ASP—Analysis of Society and Politics

ASP—Analysis of Society and Politics ASP—Analysis of Society and Politics.The aim of this page is to present an in-depth analysis of th

25/03/2025
25/03/2025

बहुत जल्दी ही कोलेजियम सिस्टम की वाट लगनेवाली है !
कहते हैं ना की जब पाप का घड़ा भरता है तभी फुटता है !!

22/11/2024

देश के मूर्द्यन्य उद्योगपति पर जॉर्ज सोरेस और अमेरिका द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से हो रहे हमले क्यों ???
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आपको मालूम होगा कि दुनिया के टॉप टेन उद्योगपतियों में नौ सर्फ अमेरिका से हैं !
एक चाइना का जेक मां था जो ना जाने कहाँ खो गया है !!!! ये हम सबों को समझना चाहिए कि राष्ट्र सिर्फ़ भूभाग मात्र नहीं होता ! राष्ट्र का चरित्र उसके निवासियों से तय होता है । आज अमेरिका इस लिये नंबर वन है क्योंकि उन्होंने दुनिया के बेस्ट ब्रेन को अपने यहाँ जगह दिया है । अपना देश हिंदुस्तान इसलिए पीछे है क्योंकि हम अपने ही उधोगपतियों को पतित समझते हैं , आज यदि अंबानी और अड़ानी अमेरिका में रहते तो आज आम भारतीय भी उनका गुण गान करने से नहीं थकते !!
ख़ैर अभी मूल बातों पर आते हैं —- आज बार बार गौतम अड़ानी पर अमेरिका से क्यों हमला हो रहा है ??? इसका मूल कारण ये है कि अड़ानी बहुत तेज़ी से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में छा रहा है !
यदि अदानीं जैसे दो - चार और हो जाएँ तो अमेरिकी बादशाहत को ख़त्म होते देर नहीं लगेगा !!
अमेरिकन कभी नहीं चाहेगा कि दुनिया से उसकी बादशाहत ख़त्म हो , इसलिए वो चुनौती देने वाले किसी देश या व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं कर सकता !इसलिए अड़ानी के स्टॉक को गिराने के लिए ये सारे षड्यंत्र में अमेरिकन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहता रहा है ।
और दुर्भाग्य ये है कि इसी में कुछ भटके हुए वामपंथी और सड़क छाप विचारक देश विरोधी एनजीओ के ताल पर कीर्तन करते रहते हैं !
याद रखिए यदि आप देशी उद्योग पतियों को विरोध राजनीतिक दल की तरह करते हैं तो आप सबसे बड़े देश द्रोही हैं ।।

01/11/2024
05/09/2024

ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र की तरह क्लास वन , टू , थ्री और फोर्थ ग्रेड एम्प्लोयी भी तो नहीं !!!

04/09/2024

PK की राजनीति और रणनीति
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सबसे पहले तो ये बता दें कि पीके राजनीतिक रूप से चर्चा में तो आ ही गए है ।
उन्हें बहुतेरे लोगों का समर्थन मिले ना मिले लेकिन उत्सुकता और कोतुहल तो पैदा हो ही गया है ।
राजनीतिक रूप से वंचित लोगों के लिए बहुत बड़ी वेकेंसी लेकर मैदान में कूद गए हैं पीके!
साथ ही विभिन्न दलों के वंचित उम्मीदवार को भी अपनी संभावना जन सूरज में दिखने लगा है ।
ज्यों ज्यों समय बीतेगा कुछ पॉजिटिव हो ना हो नेगेटिव तो ज़रूर देखने को मिलेगा , क्योंकि विभिन्न पार्टी से नकारे और छँटे हुए लोगों के कारण पीके को ज़्यादा नुक़सान होगा जैसे पवनसिंह या इनकी पत्नी को पार्टी में शामिल कर टिकट देने से !!( पवन सिंह जैसों के शामिल करने से स्वर्ण मानसिकता वाला इनका छुपा हुआ एजेंडा उजागर हो जाएगा )
पीके के पार्टी जन सुराज का पहला उद्देश्य होगा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में चार प्रतिशत वोट लाकर अपनी पार्टी को क्षेत्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दिलवाना । जिसमें वो सफल होंगे ।
दूसरा छुपा हुआ एजेंडा ये होगा कि जितने से ज़्यादा हराने की भूमिका अदा करना ! ये बात आप ऐसे समझिए कि विगत लोकसभा चुनाव 2024 में राजद ने बेशक कम सिट जीता लेकिन वो अपनी स्ट्रेटजी के कारण छाए रहे ! ठीक वहीं फार्मूला पीके भी आज़माने जा रहे हैं ।
आप देख लीजिएगा जन सुराज अगड़ों को ज़्यादा टिकट देने की एनडीए वाली गलती नहीं दुहराएँगे !
उनको मार्केटिंग का फ़ंडा पता है , जिसका ग्राहक और डिमांड होगा ,वहीं चलेगा ! इसलिए पिछड़ों दलितों और मुसलमानों पर ज़ोर रहेगा । ताकि ये बहुसंख्यक वोट बैंक उन तक खींचा चला आए !!
इसका दूरगामी परिणाम ये होगा कि पिछड़े , दलित और मुसलमान सब हारेंगे लेकिन जन सुराज से बहुतों को जोड़ देंगे ।
फिर क्या होगा ??????
इसका जवाब ही लाख टके का है !!
हारे हुए लोग अगली बार दावेदारी की स्थिति में बहुत कम होंगे , फिर प्रशांत किशोर की पार्टी 2029 के विधानसभा के चुनाव में फॉरवर्ड को टिकट वैसे ही देगी जैसे कांग्रेस करती आई है !!
इसको समझिए !!
आज राहुल गांधी का कांग्रेस पिछड़ ,दलित की बात गला फाड़ फाड़ कर कर रही है , कोई कांग्रेसियों से पूछे की जब वो सत्ता में थे तो पीछड़े लोग उनकी पार्टी में कहा थे ???
काका कालेकर से लेकर मण्डल कमीशन तक। कांग्रेस का रवैया क्या था ?कितने पिछड़े और दलितों को उन्होंने डायरेक्टर , चेयरमैन और पदेन पद दिया था ??
आज वो वह सब कर रही है जो उन्हें सत्ता में रहते करना था !
ठीक इसका उलट जन सुराज करने जा रहा है , आज पीके पिछड़ों दलितों और मुसलमानों को ललचा ललचा कर अपने पास ला रही है लेकिन जब कभी ये सत्ता में आएँगे ( जिसकी संभावना नगण्य है ) तो ये पिछड़ो से पीछा छुड़ा लेंगे !
आज इनकी पार्टी एनडीए के कोर वोटर को नहीं खींच पाएगी , हाँ ये कोर वोटर की जाति के उम्मीदवारी को ज़रूर जोड़ लेगा ! ये मूल रूप से राजद के वोट को तोड़ेंगे , विशेषकर मुसलमानों को ।
जिसका सीधा नुक़सान राजद को होगा , यदि ये पाँच प्रतिशत मुसलमान को तोड़ने में कामयाब हो गए तो और पाँच प्रतिशत लोगों में भगदड़ मचना तय है । इस प्रकार लालू - तेजस्वी की पार्टी को अच्छा खासा नुक़सान होगा ।
और इसका सीधा फ़ायदा एनडीए को मिलेगा ।
निष्कर्ष ये है कि जन सुराज जीत पाए या ना जीत पाए लेकिन विभिन्न पार्टी के उम्मीदवारों को हराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रहा है ।
पीके का दुर्भाग्य ये है कि वो बिहार में पैदा लिए हैं , जहां हर चौक - चौराहे पर आपको पीके ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मिल जाएगा , ।
और बिहार की ज़रूरत से ज़्यादा जागरूक जनता के बारे में क्या कहा जाए !!!!!!जो मोदी जी की बातों पर भी वोट नहीं देता है , क्या वो पीके के कहने पर वोट करेगा ???
याद रखिए मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ने देश के ज़्यादातर हिंसो को जीतने का काम किया लेकिन ये बिहार आकर फेल हो गए ।।।
जानते हैं क्यों ???वो इसलिए कि बिहार शुरू से ही ( मौर्यान काल से ही ) मूल निवासियों के हाथों में रहा है , यदि भाजपा कांग्रेस से नए नए हिंदू बने नेताओं की जगह वासताविक् लोगों के हाथ में पार्टी सौंप दे तो शायद मोदी जी के रहते हुए भी भाजपा बिहार के सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हो सकती है ।
लेकिन भाजपा का बहुत बड़ा वर्ग ये नहीं होने देगा भले ही भाजपा और कई साल सत्ता में ना आए ।
पीके भाजपा के लिए दूसरा ओवेशी साबित होने जा रहा है !
कुल मिलाकर प्रशांत किशोर हलचल पैदा करने के सिवा और कुछ नहीं कर पाएँगे ।
ये पुष्पम प्रिया चौधरी का मेल वर्जन है जो अपने स्ट्रैटेजी और कोहनी में गुड लगाने के हुनर के बल पर थोड़ा कमाल नहीं करेंगे बल्कि कमल खिलाने में मदद करेंगे ।
निष्कर्ष ये कि एक करोड़ लोगों को सदस्यता के साथ शुरू होनेवाला पार्टी कभी भी एक करोड़ वोट बिहार में नहीं ला पाएगी , ठीक वैसे ही चार सो पार के नारों जैसा !इसका मतलब ये नहीं है कि पीके की पार्टी को सिट नहीं मिलेगा !! सिट मिलेगा वैसे लोगों की वजह से जो ख़ुद निर्दलीय भी चुनाव जीतने का मादा रखते हैं !!!

04/09/2024

PK की राजनीति और रणनीति
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सबसे पहले तो ये बता दें कि पीके राजनीतिक रूप से चर्चा में तो आ ही गए है ।
उन्हें बहुतेरे लोगों का समर्थन मिले ना मिले लेकिन उत्सुकता और कोतुहल तो पैदा हो ही गया है ।
राजनीतिक रूप से वंचित लोगों के लिए बहुत बड़ी वेकेंसी लेकर मैदान में कूद गए हैं पीके!
साथ ही विभिन्न दलों के वंचित उम्मीदवार को भी अपनी संभावना जन सूरज में दिखने लगा है ।
ज्यों ज्यों समय बीतेगा कुछ पॉजिटिव हो ना हो नेगेटिव तो ज़रूर देखने को मिलेगा , क्योंकि विभिन्न पार्टी से नकारे और छँटे हुए लोगों के कारण पीके को ज़्यादा नुक़सान होगा जैसे पवनसिंह या इनकी पत्नी को पार्टी में शामिल कर टिकट देने से !!( पवन सिंह जैसों के शामिल करने से स्वर्ण मानसिकता वाला इनका छुपा हुआ एजेंडा उजागर हो जाएगा )
पीके के पार्टी जन सुराज का पहला उद्देश्य होगा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में चार प्रतिशत वोट लाकर अपनी पार्टी को क्षेत्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दिलवाना । जिसमें वो सफल होंगे ।
दूसरा छुपा हुआ एजेंडा ये होगा कि जितने से ज़्यादा हराने की भूमिका अदा करना ! ये बात आप ऐसे समझिए कि विगत लोकसभा चुनाव 2024 में राजद ने बेशक कम सिट जीता लेकिन वो अपनी स्ट्रेटजी के कारण छाए रहे ! ठीक वहीं फार्मूला पीके भी आज़माने जा रहे हैं ।
आप देख लीजिएगा जन सुराज अगड़ों को ज़्यादा टिकट देने की एनडीए वाली गलती नहीं दुहराएँगे !
उनको मार्केटिंग का फ़ंडा पता है , जिसका ग्राहक और डिमांड होगा ,वहीं चलेगा ! इसलिए पिछड़ों दलितों और मुसलमानों पर ज़ोर रहेगा । ताकि ये बहुसंख्यक वोट बैंक उन तक खींचा चला आए !!
इसका दूरगामी परिणाम ये होगा कि पिछड़े , दलित और मुसलमान सब हारेंगे लेकिन जन सुराज से बहुतों को जोड़ देंगे ।
फिर क्या होगा ??????
इसका जवाब ही लाख टके का है !!
हारे हुए लोग अगली बार दावेदारी की स्थिति में बहुत कम होंगे , फिर प्रशांत किशोर की पार्टी 2029 के विधानसभा के चुनाव में फॉरवर्ड को टिकट वैसे ही देगी जैसे कांग्रेस करती आई है !!
इसको समझिए !!
आज राहुल गांधी का कांग्रेस पिछड़ ,दलित की बात गला फाड़ फाड़ कर कर रही है , कोई कांग्रेसियों से पूछे की जब वो सत्ता में थे तो पीछड़े लोग उनकी पार्टी में कहा थे ???
काका कालेकर से लेकर मण्डल कमीशन तक। कांग्रेस का रवैया क्या था ?कितने पिछड़े और दलितों को उन्होंने डायरेक्टर , चेयरमैन और पदेन पद दिया था ??
आज वो वह सब कर रही है जो उन्हें सत्ता में रहते करना था !
ठीक इसका उलट जन सुराज करने जा रहा है , आज पीके पिछड़ों दलितों और मुसलमानों को ललचा ललचा कर अपने पास ला रही है लेकिन जब कभी ये सत्ता में आएँगे ( जिसकी संभावना नगण्य है ) तो ये पिछड़ो से पीछा छुड़ा लेंगे !
आज इनकी पार्टी एनडीए के कोर वोटर को नहीं खींच पाएगी , हाँ ये कोर वोटर की जाति के उम्मीदवारी को ज़रूर जोड़ लेगा ! ये मूल रूप से राजद के वोट को तोड़ेंगे , विशेषकर मुसलमानों को ।
जिसका सीधा नुक़सान राजद को होगा , यदि ये पाँच प्रतिशत मुसलमान को तोड़ने में कामयाब हो गए तो और पाँच प्रतिशत लोगों में भगदड़ मचना तय है । इस प्रकार लालू - तेजस्वी की पार्टी को अच्छा खासा नुक़सान होगा ।
और इसका सीधा फ़ायदा एनडीए को मिलेगा ।
निष्कर्ष ये है कि जन सुराज जीत पाए या ना जीत पाए लेकिन विभिन्न पार्टी के उम्मीदवारों को हराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रहा है ।
पीके का दुर्भाग्य ये है कि वो बिहार में पैदा लिए हैं , जहां हर चौक - चौराहे पर आपको पीके ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मिल जाएगा , ।
और बिहार की ज़रूरत से ज़्यादा जागरूक जनता के बारे में क्या कहा जाए !!!!!!! जो मोदी जी की बातों पर भी वोट नहीं देता है , क्या वो पीके के कहने पर वोट करेगा ???
याद रखिए मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ने देश के ज़्यादातर हिंसो को जीतने का काम किया लेकिन ये बिहार आकर फेल हो गए ।।।
जानते हैं क्यों ???वो इसलिए कि बिहार शुरू से ही ( मौर्यान काल से ही ) मूल निवासियों के हाथों में रहा है , यदि भाजपा कांग्रेस से नए नए हिंदू बने नेताओं की जगह वासताविक् लोगों के हाथ में पार्टी सौंप दे तो शायद मोदी जी के रहते हुए भी भाजपा बिहार के सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हो सकती है ।
लेकिन भाजपा का बहुत बड़ा वर्ग ये नहीं होने देगा भले ही भाजपा और कई साल सत्ता में ना आए ।
पीके भाजपा के लिए दूसरा ओवेशी साबित होने जा रहा है !
कुल मिलाकर प्रशांत किशोर हलचल पैदा करने के सिवा और कुछ नहीं कर पाएँगे ।
ये पुष्पम प्रिया चौधरी का मेल वर्जन है जो अपने स्ट्रैटेजी और कोहनी में गुड लगाने के हुनर के बल पर थोड़ा कमाल नहीं करेंगे बल्कि कमल खिलाने में मदद करेंगे ।
निष्कर्ष ये कि एक करोड़ लोगों को सदस्यता के साथ शुरू होनेवाला पार्टी कभी भी एक करोड़ वोट बिहार में नहीं ला पाएगी , ठीक वैसे ही चार सो पार के नारों जैसा !इसका मतलब ये नहीं है कि पीके की पार्टी को सिट नहीं मिलेगा !! सिट मिलेगा वैसे लोगों की वजह से जो ख़ुद निर्दलीय भी चुनाव जीतने का मादा रखते हैं !!!

05/06/2024

मोदी जी नहीं हारे हैं बल्कि गुटों और जातियों में बँटा मोदी के समर्थक हारे हैं ।

03/06/2024

झारखंड के चौदह सीटों में ग्यारह सीटों पर एनडीए का विजय पताका फहरनेवाला है !!

03/06/2024

बिहार के वर्तमान राजनीति में लालू जी की भूमिका ???
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लालू जी के ज़िंदगी की शाम है इसलिए अब वे दो हज़ार चॉबीस के चुनाव में मुर्ग़ा लड़ा कर अपना मनोरंजन कर रहे हैं ।
उन्हें अपने MY समीकरण के दरकने का एहसास है इसलिए वो रिलैक्स मूड में है ।
मुर्ग़ा लड़ना शायद आप समझते होंगे !!!विगत २०१९ के चुनाव में सभी लोक सभा सीटों पर उनके पार्टी का करारी हार हुआ था ।
इस बार भी कमोबेश वही स्थिति होता यदि वे एनडीए के कोर वोटर की जाति को एक दूसरे से नहीं लड़ाते तो !!!
इसलिए लालू जी ने कुशवाहा समाज से सात उम्मीदवार इंडिया गठबंधन से दिया ,कुशवाहा उम्मीदवार को लालू जी के स्वजाति कोर वोटर भी भले ही दिल खोलकर साथ ना दे लेकिन दिखावे के तौर पर तो टक्कर में ला ही दिये हैं ।
वहीं वैशाली में अपने प्रतिद्वंदी भूमिहार जाति को टिकट दे कर ज़बरदस्त सिर फूटट्वल की स्थिति पैदा कर दिया है ।
वैशाली में कभी पिछड़ों और यादवों के साथ भूमिहारों का छत्तीस का आँकड़ा हुआ करता था लेकिन आज दोनों गलबहियाँ डाले एनडीए के राजपूत उम्मीदवार के विरुद्ध मतदान कर रहे हैं !
लेकिन आप याद रखियेगा वैशाली में मुन्ना शुक्ला एनडीए के चिराग़ पासवान के उम्मीदवार से कभी नहीं जीत पाएँगे ।
ठीक वैसे ही मोतिहारी में आरजेडी के सहयोगी वीआईपी के उम्मीदवार डॉ कुशवाहा भी बीजेपी के राधा मोहन सिंह जी से चुनाव हार जाएँगे ।
नवाडा और ओरेंगाबाद की भी कमोबेश यही स्थिति रहेगी ,जहां श्रवण कुशवाह उम्मीदवार हैं ।
सही बात कहें तो इस बार लालू जी कम से कम चार से पाँच सीट आराम से निकाल सकते थे ,लेकिन उनकी बदक़िस्मत कहिए या आधा अधूरा प्रयास की वो सब के सब सीट हार रहे हैं ।
यदि पूर्णिया में वो कांग्रेस के पप्पू यादव को सिट दे देते तो आमने सामने के मुक़ाबले में संतोष कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ता ।
ठीक इसी तरह यदि नवादा में राजद अपने स्वजाति के विद्रोही उम्मीदवार पर लगाम लगवा पाते तो बीजेपी के विवेक ठाकुर के विरुद्ध लालू जी के कुशवाहा उम्मीदवारी आराम से जीत जाते ।
यही स्थिति ओरांगाबाद में भी दिख रहा है ।
यद्धापि उजियारपुर कुशवाहा बहुल सिट होने के कारण आलोक मेहता का जितना आसान था लेकिन वहाँ के भी यादवों ने “चुपे चाप “ नित्यानन्द राय के पक्ष में ज़्यादातर वोट करना बेहतर समझा ।
ख़ैर मैंने पहले ही कहा कि स्वास्थ्य वजहों से या फिर उम्र का तक़ाज़ा कहिए लालू जी अब उतना सक्रिय नहीं है जितना कभी वे रहा करते थे ।
नब्बे का दशक याद कीजिए ??जब लालू जी भी मोदी जी की तरह फुल
टाइम पॉलिटिक्स किया करते थे !
ख़ैर इस बार के चुनाव में एनडीए को ज़बरदस्त टक्कर देकर वो हार कर भी जीत गए हैं
क्योंकि उनकी प्रासंगिकता अब अपोजिशन से ज़्यादा सत्ता के पोजीशन वालों के लिए है ।
आज यदि स्म्राट चौधरी नीतीश कुमार आदि आदि लोग को बीजेपी इग्नोर नहीं कर पा रही है तो इसमें लालू जी का भय कहीं ना कहीं ज़रूर है !
लालू जी पिछड़ों का वो शेर है जो बूढ़ा होकर भी जवान है 😊😊😊
क्योंकि उनका भय आज भी अगाड़ी जातियों में उतना ही है जितना नब्बे के दशक में हुआ करता था ।

02/06/2024

खगड़िया लोकसभा २४
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फिफ्टी परसेंट कुशवाहों का एनडीए के राजेश वर्मा को वोट देना और फिफ्टी परसेंट यादवों का इंडिया गठबंधन के संजय कुशवाह को वोट नहीं देना ही एनडीए उम्मीदवार राजेश वर्मा के जीत का मूल कारण है ! यही अंतर चिराग़ के उम्मीदवार के जीत का मूल कारण है जो लगभग डेढ़ से दो लाख के मतों का होता है ।

02/06/2024

लोकसभा चुनाव 24
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चिराग़ के पाँच में से पाँचों (चिराग़ सहित )उम्मीदवार चुनाव जीत रहे हैं ।

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