19/08/2025
क्या वाकई SIR का फंडा एक्सपोज्ड हो चुका है? बिहार में चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट की 'Special Intensive Revision (SIR)' प्रक्रिया में लाखों नागरिकों के वोट कट दिए हैं। चुनाव आयोग का दावा है कि यह सफाई मृत, दोहरी या स्थानांतरित वोटर्स को हटाने के लिए है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि खास समुदायों की वोटिंग पावर कम करने का प्रयास हो रहा है। क्या यह प्रक्रिया लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर सीधा हमला है? जानिए पूरी सच्चाई, लोगों की परेशानियाँ और यह विवाद आखिर कहां तक पहुंचेगा!"
बिहार में चुनाव आयोग क्या कर रहा है – संक्षिप्त विवरण
बिहार चुनाव आयोग ने Special Intensive Revision (SIR) शुरू की है, जिससे करीब 35-65 लाख वोटर्स का नाम सूची से हटाने का दावा हुआ है।
SIR में वोटरों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है: मृत व्यक्ति, राज्य छोड़ चुके लोग, डुप्लीकेट एंट्री, या अवैध नागरिक—इन सबके नाम हटाए जा रहे हैं।
विपक्ष और कई संगठनों का आरोप है कि इस प्रक्रिया से खासकर मुस्लिम या गरीब तबकों के लोगों के वोट ज्यादा हटाए जा रहे हैं, जिससे उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी कम हो सकती है।
दस्तावेजी प्रूफ का बोझ आम नागरिक के ऊपर आ गया है, जिससे मजदूर, प्रवासी और अशिक्षित लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में भी मामला चल रहा है और कोर्ट ने प्रक्रिया की निष्पक्षता और टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं।
बिहार SIR में वोटरों के कटने का असर आम नागरिक की आवाज, उसकी भागीदारी और पूरे चुनावी माहौल पर पड़ सकता है। क्या यह सिर्फ सफाई है या कुछ और? आपकी राय ज़रूर बतायें!
#देश_की_आवाज़ #डेमोक्रेसी