
04/07/2025
आज मां छिन्नमस्तिका मंदिर, कांटी जाने का सौभाग्य मिला। शब्द कम पड़ रहे हैं उस अनुभव को बयान करने के लिए। जैसे ही मंदिर के परिसर में कदम रखा, एक अद्भुत ऊर्जा ने मन को स्पर्श किया।
वहाँ की दिव्यता, वातावरण की शांति और भक्तों की आस्था देखकर मन श्रद्धा से भर गया। मां की मूर्ति के दर्शन करते ही भीतर तक एक कंपन महसूस हुआ — मानो सारी चिंताएँ उसी क्षण समाप्त हो गई हों।
मैंने वहां कुछ माँगा नहीं… बस मां को नमन किया और धन्यवाद दिया इस जीवन के लिए, इस यात्रा के लिए। यह कोई साधारण स्थान नहीं है, यह आत्मा को छू जाने वाला अनुभव है।
रोज़मर्रा की उलझनों से हटकर, मां के चरणों में जो सुकून मिला — वह अनमोल है। सच कहूं तो मंदिर सिर्फ ईश्वर का घर नहीं होता, वह हमारी आत्मा की शरण होता है — और मां छिन्नमस्तिका की शरण में जो शांति मिली, वह हमेशा याद रहेगी।