10/09/2025
#नेपाल_के_बाद_भारत?
नेपाल की घटनाओं ने भारत के जागरूक समाज के भीतर दो बिलकुल भिन्न ध्रुव तैयार कर दिये हैं।
एक ओर वे हैं जिन्हें *आशंका* है कि कहीं यह अराजकता भारत में भी न फैल जाए।
दूसरी ओर वे हैं जिन्हें *आशा* है कि भारत भी इस आग में झुलसे।
पहले वर्ग में वे लोग हैं जो इस मिट्टी, इसकी आत्मा *हिंदुत्व* और भारत के स्वर्णिम भविष्य के प्रति निष्ठावान हैं।
दूसरे वर्ग में वे हैं — मुस्लिम साम्प्रदायिक, कांग्रेसी, जातिवादी राजनीति करने वाले, और हिंदू नामधारी तथाकथित सेक्युलर। इनके लिए न राष्ट्र मायने रखता है, न उसकी अखंडता… बस सत्ता की भूख और मोदी से व्यक्तिगत द्वेष ही सबकुछ है।
राहुल गांधी, अखिलेश, तेजस्वी, केजरीवाल, स्टालिन, उद्धव जैसे राजनैतिक गिद्ध और रविश कुमार जैसे कुंठित पत्रकार इस इंतज़ार में हैं कि देश कहीं अशांत हो, ताकि वे सत्ता की मलाई चख सकें।
यह अब न तो विचारधारा की लड़ाई है और न ही लोकतंत्र की सामान्य राजनीति। यह सीधी जंग है — *राष्ट्रभक्तों और राष्ट्रद्रोहियों* के बीच। यदि हिंदुत्ववादी हारे तो भारत का विखंडन और उसका इस्लामीकरण तय मानिये।
किन्तु ऐसा होगा नहीं — और उसके दो ठोस कारण हैं:
1. आंदोलन की असली रीढ़ अर्थात *मध्यमवर्गीय युवा* आज भी बड़ी संख्या में मोदी के साथ है।
2. भारत की सेना और सुरक्षा बल राष्ट्र के लिए समर्पित हैं। देश-विरोधी किसी भी साज़िश को कुचलना उनका कर्तव्य और संकल्प है।
फिर भी यदि पलभर को मान लें कि बिहार या बंगाल जैसी संवेदनशील धरती से हिंसा की अग्नि भड़कने लगे — तो परिदृश्य कैसा होगा?
- चुनाव में हार के बाद राहुल और तेजस्वी परिणामों को अवैध बताकर हिंसा भड़का सकते हैं।
- मुस्लिम चरमपंथी इन भीड़ों में घुसकर हिंसा को तेज़ कर सकते हैं।
- आग की लपटें बंगाल, असम और पश्चिमी यूपी तक फैल सकती हैं।
- ब्रेकिंग इंडिया गैंग पंजाब, कश्मीर, पूर्वोत्तर, महाराष्ट्र और केरल में भी अराजकता की साज़िश कर सकता है।
- सेक्युलर मीडिया और विचारधारा-बद्ध पत्रकार आग पर घी डालकर हालात और बिगाड़ेंगे।
पर याद रखिये — यही उनके पतन का कारण बनेगा, क्योंकि:
पहला प्रहार राज्य पुलिस करेगी।
फिर अर्धसैनिक बल उतरेंगे।
और अंततः, *स्वयंसेवक समाज* — वे हज़ारों असली राष्ट्रभक्त, जो खाकी पैंट, सफेद कमीज़ पहनकर, हाथों में लट्ठ लेकर, हर समय तैयार रहते हैं — वे बिखरी आग को माटी में मिला देंगे।
जिन्हें इतिहास याद न हो, वे जान लें कि 1947 में श्रीनगर एयरफील्ड को संघ के स्वयंसेवकों ने प्राणपण से सुरक्षित न किया होता, तो कश्मीर कब का हाथ से निकल गया होता।
इसलिए —
भारत की अस्थिरता का सपना देखने वाले सावधान हो जाएँ।
और भारत की स्थिरता के लिए चिंतित देशभक्त निश्चिन्त रहें।
क्योंकि यह भारत है — न नेपाल, न बांग्लादेश।
और मोदी के पीछे खड़ी है — भारत माता को जीवन-समर्पित करोड़ों युवाओं की फौज और संघ के स्वयंसेवक।