात्रा मार्ग किसी पवित्र तीर्थंयात्रा मार्ग मे बदल जाता है चहूँओर भगवान शिव की जय जयकार होती है

लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पारम्परिक पैदल कावड़ यात्रा के साथ-साथ मोटरसाइकिल, कार, ट्रैक्टर, ट्रक और अन्य वाहनो पर भी जल लाकर शिवालयो मे अर्पित करने की प्रथा विकसित हुई है इसी कारण कांवड़ मार्ग मे यात्रियों की दुर्घटनाओं मे हताहत होने संख्या भी लगातार बढ़ रही है डाक कांवड़, या अन्य तरीको की कांवड़ से पारम्परिक कांवड़ यात्रा न केवल बाधित हो रही है बल्कि उसका स्वरूप, अनुशासन व मर्यादा भी भंग हो रही है

अधिकांश धर्मावलंबियों का तो ऐसा मानना है की कावड़ यात्रा में वाहनों के प्रयोग के साथ-साथ बड़े, ऊँचे, खर्चीले ध्वनि यँत्र (DJ) के प्रयोग ने तो कांवड़ यात्रा के धार्मिक पुट को न केवल हानि पहुंचाई है बल्कि अन्य श्रद्धालुओं की इस यात्रा को देखने की श्रद्धापूर्वक दृष्टि भी बदल दी है ऐसे डीजे के साथ-साथ पुरुषों एवं महिलाओं द्वारा देवी देवताओं का वेश धारण कर भोंडे नृत्य भी किए जाने लगे हैं कुछ कांवड़ यात्री नशीले पदार्थों का सेवन भी करते हैँ और यात्रा की पवित्रता को ठेस पहुँचाते हैँ

हम हिन्दू धर्म के मानने वालों को अब यह देखना होगा की हमारी कांवड़ यात्रा की यह पवित्र व महान परंपरा कहीं दिखावे, आडम्बर और अन्य श्रद्धालुओं के लिए परेशानी मे न बदल जाये।

यह हमें ही सुनिश्चित करना होगा की कावड़ लाते समय हमारे मुख ने स्वत: उच्चारित होने वाला ‘बोल बम' व ‘ॐ नमः शिवाय' का उदघोष हमारे आराध्य शिव को सहज स्वीकार्य होगा अथवा बड़े बड़े डीजे से निकलती कर्कश ध्वनि से हमारे आराध्य शिव प्रसन्न होंगें?

हमें अपने धर्म के नियमो का पालन स्वयं करना होगा, अपनी धार्मिक यात्राओं की पवित्रता की रक्षा स्वयं करनी होगी, अपनी महान परम्पराओं की शुचिता व पवित्रता का अनुपालन स्वयं सुनिश्चित करना होगा।

हमें आशा है की पवित्र सनातन धर्म के मानने वाले हम सब शिवभक्त, हमारे परिवारों के बुजुर्गजन, प्रबुद्ध लोग, शिक्षकजन और कांवड़ यात्रियों के परिवारजन इन सभी विषयों पर समाज मे चर्चा करेंगे और इस धार्मिक यात्रा को विकारों से बचाने का प्रयास करेंगे।

आप सभी को श्रावण मास की पवित्र कांवड़ यात्रा हेतु शुभकामनायें..भगवान शिव अपने सभी भक्तों की रक्षा करें..सभी श्रद्धालुओं की आगामी कांवड़ यात्रा सफल व सुखमय हो... ऐसी कामना है।

ॐ नमः शिवाय🚩

02/07/2025

ये नये मुग़ल आए हैँ.....

अयोध्या श्री राम मंदिर पर NSG का पहरा है काशी मे बाबा विश्वनाथ पर ATS का पहरा हैकटरा माँ वैष्णो देवी पर CRPF का पहरा है ...
02/07/2025

अयोध्या श्री राम मंदिर पर NSG का पहरा है
काशी मे बाबा विश्वनाथ पर ATS का पहरा है
कटरा माँ वैष्णो देवी पर CRPF का पहरा है
बाबा अमरनाथ यात्रा पर ARMY का पहरा है
सब जानते हैँ की इन मंदिरों को किससे खतरा है
लेकिन जिनसे खतरा है उनके पास ‘भाईचारा' नाम का छलावा है
पूरी दुनिया उनके कारण दहशत मे है लेकिन उनका खुद विक्टिम होने का दिखावा है
सच दुनिया अब जान रही है की उस आसमानी किताब मे ही इस सारी जंग का दावा है

श्री अमरनाथ यात्रा-2025 : जम्मू से रवाना हुआ अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था, इस बार  38 दिन की यात्रा, 9 अगस्त को रक्षाब...
02/07/2025

श्री अमरनाथ यात्रा-2025 : जम्मू से रवाना हुआ अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था, इस बार 38 दिन की यात्रा, 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन संपन्न होगी

सन् 1985 में जलगाँव जामोद (विदर्भ) में संघ शिक्षा वर्ग लगा । वर्ग में संख्या और व्यवस्था बहुत अच्छी थी । यह क्षेत्र पहाड...
02/07/2025

सन् 1985 में जलगाँव जामोद (विदर्भ) में संघ शिक्षा वर्ग लगा । वर्ग में संख्या और व्यवस्था बहुत अच्छी थी । यह क्षेत्र पहाड़ी गाँवों वाला है। यहाँ भोली-भाली श्रमिक जातियाँ रहती हैं। यह मुस्लिम धर्मान्तरण से प्रभावित क्षेत्र है । इस समस्या सामना करने के लिए यहाँ पर संघ कार्यकर्ताओं ने एक छात्रावास खोला है। इसीलिए बालासाहब की एक जनसभा का विचार सभी के मन में आया, जिससे कि मुस्लिम आक्रामकता को रोका जा सके। परन्तु अधिकारियों की स्वीकृति मिलनी कठिन लग रही थी। संघ शिक्षा वर्ग में ऐसे कार्यक्रमों की परम्परा भी नहीं है। परन्तु बालासाहब से मिलने पर इसकी स्वीकृति मिल गयी। सबके परिश्रम से कार्यक्रम सफल भी हुआ और बाद में धर्मान्तरण पूरी तरह से रुक गया।

कार्यक्रम समाप्ति पर बालासाहब ने कहा, 'अपने जनसभा के कार्यक्रम हिन्दुओं का मनोबल बढ़ाने व हिन्दुत्व के प्रचार-प्रसार के लिए ही होते हैं। यदि समाज के लोग आने से ही समाज को कष्ट देने वालों पर नियन्त्रण लगने वाला है तथा हिन्दुओं की धाक स्थापित होने वाली है तो कार्यक्रम पहले या पश्चात की बात मुख्य नहीं है, कार्यक्रम अच्छा हुआ और सफल हुआ।' इससे सभी को लगा कि परिश्रम सार्थक हुआ। यह बालासाहब की कार्यकेन्द्रित, ठीक अचूक निर्णय शक्ति थी ।

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