Jan Suraj Mohaniya 204

Jan Suraj Mohaniya 204 Writing Reading & Making Videos & Reporting Digital Creator.

 #लिव_इन_रिलेशनशिप वाली  #काजल.....इसको  #सब्बीर_मियां उर्फ शम्मी ने पहले तो अपने दीन के ही 7 लड़कों से रेप करवाया.........
26/07/2025

#लिव_इन_रिलेशनशिप वाली #काजल.....
इसको #सब्बीर_मियां उर्फ शम्मी ने पहले तो अपने दीन के
ही 7 लड़कों से रेप करवाया......
फिर बेहोशी के हालत में जिंदा फ्रीज में पैक कर दिया...
ठंड से काजल की मौत हो गई।हैवानियत की हद तब हो
गई जब उन आठों दरिंदो ने मरी हुई लाश से भी एक सप्ताह तक रेप करना शुरू कर दिया.....फिर उसके बाद फ्रीज में पैक कर देते थे.....
यह दिल दहला देने वाली #घटना #असम की है।

खैर मुझे इस घटना पर कोई दुख नहीं है क्योंकि इनका वाला शब्बीर मियां भी सबसे अलग था वैसा नहीं था और भविष्य में भी ऐसी घटना किसी सनातनी लड़कियों के साथ होती है तो हमें दुख नहीं खुशी ही होगी कि चलो समाज से एक गंदगी साफ हुई क्योंकि इन्हें जेहादी ही पसंद है जो अपने बहन बेटी के भी सगे नहीं होते। इनके नजरों में महिलाएं केवल उपयोग की वस्तु है उन्हें कैसे भी उपयोग करो...😔
मेरा वाला अलग है वैसा नहीं है लेकिन फ्रिज में बंद होने के बाद पता चलता है कि कैसा है...😠

बेटी डीएम..बेटा आईआई टीएन..पिता आज भी बेचता है चाय..!आज शंभू जी से बहुत दिनों बाद मुलाकात हुई। एक हाथ में चाय की केतली औ...
14/07/2025

बेटी डीएम..बेटा आईआई टीएन..पिता आज भी बेचता है चाय..!

आज शंभू जी से बहुत दिनों बाद मुलाकात हुई। एक हाथ में चाय की केतली और दूसरे हाथ में चाय का गिलास। मुझे देखते ही खुश हो गए, प्रेम वैसा ही जैसा 10 साल पहले पहली मुलाकात में था।

दस साल में पटना में बहुत कुछ बदला लेकिन शंभू जी बिल्कुल नहीं बदले। आज भी सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे एक टेबल पर चाय की दुकान लगाते हैं। एक आवाज पर चाय की केतली लेकर दुकान दुकान दौड़ जाते हैं।

10 साल पहले जब शंभू जी से पहली मुलाकात हुई थी, तब बच्चों की पढ़ाई को लेकर स्ट्रगल कर रहे थे। चाय की इस छोटी सी दुकान पर पूरा परिवार चलता था। शंभू जी की मेहनत और बच्चों को लेकर संकल्प मुझे उनके करीब लाया। जब जहां जो बन पड़ा शंभू जी की मदद भी किया।

पता नहीं क्यों मुझे हमेशा लगता था कि शंभू जी चाय के कुल्हड़ में अपने बच्चों के सपनों को उबाल रहे हैं… और चाय की हर एक घूंट में वह अपनी उम्मीद को घोल रहे हैं।

दो बेटी और एक बेटे, सब एक से बढ़कर एक पढ़ाकू। शंभू जी फुटपाथ पर चाय बेचते रहे, धूप हो, बारिश हो या कड़ाके की ठंड। न कभी किस्मत को कोसा, न हालात से हार मानी। उनके पास महंगे कोचिंग के पैसे नहीं थे, बड़े-बड़े सपनों को खरीदने की औकात नहीं थी। लेकिन उनकी मेहनत और बच्चों की लगन ने वो कर दिखाया, जो बड़े-बड़े अमीर घरों में भी हर किसी के नसीब में नहीं होता।

आज वही शंभू जी अपने एक बेटे और एक बेटी को आईआईटीएन बना चुके हैं। छोटी बेटी भारतीय प्रशासनिक सेवा में हैं। महाराष्ट्र कैडर मिला है, अब महाराष्ट्र में ही डीएम हैं। एक डीएम का पिता होने के बाद भी शंभू जी में बदलाव नहीं दिखता।

जब शंभू जी से बच्चों का हाल चाल पूछा तो बहुत खुश होकर बोले, भैया छोटकी ट्रेनिंग के बाद अब डीएम हो गई है, गए थे महाराष्ट्र मिलने। बढ़िया घर मिल गया है, तीन गाड़ी तो पुलिस की उसके आगे पीछे चलती है। बहुत खुश हूं, क्योंकि बेटा और दोनों बेटियों ने मेरा सीना चौड़ा कर दिया है। चाय की दुकान पर हर दिन सोचता था, बच्चा सबको ऑफिसर बनाना है, सब बन भी गया।

बोले, बेटे की शादी की बात चल रही है, आपको चलना होगा। शंभू जी कहते हैं, चाय की दुकान तो जब तक शरीर में ताकत है, तब तक करेंगे, क्योंकि इसी भट्ठी में तपाकर अपने सपनों को साकार किया है।

उनकी सरलता का अंदाजा ऐसे लगाइए, वह कहते हैं, चाय वाला समझकर कोई कुछ बोल भी देता है या नाराज भी होता है तो मैं कुछ नहीं बोलता। मैं कभी किसी को नहीं बताता डीएम का बाप हूं, मैं तो आज भी वही शंभू हूं जैसा आपने 10 साल पहले देखा था। शंभू जी से मुलाकात के बाद दिल गदगद हो गया। इनकी सरलता सहजता और बच्चों के लिए संकल्पित होना, बहुत कुछ सिखाता है। शंभू जी पर खबर तो कई बार लिखा है, आज मुलाकात हुई तो उनकी कहानी फेसबुक पर साझा करने की इच्छा हुई।

शंभू जी की कहानी साधारण नहीं है, ये सबूत है कि सपने बड़े हों तो साधन छोटे नहीं पड़ते। ये सबक है उन सबके लिए जो हालात का रोना रोते हैं, और सलाम है उन बेटों-बेटियों को, जिन्होंने अपने बाप के पसीने की कद्र की और उनके ख्वाबों को हकीकत में बदला।

🙏दिल से सलाम है शंभू जी 🙏

( मनीष मिश्रा जी के वाल से साभार , तस्वीर में मनीष जी शम्भु जी के साथ है )

पूरी रात करवटें बदलते बीत गई थीं। जिस काम के लिए गांव आया था, वह पूरा नहीं हो पाया था। भइया से पैसे मांगने की कोशिश कई ब...
27/10/2024

पूरी रात करवटें बदलते बीत गई थीं। जिस काम के लिए गांव आया था, वह पूरा नहीं हो पाया था। भइया से पैसे मांगने की कोशिश कई बार की, लेकिन हर बार भाभी ने बात को बड़ी सफाई से टाल दिया। मन बार-बार यही सोच रहा था कि क्या भइया जान-बूझकर भाभी को आगे कर देते हैं? या भाभी ही उनकी बातों को अपना बना कर मुझसे कहती हैं?
“तुमसे क्या छुपा है, कैसे घर चलाते हैं, हम ही जानते हैं,” भाभी का यह जवाब बार-बार कानों में गूंजता था। लेकिन यह आवाज़, शब्द भाभी के नहीं, भइया के ही लगते थे। घर की हालत देखकर मेरा दिल भर आता था—बच्चों के महंगे कपड़े और खिलौने, जबकि मेरे बेटे के पास वही पुराने, रंग उड़े कपड़े। मन में एक खिन्नता थी, और पत्नी ऊषा के ताने भी कानों में गूंज रहे थे, “आपके हिस्से की खेती का हिसाब भी नहीं मांगते!”
इसी बेचैनी में सुबह हो गई। मां की आवाज़ खिड़की से आई, “जाग गया? आकर मेरे पेड़-पौधे देख।” चाहकर भी मना नहीं कर पाया और बाहर निकला। गुस्से में मां पर बरस पड़ा, “घर में इतने लोग हैं, लेकिन पौधों में पानी आप ही डालती हैं! पाइप क्यों रखी है, जब बाल्टी से ही पानी डालना है?”
बिना किसी प्रतिक्रिया के, मां ने अचानक मेरी जैकेट की जेब में रुपयों का बंडल डाल दिया। “तुझे बिट्टू के एडमिशन के लिए चाहिए होंगे ना? चुपचाप अटैची में रख दे।” मेरा मन विचलित था—पहला सवाल यह था कि मां को कैसे पता चला मुझे पैसे चाहिए, और दूसरा कि क्या ये पैसे भइया से लिए गए हैं?
मां ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “नहीं रे, दो पुरानी अंगूठियां थीं, बेच दीं। ये देखो, सबसे अच्छे फूल इसी पौधे में आते हैं, जो तुम बीकानेर से लाए थे।” मां के इस अचानक विषय परिवर्तन से मन थोड़ा हल्का हुआ, लेकिन तभी भाभी पास आती दिखीं।
“क्या हुआ? इतनी सुबह उठ गए?” भाभी की नजरें हमारी बातचीत का सिरा पकड़ने की कोशिश कर रही थीं। मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मां से पूछ रहा था कि पाइप होते हुए भी मग से पानी क्यों डालती हैं।” जेब में पड़े नोटों को छूते हुए आंखें भीग गईं।
मां ने धीरे से अपनी आंखें पोंछी और कहा, “वह पौधा सबसे दूर है, वहां तक पाइप नहीं पहुंचती... इसलिए।”
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जिसने भी लिखा है कमाल और बिल्कुल सही मध्यकालीन भारत में प्रसिद्ध अमीर खुसरो ने एक अनोखी कविता लिखी जो फारसी और ब्रज भाषा...
06/10/2024

जिसने भी लिखा है कमाल और बिल्कुल सही

मध्यकालीन भारत में प्रसिद्ध अमीर खुसरो ने एक अनोखी कविता लिखी जो फारसी और ब्रज भाषा के मिली जुली रूप में थी। इसकी एक पंक्ति फारसी में तो एक ब्रज भाषा में थी। खुसरो की वह कविता थी -
ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल।
दुराय नैनाँ बनाए बतियाँ।।
कि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ।
न लेहू काहे लगाए छतियाँ।।
इस कविता से प्रेरणा लेकर मशहूर गीतकार - गुलज़ार ने 1985 में रिलीज हुई फिल्म गुलामी के लिए एक गीत लिखा जिसकी धुन लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने बनाई थी और जिसके बोल थे - "ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन-ब-रन्जिश
बहाल-ए-हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है।"
यह गाना अब तक थोड़ा मुश्किल माना जाता था। बहुसंख्यक जनता इसे सुनने से कतराती थी और यह बुद्धिजीवियों का गाना माना जाता था।

यह देखकर भोजपुरी गीतकारों से रहा नहीं गया। उन्होंने सोचा कि क्यों न इसे हर ऑटो-टोटो में बजवा दिया जाए, जिस पर हर insta queen reels बनाए, जिससे यह हर किसी जुबां पर चढ जाए। फिर उन्होंने अपनी कुख्यात प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए लक्ष्मी-प्यारे जी की धुन और गुलज़ार जी के लिखे मुखड़े को उठाया, और जब अपनी कलम चलाई तो इस महानतम् रचना का उदय हुआ -
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“हमार मिक्सी, तहार मिक्सी दूनों के मिक्सी बा काला-कला,
हमार पीसे नरम मसाला, तहार पीसे गरम मसाला।“

~ साभार priynka Pandey

08/09/2024

कल सुबह एक बहुत बाडिया वीडियो डालोगे आप सब अच्छा लगेगा तो कॉमेंट शेयर जरुर करिएगा धन्यवाद

Mohaniya Nagar Panchayat's failure to provide adequate urination facilities in the area behind Mohaniya Chandni Chowk Ha...
01/09/2024

Mohaniya Nagar Panchayat's failure to provide adequate urination facilities in the area behind Mohaniya Chandni Chowk Hanuman Temple has resulted in individuals frequently resorting to public urination.

कैमूर पुलिस द्वारा लापता शिक्षिका को सकुशल बरामद किया गया |Bihar Police thankyou Kaimur police
31/08/2024

कैमूर पुलिस द्वारा लापता शिक्षिका को सकुशल बरामद किया गया |
Bihar Police thankyou Kaimur police

___________ #आवश्यक_सुचना ________________अनीता यादव - मऊ, उत्तर प्रदेश की मूल निवासी है जो  (कुदरा) में किराये के मकान ...
29/08/2024

___________ #आवश्यक_सुचना ________________
अनीता यादव - मऊ, उत्तर प्रदेश की मूल निवासी है जो (कुदरा) में किराये के मकान में रहती थी। वह दिनांक 23/08/2024 से #लापता है। वह BPSC Tre- 1.0 में चयनित शिक्षिका है। उनकी पदस्थापना उत्क्रमित मध्य विद्यालय घंटाव ब्लॉक कुदरा जिला कैमूर में हैं। अगर इनके संबंध में किसी कोई जानकारी मिलती है तो नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

किसी को कही दिखे तो इस नंबर पे संपर्क करे
063863 32863

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इसका नाम एल्विश यादव है और ये बिग बॉस शो का विजेता रहा है। छपरी टाइप लोग इसे खूब पसंद करते हैं। यह लोगों को आदिवासी तेल ...
24/08/2024

इसका नाम एल्विश यादव है और ये बिग बॉस शो का विजेता रहा है। छपरी टाइप लोग इसे खूब पसंद करते हैं। यह लोगों को आदिवासी तेल बेचता है जबकि खुद हेयर ट्रांसप्लांट करवाता है। भारत में ऐसे ही लोग ज़्यादा चल पड़ते हैं।

अक्षय कुमार को देखा होगा आपने जीवन में कभी शराब, गुटखा इत्यादि का सेवन नहीं किया लेकिन प्रचार के लिए सबकुछ बेचा क्योंकि सब जानते हैं कि भारत में विचारशील लोगों का अभाव है, उन्हें निर्देशक चाहिए होते हैं।

इस समय हर यूट्यूबर, इन्फ्लूएंसर, मोटीवेटर, ब्लॉगर, सिंगर, ऐक्टर इत्यादि आदिवासी तेल बेच रहे हैं। हर व्यक्ति कह रहा कि बाकि सबके दावे फर्जी है, हमारा ही हजारों साल पुराना और सैकड़ों जड़ी, बूटी वाला असली तेल है।

इससे धार्मिक लोगों की बातें और उनकी किताबें याद आती है जो दावा करते हैं कि हम ही एकमात्र आदि और अंत है। हों भी क्यों न जहां स्त्री2 जैसी बिना सिर, पैर की फ़िल्में हिट हो जाएं वहां लोगों का इंट्रेस्ट लेवल भी दिखाई पड़ता है।

ठीक ही कहा किसी ने इस भीड़ पर वही राज कर सकता है जिसे भीड़ हांकना आ गया क्योंकि यह भीड़ है, समझाने निकलोगे तो आपको ही लील जायेगी। हांकना सीखो, राजा बनो। फिर चाहे तेल बेचो या देश सब पर वाहवाही।
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