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गणित में कोई भी संख्या 1 से 10 तक के सभी अंकों से नहीं कट सकती, लेकिन इस विचित्र संख्या को देखिये...! दरअसल, सदियों तक य...
05/05/2025

गणित में कोई भी संख्या 1 से 10 तक के सभी अंकों से नहीं कट सकती, लेकिन इस विचित्र संख्या को देखिये...! दरअसल, सदियों तक यह माना जाता रहा था कि ऐसी कोई भी संख्या नहीं है जिसे 1 से 10 तक के सभी अंको से विभाजित किया जा सके। लेकिन रामानुजन ने इन अंकों के साथ माथापच्ची करके इस मिथ को भी तोड़ दिया था। उन्होंने एक ऐसी संख्या खोजी थी जिसे 1 से 10 तक के सभी अंकों से विभाजित किया जा सकता है। यानी भाग दिया जा सकता है। यह संख्या है (2520)। संख्या 2520 अन्य संख्याओं की तरह... वास्तव में एक सामान्य संख्या नही है, यह वो संख्या है जिसने विश्व के गणितज्ञों को अभी भी आश्चर्य में किया हुआ है...!!

यह विचित्र संख्या 1 से 10 तक प्रत्येक अंक से भाज्य है। ऐसी संख्या जिसे इकाई तक के किसी भी अंक से भाग देने के उपरांत शेष शून्य रहे, बहुत ही असम्भव/ दुर्लभ है, ऐसा प्रतीत होता है...!!

अब निम्न सत्य को देखें:

2520 ÷ 1 = 2520

2520 ÷ 2 = 1260

2520 ÷ 3 = 840

2520 ÷ 4 = 630

2520 ÷ 5 = 504

2520 ÷ 6 = 420

2520 ÷ 7 = 360

2520 ÷ 8 = 315

2520 ÷ 9 = 280

2520 ÷ 10 = 252

महान गणितज्ञ अभी भी आश्चर्यचकित हैं: 2520 वास्तव में एक गुणनफल है《7 x 30 x 12》का।

उन्हे और भी आश्चर्य हुआ जब प्रमुख गणितज्ञ द्वारा यह संज्ञान में लाया गया कि संख्या 2520 हिन्दू संवत्सर के अनुसार... एकमात्र यही संख्या है, जो वास्तव में उचित बैठ रही है:

जो इस गुणनफल से प्राप्त है ::

सप्ताह के दिन (7) x माह के दिन (30) x वर्ष के माह (12) = 2520

यही है भारतीय गणना की श्रेष्ठता!

साभार: सोशल मीडिया

30/04/2025

बटेंगे तो कटोगे नारा लगाने वाले पार्टी अब जाट जाट में बांटेगी

कभी कहा जाता था कि न्यायालय मंदिर है न्याय का, लेकिन आज ये लगता है जैसे ये मंदिर कुछ सुनियोजित दलालों का सम्मेलन स्थल बन...
21/04/2025

कभी कहा जाता था कि न्यायालय मंदिर है न्याय का, लेकिन आज ये लगता है जैसे ये मंदिर कुछ सुनियोजित दलालों का सम्मेलन स्थल बन चुका है—जहाँ कुर्ते की जेब में संविधान और वकील की जेब में सांसद निधि रहती है।

अब ज़रा देखिए इस लोकतांत्रिक लूट की ‘कानूनी वैद्यता’:

♦️Advocates Act, 1961 साफ़ कहता है कि कोई भी वकील, यदि वह पब्लिक ऑफिस में है, तो वकालत तभी कर सकता है जब "हितों का टकराव (Conflict of Interest)" न हो।

तो अब पूछिए, सिब्बल महाराज और सिंघवी साहब से — जो राज्यसभा के माननीय सांसद भी हैं, करोड़ों की तनख्वाह और सुविधाएं भी ठूंस-ठूंस के ले रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट की अदालतों में सरकारी वकीलों से ज़्यादा पैरवी भी कर रहे हैं — आखिर ये “हितों का टकराव” कहाँ गया?♦️

या फिर देश की सर्वोच्च अदालत में अब “हित” भी बिकाऊ है और “टकराव” भी तयशुदा है?

सवाल उठता है —

जब एक आम सरकारी कर्मचारी को दोहरी नौकरी की इजाज़त नहीं, तो फिर इन सांसद-वकीलों को कौन सा "कानूनी जादू" बचा रहा है?

क्या सुप्रीम कोर्ट की नजरों में सांसदों को वकालत का टेंडर मिला हुआ है?

या फिर न्यायपालिका के भीतर ही कोई गुप्त समझौता चल रहा है, जहाँ “मौन” ही सबसे बड़ी सहमति है?

कपिल सिब्बल साहब तो खुद कह चुके हैं कि “मैं अब कांग्रेस का हिस्सा नहीं” — लेकिन कोर्ट में दलीलें ऐसी देते हैं जैसे 10 जनपथ की ही टेबल पर बैठकर आते हों।

और मानवाधिकार प्रेमी सिंघवी साहब तो संविधान की व्याख्या ऐसे करते हैं जैसे वो खुद संविधान-निर्माता हों और बाक़ी सिर्फ़ “पढ़ने वाले गधे”।

तो सुप्रीम कोर्ट को अब जवाब देना ही होगा:

क्या आपने इन सांसदों की दोहरी भूमिका को मंज़ूरी दी है?

क्या “क़ानून की समानता” सिर्फ़ आम जनता के लिए है और सांसदों के लिए ‘विशेषाधिकार कानून’ लागू होता है?

अब देश को चाहिए एक न्यायिक जनआंदोलन — जो इन तथाकथित "संवैधानिक धंधेबाज़ों" से जवाब माँगे।

✍️ संजय अग्रवाल

Janamjay Kumar Kashyp VIJAY KUMAR SINHA Dilip Jaiswal BJP Bihar @

'राजनीति, राष्ट्र को कमजोर करने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र-सेवा और उसे सशक्त बनाने के लिए होनी चाहिए।' - पं. दीनदयाल उपा...
19/04/2025

'राजनीति, राष्ट्र को कमजोर करने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र-सेवा और उसे सशक्त बनाने के लिए होनी चाहिए।'

- पं. दीनदयाल उपाध्याय जी

19/04/2025

CJI संजीव खन्ना के इरादे
ठीक नहीं लग रहे -
वक्फ बाई यूजर कागज नहीं
दिखा सकते तो जिसकी
संपत्ति को वक़्फ़ किया, वो तो
कागज दिखा सकता है -
बंगाल की वजह से सुनवाई ही
नहीं करनी चाहिए थी -

कल की सुनवाई में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को यह तड़प थी कि वर्षों पुरानी मस्जिदों और अन्य संपत्तियों के कागज वक़्फ़ बोर्ड कहां से लाएगा - खन्ना जी यह बात कह कर यह तो इशारा नहीं कर रहे कि ज्ञानवापी परिसर और मथुरा जन्मभूमि मंदिर पर वो मुसलमानों का अधिकार सिद्ध करना चाहते हैं - अगर ऐसा है तो यह सोच बहुत खतरनाक है -

लेकिन वक़्फ़ बाई यूजर कागज नहीं दिखा सकता तो जिसकी संपत्ति पर कब्ज़ा कर उसे वक़्फ़ संपत्ति बनाया गया, वो तो अपने कागज दिखा सकते हैं और उसी से साबित हो सकता है कि उसकी संपत्ति हड़पी हुई है - ज्ञानवापी और मथुरा के सारे सबूत अदालत के सामने पेश कर दिए गए हैं - कपिल सिब्बल ने जामा मस्जिद का जिक्र किया, उसके भी तो कागज दिखाए जा सकते हैं कि वह एक मंदिर था -

इस मामले की सुनवाई 2 कारणों से करनी ही नहीं चाहिए थी -

पहला, डी वाई चंद्रचूड़ की सुप्रीम कोर्ट में कही हुई बात - उन्होंने अश्वनी उपाध्याय की वक़्फ़ कानून को चुनौती देने वाली याचिका को सुनने से मना करते हुए कहा था कि “Constitutionality of legislation cannot be challenged in the abstract which will be merely academic excercise - आप इस कानून से कैसे प्रभावित हैं, क्या आपकी कोई संपत्ति इस कानून से छीनी गई है - हमें सावधान रहना होगा जब संसद द्वारा पारित किए गए किसी कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी गई हो तो हमारे सामने कोई पीड़ित पक्ष तथ्यों के साथ होना चाहिए” -

यानी जो कानून वर्षों से चल रहा है, उसे भी चुनौती नहीं दे सकते और वर्तमान कानून तो अभी पैदा ही हुआ है - किस वक़्फ़ बाई यूजर पर यह लागू होगा, अभी देखना बाकी है - खन्ना जी को याचिकर्ताओं से पूछना चाहिए था कि वक़्फ़ के संपत्ति जो मुस्लिम नेताओं ने हड़पी हुई हैं - उन पर कोई खतरा है -

CJI खन्ना ने एक सवाल यह भी सरकार से पूछा कि क्या आप हिंदू मंदिरों में मुस्लिमों को रख सकते हैं - उन्हें पता नहीं ऐसा होता रहा है और 2013 के कुंभ का मैनेजर मुस्लिम आज़म खान बनाया गया था - तिरुपति मंदिर बोर्ड का अध्यक्ष दो बार ईसाई था - ममता बनर्जी ने भी मंदिर के बोर्ड का अध्यक्ष मुसलमान को बनाया था और तमिलनाडु सरकार मंदिरों का धन लूट कर मुसलमानों और चर्चों को दे रही है -

खन्ना जी, हिंदू मंदिर और संस्थाएं किसी की संपत्ति नहीं हड़पते जबकि वक़्फ़ बोर्ड ने हजारों संपत्तियां हिंदुओं और अन्य धर्मों के लोगों की हड़पी हुई हैं, इसलिए गैर मुस्लिम वक़्फ़ बोर्ड में रखे गए हैं -

जस्टिस खन्ना ने वक़्फ़ संशोधन पर हो रही हिंसा पर चिंता जताई और इतना कहा कि हम पर हिंसा फैला कर दबाव न बनाया जाए - आपको तो सुनवाई ही रोक देनी चाहिए थी क्योंकि सभी याचिकाकर्ता बंगाल की हिंसा को मौन स्वीकृति दिए हुए हैं -

वैसे जस्टिस खन्ना को याद करा दूं आपकी अध्यक्षता वाली पीठ ने 10 दिन पहले नोएडा में एक सिविल केस को क्रिमिनल केस में बदलने पर कहा था कि “उत्तर प्रदेश में कानून का शासन ध्वस्त हो गया है” यानी एक छोटे से केस से पूरे प्रदेश को कलंकित कर दिया - अब आपको बंगाल में “कानून का शासन” सही दिखाई दे रहा है क्या - वहां के “कानून के शासन” को जंगल का कानून कहने की हिम्मत क्यों नहीं की -

जस्टिस खन्ना वक़्फ़ को छोड़िए, अभी जो क्लेश आपके पास पहले से चल रहे हैं, उनसे निपटिए - जस्टिस वर्मा के मामले में 3 जजों की रिपोर्ट का क्या हुआ; आपके 2 जजों ने राष्ट्रपति पर हुक्म चलाते हुए संविधान में संशोधन कर दिया और आपने एक हफ्ते में भी जजो की संपत्ति सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर नहीं डाली -

(सुभाष चन्द्र)
“मैं वंशज श्री राम का”
17/04/2025

18/04/2025

🔰
5 यूट्यूबर्स ने पिछले 5 वर्षो में 15000 से अधिक वीडियो पोस्ट किये और सभी वीडियो मोदी सरकार के खिलाफ थे

ये 5 चेहरे पहचानिए... और याद करिए कि ये लोग निरंतर यह ज्ञान बांटते हैं कि पत्रकार और पत्रकारिता का मतलब ही होता है सरकार के खिलाफ बोलना लिखना...
अब जरा इन तथ्यों पर ध्यान दीजिए

अजित अंजुम पिछले 5 वर्षों से यूटयूब पर है और 5 हजार 7 सौ से अधिक वीडियो अपलोड कर चुका है, सब के सब मोदी सरकार के खिलाफ।

रविश कुमार पिछले 1 वर्ष 8 महीने से यूटयूब पर है और 968 से अधिक वीडियो अपलोड कर चुका है, सब के सब मोदी सरकार के खिलाफ।

पुण्य प्रसून वाजपेई पिछले 5 वर्षों से यूटयूब पर है और 1हजार 7 सौ से अधिक वीडियो अपलोड कर चुका है, सब के सब मोदी सरकार के खिलाफ।

अभिसार शर्मा पिछले 6 वर्षों से यूटयूब पर सक्रिय है और 3 हजार 3 सौ से अधिक वीडियो अपलोड कर चुका है, सब के सब मोदी सरकार के खिलाफ।

साक्षी जोशी पिछले 4 वर्षों से यूटयूब पर सक्रिय है और 2 हजार 7 सौ से अधिक वीडियो अपलोड कर चुका है, सब के सब मोदी सरकार के खिलाफ।

इनके अलावा भी अन्य लगभग दर्जन भर और भी खैराती पत्रकार हैं जो इन्हीं की तरह कार्य कर रहे हैं। मोदी सरकार के खिलाफ ये अपने उसी गढ़े हुए सिद्धांत की आड़ लेते हैं कि, पत्रकार और पत्रकारिता का मतलब ही होता है सरकार के खिलाफ बोलना लिखना... लेकिन यही वह बिंदु है जो इनको और इनकी तथाकथित पत्रकारिता को सार्वजनिक रूप से पूरी तरह नग्न कर के पत्रकारिता के नाम पर इनके द्वारा की जा रही मोदी विरोध की दलाली को उजागर कर देता है।

जरा गौर करिए कि, बंगाल में ममता की सरकार है, केजरी की दिल्ली में सरकार थी, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल और झारखंड में कांग्रेस की सरकार है, केरल में कम्युनिस्ट सरकार है, तमिलनाडु में डीएमके की सरकार है। ये सभी सरकारें मोदी/भाजपा/RSS/हिंदुत्व विरोधी तथा घोर मुस्लिम परस्ती में डूबी सरकारें हैं लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि पिछले लगभग 5 वर्षों के दौरान केवल इन 5 लोगों द्वारा अपने अपने यूट्यूब चैनल्स पर अपलोड किए गए लगभग 15000 वीडियोज में से एक भी वीडियो दिल्ली, बंगाल, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, झारखंड की सरकारों के खिलाफ अपलोड नहीं किया गया है। सारे के सारे 15000 वीडियो मोदी सरकार के खिलाफ ही अपलोड किए गए हैं।

इतना ही नहीं बल्कि पिछले दस वर्षों में 4 करोड़ घर, 12 करोड़ रसोई गैस, 12 करोड़ शौचालय, 50 करोड़ जनधन खाते खुलवाने, 60000 किमी हाइवे बनवाने वाली, DBT के जरिए 30 लाख करोड़ गरीबों के खाते में पहुंचाने वाली मोदी सरकार का एक भी काम इन पंच मक्कार दलालों को अपने 15000 वीडियोज में जगह पाने लायक नहीं लगा..।
🙏

BJP Bihar Dilip Jaiswal Janamjay Kumar Kashyp

15/03/2025

इतना बेहतर न खोजो की,
बेहतरीन भी खो दो.........
आप तमाम क्षेत्रवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

30/01/2025

हुतात्मा गोडसे विजयोभव:

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्री आदरणीय श्री Rajiv Ranjan Singh  Lalan Singh  जी को जन्मदिव...
24/01/2025

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्री आदरणीय श्री Rajiv Ranjan Singh Lalan Singh जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

17/01/2025

70 वर्ष पूर्व 1954 के प्रयागराज कुंभ का दृश्य🙏🏻
एक बहुत ही दुर्लभ वीडियो ।

BJP Bihar Janamjay Kumar Kashyp

Aawla Murabba | इसे बस 1 खा लो खून की कमी,बालों का झड़ना,आंखों और पेट की सारी समस्याएं होंगी दूर आंवले का गुड़ वाला मुरब...
18/11/2024

Aawla Murabba | इसे बस 1 खा लो खून की कमी,बालों का झड़ना,आंखों और पेट की सारी समस्याएं होंगी दूर

आंवले का गुड़ वाला मुरब्बा एक पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक मुरब्बा है, जो आंवले की गुणकारी खूबियों और गुड़ की मिठास से भरपूर होता है। इसे बनाने के लिए आपको कुछ सरल सामग्रियों की जरूरत होगी। आइए जानते हैं गुड़ वाला आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि:

सामग्री:
- 500 ग्राम आंवले (धुले और साफ किए हुए)
- 300-400 ग्राम गुड़ (आवश्यकता अनुसार कटा हुआ या तोड़ा हुआ)
- 1 चम्मच इलायची पाउडर
- 1/2 चम्मच दालचीनी पाउडर (optional)
- 1/2 चम्मच काली मिर्च पाउडर (optional)
- 2 कप पानी

विधि:

1. आंवले को उबालना:
- सबसे पहले आंवले को पानी में उबालें। इसके लिए एक बर्तन में पर्याप्त पानी गरम करें और उसमें आंवले डालें।
- आंवले को मध्यम आंच पर 8-10 मिनट तक उबालें, ताकि वे थोड़ा नरम हो जाएं।
- आंवले उबालने के बाद उनका पानी निकाल दें और उन्हें ठंडा होने दें।
- जब आंवले ठंडे हो जाएं तो उनके फांकें (सेगमेंट्स) अलग कर लें। आप चाहें तो आंवले को कांटे की सहायता से हल्का चीर भी सकते हैं ताकि मुरब्बे में मसाला अंदर तक पहुंच सके।

2. गुड़ की चाशनी बनाना:
- एक कढ़ाई में 2 कप पानी डालकर गरम करें और उसमें गुड़ डालें।
- गुड़ को पूरी तरह से पिघलने दें और चाशनी बनने तक पकाएं। चाशनी को ज्यादा गाढ़ा करने की जरूरत नहीं है, सिर्फ इतना कि गुड़ अच्छे से घुल जाए।

3. आंवले को गुड़ में पकाना:
- अब चाशनी में उबले हुए आंवले डालें और मध्यम आंच पर पकने दें।
- इसे धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक आंवले चाशनी को अच्छे से सोख न लें और मुरब्बा गाढ़ा न हो जाए। यह प्रक्रिया लगभग 20-30 मिनट तक ले सकती है।
- बीच-बीच में आंवले को चलाते रहें ताकि वह तले में चिपके नहीं।

4. मसाले डालना:
- जब मुरब्बा गाढ़ा होने लगे, तो उसमें इलायची पाउडर, दालचीनी पाउडर (यदि आप इसे इस्तेमाल करना चाहें) और काली मिर्च पाउडर डालकर अच्छे से मिलाएं।
- मुरब्बे को 5-10 मिनट और पकाएं और फिर गैस बंद कर दें।



5. ठंडा करना और स्टोर करना:
- मुरब्बे को ठंडा होने दें।
- ठंडा होने के बाद इसे एक साफ और सूखे कांच के जार में भरकर स्टोर करें। मुरब्बा कई दिनों तक सुरक्षित रहता है और समय के साथ इसका स्वाद और भी बेहतर हो जाता है।

गुड़ वाला आंवले का मुरब्बा तैयार है!
इसे आप सुबह के नाश्ते में या भोजन के साथ खा सकते हैं। यह न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। Enjoy!

15/11/2024

नाथूराम गोडसे का शव परिवार को क्यों नहीं दिया? दाह संस्कार और अस्थियों का विसर्जन पुलिस ने क्यों किया? – ‘नेहरू सरकार का आदेश’ है सारे सवालों का जवाब
नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे के साथ ये ठीक उसी तरह से हुआ, जैसा आजादी से पहले सरदार भगत सिंह और उनके साथियों के साथ अंग्रेजों ने किया था।

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