
25/12/2024
विश्व संवाद केन्द्र, मेरठ पर आज डा कपिल अग्रवाल द्वारा लिखित पुस्तक ‘पुण्य प्रवाहः राष्ट्र मंदिर के समर्पित दीप’ का विमोचन कार्यक्रम आयोजित हुआ।
समाज को सही दिशा और दशा की ओर ले जाने के लिये शस्त्र से भी ज्यादा महत्वपूर्ण शास्त्र हैं। आज समाज में विकृति उत्पन्न करने के लिये जो नैरेटिव गढ़े जा रहे है उनका सामना शास्त्रों एवं किताबों के अध्ययन से किया जा सकता है। यह बात विश्व संवाद केन्द्र पर आयोजित डॉ. कपिल अग्रवाल द्वारा लिखित पुस्तक ‘पुण्य प्रवाहः राश्ट्र मंदिर के समर्पित दीप’ के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख पदम सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जो तथ्यहीन, समाज विरोधी, युवाओं में भटकाव उत्पन्न करने की सामग्री आज परोसी जा रही है और हम बिना तथ्यों की जांच पड़ताल के इस सोशल मीडिया की सामग्री को सत्य मानकर अपनी मनस्थिति तैयार करते हैं यह वर्तमान और भविश्य के लिये एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा हमारा आज का युवा पुस्तकों से दूर होता जा रहा है। जिस कारण वह भारत के स्वर्णिम इतिहास एवं महापुरुशों से अनभिज्ञ है। भारत के कई प्रान्त आज अलगाव की स्थिति में है। उन्होंने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रान्त की पहचान अपनी सांस्कृतिक धरोहर और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिये जानी जाती थीं आज उसकी स्थिति से हम सब परिचित हैं। इसका एकमात्र कारण वहां की युवा पीढ़ी को अपने पूर्वजों के इतिहास एवं उनके द्वारा दिये गये बलिदानों को न याद करना है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त राजेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम में अपने उद्बोधन के दौरान कहा कि आज अनेक षोधों के माध्यम से पता चलता है कि प्रिटिंग सामग्री विशेश रूप से किताबों के प्रति युवाओं का रूझान बहुत कम हुआ है और इसका मुख्य कारण इंटरनेट है। उन्होंने एक षोध का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्व में आज लगभग 500 करोड़ लोग सोशल मीडिया के सक्रिय उपयोगकर्ता हैं जो लगभग प्रतिदिन 3 घंटे सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं। यह समय किताबों को पढ़ने में लगाया जाये तो इसके अत्यंत ही उपयोगी एवं सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि इंटरनेट पर उपयोगी जानकारी नहीं है। उपयोगी जानकारी तो है लेकिन उसका उपयोग नाममात्र के लोग ही कर रहे हैं। भारत की परम्परा गौरवशाली रही है। हम अपने अतीत, वर्तमान और भविश्य को दुनिया भर में तभी स्थापित कर सकते हैं जब हमारे अध्ययन का दायरा विस्तृत होगा। हम विचारशील होंगे तो दुनिया पर राज कर सकते हैं और यह विचार पुस्तको के अध्ययन से आता है। इस विचार का जब हम क्रियान्वयन करते हैं तो वह कर्म बन जाता है। भारत की परम्परा में वेद, पुराण, उपनिशद की भूमिका अत्यंत में महती रही है। यह सब पीढ़ी दर पीढ़ी श्रुति परम्परा के माध्यम से प्रेशित हुई है। लेकिन आज की पीढ़ी इस सोशल मीडिया के मायाजाल में फंसकर उससे वंचित हो रही है। इसके अतिरिक्त इस सोशल मीडिया ने आज के युवा में न केवल सहनशीलता को प्रभावित किया है बल्कि उसकी स्मृति में पर भी गहरा आघात पहुंचाया है। आज रील्स के माध्यम से युवा वर्ग किसी भी एक विशय पर 30 से 40 सेंकड रुक पाता है और अंगूठे से स्क्रोल करता हुआ अगले विशय पर चला जाता है। अगर इन सब विकृतियों से दूर रहना है तो पुस्तकों से दोस्ती करनी होगी।
कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक डॉ. कपिल अग्रवाल ने कार्यक्रम की भूमिका में कहा इस पुस्तक में चालीस महापुरुशों अर्थात् राश्ट्र मंदिर के कार्य को समर्पित 40 दीपों का उल्लेख किया गया है। इन 40 दीपों में आचार्य चाणक्य, छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर वन्दा बैरागी, कोतवाल धनसिंह गुर्जर, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, वीर सावरकर, चाफेकर बन्धु, खुदीराम बोस, मदन लाल धींगडा, सरदार भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, गणेश षंकर विद्यार्थी, मैडम भीकाजी कामा, मदन मोहन मालवीय, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, डॉ. ष्यामाप्रसाद मुखर्जी, पं. दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार, श्रीगुरुजी एवं अशोक सिंघल जैसे महापुरुशों के नाम हैं। पुस्तक के लेखक डॉ. कपिल अग्रवाल दिल्ली के शिक्षा निदेशालय में प्रवक्ता रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन सुनील कुमार सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विश्व संवाद केन्द्र न्यास के अध्यक्ष श्यामबिहारी लाल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक, प्रान्त प्रचार प्रमुख सुरेन्द्र सिंह, विनोद भारतीय, अरुण जिन्दल, अशोक शर्मा, राजगोपाल कात्यायान, विभाग प्रचार प्रमुख पंकज राज शर्मा आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे।