Mayank shukla

Mayank shukla Public Figure

फिल्म “सैयारा” की कहानी एक दिल छू लेने वाली युवा प्रेम कथा है, जिसमें सपनों, संघर्षों और रिश्तों की जटिलता को संवेदनशील ...
20/07/2025

फिल्म “सैयारा” की कहानी एक दिल छू लेने वाली युवा प्रेम कथा है, जिसमें सपनों, संघर्षों और रिश्तों की जटिलता को संवेदनशील तरीके से दिखाया गया है।कृष कपूर (अहान पांडे) एक महत्वाकांक्षी म्यूज़िशियन है जो अपने गानों के ज़रिए दुनिया को कुछ कहने की कोशिश कर रहा है। वह सफल होना चाहता है, लेकिन असुरक्षा, पारिवारिक दबाव और असफलताओं से जूझ रहा है।
वाणी बत्रा (अनीत पड्डा) एक जर्नलिस्ट और सॉन्गराइटर है, जिसकी अपनी एक दर्दभरी पिछली कहानी है। उसकी लेखनी में एक सच्चाई है जो कृष को अपनी ओर खींचती है।दोनों की मुलाक़ात एक म्यूज़िक इवेंट के दौरान होती है और वहीं से एक अनोखा रिश्ता शुरू होता है दोस्ती, प्यार और टूटन के बीच झूलता हुआ।फिल्म में दिखाया गया है कि सच्चा प्यार क्या सिर्फ साथ रहने का नाम है या किसी की आत्मा को समझने का? जब जिंदगी अपने सबसे मुश्किल मोड़ पर पहुंचती है, तब ये दोनों किस रास्ते का चुनाव करते हैं यही फिल्म का भावनात्मक केंद्र है. देखने लायक फ़िल्म है, सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए है।

YRF - Yash Raj Films

एक ही नारी ....  50 जगह अलग अलग नामों से प्रधानाचार्य पद की शपथ ली 😂😂 नारी नहीं तू तो महानारी है देवी 😂😂🙏🙏
14/07/2025

एक ही नारी .... 50 जगह अलग अलग नामों से प्रधानाचार्य पद की शपथ ली 😂😂 नारी नहीं तू तो महानारी है देवी 😂😂🙏🙏

कल शाम जी5 पर लीलाधर लापता देखीअभिषेक बच्चन अभिनीत ये मुवी देख बडां आश्चर्य हुआ कि इनसे इतनी बेहतरीन अदाकारी भी करवाई जा...
05/07/2025

कल शाम जी5 पर लीलाधर लापता देखी
अभिषेक बच्चन अभिनीत ये मुवी देख बडां आश्चर्य हुआ कि इनसे इतनी बेहतरीन अदाकारी भी करवाई जा सकती है ?
मुझे समीक्षा या कोई अन्य बात करना नहीं आता
मुझे खाना बनाना भी नही आता पर स्वाद बता सकता हूं कि बेहतरीन है या क्या कमी है
बहुत दिनो बाद एक अच्छी फिल्म "बनारस " ओर अब ये फिल्म देखी है
बहुत उम्दा काम किया है अभिषेक जी ने वाकई जीवन्त कर दिया लीलाधर केरेक्टर को
बहुत सालो बाद अभिषेक बच्चन की जीभर के तारीफ करने को दिल करता है,
बालकलाकार ओर इनकी केमेस्ट्री वाकई कमाल की है,
कुछ कुछ सीन मे बाल कलाकार बाजी मार गये है
फिल्म बनारस और लीलाधर मे कुछ कुछ समानता है पर मुझे ये बनारस से बेहतर लगी है
एक बात पक्की है,
अगर जौहरी उम्दा हो हुनरबाज हो तो कम चमक की हीरे को भी कोहीनूर बना देने की ताकत रखता रखता है
अंक देना या स्टार रेटिंग मुझे नही आता पर हा उनके लिये बहुत बेहतरीन है जो कुछ हटकर देखना चाहते है
सभी कलाकार ' निर्देशक महोदया एवं जी5 को बहुतबहुत धन्यवाद
मनोरंजन में एक उम्दां तोहफे के लिये

30/06/2025
जब घर में ही गद्दार हो तोचुनाव तो हारना ही था🥹🥹😢 #पंचायत4
30/06/2025

जब घर में ही गद्दार हो तो
चुनाव तो हारना ही था🥹🥹😢

#पंचायत4

29/06/2025

वो जब फेसबुक पर ऑफलाइन होती है तो
मुझे भी ऐसे बोल कर जाती है😍



Vc - Amazon Prime

24/06/2025

दोस्तों
आपके लिये बुरी खबर है
बनराकस ने पंचायत चुनाव जीत लिया है।

पचास साल पहले अवध इलाके के एक गांव में बारात आई,तब बराती नाचते नहीं थे बुरा माना जाता था, दूल्हे को एक जामा या पियरी पहन...
18/06/2025

पचास साल पहले अवध इलाके के एक गांव में बारात आई,तब बराती नाचते नहीं थे बुरा माना जाता था, दूल्हे को एक जामा या पियरी पहनाई जाती थी जो मलमल का कुर्तानुमा झबला होता था,गले से पैर तक होता था,जैसा अरब के शेख पहनते हैं,उस झबले को तबीयत से हल्दी डालकर पीले रंग से रंग दिया जाता था,सर पर मौर मतलब एक हेड ड्रेस जो दो फीट ऊंचा होता था रंगबिरंगा गौर करने पर उसमे तोते और फूल दिखते थे,आंखों में दबा कर काजल लगा हुआ ताकि किसी की बुरी नजर न लगे
इस तरह दूल्हे की छवि देखने योग्य होती थी,
बारात आते ही बाजे वाले सक्रिय हो जाते थे,अजीब ढंग की छोटी छोटी टिमकी बजाते थे नगाड़े की तरह,पतली लकड़ियों से बजाते थे,तुरही शहनाई वाले ऐसी पारंपरिक मंगल गान की धुन छेड़ देते थे कि उनका संगीत सारे माहौल पर हावी हो जाता था,
केवड़ा जल और रस पेश किया जाता था सबसे पहले,रस मतलब शरबत,कोई लड़का दूल्हे को हाथ के पंखे से हवा झलने लगता था
उसके बाद बूंदी नमकीन वगैरह,चाय भी चलने लगी थी,बराती तो खाना खाने ही आते थे तीन दिन बारात रुकी रहती थी,किसी खेत में दरी बिछाकर कनात शामियाने लगाए जाते थे वो जनवासा होता था,चारपाई गांव भर से मांग कर लाई जाती थी, गैस के हंडे जलते थे,
रात को आल्हा ऊदल या नौटंकी होती थी जिसे बारातियों के साथ सारे गांव वाले देखते थे पेट्रोमेक्स की रोशनी में

रात के खाने में पूड़ी कचौड़ी के साथ कुम्हड़े की सब्जी होती थी,जिसे बिना तेल के छिलके बीज समेत बिना किसी नमक मसाले के उबाल देते थे,परसते समय नमक अलग से दिया जाता था, कचौड़ी मतलब आटे के पेड़ों को तल दिया जाता था,बहुत कड़ी होती थी,रात भर कोई स्पेशलिस्ट रिश्तेदार धोती पहन कर उघाड़े बदन पूड़ी कचौड़ी तलते थे,गांव के लड़के आटा गूंथते थे और घर की महिलाएं और अड़ोस पड़ोस की लड़कियां महिलाएं पूड़ी कचौड़ी बेलती थी,बाद में बांस के काफी बड़े टोकरों में चारों तरफ पत्तल लगाकर पूड़ी कचौड़ी पैक कर दी जाती थी जो घंटों तक गर्म रहती थी
और पीसी हुई चीनी,साथ में आम और सूखी मिर्च का गुड का अचार,कभी परवल या कटहल की सब्जी होती थी जिसे रेसेदार सब्जी बोलते थे,बाद में बोलते थे बहुत आइटम था,आइटम पर आइटम गांज दे रहा था,कितना खाते फिर भी तेरह कचौड़ी खाए
दूसरे दिन सुबह समोसे पकौड़े जलेबी लड्डू नमकीन चलता था,दोपहर में कच्चा भोजन जिसमे चावल के साथ घी डाली दाल और कुछ सूखी सब्जी अचार,और लड्डू
फिर रात के खाने में वो ही कचौड़ी पूड़ी सब्जी
अरारूट में शक्कर डालकर उबाल देते थे,पतला सा चावल के माड़ की तरह दिखता था जिसे तसमई कहते थे,उसके साथ सब पूड़ी झोरते थे,पूड़ी को सोहारी कहते थे,फिर तीसरे दिन सुबह पकौड़े जलेबी वगैरह खाकर विदाई होती थी

उस समय बराती के साथ दूल्हा भी जमीन पर बैठकर दोना पत्तल पर खाता था,दूल्हा लखनऊ जयपुर में पढ़ा था क्योंकि उसके पिता सरकारी महकमे में काम करते थे, उपरी कमाई वाली पोस्ट थी ,पक्का घर बनवाए थे गांव पवस्त में सबसे बड़ा,
दूल्हा भी दिल्ली में अच्छी नौकरी करता था, दूल्हे ने कहा बिना चम्मच के वो खाना नहीं खा सकता ,उसने कभी खाया ही नहीं था,इस बात पर एक हलचल एक संकट उत्पन्न हो गया, चम्मच घर में था ही नहीं,पीतल के बर्तन हांडी थाली कटोरी कड़छुल थे,चम्मच नहीं था जिसे चिम्मच कहते थे,बुजुर्ग हाथ जोड़कर दूल्हे के सामने खड़े हो गए,कोई पैर छूने की कोशिश करने लगा,मेहमान जी नाराज मत होइए,खा लीजिए,हम लड़की दे रहे हैं आपके सेवक हैं,आप बड़े हम छोटे हैं,जो कमी होगी सब पूरा करेंगे,बोलकर रोने लगे,सब लड़के चुपचाप दुल्हे का मुंह देखने लगे, चिम्मच से खाता है लड़का,मजाक हंसी की बात थोड़ी है,लडकिया दूर से दूल्हे की सूरत देखने लगी, हे बाबा, जीजा तो चिम्मच से खाते हैं,अब अंजू जीजी का क्या होगा,कैसे रहेगी चिम्मच से खाने वाले लड़के के साथ,
बेइज्जत हो जाने का खतरा पैदा हो गया
कुछ बच्चों को पड़ोस के घरों में दौड़ाया गया शायद किसी के घर हो चम्मच
घर के अंदर औरतें परेशान क्या करें,कोई कहने लगी और ढूंढो शहराती लड़का,लड़की की अम्मा जो पहले ही परेशान थी धम्म करके आंगन में बैठकर रोने लगी,अब क्या होगा, हे देवी मईया किरपा करो,रोट चढ़ाऊंगी हे माई,का होगा मेरी इस अभागी लड़की का,बिसेसरा के बाबू इतना इंतजाम किए दिल्ली वाला लड़का ढूंढे तो चम्मच काहे भी नहीं खरीद लिए
तब तक बिसेसर की बहू आई झिझकते हुए
नई बहू थी जो आठवी पास थी बहुत तेज सुंदर सुघड़ लेकिन सास से डरती थी,जैसे हिरणी की किसी बाघिन को देखते ही सिट्टीपिट्टी गुम हो जाती है
उसने अपनी सास के कान में कुछ कहा सास हंसने लगी खुश होकर,
वो बहू बचपन में एक बार अपने मामा के घर कलकत्ता भी गई थी उसको सब शहर का कायदा पता था,वो अपने गहनों के साथ पेटी में छै चिम्मच रखी थी छिपाकर,उसकी मामी ने शादी में दिया था,एक छोटी लड़की फौरन छै चिम्मच लेकर काफी रफ्तार से दौड़ी जैसे ओलिंपिक मशाल लेकर खिलाड़ी दौड़ते हैं गर्व के साथ,उसके साथ मनोबल बढ़ाने के लिए कुछ छोटी बच्चियों भी दौड़ने लगी
बस चिम्मच पहुंचा, दूल्हे ने भी खाया,और लोगों को भी दिए चिम्मच,एक मांग रहे थे अब छै लो,बाबू हम लोग देहाती भुच्च होंगे,हमारी अमरिया वाली बहू मिडल पास है,बहुत तेज है शहर में ममवा के घर रही है, खड़ी हिंदी बोलती है जैसे सब सलीमा रेडियो वाले बोलते हैं,कितना चिम्मच चाहिए अब बोलो,पल भर में बोझल तनाव से भरे लम्हे खुशी में बदल गए,बिसेसर की बहुरिया गांव भर में विख्यात हो गई,ये है बहू,सास ससुर की इज्जत बचा ली,बहुत होशियार है, जुग जुग जिए
लड़के मुंह खोले दूल्हे को चिम्मच से खाते देखते रहे,लडकिया दूर से देख रही थी चिम्मच वाले दूल्हे को,बोल रही थी अंजू जीजी का दूल्हा बहुत स्टाइल वाला है,
लड़की की बूढ़ी दादी भी पोपले मुंह से बोली"अंत भला तो सब भला" 😀
साभार
Amitabh Shukla जी
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गहनों का वैज्ञानिक महत्व....औरतों का शरीर और मन पुरुषों की अपेक्षा कोमल, संवेदनशील माना गया है. औरतों के शरीर में हारमों...
23/04/2025

गहनों का वैज्ञानिक महत्व....

औरतों का शरीर और मन पुरुषों की अपेक्षा कोमल, संवेदनशील माना गया है. औरतों के शरीर में हारमोंस के उतार चढाव का शरीर और मन, विचारों पर काफी प्रभाव होता है. घर परिवार की जिम्मेदारियों की बात की जाय तो औरतें तन-मन से समर्पित रहती है...ऐसे में प्राचीन ऋषियों ने कुछ ऐसे उपकरण बनाये जिससे औरतों के मन और स्वास्थ्य की रक्षा हो सके. प्रचलन में बढ़ने पर इनको सुन्दर गहनों का रूप मिलने लगा और यह नियमपूर्वक पहने जाने लगे... सोने के गहने गर्मी और चांदी के गहने ठंडी का असर शरीर में पैदा करते हैं. कमर के ऊपर के अंगों में सोने के गहने और कमर से नीचे के अंग में चांदी के आभूषण पहनने चाहिए. यह नियम शरीर में गर्मी और शीतलता का संतुलन बनाये रखता है..

1. चूड़ी पहनने के फायदे

चूड़ी कलाई की त्वचा से घर्षण करके हाथों में रक्त संचार बढाती है. यह घर्षण ऊर्जा भी पैदा करता है जोकि थकान को जल्दी हावी नहीं होने देता..कलाई में गहने पहनने से श्वास रोग, ह्रदय रोग की सम्भावना घटती है. चूड़ी मानसिक संतुलन बनाने में सहायक है चटकी हुई या दरार पड़ी हुई चूड़ियाँ नहीं पहननी चाहिए. इससे नकारात्मक ऊर्जा बढती है.. लाल रंग और हरे रंग की चूड़ियाँ सबसे अच्छे असर वाली मानी जाती हैं.

2. बिछिया पहनने के फायदे

विवाहित महिलाएं पैरो में बीच की 3 उँगलियों में बिछिया पहनती है. यह गहना सिर्फ साज-श्रृंगार की वस्तु नही है.. दोनों पैरों में बिछिया पहनने से महिलाओं का हार्मोनल सिस्टम सही रूप से कार्य करता है, बिछिया पहनने से थाइराइड की संभावना कम हो जाती है... बिछिया एक्यूप्रेशर उपचार पद्दति पर कार्य करती है जिससे शरीर के निचले अंगों के तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां सबल रहती हैं... बिछिया एक खास नस पर प्रेशर बनाती है जोकि गर्भाशय में समुचित रक्तसंचार प्रवहित करती है. इस प्रकार बिछिया औरतों की गर्भधारण क्षमता को स्वस्थ रखती है... मछली की आकार की बिछिया सबसे असरदार मानी जाती है. मछली का आकार मतलब बीच में गोलाकार और आगे पीछे कुछ नोकदार सी.

3. पायल पहनने के फायदे

पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है...पायल महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा (फैट) बढ़ने की गति को रोकती है... वास्तु के अनुसार पायल की छनक निगेटिव ऊर्जा को दूर करती है...चांदी की पायल पैरो से घर्षण करके पैरों की हड्डियाँ मजबूत बनाती हैं.. पैर में पायल पहनने से महिला की इच्छा-शक्ति मजबूत होती है.जिससे औरतें अपने स्वास्थ्य की चिंता किये बिना पूरी लगन से परिवार के भरण-पोषण में जुटी रहती हैं.. पैरों में हमेशा चांदी की पायल पहने. सोने की पायल शारीरिक गर्मी का संतुलन खराब करके रोग उत्पन्न कर सकती हैं

4. अंगूठी पहनने के फायदे

अँगूठी ऊर्जा के विकास, मानसिक तनाव दूर करने, जननेन्द्रिय पर नियंत्रण पाने, कामवासना पर नियंत्रण रखने और पाचनतंत्र को मजबूत बनाने हेतु मिलावटरहित सोने की अँगूठी पहनी जाती है । विभिन्न धातुओं की अँगूठी का शरीर पर अलग- अलग प्रभाव पड़ता है, ऐसे ही अलग-अलग रत्नों (नगों) का भी अपना अलग-अलग प्रभाव होता है

5. कर्ण-कुंडल पहनने के फायदे

कर्ण-कुंडल भारतीय संस्कृति कर्ण-छेदन का भी एक विशेष महत्त्व है । चिकित्सकों और भारतीय दर्शनशास्त्रियों का मानना है कि कर्णछेदन से बुद्धिशक्ति, विचारशक्ति और निर्णयशक्ति का विकास होता है । वाणी के व्यय से जीवनशक्ति का ह्रास होता है । कर्णछेदन से वाणी के संयम में सहायता मिलती है इससे उच्छृंखलता नियंत्रित होती है और कर्णनलिका दोषरहित बनती है । यह विचार पाश्चात्य जगत के लोगों को भी जँचा और वहाँ आज फैशन के रूप में कर्णछेदन कराकर कुंडल पहने जाते हैं ।

6. करधनी पहनने के फायदे

करधनी यह मूलाधार केन्द्र को जागृत करके किडनी और मूत्राशय की कार्यक्षमता को बढ़ाती है तथा कमर आदि के दर्दों में राहत देती है..

Beauty Highlighting

22/03/2025

जिन्हें देख कर तुम्हारे मुँह से अरे बिहारी है निकलता है,
वही बिहारी तुम्हारे राज्य मे जिला अधिकारी भी होते है..❤️🔥

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