mr.viraj singh

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क्या हो कि आप भीषण दरिद्रता में जीवन बिता रहे हों और आपको कहीं से ऐसा ऑफर मिले, जिसमें जीवन भर के कष्ट दूर कर देने लायक ...
25/09/2024

क्या हो कि आप भीषण दरिद्रता में जीवन बिता रहे हों और आपको कहीं से ऐसा ऑफर मिले, जिसमें जीवन भर के कष्ट दूर कर देने लायक धन का लालच हो - अपनी पत्नी की एक रात के बदले।
सुनने में यह बड़ा अभद्र लगता है और कई लोग इस सिचुएशन को हाइपोथेटिकल करार देकर तुरंत मना कर देंगे। पर क्या हो, अगर ऑफर वास्तविक हो?
1993 में रिलीज हुई Indecent Proposal नामक फ़िल्म में कहानी है एक युगल "डेविड और डियाना" की, जो कर्जों में डूबे हुए हैं। घर बिकने की कगार पर है। जो कुछ जेब मे बचा होता है, उसे डबल करने के चक्कर में एक कैसिनों में जा कर ठन-ठन गोपाल हो जाते हैं।
उसी कैसिनो में मौजूद एक अरबपति बूढ़े "जॉन गेज" की नजर डियाना पर पड़ती है, जो एक नजर में उसे भा जाती है। और उसी रात जॉन इस युगल से दोस्ती करके बातों-बातों में एक मिलियन डॉलर का ऑफर देता है - डियाना की एक रात के बदले में।
फ़िल्म इंसानी जटिल मनोविज्ञान का क्या बख़ूबी चित्रण करती है - कुछ देर पहले उस अरबपति बूढ़े को इस ऑफर के लिए लताड़ के आये युगल की आंखों से नींद गायब हो गयी है। एक-दूसरे के मनोभावों को जान रहे दोनों बिस्तर पर करवटें बदल रहे हैं और अंततः एक-दूसरे से पूछ ही लेते हैं कि - तुम भी वही सोच रहे हो, जो मैं?
इस ऑफर को कबूल करने के बाद इस युगल की जिंदगी में कुछ भी सामान्य नहीं रहता और वो रात उनके आगे के पूरे जीवन को खराब कर देती है। प्राइम पर मौजूद इस फ़िल्म को प्रेम और लालच के मिश्रण से उत्पन्न त्रासदी को समझने के लिए देखा जा सकता है।
और इस फ़िल्म की सबसे खास बात यह है कि फ़िल्म खत्म होते-होते प्रथमदृष्टया एक सनकी अरबपति बूढ़ा प्रतीत होते जॉन गेज के व्यक्तित्व से आप प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते और आपको उसके किरदार की गहराई से प्रेम हो चुका होता है।
फ़िल्म के अंतिम दृश्य में डियाना को बिना अपराधबोध महसूस कराए डेविड के पास वापस भेजने के लिए जॉन गेज जानबूझकर एक नाटक करता है। जब डियाना उससे दूर जा रही होती है तो गेज का ड्राइवर उससे अचरज भरे स्वर में पूछता है कि - तुमने ऐसा क्यों किया?
तो गेज जवाब देता है - क्योंकि कुछ देर पहले वो डेविड को जिन निगाहों से देख रही थी, उन निगाहों से वो मुझे कभी नहीं देखती।
फ़िल्म का सेंट्रल प्लाट इतना भर है कि - क्या पैसे से प्यार खरीदा जा सकता है? और मुझे लगता है कि इसी दृश्य में फ़िल्म अपना निष्कर्ष बता जाती है।
शायद पैसे से लोग खरीदे जा सकते हैं। उनका वक़्त, उनका साथ हासिल किया जा सकता है।
पर उन निगाहों को हासिल कभी नहीं किया जा सकता - जिन निगाहों से कोई अपने प्रेम को देखता है।
(चित्र में डियाना और जॉन गेज)

स्त्री की सफलता में सबसे बड़ा रोड़ा होता है उसका स्वास्थ्य।  कभी मासिक दर्द से कराह रही है, तो कभी गर्भ धारण करके  उल्टी, ...
18/09/2024

स्त्री की सफलता में सबसे बड़ा रोड़ा होता है उसका स्वास्थ्य। कभी मासिक दर्द से कराह रही है, तो कभी गर्भ धारण करके उल्टी, मितली, चक्कर, यूरिन निकल जाने की समस्या झेल रही है, तो कभी रजोनिवृत्ति की बेला में समय असमय रक्तस्राव, सिरदर्द, मूड स्विंग्स, रक्तचाप बढ़ना-घटना झेल रही है। ये लिस्ट स्त्री के उन कष्टों की है जो सामान्य है, सेहतमंद हैं।

इन सबको आसानी से न झेल पाने वाली स्त्रियाँ इससे भी कहीं कहीं अधिक भयंकर स्वास्थ्य समस्याओं से घिरी होतीं हैं। रक्तस्राव अधिक हो तो परेशानी, कम हो तो समस्या। गर्भाशय में अक्सर ही सिस्ट या ट्यूमर हो जाता है। मिसकैरेज शरीर को जितना तोड़ जाता है उतना एक नार्मल डिलीवरी नहीं तोड़ती। मिसकैरेज से बच गयी तो सीज़ेरियन मुँह खोले दानव की तरह प्रतीक्षा करता है। संतान न हो पा रही हो तो ज़रा उस स्त्री का दर्द पूछिये जो आई वी एफ सेंटर्स के चक्कर लगा रही है। शरीर की एक एक कोशिका हिल जाती है। टेस्ट पर टेस्ट, टेस्ट पे टेस्ट, इंजेक्शन्स पर इंजेक्शन्स... एक स्थिति ऐसी आती है, पेशेंट स्त्री बिस्तर पर मुर्दा देह की तरह पड़ी होती है....भोंक दो जो कुछ भी भोंकना हैं...ड्रिप है,सुई है, एनेस्थीसिया है या खंजर कुछ पता नहीं चलता। पता तब चलता है जब एक एक घाव चीख चीख कर कहता है, मुझे भरना है!

संभोग दोनों के लिये एक आनंददायी क्रिया है, पर यदि वास्तव में स्त्री को भी आनंद मिले तब। अधिकतर तो यही होता है स्त्री के मन में इससे होने वाले वजाइनल संक्रमण का भय मंडरा रहा होता है। निवृति के बाद उसे पाँच मिनट भी नींद में समाने का सुख नहीं होता, उसे भागना होता है वॉशरूम की तरफ। फिर भी इस संक्रमण से बचने का कोई उपाय नहीं..!

कार्यालय में , बाज़ार में, पार्टी में, मेले में, ठेले में...न जाने कब तक यूरिन रोककर मुस्कराना पड़ेगा..नहीं पता। ब्लाडर भर कर फटने की कगार पर आ जाये तब भी कहीं किसी सड़क के किनारे बैठ नहीं सकते। इज़्ज़त यूरिन इंफेक्शन से बड़ी चीज़ है!

ये सारे कष्ट उनके है जिन्होंने सामान्य जीवन जिया है। उनके बारे में तो मैंने लिखा ही नहीं जिन्होंने यौन शोषण सहा, बलात्कार झेला, तेज़ाब की आग झेली, पति के हाथों पिटाई सही।

सच यही है इन सब हेल्थ इश्यूज़ के कारण ही स्त्री जितनी कार्यक्षमता रखती है उतना कर पाने में सक्षम नहीं होती। कहीं न कहीं हर पायदान पर पिछड़ती चली जाती है।

बस इसीलिए तुम अपना ख़्याल ख़ूब ख़ूब रखना....क्योंकि तुम ने अपना ख़्याल नहीं रखा तो तुम्हारा ख़्याल रखने कोई नहीं आएगा और 'उसे' तो अक्ल ही नहीं है कि ख़्याल कैसे रखा जाता है।

ेटी_मेरी

↳。˚ 🖇️ᐯɪR𝐴𝒥ᵴ工หƓ廾♡┊🧸

✍ बाहर  बारिश  हो  रही  थी, और अन्दर  क्लास  चल रही  थी.तभी  टीचर  ने  बच्चों  से  पूछा - अगर तुम  सभी  को  100-100 रुपय...
18/09/2024

✍ बाहर बारिश हो रही थी, और अन्दर क्लास चल रही थी.
तभी टीचर ने बच्चों से पूछा - अगर तुम सभी को 100-100 रुपया दिए जाए तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे ?

किसी ने कहा - मैं वीडियो गेम खरीदुंगा..

किसी ने कहा - मैं क्रिकेट का बेट खरीदुंगा..

किसी ने कहा - मैं अपने लिए प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी..

तो, किसी ने कहा - मैं बहुत सी चॉकलेट्स खरीदुंगी..

एक बच्चा कुछ सोचने में डुबा हुआ था
टीचर ने उससे पुछा - तुम
क्या सोच रहे हो, तुम क्या खरीदोगे ?

बच्चा बोला -टीचर जी मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा !

टीचर ने पूछा - तुम्हारी माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते है तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना ?

बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी गला भर आया !

बच्चे ने कहा -- मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है
मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है, और कम दिखाई देने की वजह से वो ठीक से कपड़े नहीं सिल पाती है इसीलिए मैं मेरी माँ को चश्मा देना चाहता हुँ, ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ बड़ा आदमी बन सकूँ, और माँ को सारे सुख दे सकूँ.!

टीचर -- बेटा तेरी सोच ही तेरी कमाई है ! ये 100 रूपये मेरे वादे के अनुसार और, ये 100 रूपये और उधार दे रहा हूँ। जब कभी कमाओ तो लौटा देना और, मेरी इच्छा है, तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सर पे हाथ फेरते वक्त मैं धन्य हो जाऊं !

20 वर्ष बाद..........

बाहर बारिश हो रही है, और अंदर क्लास चल रही है !

अचानक स्कूल के आगे जिला कलेक्टर की बत्ती वाली गाड़ी आकर रूकती है स्कूल स्टाफ चौकन्ना हो जाता हैं !

स्कूल में सन्नाटा छा जाता हैं !

मगर ये क्या ?

जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैं, और कहते हैं -- सर मैं .... उधार के 100 रूपये लौटाने आया हूँ !

पूरा स्कूल स्टॉफ स्तब्ध !

वृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान कलेक्टर को उठाकर भुजाओं में कस लेता है, और रो पड़ता हैं !

दोस्तों --
मशहूर हो, मगरूर मत बनना
साधारण हो, कमज़ोर मत बनना
वक़्त बदलते देर नहीं लगती..
शहंशाह को फ़कीर, और फ़क़ीर को
शहंशाह बनते, देर नही लगती ....
( साभार - विराज सिंह )

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