20/03/2025
सही खानपान का सहज तरीका
इंटरमिटेंट फास्टिंग: सही या नहीं?
इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) हाल के वर्षों में लोकप्रिय हुआ है। लेकिन क्या यह वास्तव में सभी के लिए फायदेमंद है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग तब कारगर होती है जब इसे सही तरीके से अपनाया जाए। यदि आपका शरीर लंबे समय तक बिना भोजन के रहने का आदी नहीं है, तो यह आपके मेटाबॉलिज्म पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
यदि आप दिनभर सक्रिय रहते हैं और शारीरिक श्रम करते हैं, तो लंबे समय तक भूखे रहना आपके एनर्जी लेवल को कम कर सकता है।
महिलाओं के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती है।
सही तरीका यह है कि अपने शरीर की सुनें, और भूख लगने पर संतुलित आहार लें, बजाय जबरदस्ती भूखा रहने के।
हाई प्रोटीन डाइट कितनी फायदेमंद है?
आजकल हाई-प्रोटीन डाइट को फिटनेस और वेट लॉस के लिए ज़रूरी बताया जाता है, लेकिन क्या यह वाकई में हर किसी के लिए फायदेमंद है?
प्रोटीन हमारे शरीर के लिए आवश्यक है, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा प्रोटीन लेने से गुर्दों (Kidney) पर दबाव पड़ सकता है।
यदि आप हाई-प्रोटीन डाइट ले रहे हैं लेकिन पर्याप्त फाइबर और पानी का सेवन नहीं कर रहे हैं, तो यह कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
प्राकृतिक स्रोतों जैसे दाल, छाछ, अंकुरित अनाज, पनीर, मूंगफली और बादाम से प्रोटीन लेना पैक्ड प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बेहतर है।
गट क्लीनिंग जरूरी है या सिर्फ एक ट्रेंड?
गट क्लीनिंग (Gut Cleansing) यानी आँतों की सफाई को लेकर कई तरह के ट्रेंड आए हैं – डीटॉक्स जूस, स्पेशल पाउडर और दवाइयाँ। लेकिन क्या ये वास्तव में ज़रूरी हैं?
हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से स्वयं को साफ करने में सक्षम है।
फ़ाइबर से भरपूर भोजन, पर्याप्त पानी, और नियमित दिनचर्या से गट हेल्थ खुद-ब-खुद सही रहती है।
आयुर्वेद में भी कहा गया है कि गट हेल्थ सुधारने के लिए हल्का और सुपाच्य भोजन, दही, छाछ और देसी घी जैसे पारंपरिक आहार का सेवन करें।
गट क्लीनिंग के नाम पर आर्टिफिशियल डीटॉक्स ड्रिंक्स से बचें, क्योंकि यह लिवर और किडनी पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं।
मिलेट्स (बाजरा, ज्वार, रागी) खाने के क्या फायदे हैं?
मिलेट्स यानी मोटे अनाज हमारे आहार का पारंपरिक हिस्सा रहे हैं। हाल के वर्षों में इन्हें सुपरफूड के रूप में प्रमोट किया जा रहा है, लेकिन हमें इन्हें ट्रेंड के तौर पर नहीं बल्कि स्थायी आहार के रूप में अपनाना चाहिए।
फाइबर से भरपूर: बाजरा, ज्वार और रागी पाचन सुधारते हैं और कब्ज़ से बचाते हैं।
लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स: ये ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते हैं, इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक हैं।
पौष्टिक तत्वों से भरपूर: इनसे आयरन, कैल्शियम, और एंटीऑक्सीडेंट्स मिलते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
ग्लूटेन-फ्री विकल्प: जो लोग ग्लूटेन नहीं खा सकते, उनके लिए गेहूं की जगह मिलेट्स एक बेहतरीन विकल्प हैं।
निष्कर्ष:
सही खानपान का मतलब सिर्फ किसी ट्रेंड को अपनाना नहीं, बल्कि अपने शरीर की ज़रूरतों को समझकर भोजन करना है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग तभी करें जब यह आपके शरीर के लिए सही हो।
हाई प्रोटीन डाइट में प्राकृतिक स्रोतों को प्राथमिकता दें।
गट क्लीनिंग के नाम पर आर्टिफिशियल डीटॉक्स से बचें, पारंपरिक आहार अपनाएँ।
मिलेट्स को ट्रेंड नहीं, बल्कि अपनी नियमित डाइट का हिस्सा बनाएं।
अगर आपको अपना खानपान संतुलित रखना है, तो किसी भी डाइट ट्रेंड के बजाय सादा, घर का बना, और संतुलित भोजन ही सबसे बेस्ट उपाय है! 💪🍽️