23/11/2024
एक साल, अनुभवी भजनलाल
हालांकि भाजपा के इस साधारण से कार्यकर्ता को नेता मानने में हम थोड़ी और हिचक दिखा सकते हैं लेकिन चुनावी राजनीति में नेता वही है जो जीतकर आए और जिताकर लाए। संगठन के आदमी रहे भजनलाल शर्मा ने उपचुनाव की कमान संभाली, करीब करीब प्रत्येक सीट पर दो-दो बार खुद गए, अपनी पसंद के प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में पूरी पार्टी को सक्रिय किया, बगावतों को थामने में कामयाबी हासिल की और यहीं से जीत की नींव भी रखी गई। बीजेपी ने खींवसर जैसी उन सीटों को भी जीता है और बड़े मार्जिन से जीता है, जहां लगा करता था कि बीजेपी सिर्फ फ्रेंडली मैच खेलने उतरती है। उन्होंने उन लोगों को बहुत अच्छे से जवाब दे दिया है जो उनकी औकात पूछा करते थे। सत्ता में एक साल पूरा करने जा रहे भजनलाल शर्मा के खुद के राजनीतिक करियर के लिए यह जीत बेहद महत्वपूर्ण है। कोई भी नई लीडरशिप ऐसे ही धीरे-धीरे स्टेबलिश होती है। नई लीडरशिप खड़ी करने और जमाने का साहस बीजेपी करती है। अब भजनलाल शर्मा के पास बतौर मुख्यमंत्री एक साल का अनुभव भी है और उनकी पार्टी की सीटों की संख्या भी बढ़ गई है। ऐसे में अब उनसे उन साहसिक निर्णयों की उम्मीद की जाएगी जो वे शायद लेने में झिझकते हैं। एक होता है नेतृत्व और एक होता है निर्णायक नेतृत्व। महीन सा फर्क ही है दोनों में लेकिन जो नेता इस फर्क को समझते हुए खत्म करने की दिशा में तेजी से काम करे, आगे वही बढ़ेगा। भजनलाल जी अपने कई भाषणों में यह क्लियर कर देते हैं आमतौर पर कि वे अभी भी जमीन को पकड़े हुए हैं और उन्हें पता है कि फिलहाल जो चारों ओर जय जयकार करने वाले हैं, वे सिर्फ उनके वर्तमान पद के कारण हैं। यह एक अच्छी बात है।
उम्मीद करते हैं कि उपचुनाव की जीत के बाद अब एक नए और निर्णायक भजनलाल शर्मा सामने आएंगे। शुभकामनाएं...