02/07/2025
श्रद्धा, समर्पण, तप एवं त्याग का पर्व काँवड यात्रा आने ही वाला है श्रावण मास मे देश के विभिन्न भागों मे होने वाली भगवान शिव के प्रति हमारी आस्था की प्रतीक कांवड़ यात्रा हमारी महान परम्पराओं मे से एक है जिसमे हम अपनी पवित्र नदियों का जल पैदल यात्रा द्वारा लाकर अपने क्षेत्र के शिवालयों मे भगवान शिव को अर्घ्य देकर समर्पित करते हैँ
प्रायः ऐसी भी परंपरा है की घर से जब कोई कांवड़ यात्रा पर जाता है तो घर पर पकवान बनाने निषेध होते हैँ ऐसी मान्यता है की परिवारजनो के पकवान खाने से कांवड़ यात्री के कष्ट बढ़ते हैँ तामसिक भोजन का त्याग तो कांवड़ यात्री व उनके परिवारजन भी करते हैँ कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ यात्री न स्वयं कोई व्यसन करते हैँ और न उनके परिवारजन ही ऐसा करते हैँ
कांवड़ मार्ग मे धर्मावलंबियों द्वारा लगाए गए भंडारों में भी किसी प्रकार का कोई तामसिक भोजन परोसा नहीं जाता है बल्कि भगवान शिव को भोजन का अंश समर्पित करने के बाद ही प्रसाद रूप में भंडारे में भोजन कावड़ यात्रियों को भरोसा जाता है पवित्र जल को सुरक्षित रखने के लिए कावड़ यात्री अपनी कावड़ को पूरी यात्रा के दौरान पवित्र स्थान पर ही रखते हैं पूरे मार्ग मे कांवड़ यात्री स्वयं मे भगवान शिव का ही एक स्वरूप होते हैँ यात्रा मार्ग पर आने वाले गांव, कस्बे व शहरों के लोग श्रद्धा पूर्वक इन शिव के स्वरूपों को नमन करने के लिए मार्ग पर एकत्र होते हैँ उनकी सेवा को तत्पर रहते हैँ कांवड़ यात्री भी एक दूसरे को नाम से नहीं वरन भोला अथवा भोली कहकर ही पुकारते हैँ श्रावण मास मे पूरा कांवड़ यात्रा मार्ग किसी पवित्र तीर्थंयात्रा मार्ग मे बदल जाता है चहूँओर भगवान शिव की जय जयकार होती है
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पारम्परिक पैदल कावड़ यात्रा के साथ-साथ मोटरसाइकिल, कार, ट्रैक्टर, ट्रक और अन्य वाहनो पर भी जल लाकर शिवालयो मे अर्पित करने की प्रथा विकसित हुई है इसी कारण कांवड़ मार्ग मे यात्रियों की दुर्घटनाओं मे हताहत होने संख्या भी लगातार बढ़ रही है डाक कांवड़, या अन्य तरीको की कांवड़ से पारम्परिक कांवड़ यात्रा न केवल बाधित हो रही है बल्कि उसका स्वरूप, अनुशासन व मर्यादा भी भंग हो रही है
अधिकांश धर्मावलंबियों का तो ऐसा मानना है की कावड़ यात्रा में वाहनों के प्रयोग के साथ-साथ बड़े, ऊँचे, खर्चीले ध्वनि यँत्र (DJ) के प्रयोग ने तो कांवड़ यात्रा के धार्मिक पुट को न केवल हानि पहुंचाई है बल्कि अन्य श्रद्धालुओं की इस यात्रा को देखने की श्रद्धापूर्वक दृष्टि भी बदल दी है ऐसे डीजे के साथ-साथ पुरुषों एवं महिलाओं द्वारा देवी देवताओं का वेश धारण कर भोंडे नृत्य भी किए जाने लगे हैं कुछ कांवड़ यात्री नशीले पदार्थों का सेवन भी करते हैँ और यात्रा की पवित्रता को ठेस पहुँचाते हैँ
हम हिन्दू धर्म के मानने वालों को अब यह देखना होगा की हमारी कांवड़ यात्रा की यह पवित्र व महान परंपरा कहीं दिखावे, आडम्बर और अन्य श्रद्धालुओं के लिए परेशानी मे न बदल जाये।
यह हमें ही सुनिश्चित करना होगा की कावड़ लाते समय हमारे मुख ने स्वत: उच्चारित होने वाला ‘बोल बम' व ‘ॐ नमः शिवाय' का उदघोष हमारे आराध्य शिव को सहज स्वीकार्य होगा अथवा बड़े बड़े डीजे से निकलती कर्कश ध्वनि से हमारे आराध्य शिव प्रसन्न होंगें?
हमें अपने धर्म के नियमो का पालन स्वयं करना होगा, अपनी धार्मिक यात्राओं की पवित्रता की रक्षा स्वयं करनी होगी, अपनी महान परम्पराओं की शुचिता व पवित्रता का अनुपालन स्वयं सुनिश्चित करना होगा।
हमें आशा है की पवित्र सनातन धर्म के मानने वाले हम सब शिवभक्त, हमारे परिवारों के बुजुर्गजन, प्रबुद्ध लोग, शिक्षकजन और कांवड़ यात्रियों के परिवारजन इन सभी विषयों पर समाज मे चर्चा करेंगे और इस धार्मिक यात्रा को विकारों से बचाने का प्रयास करेंगे।
आप सभी को श्रावण मास की पवित्र कांवड़ यात्रा हेतु शुभकामनायें..भगवान शिव अपने सभी भक्तों की रक्षा करें..सभी श्रद्धालुओं की आगामी कांवड़ यात्रा सफल व सुखमय हो... ऐसी कामना है।
ॐ नमः शिवाय🚩