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*🌹सकट चौथ पर कर लें इन 5 चीजों का दान, तरक्की में लग जाएंगे चार चांद🌹*💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐*⭕सकट चौथ दान 2025: सकट चौथ का व्रत हर स...
17/01/2025

*🌹सकट चौथ पर कर लें इन 5 चीजों का दान, तरक्की में लग जाएंगे चार चांद🌹*
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*⭕सकट चौथ दान 2025: सकट चौथ का व्रत हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस साल यह व्रत 17 जनवरी को रखा जाएगा. यह व्रत भगवान श्रीगणेश और माता सकट को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार, सकट चौथ का व्रत रखने से संतान को दीर्घायु, सुख और समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश और माता सकट की विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और धन-वैभव का आगमन होता है. मान्यतानुसार, इस दिन कुछ खास चीजों का दान करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है. आइए जानते हैं सकट चौथ पर किन चीजों का दान करना लाभकारी रहेगा.*

*⚜️काले तिल का दान*
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सकट चौथ पर काले तिल का दान सबसे शुभ और लाभकारी माना गया है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, काले तिल में कई देवताओं का वास होता है. इसे दान करने से न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि शरीर निरोगी रहता है और संतान की दीर्घायु जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

*⚜️गुड़ का दान*
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मान्यता है कि इस दिन गुड़ का दान करने से भगवान श्रीगणेश प्रसन्न होते हैं. यह दान जीवन से संकटों को दूर करता है और भाग्य को मजबूत करता है. इसलिए सकट चौथ के दिन गुड़ का दान किया जाता है.

*⚜️घी का दान*
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सकट चौथ पर घी का दान अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन घी का दान करने से सेहत और धन से जुड़ी समस्याओं का निवारण होता है. घी का दान शुभ फल देने वाला माना गया है.

*⚜️नमक का दान*
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इस दिन नमक का दान करना भी विशेष महत्व रखता है. पैराणिक मान्यता है कि नमक का दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और नजरदोष से मुक्ति मिलती है.

*⚜️वस्त्रों का दान*
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सकट चौथ के दिन गर्म वस्त्रों का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है. यह व्रत आमतौर पर जनवरी के महीने में पड़ता है, जब सर्दी का मौसम होता है. इस दिन जरूरतमंदों को गर्म कपड़े या कंबल दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यह दान आर्थिक उन्नति और जीवन में बरकत लाने वाला माना जाता है.

*🚩 #ऊँ_श्री_गणेशाय_नम:🚩*
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13/01/2025

🕉️ शिव महिमा और रुद्राविषेक🕉️
1. जल से रुद्राभिषेक करने पर — वृष्टि होती है।
2. कुशा जल से अभिषेक करने पर — रोग, दुःख से छुटकारा मिलता है।
3. दही से अभिषेक करने पर — पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
4. गन्ने के रस से अभिषेक करने पर — लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
5. मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि होती है।
6. तीर्थ जल से अभिषेक करने पर —मोक्ष की प्राप्ति होती है।
7. इत्र मिले जल से अभिषेक करने से —बीमारी नष्ट होती है ।
8. दूध से अभिषेक करने से — पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
9. गंगाजल से अभिषेक करने से — ज्वर ठीक हो जाता है।
10. शर्करा मिश्रित दूध से अभिषेक करने से — सद्बुद्धि मिलती है।
11. घी से अभिषेक करने से — वंश का विस्तार होता है।
12. सरसों के तेल से अभिषेक करने से — रोग तथा शत्रु का नाश होता है।
13. शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से — पाप क्षय होता है।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है।🙏🏼

28/11/2024

*लीवर की बीमारी के उपाय*
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आज कल चारो और लीवर के मरीज हैं, किसी को पीलिया हैं, किसी का लीवर सूजा हुआ हैं, किसी का फैटी हैं, और डॉक्टर बस नियमित दवाओ पर चला देते हैं मरीज को, मगर आराम किसी को मुश्किल से ही आते देखा हैं।

लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्‍य अंग है, यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पा रहा है तो समझिये कि खतरे की घंटी बज चुकी है। लीवर की खराबी के लक्षणों को अनदेखा करना बड़ा ही मुश्‍किल है और फिर भी हम उसे जाने अंजाने अनदेखा कर ही देते हैं।

👉 लीवर की खराबी होने का कारण ज्‍यादा तेल खाना, ज्‍यादा शराब पीना और कई अन्‍य कारणों के बारे में तो हम जानते ही हैं। हालाकि लीवर की खराबी का कारण कई लोग जानते हैं पर लीवर जब खराब होना शुरु होता है तब हमारे शरीर में क्‍या क्‍या बदलाव पैदा होते हैं यानी की लक्षण क्‍या हैं, इसके बारे में कोई नहीं जानता।

वे लोग जो सोचते हैं कि वे शराब नहीं पीते तो उनका लीवर कभी खराब नहीं हो सकता तो वे बिल्‍कुल गलत हैं।

👉 क्‍या आप जानते हैं कि मुंह से गंदी बदबू आना भी लीवर की खराबी हो सकती है। क्‍यों चौंक गए ना?

👉 हम आपको कुछ परीक्षण बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि क्‍या आपका लीवर वाकई में खराब है। कोई भी बीमारी कभी भी चेतावनी का संकेत दिये बगैर नहीं आती, इसलिये आप सावधान रहें।

👉 मुंह से बदबू यदि लीवर सही से कार्य नही कर रहा है तो आपके मुंह से गंदी बदबू आएगी। ऐसा इसलिये होता है क्‍योकि मुंह में अमोनिया ज्‍याद रिसता है।

👉 लीवर खराब होने का एक और संकेत है कि स्‍किन क्षतिग्रस्‍त होने लगेगी और उस पर थकान दिखाई पडने लगेगी। आंखों के नीचे की स्‍किन बहुत ही नाजुक होती है जिस पर आपकी हेल्‍थ का असर साफ दिखाई पड़ता है।

👉 पाचन तंत्र में खराबी यदि आपके लीवर पर वसा जमा हुआ है और या फिर वह बड़ा हो गया है, तो फिर आपको पानी भी नहीं हजम होगा।

👉 त्‍वचा पर सफेद धब्‍बे यदि आपकी त्‍वचा का रंग उड गया है और उस पर सफेद रंग के धब्‍बे पड़ने लगे हैं तो इसे हम लीवर स्‍पॉट के नाम से बुलाएंगे।

👉 यदि आपकी पेशाब या मल हर रोज़ गहरे रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। यदि ऐसा केवल एक बार होता है तो यह केवल पानी की कमी की वजह से हो सकता है।

👉 यदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे तो आपको जौन्‍डिस हो सकता है। इसका यह मतलब होता है कि आपका लीवर संक्रमित है।

👉 लीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका नाम होता है बाइल जो कि स्‍वाद में बहुत खराब लगता है। यदि आपके मुंह में कडुआहर लगे तो इसका मतलब है कि आपके मुंह तब बाइल पहुंच रहा है।

👉 जब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आ जाती है, जिसको हम अक्‍सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं।

👉 मानव पाचन तंत्र में लीवर एक म‍हत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। विभिन्‍न अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना, डिटॉक्सीफिकेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और रसायनों का उत्‍पादन शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस, दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते हैं।

करे ये घरेलू कुछ उपाय
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👉 हल्‍दी लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करने के लिए अत्‍यंत उपयोगी होती है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्‍दी को अपने खाने में शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पिएं

👉 सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्‍तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस म‍िश्रण को दिन में दो से तीन बार लें।

👉 आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए.

👉 पपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों के लिए करें.

👉 सिंहपर्णी जड़ की चाय लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में से एक है। अधिक लाभ पाने के लिए इस चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर बड़ी आसानी से मिल जाएगा।

👉 लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्‍तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके इस्‍तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं।

👉 फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के कारण, अलसी के बीज हार्मोंन को ब्‍लड में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को कम करता है। टोस्‍ट पर, सलाद में या अनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर इस्‍तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर रखने में मदद करता है

👉 एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और अखरोट में मौजूद ग्लुटथायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफाई करता है।

👉 पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएं। लीवर की मरम्मत के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएं

👉 सेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पेक्टिन पाचन तंत्र में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर लीवर की रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी सब्जियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं।

👉 एक पौधा और है जो अपने आप उग आता है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू- धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है.तथा कई बाज़ीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं . ये यकृत ( लीवर ) की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर , उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी।

28/11/2024

*किस वृक्ष की पूजा से मिलता है क्या फायदा*
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष पेड़-पौधों की पूजा करने से हमारी कुंडली के दोष तो दूर होते ही हैं साथ ही जीवन की अनेक परेशानियों से छुटकारा भी मिल सकता है। आइये जानते है किन पेड़-पौधों की पूजा से हमें क्या फायदा हो सकता है।

तुलसी 👉 जिस घर में रोज़ तुलसी के पौधे की पूजा होती है, देवी लक्ष्मी उस घर को छोड़कर कहीं नहीं जाती। वहां हमेशा सुख-समृधि बनी रहती है।

पीपल 👉 हिन्दू धर्म में पीपल को पूजनीय वृक्ष माना गया है। इसकी पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है, साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है।

नीम 👉 इसकी पूजा करने से कुंडली के सभी दोष दूर होते हैं व रोगों से छुटकारा भी मिलता है। परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

बरगद 👉 इसे बड़ व वट वृक्ष भी कहते है। इसकी पूजा से महिलाओं का सौभाग्य अखंड रहता हैं व संतान संबंधी समस्याएं भी दूर होती है। ये बहुत ही पवित्र पेड़ है।

आंवला 👉 इस पेड़ की पूजा से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और पूजा करने वाले को धन संबंधी कोई समस्या नहीं होती। उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

बिल्व 👉 इस पेड़ के पत्ते व फल भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं। इसकी पूजा से नौकरी में प्रमोशन के योग बनते हैं व अकाल मृत्यु से रक्षा होती हैं।

अशोक 👉 इस की पूजा से सभी प्रकार के रोग-शोक दूर होते हैं व पारिवारिक जीवन सुखी होता है। किसी विशेष कामना पूर्ति के लिए भी इसकी पूजा की जाती है।

केला 👉 जिन लोगों की कुंडली में गुरु संबंधित दोष होते हैं, वे यदि इस पेड़ की पूजा करें तो उन्हें लाभ होता है। इसकी पूजा से विवाह के योग भी शीघ्र बनते हैं।

शमी 👉 इस पेड़ की पूजा से शत्रुओं पर विजय मिलती हैं व कोर्ट केस में सफलता मिलने के योग बनते हैं। दशहरे पर इसकी विशेष पूजा की जाती है।

लाल चन्दन 👉 सूर्य से संबंधित गृह दोष दूर करने के लिए लाल चंदन के पेड़ की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। इससे प्रमोशन होने के योग भी बनते हैं।

17/11/2024

*अनजाने में किये हुए पाप का प्रायश्चित कैसे होता है ??*

आइए जानते हैं .........

बहुत सुन्दर प्रश्न है...... यदि हमसे अनजाने में कोई पाप हो जाए तो क्या उस पाप से मुक्ती का कोई उपाय है ??

श्रीमद्भागवत जी के षष्ठम स्कन्ध में महाराज राजा परीक्षित जी ने श्री शुकदेव जी से ऐसा प्रश्न किया था !

बोले भगवन आपने पञ्चम स्कन्ध में जो नरकों का वर्णन किया उसको सुनकर तो गुरुवर रोंगटे खड़े हो जाते है !

प्रभूवर मैं आपसे ये पूछ रहा हूँ कि यदि कुछ पाप हमसे अनजाने में हो जाते है जैसे चींटी मर गयी हम लोग स्वास लेते हैं तो कितने जीव श्वासों के माध्यम से मर जाते है !

भोजन बनाते समय लकड़ी जलाते है उस लकड़ी में भी कितने जीव मर जाते है और ऐसे कई पाप हैं जो अनजाने में हो जाते है तो उस पाप से मुक्ती का क्या उपाय है भगवन ??

आचार्य शुकदेव जी ने कहा...

राजन ऐसे पाप से मुक्ती के लिए रोज प्रतिदिन पाँच प्रकार के यज्ञ करने चाहिए !

महाराज परीक्षित जी ने कहा...

भगवन एक यज्ञ यदि कभी करना पड़ता है तो सोचना पड़ता है आप पाँच यज्ञ रोज कह रहे है !

यहां पर आचार्य शुकदेव जी हम सभी मानव के कल्याणार्थ कितनी सुन्दर बात बता रहे है !

'पहला यज्ञ' है -जब घर में रोटी बने तो पहली रोटी गऊ ग्रास के लिए निकाल देना चाहिए !

🔸️'दूसरा यज्ञ' है राजन -चींटी को दस पाँच ग्राम आटा रोज वृक्षों की जड़ों के पास डालना चाहिए !

'तीसरा यज्ञ' है राजन्-पक्षियों को अन्न रोज डालना चाहिए !

🔸️'चौथा यज्ञ' है राजन् -आटे की गोली बनाकर रोज जलाशय में मछलियो को डालना चाहिए !

🔸️'पांचवां यज्ञ' है राजन् भोजन बनाकर अग्नि भोजन रोटी बनाकर उसके टुकड़े करके उसमे घी शक्कर मिला कर अग्नि को भोग लगाओ ! राजन् अतिथि सत्कार खूब करे कोई भिखारी आवे तो उसे जूठा अन्न कभी भी भिक्षा में न दे !

राजन् ऐसा करने से अनजाने में किये हुए पाप से मुक्ती मिल जाती है ! हमें उसका दोष नही लगता ! उन पापो का फल हमे नहीं भोगना पड़ता !

राजा ने पुनः पूछ लिया भगवन यदि गृहस्थ में रहकर ऐसे यज्ञ न हो पावे तो और कोई उपाय हो सकता है क्या।

तब यहां पर श्री शुकदेव जी कहते है ....

राजन् ....

कर्मणा कर्मनिर्हांरो न ह्यत्यन्तिक इष्यते !

अविद्वदधिकारित्वात् प्रायश्चितं विमर्शनम् !!

नरक से मुक्ती पाने के लिए हम प्रायश्चित करे कोई व्यक्ति तपस्या के द्वारा प्रायश्चित करता है कोई ब्रह्मचर्य पालन करके प्रायश्चित करता है कोई व्यक्ति यम नियम आसन के द्वारा प्रायश्चित करता है लेकिन मैं तो ऐसा मानता हूँ राजन् !

केचित् केवलया भक्त्या वासुदेव परायणः !

राजन् केवल हरी नाम संकीर्तन से ही जाने और अनजाने में पाप किये हुए को नष्ट करने की सामर्थ्य है !

इसलिए हे राजन् ! ----- सुनिए...!

स्वास स्वास पर कृष्ण भजि बृथा स्वास जनि खोय !

न जाने या स्वास की आवन होय न होय !!

इसलिए हे राजन् ! ----- सुनिए...!

स्वास स्वास पर कृष्ण भजि बृथा स्वास जनि खोय !

न जाने या स्वास की आवन होय न होय !!

17/11/2024

*तुलसी के विषय मे महत्त्वपूर्ण बातें*
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पुरानी परंपरा है कि घर में तुलसी जरूर होना चाहिए। शास्त्रों में तुलसी को पूजनीय, पवित्र और देवी का स्वरूप बताया गया है। यदि आपके घर में भी तुलसी हो तो यहां बताई जा रही 10 बातें हमेशा ध्यान रखनी चाहिए। यदि ये बातें ध्यान रखी जाती हैं तो सभी देवी-देवताओं की विशेष कृपा हमारे घर पर बनी रहती है। घर में सकारात्मक और सुखद वातावरण रहता है। पैसों की कमी नहीं आती है और परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। यहां जानिए शास्त्रों के अनुसार बताई गई तुलसी की खास बातें...

1👉 तुलसी के पत्ते चबाना नहीं चाहिए, तुलसी का सेवन करते समय ध्यान रखें कि इन पत्तों को चबाए नहीं, बल्कि निगल लेना चाहिए। इस तरह तुलसी का सेवन करने से कई रोगों में लाभ मिलता है। तुलसी के पत्तों में पारा धातु के तत्व होते हैं। पत्तों को चबाते समय ये तत्व हमारे दांतों पर लग जाते हैं जो कि दांतों के लिए फायदेमंद नहीं है। इसीलिए तुलसी के पत्तों को बिना चबाए ही निगलना चाहिए।

2👉 शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए
शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाना चाहिए। इस संबंध में एक कथा बताई गई है। कथा के अनुसार, पुराने समय दैत्यों के राजा शंखचूड़ की पत्नी का नाम तुलसी था। तुलसी के पतिव्रत धर्म की शक्ति के कारण सभी देवता भी शंखचूड़ को हराने में असमर्थ थे। तब भगवान विष्णु ने छल से तुलसी का पतिव्रत भंग कर दिया। इसके बाद शिवजी ने शंखचूड़ का वध कर दिया। जब ये बात तुलसी को पता चली तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दिया। विष्णुजी ने तुलसी का श्राप स्वीकार कर लिया और कहा कि तुम धरती पर गंडकी नदी तथा तुलसी के पौधे के रूप में हमेशा रहोगी। इसके बाद से ही अधिकांश पूजन कर्म में तुलसी का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है, लेकिन शंखचूड़ की पत्नी होने के कारण तुलसी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जाती है।

3👉 तुलसी के पत्ते कुछ खास दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए। ये दिन हैं एकादशी, रविवार और सूर्य या चंद्र ग्रहण समय। इन दिनों में और रात के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए। बिना वजह तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा करने पर दोष लगता है। अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते तोड़ना, तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है।

4👉 रोज करें तुलसी का पूजन हर रोज तुलसी पूजन करना चाहिए। साथ ही, तुलसी के संबंध में यहां बताई गई सभी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। हर शाम तुलसी के पास दीपक जलाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो लोग
शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाते हैं, उनके घर में महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।

5👉 तुलसी से दूर होते हैं वास्तु दोष घर-आंगन में तुलसी होने से कई प्रकार के वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी इसका शुभ असर होता है।

6👉 तुलसी घर में हो तो नहीं लगती है बुरी नजर मान्यता है कि तुलसी से घर पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती है। साथ ही, घर के आसपास की किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा पनप नहीं पाती है। सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

7👉 तुलसी से वातावरण होता है पवित्र तुलसी से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र और हानिकारक सूक्ष्म कीटाणुओं से मुक्त रहता है। इसी पवित्रता के कारण घर में लक्ष्मी का वास होता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

8👉 तुलसी का सूखा पौधा नहीं रखना चाहिए घर में यदि घर में लगा हुआ तुलसी का पौधा सूख जाता है तो उसे किसी पवित्र नदी में, तालाब में या कुएं में प्रवाहित कर देना चाहिए। तुलसी का सूखा पौधा घर में रखना अशुभ माना जाता है। एक पौधा सूख जाने के बाद तुरंत ही दूसरा पौधा लगा लेना चाहिए। घर में हमेशा स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाना चाहिए।

9👉 तुलसी है औषधि भी आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बूटी के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बहुत-सी बीमारियों को दूर करने में और उनकी रोकथाम करने में सहायक होते हैं। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी महक हवा में मौजूद बीमारी फैलाने वाले कई सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट करती है।

10👉 रोज तुलसी की एक पत्ती सेवन करने से मिलते हैं ये फायदे तुलसी की महक से सांस से संबंधित कई रोगों में लाभ मिलता है। साथ ही, तुलसी का एक पत्ता रोज सेवन करने से हम सामान्य बुखार से बचे रहते हैं। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली बीमारियों से बचाव हो जाता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, लेकिन हमें नियमित रूप से तुलसी का सेवन करते रहना चाहिए।

एक और बात तुलसी कृष्ण को बेहद प्यारी हैं,इसलिये प्रतिदिन कान्हा के चरणों में तुलसीदल यानि तुलसी का पत्ता ज़रूर अर्पण करना चाहिये..

कृष्णसेवा के प्रत्येक भोग में तुलसी दल रखकर अर्पण करना चाहिये

“तुलसी कृष्ण प्रेयसी नमो: नमो:"
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शनिवार को शनिदेव की पूजा के महत्व~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि वह सभी ...
16/11/2024

शनिवार को शनिदेव की पूजा के महत्व
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शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं। कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं, शनिदेव हर एक बुरे काम का फल मनुष्य को जरूर देते हैं। इसलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है।

माता छाया और सूर्य देव के पुत्र शनिदेव को आमतौर पर केवल नकारात्मकता के रूप में ही देखा जाता है लेकिन व्यक्ति के जीवन में शनि के बहुत से सकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। शनि को संतुलन और न्याय का ग्रह कहा जाता है। माना जाता है व्यक्ति द्वारा किये गए सभी अच्छे बुरे कर्मों का फल देने का काम शनिदेव ही करते हैं। इस वजह से उन्हें कर्मफलदाता भी कहा जाता है।’

हर शनिवार शनि देवता कि पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है। हर शनिवार मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाएं। ध्यान रखें कि यह दीया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने रखे।

अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के आगे तेल का दीया जलाएं। अगर वो भी ना हो तो सरसों का तेल गरीब को दान करें।

शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें। उनकी मूर्ति पर सिन्दूर लगाएं और केला अर्पित करें।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए दान बहुत अच्छा माना जाता है खासकर काली वस्तुओं का। अगर आप भी शनिदेव के किसी दंड को भोग रहे हैं तो काली वस्तुओं का दान करना शुरू कर दें। इसमें आप काले कपड़े, काले तिल, काली उड़द और सरसों का तेल आदि को सम्मिलित कर सकते हैं। अगर आप सामथ्र्यवान हैं तो इस दिन लोहा भी दान करें। शनि देव इससे बहुत प्रसन्न होते हैं।

इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। माना जाता है हर शनिवार पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते है।

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सुखी जीवन के सरल उपाय~~~~~~~~~~~~~~1-प्रतिदिन अगर तवे पर रोटी सेंकने से पहले दूध के छींटे मारें, तो घर में बीमारी का प्र...
16/11/2024

सुखी जीवन के सरल उपाय
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1-प्रतिदिन अगर तवे पर रोटी सेंकने से पहले दूध के छींटे मारें, तो घर में बीमारी का प्रकोप कम होगा।

2-प्रत्येक गुरुवार को तुलसी के पौधें को थोडा - सा दूध चढाने से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।

3-प्रतिदिन संवेरे पानी में थोडा - सा नमक मिलाकर घर में पोंछा करें, मानसिक शांति मिलेगी।

4-प्रतिदिन सवेरे थोडा - सा दूध और पानी मिलाकर मुखय द्वार के दोनों ओर डाले, सुख - शांति मिलेगी।

5-मुखय द्वार के परदे के नीचे कुछ घुंघरु बांध दे, इसके संगीत से घर में प्रसन्नता का वातावरण बनेगा।

6-प्रतिदिन शाम को पीपल के पेड को थोडा - सा दूध - पानी मिलाकर चढाएं, दीपक जलाएं तथा मनोकामना के साथ पांच परिक्रमा करें। शीघ्र मनोकामना पूरी होगी।

7-प्रतिदिन सवेरे पहली रोटी गाय को, दूसरी रोटी कुत्ते को एवं तीसरी रोटी छत पर पक्षियों को डालें। इससे पितृदोष से मुक्ति मिलती है तथा पितृदोष के कारण प्राप्त कष्ट समाप्त होते हैं

8-किसी भी दिन शुभ - चौघडिये में पांच किलो साबूत नमक एक थैली में लाकर अपने घर में ऐसी जगह रखें जहां पानी नहीं लगे। यदि अपने आप पानी लग जाए तो इसे काम में नहीं ले, फेंक दे तथा नया नमक लाकर रख दें। यह घर के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है एवं सकारात्मक प्रभाव को बढाता हैं

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नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग===============================१)  प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर ...
04/10/2024

नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग
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१) प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर सफेद मिठाई अर्पित की जाती है।

२) दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं और भोग लगाने के बाद इसे घर में सभी सदस्यों को दें। इससे उम्र में वृद्धि होती है।

३) तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई, खीर का भोग मां को लगाएं एवं इसे ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों से मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है।

४) चतुर्थ नवरात्र पर मां भगवती को मालपुए का भोग लगाएं और ब्राह्मण को दान दें। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।

५ ) नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवेद्य अर्पित करने से शरीर स्वस्थ रहता है।

६ ) नवरात्रि के छठे दिन मां को शहद का भोग लगाएं, इससे आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है।

७ ) सप्तमी पर मां को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करने और इसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं अचानक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।

८ ) अष्टमी व नवमी पर मां को नारियल का भोग लगाएं और नारियल का दान करें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

27/09/2024

*गोंद-कतीरा का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है....*
गोंद कतीरा तासीर में ठंडा है,
इसलिए गर्मी में इसका सेवन करें।
इसके सेवन से शरीर में ताक़त बनी रहती है।
पेशाब में जलन और पेशाब सम्बंधित बीमारी में यह रामबाण की तरह काम करता है।
गोंद कतीरा का प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है।

*▪️गोंद कतीरा के गुण....*
गोंद कतीरा शरीर के खून को गाढ़ा करता है, हृदय की कठोरता को दूर करता है और आंतों की खराश को दूर करके बलवान बनाता है।

यह शरीर से निकलने वाले खून को रोकता है,
सांस रोग को दूर करता,
खांसी को नष्ट करता व
कफ दूर करता है।
यह छाती की खरखराहट और फेफड़ों के जख्मों को खत्म करता है। इसका प्रयोग जहर को उतारने के लिए भी किया जाता है विशेषकर गर्म मिजाज वालों व्यक्ति के जहर को।
पेशाब की जलन,
मासिकस्राव का कम आना,
हाथ-पैरों की जलन,
सिर की जलन,
खुश्की,
अधिक प्यास लगना आदि रोग ठीक होते हैं।

*▪️शरीर की गर्मी व जलन से छुट्टी.....*
अगर आपके हाथ-पैरों में जलन की समस्या हो तो 2 चम्मच कतीरा को रात को सोने से पहले 1 गिलास पानी में भिगों दें।
सुबह कतीरा के फूल जाने इसको शक्कर के साथ मिलाकर रोजाना खाने से हाथों और पैरों की जलन दूर हो जाती है।
अगर शरीर अधिक गर्म महसूस हो तो कतीरा को पानी में भिगोकर मिश्री मिले शर्बत के साथ घोटकर सुबह-शाम सेवन करें।
इससे शरीर की गर्मी दूर होती है। इसके सेवन करने से गर्मियों में लू से बचा जा सकता है।

*▪️स्त्री रोग मे फायदेमंद....*
कतीरा गोंद का सेवन महिलाओं की समस्याए जैसे बच्चा होने के बाद की कमजोरी,
माहवारी की गड़बड़ी या ल्यूकोरिया आदि की समस्या को ठीक करता है।
यह कमजोरी और उसके कारण होने वाली शारीरिक अनियमिताओं को ठीक करता है।
गोंद कतीरा तथा मिश्री को बराबर की मात्रा में मिलाकर पीस लें और 2 चम्मच की मात्रा में कच्चे दूध के साथ सेवन करें |

*■ स्वप्नदोष.....*
स्वप्नदोष के लिए, करीब 6 ग्राम गोंद कतीरा, रात को एक कप पानी में भिगा दी जाती है। रात भर में यह गोंद फूल जाता है जिसमे मिश्री 12 ग्राम मिलाकर खाया जाता है। 10-15 दिन तक इसके सेवन से स्वप्न दोष में लाभ होता है।

*▪️पैरों की जलन.....*
गोंद कतीरा रात को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसमें चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे हाथों-पैरों की जलन दूर होती है। इसका प्रयोग गर्मियों में बहुत ही लाभदायक है।

*▪️मूत्ररोग....*
10 ग्राम से 20 ग्राम गोंद कतीरा सुबह शाम फुलाकर मिश्री के साथ शर्बत घोटकर पीने से मूत्ररोग में लाभ मिलता है।

27/09/2024

*अरंडी तेल से स्वास्थ्य लाभ*

आयुर्वेद के अनुसार अरंडी का तेल केवल
विरेचक ही नहीं अपितु शरीर की सभी धातुओं
पर उत्तम कार्य करनेवाला भी है। यह उष्ण, तीक्ष्ण,
तीखा, कसैला, उत्तम वातनाशक व पचने में भारी
है। यह जठराग्नि, स्मृति, मेधा, कांति, बल-वीर्य
और आयुष्य को बढ़ानेवाला एवं युवावस्था को
प्रदीर्घ रखनेवाला तथा रसायन (tonic) और हृदय के लिए हितकर है।

*नियमित सेवन से होने वाले लाभ*

(1) रात को 100 मि.ली. पानी में 1 से 2 ग्राम सोंठ डालकर उबलने रख दें। 50 मि.ली. रहने पर उतार लें।
गुनगुना रहने पर इसमें 2-4 चम्मच अरंडी तेल मिला के पियें। अथवा रोटी बनाते समय एक व्यक्ति के लिए 1 से 2 चम्मच अरंडी तेल आटे में मिलाकर आटा गूंथें। इस प्रकार बनी रोटियाँ खायें।

उपरोक्त प्रयोग कई बीमारियों में लाभकारी
है, विशेषरूप से आमवात (गठिया), कमरदर्द एवं
कब्ज वालों के लिए यह बहुत उपयोगी है।

*(2)* अरंडी तेल के नियमित सेवन से
मूत्रावरोध, अंडवृद्धि, अफरा, वायुगोला, दमा,
चर्मरोग, रक्ताल्पता (anaemia), कमरदर्द आदि
रोगों में लाभ होता है।

*(3)* यह योनिगत व शुक्रगत दोषों, मलाशय
व मूत्राशय के दोषों तथा रक्तदोषों को हरता है।
*(4)* घाव को जल्दी भरकर संक्रमण होने से
बचाता है।

*(5)* सिरदर्द अथवा तलवों में होने वाली जलन में अरंडी तेल की प्रभावित स्थान पर मालिश लाभदायी है।

27/09/2024

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चेहरे पर पड़े डार्क स्‍पॉट को कैसे हटाएं......

(1) एलो वेरा जैल लगाने से त्‍वचा पर पड़े गहरे चकत्‍ते धीरे धीरे हल्‍के पड़ने लगते हैं और इनसे मुंहासे भी ठीक हो जाते हैं।

(2) लहसुन ... इसे लगाने से डार्क स्‍पॉट हल्‍के पड़ जाते हैं।

(3) ग्रीन टी को चेहरे पर गीला कर के लगाने से चेहरे का रंग साफ हो जाता है।

(4) शहद को चंदन पाउडर के साथ मिलाइये और उसमें हल्‍का सा नींबू निचोड़ लीजिये। इस पैक को चेहरे पर लगा कर साफ त्‍वचा पाइये।

(5) नींबू का रस न केवल चेहरे से गहरे निशान मिटाता है बल्कि इसको चेहरे पर रगड़ने से चेहरे की रंगत भी बदल जाती है।

(6) दूध से अपने चेहरे की मसाज करने पर उसमें नमी समाती है और दाग धब्‍बों का रंग भी हल्‍का पड़ जाता है।

(7)प्‍याज के रस को गहरे निशान पर लगाइये और कुछ ही दिनों में देखिये कि गहरे रंग के दाग किस तरह से साफ हो जाते हैं।

(8) आलू के पीस को मसल कर उसके रस को चेहरे पर लगाइये।

(9) चंदन पाउडर को दही के साथ मिक्‍स कीजिये और उसमें नींबू की चार बूंद डाल लीजिये। इसको लगाने से आपके चेहरे के डार्क स्‍पॉट गायब होने लगेगें।

(10) दही और नींबू के रस को एक साथ मिला कर चेहरे पर लगाने से साफ और गोरी रंगत मिलती है।

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