05/10/2025
🎉 टेसू का त्यौहार: हमारी लोक-संस्कृति की अनूठी झलक! 🎉
क्या आप जानते हैं कि दशहरा के बाद आने वाले दिनों में एक बहुत ही खास लोक उत्सव मनाया जाता है? यह है टेसू का त्यौहार!
टेसू कौन हैं?
टेसू एक पुतला होता है जिसे बच्चे बनाते हैं और इसे लेकर घर-घर घूमते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत, खासकर बुन्देलखण्ड और आसपास के क्षेत्रों में, बच्चों द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
त्यौहार क्यों मनाते हैं?
टेसू को लोककथाओं में एक प्राचीन वीर के रूप में याद किया जाता है। लड़कों की टोली टेसू को लेकर जाती है, जबकि लड़कियाँ उसकी दुल्हन झाँझी (साँझी) को। ये बच्चे घर-घर जाकर पारंपरिक टेसू गीत गाते हैं यह सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक सदियों पुरानी लोक परंपरा है। टेसू, एक लकड़ी या बाँस की बनी मनमोहक आकृति, जिसे बच्चे अपना 'राजा' मानते हैं। दशहरे के बाद से लेकर शरद पूर्णिमा तक, लड़कों की टोलियाँ टेसू को लेकर घर-घर जाती हैं, जबकि लड़कियाँ झाँझी (उनकी रानी) को।
वे दरवाज़ों पर खड़े होकर बड़े मज़ेदार और तुकबंदी वाले टेसू गीत गाते हैं, और बदले में लोग उन्हें भेंट देते हैं। टेसू के गीतों में शरारत, कहानी और एक सरल सा हास्य छिपा होता है। यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि कैसे हमारे त्योहार हमारी कहानियों और लोक-कलाओं को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाते हैं।
और नेग (भेंट) मांगते हैं। इस उत्सव का समापन शरद पूर्णिमा को टेसू और झाँझी के विवाह के साथ होता है। यह हमारी संस्कृति और बाल-मनोरंजन का एक सुंदर मेल है।
आज मैं आपके साथ कुछ नन्हे बच्चों द्वारा गाए गए प्यारे टेसू गीत शेयर करूँगा। इन गीतों में एक अलग ही मस्ती और मिठास है!
आइए, इस प्यारे लोकपर्व को याद करें और इसकी खुशियों को साझा करें!
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