04/09/2024
PK की राजनीति और रणनीति
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सबसे पहले तो ये बता दें कि पीके राजनीतिक रूप से चर्चा में तो आ ही गए है ।
उन्हें बहुतेरे लोगों का समर्थन मिले ना मिले लेकिन उत्सुकता और कोतुहल तो पैदा हो ही गया है ।
राजनीतिक रूप से वंचित लोगों के लिए बहुत बड़ी वेकेंसी लेकर मैदान में कूद गए हैं पीके!
साथ ही विभिन्न दलों के वंचित उम्मीदवार को भी अपनी संभावना जन सूरज में दिखने लगा है ।
ज्यों ज्यों समय बीतेगा कुछ पॉजिटिव हो ना हो नेगेटिव तो ज़रूर देखने को मिलेगा , क्योंकि विभिन्न पार्टी से नकारे और छँटे हुए लोगों के कारण पीके को ज़्यादा नुक़सान होगा जैसे पवनसिंह या इनकी पत्नी को पार्टी में शामिल कर टिकट देने से !!( पवन सिंह जैसों के शामिल करने से स्वर्ण मानसिकता वाला इनका छुपा हुआ एजेंडा उजागर हो जाएगा )
पीके के पार्टी जन सुराज का पहला उद्देश्य होगा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में चार प्रतिशत वोट लाकर अपनी पार्टी को क्षेत्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दिलवाना । जिसमें वो सफल होंगे ।
दूसरा छुपा हुआ एजेंडा ये होगा कि जितने से ज़्यादा हराने की भूमिका अदा करना ! ये बात आप ऐसे समझिए कि विगत लोकसभा चुनाव 2024 में राजद ने बेशक कम सिट जीता लेकिन वो अपनी स्ट्रेटजी के कारण छाए रहे ! ठीक वहीं फार्मूला पीके भी आज़माने जा रहे हैं ।
आप देख लीजिएगा जन सुराज अगड़ों को ज़्यादा टिकट देने की एनडीए वाली गलती नहीं दुहराएँगे !
उनको मार्केटिंग का फ़ंडा पता है , जिसका ग्राहक और डिमांड होगा ,वहीं चलेगा ! इसलिए पिछड़ों दलितों और मुसलमानों पर ज़ोर रहेगा । ताकि ये बहुसंख्यक वोट बैंक उन तक खींचा चला आए !!
इसका दूरगामी परिणाम ये होगा कि पिछड़े , दलित और मुसलमान सब हारेंगे लेकिन जन सुराज से बहुतों को जोड़ देंगे ।
फिर क्या होगा ??????
इसका जवाब ही लाख टके का है !!
हारे हुए लोग अगली बार दावेदारी की स्थिति में बहुत कम होंगे , फिर प्रशांत किशोर की पार्टी 2029 के विधानसभा के चुनाव में फॉरवर्ड को टिकट वैसे ही देगी जैसे कांग्रेस करती आई है !!
इसको समझिए !!
आज राहुल गांधी का कांग्रेस पिछड़ ,दलित की बात गला फाड़ फाड़ कर कर रही है , कोई कांग्रेसियों से पूछे की जब वो सत्ता में थे तो पीछड़े लोग उनकी पार्टी में कहा थे ???
काका कालेकर से लेकर मण्डल कमीशन तक। कांग्रेस का रवैया क्या था ?कितने पिछड़े और दलितों को उन्होंने डायरेक्टर , चेयरमैन और पदेन पद दिया था ??
आज वो वह सब कर रही है जो उन्हें सत्ता में रहते करना था !
ठीक इसका उलट जन सुराज करने जा रहा है , आज पीके पिछड़ों दलितों और मुसलमानों को ललचा ललचा कर अपने पास ला रही है लेकिन जब कभी ये सत्ता में आएँगे ( जिसकी संभावना नगण्य है ) तो ये पिछड़ो से पीछा छुड़ा लेंगे !
आज इनकी पार्टी एनडीए के कोर वोटर को नहीं खींच पाएगी , हाँ ये कोर वोटर की जाति के उम्मीदवारी को ज़रूर जोड़ लेगा ! ये मूल रूप से राजद के वोट को तोड़ेंगे , विशेषकर मुसलमानों को ।
जिसका सीधा नुक़सान राजद को होगा , यदि ये पाँच प्रतिशत मुसलमान को तोड़ने में कामयाब हो गए तो और पाँच प्रतिशत लोगों में भगदड़ मचना तय है । इस प्रकार लालू - तेजस्वी की पार्टी को अच्छा खासा नुक़सान होगा ।
और इसका सीधा फ़ायदा एनडीए को मिलेगा ।
निष्कर्ष ये है कि जन सुराज जीत पाए या ना जीत पाए लेकिन विभिन्न पार्टी के उम्मीदवारों को हराने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रहा है ।
पीके का दुर्भाग्य ये है कि वो बिहार में पैदा लिए हैं , जहां हर चौक - चौराहे पर आपको पीके ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मिल जाएगा , ।
और बिहार की ज़रूरत से ज़्यादा जागरूक जनता के बारे में क्या कहा जाए !!!!!!जो मोदी जी की बातों पर भी वोट नहीं देता है , क्या वो पीके के कहने पर वोट करेगा ???
याद रखिए मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ने देश के ज़्यादातर हिंसो को जीतने का काम किया लेकिन ये बिहार आकर फेल हो गए ।।।
जानते हैं क्यों ???वो इसलिए कि बिहार शुरू से ही ( मौर्यान काल से ही ) मूल निवासियों के हाथों में रहा है , यदि भाजपा कांग्रेस से नए नए हिंदू बने नेताओं की जगह वासताविक् लोगों के हाथ में पार्टी सौंप दे तो शायद मोदी जी के रहते हुए भी भाजपा बिहार के सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हो सकती है ।
लेकिन भाजपा का बहुत बड़ा वर्ग ये नहीं होने देगा भले ही भाजपा और कई साल सत्ता में ना आए ।
पीके भाजपा के लिए दूसरा ओवेशी साबित होने जा रहा है !
कुल मिलाकर प्रशांत किशोर हलचल पैदा करने के सिवा और कुछ नहीं कर पाएँगे ।
ये पुष्पम प्रिया चौधरी का मेल वर्जन है जो अपने स्ट्रैटेजी और कोहनी में गुड लगाने के हुनर के बल पर थोड़ा कमाल नहीं करेंगे बल्कि कमल खिलाने में मदद करेंगे ।
निष्कर्ष ये कि एक करोड़ लोगों को सदस्यता के साथ शुरू होनेवाला पार्टी कभी भी एक करोड़ वोट बिहार में नहीं ला पाएगी , ठीक वैसे ही चार सो पार के नारों जैसा !इसका मतलब ये नहीं है कि पीके की पार्टी को सिट नहीं मिलेगा !! सिट मिलेगा वैसे लोगों की वजह से जो ख़ुद निर्दलीय भी चुनाव जीतने का मादा रखते हैं !!!