
28/07/2025
जैसलमेर के पूनमनगर में स्कूल का गेट का खंभा गिरने से एक मासूम छात्र की जान चली गई, एक शिक्षक लहूलुहान पड़ा है। इमारतें ढह रही हैं, लेकिन जिम्मेदारियाँ खामोश हैं। शिक्षा के मंदिर में मासूमों की चीखें गूँज रही हैं, और जवाबदेही गूँगी होकर कोने में सिमट गई है।
क्या शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबें और बोर्ड हैं? क्या स्कूल सिर्फ दीवारें और छतें हैं? नहीं! ये वो पवित्र स्थान हैं, जहाँ भविष्य की नींव रखी जाती है, जहाँ सपनों को पंख मिलते हैं। लेकिन जब यही स्थान बच्चों के लिए काल बन जाए, तो ये समाज की आत्मा पर करारा तमाचा है। लापरवाही की आग में जल रहा है हमारा भविष्य, और हम चुपचाप तमाशा देख रहे हैं।
हर बार एक हादसा, हर बार एक जांच, हर बार वादे—और फिर? फिर वही सन्नाटा। जिम्मेदार कौन? स्कूल प्रशासन, ठेकेदार, सरकार, या हम सब, जो इन हादसों को भूलकर अगली त्रासदी का इंतज़ार करते हैं?
क्या एक बच्चे की जान इतनी सस्ती है कि उसे भवन की कमज़ोर ईंटों के नीचे दबने दिया जाए? क्या एक शिक्षक का खून इतना मामूली है कि उसे अनदेखा कर दिया जाए?
मुख्यमंत्री जी जवाब दीजिए! ये सवाल सिर्फ आपसे नहीं, हर उस इंसान से है, जिसके सीने में इंसानियत ज़िंदा है। बच्चों की हँसी को कब तक कफ़न में लपेटेंगे? लापरवाही का ये सिलसिला कब टूटेगा? शिक्षा के मंदिरों को बचाइए, क्योंकि ये सिर्फ इमारतें नहीं, हमारे भविष्य की धड़कनें हैं।
आवाज़ उठानी होगी, जवाब मांगना होगा। अब केवल वादे नहीं, ठोस बदलाव चाहिए। एक और मासूम की बलि नहीं, हमें सुरक्षित और सशक्त शिक्षा व्यवस्था चाहिए।
Narendra Modi PMO India
Bhajanlal Sharma CMO Rajasthan
Rajasthan Police