Hindustan meri jaan

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27/09/2025

मुसलमानों को भटकाने की राजनीति और उसके दुष्परिणामपत्थर फेंकना या तोड़फोड़ करना किसी भी प्रकार का ज्ञापन नहीं होता, यह केवल गुंडागर्दी का प्रतीक है। दुर्भाग्य से, कुछ स्वार्थी तत्व पिछले चौदह सौ वर्षों से मुसलमान समाज को भड़काने और भटकाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने स्वयं की राजनीति और अपना हित साधने के लिए समुदाय को प्रगति की राह से दूर रखा है।इनका उद्देश्य समाज को ज्ञान और शिक्षा से सशक्त बनाना कभी नहीं रहा। इसके विपरीत, वे जानबूझकर मुसलमानों को अनपढ़ और असंगठित रखते हैं ताकि उन्हें अपना साधन बनाकर प्रयोग कर सकें। कभी प्रदर्शन और हिंसा में उन्हें आगे करते हैं, तो कभी चंदा इकट्ठा करने, अपनी "दुकान" चलाने और व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं।ऐसे लोग केवल अपने स्वार्थ के लिए बिरयानी और कबाब की दावतों में रम जाते हैं, जबकि आम मुसलमान शिक्षा और उन्नति से वंचित रह जाता है। यह समय है कि इस सच्चाई को पहचानकर मुसलमान समाज आत्मनिर्भर बने, शिक्षा और विवेक की राह अपनाए तथा उन तत्वों से दूरी बनाए जो उनकी तरक्की में रोड़ा बनकर खड़े हैं।

18/09/2025
राजनीति जब मर्यादाओं को लांघ दे और सत्ता की लालसा में मानवीय संवेदनाओं को रौंद डाले, तब वह केवल राजनीति नहीं रह जाती, बल...
13/09/2025

राजनीति जब मर्यादाओं को लांघ दे और सत्ता की लालसा में मानवीय संवेदनाओं को रौंद डाले, तब वह केवल राजनीति नहीं रह जाती, बल्कि घोर अधर्म और चरित्रहीनता का प्रतीक बन जाती है। किसी भी व्यक्ति की स्वर्गीय माताजी को सार्वजनिक जीवन की छींटाकशी और तुच्छ बहसों में घसीटना न केवल अपमानजनक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा पर गहरा आघात है।

माता-पिता भारतीय जीवन दर्शन में पूज्य स्थान रखते हैं। उन्हें तुच्छ राजनीतिक विवादों का विषय बनाना हमारी सभ्यता की जड़ों को कटघरे में खड़ा करने जैसा है। यह कृत्य इस बात का प्रतीक है कि कुछ लोग सत्ता पाने के लिए किसी भी सीमा तक गिर सकते हैं—भले ही वह सीमा मानवीय संवेदना और सामाजिक मर्यादा क्यों न हो।

ऐसे घिनौने कार्य केवल व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के संस्कारों और गौरव का अपमान हैं। इनके लिए केवल आलोचना पर्याप्त नहीं, बल्कि कठोरतम निंदा और सामाजिक बहिष्कार ही उचित उत्तर है।

भारतीय समाज ऐसे कृत्यों को कभी क्षमा नहीं करेगा। समय चाहे जो भी हो, हमारे संस्कार हमें यही सिखाते हैं कि माँ की गरिमा अछूत और सर्वोच्च है—उसे राजनीति की गंदगी में घसीटना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

10/09/2025

#नेपाल_के_बाद_भारत?

नेपाल की घटनाओं ने भारत के जागरूक समाज के भीतर दो बिलकुल भिन्न ध्रुव तैयार कर दिये हैं।

एक ओर वे हैं जिन्हें *आशंका* है कि कहीं यह अराजकता भारत में भी न फैल जाए।
दूसरी ओर वे हैं जिन्हें *आशा* है कि भारत भी इस आग में झुलसे।

पहले वर्ग में वे लोग हैं जो इस मिट्टी, इसकी आत्मा *हिंदुत्व* और भारत के स्वर्णिम भविष्य के प्रति निष्ठावान हैं।
दूसरे वर्ग में वे हैं — मुस्लिम साम्प्रदायिक, कांग्रेसी, जातिवादी राजनीति करने वाले, और हिंदू नामधारी तथाकथित सेक्युलर। इनके लिए न राष्ट्र मायने रखता है, न उसकी अखंडता… बस सत्ता की भूख और मोदी से व्यक्तिगत द्वेष ही सबकुछ है।

राहुल गांधी, अखिलेश, तेजस्वी, केजरीवाल, स्टालिन, उद्धव जैसे राजनैतिक गिद्ध और रविश कुमार जैसे कुंठित पत्रकार इस इंतज़ार में हैं कि देश कहीं अशांत हो, ताकि वे सत्ता की मलाई चख सकें।

यह अब न तो विचारधारा की लड़ाई है और न ही लोकतंत्र की सामान्य राजनीति। यह सीधी जंग है — *राष्ट्रभक्तों और राष्ट्रद्रोहियों* के बीच। यदि हिंदुत्ववादी हारे तो भारत का विखंडन और उसका इस्लामीकरण तय मानिये।

किन्तु ऐसा होगा नहीं — और उसके दो ठोस कारण हैं:

1. आंदोलन की असली रीढ़ अर्थात *मध्यमवर्गीय युवा* आज भी बड़ी संख्या में मोदी के साथ है।
2. भारत की सेना और सुरक्षा बल राष्ट्र के लिए समर्पित हैं। देश-विरोधी किसी भी साज़िश को कुचलना उनका कर्तव्य और संकल्प है।

फिर भी यदि पलभर को मान लें कि बिहार या बंगाल जैसी संवेदनशील धरती से हिंसा की अग्नि भड़कने लगे — तो परिदृश्य कैसा होगा?

- चुनाव में हार के बाद राहुल और तेजस्वी परिणामों को अवैध बताकर हिंसा भड़का सकते हैं।
- मुस्लिम चरमपंथी इन भीड़ों में घुसकर हिंसा को तेज़ कर सकते हैं।
- आग की लपटें बंगाल, असम और पश्चिमी यूपी तक फैल सकती हैं।
- ब्रेकिंग इंडिया गैंग पंजाब, कश्मीर, पूर्वोत्तर, महाराष्ट्र और केरल में भी अराजकता की साज़िश कर सकता है।
- सेक्युलर मीडिया और विचारधारा-बद्ध पत्रकार आग पर घी डालकर हालात और बिगाड़ेंगे।

पर याद रखिये — यही उनके पतन का कारण बनेगा, क्योंकि:

पहला प्रहार राज्य पुलिस करेगी।
फिर अर्धसैनिक बल उतरेंगे।
और अंततः, *स्वयंसेवक समाज* — वे हज़ारों असली राष्ट्रभक्त, जो खाकी पैंट, सफेद कमीज़ पहनकर, हाथों में लट्ठ लेकर, हर समय तैयार रहते हैं — वे बिखरी आग को माटी में मिला देंगे।

जिन्हें इतिहास याद न हो, वे जान लें कि 1947 में श्रीनगर एयरफील्ड को संघ के स्वयंसेवकों ने प्राणपण से सुरक्षित न किया होता, तो कश्मीर कब का हाथ से निकल गया होता।

इसलिए —

भारत की अस्थिरता का सपना देखने वाले सावधान हो जाएँ।
और भारत की स्थिरता के लिए चिंतित देशभक्त निश्चिन्त रहें।

क्योंकि यह भारत है — न नेपाल, न बांग्लादेश।
और मोदी के पीछे खड़ी है — भारत माता को जीवन-समर्पित करोड़ों युवाओं की फौज और संघ के स्वयंसेवक।

10/09/2025

नेपाल में जो कुछ हुआ, उस पर कुछ बामपंथी नेतागण ऐसे झूम रहे हैं मानो “नेपाल ने उनका ऑर्डर परोस दिया हो।” मज़ेदार बात यह है कि नेपाल की सत्ता तो वर्षों से बामपंथियों के ही पास थी!

पर सच पूछिए तो यह वही कहानी है जिसमें बच्चे अपनी ही पतंग काटकर खुश हो जाते हैं। नेपाल की रंग-बिरंगी क्रांति को देखकर हाल के दिनों में हमारे यहां के कुछ विचारधारा-प्रेमी नेतागण ताली पीटने लगे — जैसे अपना ही घर जलाकर यह दावा करना कि “देखो, हमने रोशनी कर दी।”

विडंबना यह है कि हर असफल प्रयोग पर इन नेताओं का चेहरा और चमक उठता है। शायद इसलिए कि उनके लिए असफलता ही असली पूंजी है। देश चाहे नेपाल हो या भारत, जनता चाहे दुखी रहे या परेशान — मगर वे सब में "क्रांति की आइसक्रीम" ढूंढने निकल पड़ते हैं।

यानी मामला यह है कि नेपाल की सरकार गिरी तो “हमारे” नेता झूमे, पर सवाल वही है: जब खेल का खिलाड़ी वही टीम हो तो हार में भी जश्न किस बात का?
लगता है ये लोग अपनी ही परछाइयों से लड़ते-लड़ते इतने आदी हो चुके हैं कि हार-जीत के असली मायने कब के भूल चुके।

बिहार की फ्री बिजली योजना पर यूपी के ऊर्जा मंत्री का तंज: "ना बिजली आएगी, ना बिल!"उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री ए.क...
20/07/2025

बिहार की फ्री बिजली योजना पर यूपी के ऊर्जा मंत्री का तंज: "ना बिजली आएगी, ना बिल!"
उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने बिहार की एनडीए सरकार की 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना पर तंज कसा है. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, "ना बिजली आएगी और ना ही बिल आएगा." यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में 1 अगस्त से यह योजना लागू होने वाली है.
गौरतलब है कि बिहार की एनडीए सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है. इस योजना का उद्देश्य राज्य के लाखों परिवारों को बिजली के बढ़ते बिलों से राहत दिलाना है. हालांकि, यूपी के ऊर्जा मंत्री के इस बयान ने बिहार में इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और बिजली आपूर्ति की स्थिति को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.
ए.के. शर्मा का यह बयान भारतीय जनता पार्टी के भीतर भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि दोनों राज्यों में बीजेपी सरकार में शामिल है. अब देखना यह होगा कि बिहार सरकार इस तंज का क्या जवाब देती है और क्या 1 अगस्त से यह योजना सफलतापूर्वक लागू हो पाती है.

साबूदाना: सिर्फ व्रत का नहीं, रोज़ाना की सेहत का साथी!हम अक्सर साबूदाने को उपवास के दिनों से जोड़ते हैं, लेकिन क्या आप ज...
19/07/2025

साबूदाना: सिर्फ व्रत का नहीं, रोज़ाना की सेहत का साथी!
हम अक्सर साबूदाने को उपवास के दिनों से जोड़ते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह छोटे-छोटे मोती सिर्फ व्रत के लिए ही नहीं, बल्कि आपकी रोज़ाना की डाइट के लिए भी एक बेहतरीन और हेल्दी विकल्प हो सकते हैं? साबूदाना ऊर्जा का एक शानदार स्रोत है, जो आपके दिन को मज़ेदार और तंदुरुस्त बना सकता है।
साबूदाने के अद्भुत फ़ायदे:
ऊर्जा का पावरहाउस: साबूदाने में भरपूर कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं और थकान को दूर भगाते हैं।
पाचन में आसान: यह पचने में बहुत हल्का होता है, जिससे पेट पर कोई बोझ नहीं पड़ता और यह पेट को ठंडक भी पहुंचाता है।
हड्डियों को मज़बूती: साबूदाना हड्डियों को मज़बूत बनाने में भी सहायक है।
वजन बढ़ाने में मददगार: यदि आप स्वस्थ तरीके से वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो साबूदाना इसमें आपकी मदद कर सकता है।
स्वादिष्ट साबूदाना खिचड़ी: नाश्ते की परफेक्ट शुरुआत!
साबूदाने के इन फ़ायदों का लाभ उठाने के लिए, आइए बनाते हैं एक बहुत ही स्वादिष्ट और सेहतमंद साबूदाना खिचड़ी, जिसे आप सुबह या शाम के नाश्ते में कभी भी बना सकते हैं।
सामग्री:
साबूदाना (छोटे या बड़े दाने, जो भी उपलब्ध हों)
तेल, देसी घी या बटर (अपनी पसंद के अनुसार)
जीरा
बारीक कटा अदरक
बारीक कटी हरी मिर्च
बारीक कटा प्याज
बारीक कटा टमाटर
नमक (स्वादानुसार)
काली मिर्च पाउडर (एक चुटकी)
बारीक कटी हरी धनिया
बनाने की विधि:
तैयारी: सबसे पहले साबूदाने को सामान्य पानी में 2 घंटे के लिए भिगो दें। 2 घंटे बाद, इसे अच्छी तरह से छानकर अलग रख लें।
तड़का: एक कढ़ाई में अपनी पसंद का तेल, देसी घी या बटर गरम करें।
खुशबूदार शुरुआत: गरम तेल में जीरा डालें और जब यह चटकने लगे, तो इसमें बारीक कटा अदरक और हरी मिर्च डालकर हल्का भूनें।
प्याज और टमाटर: अब बारीक कटा प्याज डालें और सुनहरा भूरा होने तक भूनें। प्याज भुन जाने पर, बारीक कटा टमाटर डालें।
मसाले: स्वादानुसार नमक और चुटकी भर काली मिर्च पाउडर डालकर अच्छी तरह मिलाएं। टमाटर के गलने तक इसे भूनें।
साबूदाना मिलाएं: जब टमाटर अच्छी तरह गल जाएं, तो पहले से भिगोकर छाने हुए साबूदाने को कढ़ाई में डालें।
पकाएं: साबूदाने को लगातार चलाते हुए 2 से 3 मिनट तक पकाएं।
परोसें: अंत में, बारीक कटी हरी धनिया डालकर मिलाएं और गरमागरम परोसें।
इस स्वादिष्ट साबूदाना खिचड़ी का आनंद लें और अपने दिन को ऊर्जावान बनाएं! इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी साझा करें ताकि वे भी इस हेल्दी और स्वादिष्ट विकल्प का लाभ उठा सकें।

19/07/2025

अपराध का कड़वा सच: जब हथकड़ी में लिपटा बेटा पिता को मुखाग्नि देने पहुंचा
अपराध का रास्ता अक्सर सिर्फ़ पछतावा और दर्द ही लेकर आता है, और इसका सबसे मार्मिक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला। एक पिता के अंतिम संस्कार के लिए जब उनके बड़े बेटे को पुलिस सुरक्षा में श्मशानघाट लाया गया, तो वहाँ मौजूद हर आँख नम हो गई। जेल में बंद बेटे का अपने छोटे भाई से मिलने का वो क्षण, और फिर हथकड़ी लगे हाथों से पिता को मुखाग्नि देना—यह सब देख कर हर कोई भावुक हो उठा।
यह हृदय विदारक दृश्य उस समय सामने आया जब बड़े बेटे ने अपने छोटे भाई को देखा। दोनों एक-दूसरे से लिपटकर फूट-फूट कर रो पड़े। यह पल न केवल परिवार के लिए असहनीय था, बल्कि वहाँ मौजूद रिश्तेदारों और पुलिसकर्मियों को भी झकझोर गया। पुलिस की मौजूदगी में, हथकड़ी लगे हाथों से ही बेटे ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी। यह मंजर देखकर सभी की आँखें नम थीं, और इस दर्द को महसूस किया जा सकता था।
यह घटना केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि उन सभी के लिए एक कड़ा संदेश है जो ग़लत रास्तों पर चल पड़ते हैं। यह सवाल हमें कचोटता है—"अपराध क्यों करते हो, फिर अपनों से दूर हो जाते हो?" जब तुम जेल में होते हो, तब घर में माँ-बाप, भाई-बहन तुम्हारी याद में रोते हैं, और तुम जेल की सलाखों के पीछे।
हर युवा को इस तस्वीर और इस क्षण से एक महत्वपूर्ण सीख लेनी चाहिए कि ग़लत कार्यों का अंजाम सिर्फ़ जेल की चारदीवारी तक सीमित नहीं होता, बल्कि अपनों से बिछड़ने का वो दर्द भी होता है जो उम्रभर का होता है। यह दर्द शारीरिक कष्ट से कहीं ज़्यादा गहरा होता है, क्योंकि यह रिश्तों को तोड़ता है और परिवार को बिखेर देता है।
इसलिए, इस कहानी को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें, ताकि हर युवा इसे देखकर समझे कि अपराध का मार्ग केवल अंधकार और अकेलेपन की ओर ले जाता है, जहाँ अंत में सिर्फ़ पछतावा ही बचता है।

चने, जिन्हें अक्सर "गरीबों का बादाम" कहा जाता है, अपने उत्कृष्ट पोषण मूल्य और कई स्वास्थ्य लाभों के कारण आयुर्वेद में एक...
03/07/2025

चने, जिन्हें अक्सर "गरीबों का बादाम" कहा जाता है, अपने उत्कृष्ट पोषण मूल्य और कई स्वास्थ्य लाभों के कारण आयुर्वेद में एक सम्मानित स्थान रखते हैं। प्रोटीन, नमी, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम और विभिन्न विटामिनों से भरपूर, चना कई बीमारियों से लड़ने में शरीर को मजबूत बनाता है। यह न केवल शारीरिक शक्ति प्रदान करता है बल्कि मस्तिष्क के स्वास्थ्य को भी बढ़ाता है और त्वचा की रंगत में सुधार करता है। चने का सेवन करने का सबसे प्रभावी तरीका उन्हें अंकुरित करना है।
चने के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ
1. सुबह खाली पेट अंकुरित चने
काले चने शरीर को सबसे अधिक पोषण देते हैं, खासकर जब वे अंकुरित होते हैं। अंकुरित चने विटामिन, क्लोरोफिल और फास्फोरस जैसे खनिजों से भरपूर होते हैं, जो बीमारियों से बचाते हैं। रात भर भिगोए हुए दो मुट्ठी अंकुरित चने हर सुबह खाने से कुछ ही दिनों में उल्लेखनीय सुधार दिख सकता है।
2. भीगे चने से कब्ज और पेट दर्द में राहत
रात भर भीगे हुए चनों को छानकर उसमें अदरक, जीरा और नमक मिलाकर खाने से कब्ज और पेट दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
3. अंकुरित चने से ऊर्जा
शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए अंकुरित चनों में नींबू, अदरक के टुकड़े, हल्का नमक और काली मिर्च मिलाकर सुबह नाश्ते में खाएं। यह आपको पूरे दिन ऊर्जावान रखेगा।
4. चने का सत्तू
चने का सत्तू एक अत्यंत लाभकारी औषधि है। गर्मियों में शरीर की क्षमता और शक्ति बढ़ाने के लिए चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलाकर पिएं। यह भूख को भी शांत रखता है।
5. पथरी की समस्या में चना
दूषित पानी और भोजन के कारण पथरी की समस्या आम हो गई है। पित्ताशय और किडनी की पथरी के लिए, रात भर भिगोए हुए चनों में थोड़ा शहद मिलाकर नियमित सेवन करने से पथरी आसानी से निकल जाती है। आप आटे और चने के सत्तू से बनी रोटियां भी खा सकते हैं।
6. शरीर की गंदगी साफ करना
काला चना शरीर के अंदर की गंदगी को प्रभावी ढंग से साफ करता है, जिससे डायबिटीज और एनीमिया जैसी समस्याएं दूर होती हैं। यह बुखार में भी लाभकारी है।
7. डायबिटीज के रोगियों के लिए
चना ताकतवर होता है और शरीर में ग्लूकोज की अतिरिक्त मात्रा को कम करता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है। इसलिए, डायबिटीज के रोगियों को सुबह-सुबह अंकुरित चनों का सेवन करना चाहिए।
8. मूत्र संबंधी रोग
मूत्र संबंधी किसी भी रोग में भुने हुए चनों का सेवन करना चाहिए। इससे बार-बार पेशाब आने की समस्या दूर होती है। भुने हुए चनों में गुड़ मिलाकर खाने से मूत्र संबंधी किसी भी समस्या में राहत मिलती है।
9. पौरुष शक्ति के लिए
काम और तनाव के कारण पुरुषों में होने वाली कमजोरी के लिए अंकुरित चना किसी वरदान से कम नहीं है। अंकुरित चनों को चबा-चबाकर खाने से पुरुषों की कमजोरी दूर होती है। भीगे हुए चनों के पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से पौरुषत्व बढ़ता है और नपुंसकता दूर होती है।
10. पीलिया के रोग में
पीलिया की बीमारी में 100 ग्राम चने की दाल को दो गिलास पानी में कुछ घंटों के लिए भिगो दें। फिर दाल से पानी अलग कर लें और उसमें 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4-5 दिनों तक रोगी को दें। इससे पीलिया में लाभ अवश्य मिलेगा।
11. कुष्ठ रोग में चना
कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति यदि तीन साल तक अंकुरित चने खाएं, तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
12. गर्भावस्था में
गर्भवती महिला को यदि बार-बार मितली या उल्टी की समस्या होती हो, तो उसे चने का सत्तू पिलाना चाहिए।
13. अस्थमा रोग में
अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को चने के आटे का हलवा खाना चाहिए। यह उपाय अस्थमा रोग को ठीक करने में मदद करता है।
14. त्वचा की समस्या में
चने के आटे का नियमित सेवन करने से थोड़े ही दिनों में खाज, खुजली और दाद जैसी त्वचा संबंधी रोग ठीक हो जाते हैं।
15. पुरानी कफ
लंबे समय से चली आ रही कफ की समस्या में भुने हुए चनों को रात में सोते समय अच्छे से चबाकर खाएं और उसके बाद दूध पी लें। यह कफ और सांस की नली से संबंधित रोगों को ठीक कर देता है।
16. चेहरे की चमक के लिए चना
चेहरे की रंगत बढ़ाने के लिए नियमित अंकुरित चनों का सेवन करना चाहिए। साथ ही, आप घर पर चने का फेस पैक भी बना सकते हैं। चने के आटे में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम होती है। महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड़ जरूर खाना चाहिए।
17. दाद, खाज और खुजली
एक महीने तक चने के आटे की रोटी का सेवन करने से त्वचा की बीमारियां जैसे खुजली, दाद और खाज खत्म हो जाती हैं।
18. धातु पुष्ट
दस ग्राम शक्कर और दस ग्राम चने की भीगी हुई दाल को मिलाकर कम से कम एक महीने तक खाने से धातु पुष्ट होती है।
अपने भोजन में चने को शामिल करें। यह किसी औषधि से कम नहीं है, और अंकुरित चनों का प्रयोग प्रतिदिन किया जा सकता है।

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