
09/06/2025
पुस्तक परिचय | ग़ज़ल संग्रह
नाम: जलता चंदन वन
रचनाकार: डॉ. नवीन चतुर्वेदी 'बेवफ़ा राज़'
प्रकाशक: पंख प्रकाशन
पृष्ठ: 128
मूल्य: ₹250 (वर्तमान मूल्य ₹199 मात्र)
ग़ज़ल, एक ऐसी विधा है जो हृदय के भीतर चल रही हलचल को बहर और काफ़िये के अनुशासन में बाँधकर प्रस्तुत करती है। यह वह विधा है जो दर्द को शिष्टता देती है, प्रेम को परिपक्वता, और तंज को तहज़ीब में लपेटकर कहने की कला सिखाती है। उर्दू की कोमल काया पर हिंदी की मिट्टी जब सजती है, तो ग़ज़ल एक नई ज़बान पाती है और यही ज़बान है ‘जलता चंदन वन’ की।
इस संग्रह में डॉ. चतुर्वेदी की ग़ज़लें शोर नहीं मचातीं, वे चुपचाप मन में उतरती हैं जैसे कोई चिर-परिचित दुख, जिसे नाम नहीं दिया जा सकता, पर जो हर पाठक के भीतर कहीं न कहीं पल रहा होता है। इन ग़ज़लों की विशेषता यह है कि वे किसी शास्त्रीय गुरुकुल से नहीं, जीवन की पाठशाला से निकली हैं। इनमें गाँव है, स्त्री की उपेक्षा है, संस्कृति की टूटती डोर है, और आदमी की अपनी जड़ से कटती हुई पीड़ा भी।
जलता चंदन वन’ अपने शिल्प में सादा, पर कथ्य में बेहद सघन है। इसमें न आलंकारिकता की भरमार है, न भाषाई चमत्कारों का प्रदर्शन, इसकी खूबसूरती इसकी ईमानदारी में है। रचनाकार की दृष्टि समकालीन है, लेकिन उसका स्वर आत्मीय और यथार्थ से जुड़ा हुआ है।
कुछ शेर जो यक़ीनक बरसों तक पाठकों की स्मृतियों में दर्ज रहेंगे:
"जो बेटी के लिए था देखा,
उस सूरज की माँग बहुत है।"
"चुन्नी तक ग़ायब है इसमें,
मत ढूँढो युग साड़ी वाला।"
"जब यह गाँव मेरा अपना था,
तब यह फ़सल उजड़ी किसने?"
ऐसे दर्जनों शेर हैं जो चुपचाप मन में उतरते हैं और भीतर कुछ हिला जाते हैं।
यह संग्रह हिंदी ग़ज़ल को उस पथ पर ले जाता है जहाँ वह लोक से संवाद करती है, और साहित्य की ऊँचाइयों तक पहुँचना चाहती है — वह ऊँचाई जहाँ कोई शब्द ‘बेवफ़ा’ होकर भी ‘राज़’ बना रहता है।
यह पुस्तक अमेज़न, फ्लिपकार्ट, मीशो जैसे ऑनलाइन माध्यमों पर उपलब्ध है।
पंख प्रकाशन कार्यालय से भी पुस्तक सीधे प्राप्त की जा सकती है।
Amazon link...
https://www.amazon.in/gp/product/9394878653/ref=cx_skuctr_share_ls_srb?smid=A2VGH721W8EK7X&tag=ShopReferral_41a86766-294a-4e11-9fad-97a3e786f0d5
Meesho link...
https://www.meesho.com/s/p/93eguc?utm_source=s_cc