10/08/2024
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में घनी पहाड़ियों के बीच एक ऐसा देवस्थान है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से जाना जाता है. यह स्थान पचमढ़ी में घने जंगलों के बीच है. यहाँ तक पहुंचने के लिए 7 पहाड़ों की दुर्गम चढ़ाई और बारिश में भीगे घने जंगलों से होकर जाना होता है..तब जाकर आप नागद्वारी पहुंच सकते हैं...मार्ग में कई कई नागों के दर्शन श्रद्धालुओं को होते है, ये नाग किसी को कोई हानि नहीं पहुँचाते...!
श्रद्धालु नाग देवता के दर्शन के लिए निकलते हैं. 16 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं. नागद्वारी मंदिर की यह गुफा करीब 35 फीट लंबी है.. मान्यता है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी मांगी गई मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है...!
नागद्वारी के अंदर चिंतामणि गुफा है. यह गुफा लगभग 100 फीट लंबी है. इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं. स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है...स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं. पहाडिय़ों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा करके नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर मुख्य गुफा में शिवलिंग पर काजल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती है.ऐसी मान्यता है...!
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के कारण यहां आम स्थानों की तरह यहाँ वर्ष भर प्रवेश वर्जित होता है और साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है. हर साल नागपंचमी पर एक मेला लगता है. सावन के महीने में नागपंचमी के 10 दिन पहले से ही कई राज्यों के श्रद्धालु, खासतौर से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के भक्तों का आना प्रारंभ हो जाता है...!
नागद्वारी मंदिर की इस धार्मिक यात्रा को सैंकड़ों साल से ज्यादा हो गए हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु कई पीढिय़ों से मंदिर में नाग देवता के दर्शन करने के लिए आते है...
सभी को नाग पंचमी महापर्व की शुभकामनाएँ...हर हर महादेव...!🙏🚩