ABHAY B. GUPTA

ABHAY B. GUPTA Digital Creater

मोहनलाल का नाम भारतीय सिनेमा में एक ऐसी पहचान है जो दशकों से दर्शकों के दिलों में गूंज रही है। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री से...
16/09/2025

मोहनलाल का नाम भारतीय सिनेमा में एक ऐसी पहचान है जो दशकों से दर्शकों के दिलों में गूंज रही है। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री से शुरुआत करने वाले मोहनलाल ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा और गहराई से भरे अभिनय के दम पर एक ऐसी ऊंचाई हासिल की है, जहां उनका हर नया प्रोजेक्ट न सिर्फ उनके प्रशंसकों बल्कि पूरे फिल्म जगत के लिए उत्सव बन जाता है। अब जब उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘वृषभ’ का पहला लुक सामने आया है, तो स्वाभाविक है कि दर्शकों की उत्सुकता कई गुना बढ़ गई है।
फिल्म के पोस्टर में मोहनलाल का जो अवतार दिखाया गया है, वह शक्ति, आक्रामकता और जज़्बातों का मेल है। उनकी आंखों में वह जुनून और भीतर से उमड़ती ताकत नजर आती है जो किसी योद्धा की याद दिलाती है। पोस्टर पर लिखी पंक्ति – “जंग, जज़्बात और दहाड़” – फिल्म की आत्मा को बखूबी बयान करती है। मोहनलाल ने खुद इस लुक को सोशल मीडिया पर साझा किया और यह भी ऐलान किया कि फिल्म का टीज़र 18 सितंबर को रिलीज़ होगा। इस घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया पर फैंस की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई और हर जगह बस ‘वृषभ’ का नाम गूंजने लगा।
‘वृषभ’ को खास बनाने वाली बात सिर्फ मोहनलाल की मौजूदगी नहीं है, बल्कि इसका पैमाना और प्रस्तुति भी है। इस फिल्म को नंद किशोर निर्देशित कर रहे हैं, जो अपनी दमदार विज़न और भव्य प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। फिल्म का निर्माण एकता कपूर के बालाजी टेलीफिल्म्स के बैनर तले हो रहा है, जो इस प्रोजेक्ट को पैन-इंडिया ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंचाने का सपना देख रहे हैं। फिल्म हिंदी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम – पांच भाषाओं में रिलीज होगी। यह अपने आप में दर्शाता है कि ‘वृषभ’ को लेकर मेकर्स किस स्तर की महत्वाकांक्षा रखते हैं।
एक और बड़ी बात यह है कि इस फिल्म के जरिए बॉलीवुड अभिनेता संजय कपूर की बेटी शनाया कपूर साउथ सिनेमा में कदम रख रही हैं। लंबे समय से उनके डेब्यू को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, और अब यह तय हो गया है कि वह मोहनलाल जैसे दिग्गज अभिनेता के साथ पर्दे पर नजर आएंगी। यह उनके लिए एक सुनहरा मौका है और दर्शकों के लिए भी एक नया अनुभव होगा कि किस तरह नई पीढ़ी का टैलेंट, अनुभवी सितारों के साथ मिलकर एक अलग रसायन रचेगा।
फिल्म के कलाकारों की सूची और भी दिलचस्प है। इसमें रोशन मेका, जहरा एस खान, रागिनी द्विवेदी और श्रीकांत मेका जैसे प्रतिभाशाली कलाकार शामिल हैं। इनकी मौजूदगी फिल्म को और बहुआयामी बनाएगी। कहानी को लेकर अभी ज्यादा खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन पोस्टर और घोषणा से यह जरूर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें संघर्ष, शक्ति और भावनाओं का संगम होगा। यह फिल्म महज एक एक्शन-ड्रामा नहीं बल्कि मानवीय जज़्बातों और रिश्तों की गहराई से जुड़ी भी हो सकती है।
मोहनलाल के करियर की खासियत रही है कि उन्होंने हमेशा अलग-अलग तरह के किरदारों को अपनाया है। कभी वह एक आम इंसान की भूमिका में दिखाई देते हैं, तो कभी ऐतिहासिक या पौराणिक पात्रों को जीवंत कर देते हैं। ‘वृषभ’ में उनका यह पावरफुल लुक देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार भी वे अपने फैंस को एक ऐसी यात्रा पर ले जाएंगे जहां ताकत, साहस और भावनाएं एक-दूसरे से टकराती और मिलती हुई नज़र आएंगी।
फिल्म का टीज़र 18 सितंबर को रिलीज़ होगा और उसके बाद असली कहानी और विज़न पर से परदा उठेगा। लेकिन अभी से यह तय है कि ‘वृषभ’ भारतीय सिनेमा के उन पैन-इंडिया प्रोजेक्ट्स में से एक होगी जिनका असर सिर्फ एक भाषा या एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। यह फिल्म मोहनलाल के अनुभव, नंद किशोर के निर्देशन और एकता कपूर की प्रस्तुति का ऐसा संगम होगी, जो दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाने में सक्षम है।

अनुराग कश्यप हिंदी सिनेमा में हमेशा एक अलग और विद्रोही पहचान के रूप में सामने आए हैं। उनकी फिल्मों में वही चमक-दमक, भव्य...
16/09/2025

अनुराग कश्यप हिंदी सिनेमा में हमेशा एक अलग और विद्रोही पहचान के रूप में सामने आए हैं। उनकी फिल्मों में वही चमक-दमक, भव्यता और ग्लैमर शायद ही देखने को मिलता हो जो आमतौर पर बॉलीवुड के बड़े पर्दे पर छाया रहता है। लेकिन यही चीज़ उन्हें भीड़ से अलग करती है। वह अपने अंदाज़ और अपने सिनेमा की भाषा में हमेशा नये प्रयोग करते रहे हैं। उनकी पहचान यही है कि वह कभी भी पारंपरिक फार्मूले पर नहीं चलते। इसी वजह से जब उनकी नई फिल्म ‘निशानची’ का ट्रेलर आया तो दर्शकों के बीच उत्साह की लहर दौड़ गई। लोगों ने कहा कि यह फिल्म शायद उन्हें वह जगह दिला दे जिसकी वह असल में हकदार हैं। लेकिन अनुराग कश्यप का मानना बिल्कुल अलग है। उन्होंने खुद कहा कि उन्हें अपने हक से कहीं ज्यादा मिला है। उनका कहना है कि अगर वह बॉक्स ऑफिस को ही अपनी पहचान मानते तो शायद उनका सफर इतना लंबा नहीं चलता। बीते दो दशकों में उन्होंने जितनी फिल्में बनाईं, उतनी उनके दौर का कोई और फिल्मकार नहीं बना पाया। यही उनके लिए सबसे बड़ी सफलता है कि उन्होंने अपनी शर्तों पर काम किया और अपने ढंग से कहानियां कही।
अनुराग का यह बयान अपने आप में बॉलीवुड के उस स्टार सिस्टम पर सीधा हमला है जिसमें एक फिल्मकार की असली पहचान सितारों के कंधों पर टिकी रहती है। उन्होंने साफ कहा कि वह कभी भी किसी बड़े सुपरस्टार के साथ काम नहीं करेंगे। क्योंकि बड़े सितारों के साथ काम करने का मतलब है उनकी शर्तों को मानना, उनकी छवि को ढालने की मजबूरी और सबसे बड़ा बोझ उनके चाहने वालों की उम्मीदों का उठाना। अनुराग को यह सब मंजूर नहीं है। उनका मानना है कि जब निर्देशक किसी सितारे की छवि के बोझ तले दब जाता है तो उसकी रचनात्मक स्वतंत्रता छिन जाती है और वह वही फिल्म बनाने लगता है जो दर्शक पहले से देखना चाहते हैं, न कि वह जो निर्देशक की सोच का नतीजा हो। यही कारण है कि अनुराग कश्यप हमेशा ऐसे कलाकारों के साथ काम करना पसंद करते हैं जिनके साथ वह खुलकर प्रयोग कर सकें और अपनी कल्पना को पूरी आज़ादी दे सके।
‘निशानची’ के ट्रेलर ने यह साफ कर दिया है कि फिल्म में एक्शन तो है, लेकिन यह किसी बड़े बजट की चमकदार और विदेशी लोकेशनों वाली एक्शन फिल्म नहीं है। बल्कि इसमें वही देसी और देहाती अंदाज़ है जो अनुराग के सिनेमा को ज़मीन से जोड़ता है। उन्होंने खुद कहा कि इस बार का एक्शन पूरी तरह ज़मीनी और देसी है, बिल्कुल उस मिट्टी की खुशबू से भरा हुआ जिसे लोग ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में देख चुके हैं। फर्क बस इतना है कि ‘निशानची’ का एक्शन और भी खुरदुरा, असली और सीधे दिल पर असर करने वाला है। उन्होंने यह भी इशारा किया कि इस फिल्म में किसी भी तरह का दिखावा नहीं है, यह आम आदमी की लड़ाई और उसके क्रोध की कहानी है।
अनुराग कश्यप ने अपने करियर में हमेशा यह दिखाया है कि बड़े पैमाने पर बनने वाली फिल्में ही सिनेमा का असली चेहरा नहीं होतीं। उनकी फिल्मों में कहानियां आम लोगों से निकली हुई होती हैं, जिनमें दर्द भी होता है, संघर्ष भी और कभी-कभी हिंसा की वह परत भी होती है जिसे समाज छुपा लेना चाहता है। ‘निशानची’ में भी उन्होंने एक बार फिर वही कोशिश की है कि दर्शकों को ऐसी कहानी मिले जो उनके दिल-दिमाग में घर कर जाए।
उनका मानना है कि जब फिल्मकार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की चिंता छोड़ देता है, तभी वह सचमुच की कहानियां कह पाता है। बॉक्स ऑफिस को ही पैमाना बना लेने वाले फिल्मकार अंततः स्टार्स की छाया में खो जाते हैं और उनकी अपनी पहचान धुंधली हो जाती है। लेकिन अनुराग खुद को इस भीड़ से अलग रखते हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने जो आज़ादी हासिल की है, वही उनकी असली जीत है। यही वजह है कि वह बड़े सितारों से दूरी बनाए रखते हैं और वही कहानियां कहते हैं जिन्हें वह सही मानते हैं।
‘निशानची’ का ट्रेलर देखकर लग रहा है कि यह फिल्म भी अनुराग कश्यप की उसी विरासत को आगे बढ़ाएगी जिसमें सितारों का तामझाम नहीं, बल्कि किरदारों का खून-पसीना और असली जज़्बात दिखाई देंगे। अनुराग ने यह साफ कर दिया है कि उन्हें बड़े बजट और बड़े सितारों के दिखावे से परहेज है और वह हमेशा अपनी आज़ादी के साथ फिल्में बनाएंगे, चाहे उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कितना भी कम क्यों न कमाएँ। उनके लिए सफलता वही है कि वह अपनी शर्तों पर अब तक दो दशक का सफर तय कर चुके हैं और आगे भी उसी रास्ते पर चलने का इरादा रखते हैं।

फिल्मी दुनिया में जब भी वरुण धवन और शशांक खेतान का नाम साथ आता है तो दर्शकों को एक रंगीन और मस्तीभरा अनुभव मिलने की गारं...
15/09/2025

फिल्मी दुनिया में जब भी वरुण धवन और शशांक खेतान का नाम साथ आता है तो दर्शकों को एक रंगीन और मस्तीभरा अनुभव मिलने की गारंटी रहती है। उनकी जोड़ी पहले भी "हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया" और "बद्रीनाथ की दुल्हनिया" जैसी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीत चुकी है। अब इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए वह "सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी" लेकर आए हैं, जिसका ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ और आते ही चर्चा का केंद्र बन गया।
ट्रेलर ने यह साफ कर दिया है कि फिल्म एक फुल-ऑन रोमांटिक कॉमेडी है जिसमें भरपूर हंसी, ढेर सारा रोमांस और परिवार के रिश्तों का रंगीन तड़का भी मिलेगा। वरुण धवन इसमें सनी संस्कारी बने हैं, जो अपने नाम की तरह पारंपरिक मूल्यों और मस्ती दोनों का मिश्रण लिए हुए किरदार है। उनके अपोजिट जाह्नवी कपूर तुलसी कुमारी बनी हैं, जिनका अंदाज़ दिलकश और मासूमियत से भरा है। दोनों की ऑन-स्क्रीन जोड़ी पहली ही झलक में दर्शकों को भा गई और उनकी कैमिस्ट्री को सोशल मीडिया पर खूब सराहना मिली।
फिल्म में केवल वरुण और जाह्नवी ही नहीं बल्कि सान्या मल्होत्रा और रोहित सराफ की जोड़ी भी कहानी में नई ताजगी लेकर आती है। सान्या अनन्या बनी हैं जबकि रोहित विक्रम के किरदार में हैं। इनके रिश्ते और आपसी तालमेल से फिल्म में एक और प्यारा रोमांटिक ट्रैक जुड़ता है, जिससे पूरी कहानी और भी रंगीन हो जाती है। वरुण की कॉमिक टाइमिंग और एनर्जी हर फ्रेम में चमकती है तो वहीं जाह्नवी का शरारती और मासूम अंदाज़ ट्रेलर का सबसे बड़ा आकर्षण बनकर सामने आता है।
ट्रेलर में गानों की झलक और रंगीन लोकेशन यह बताते हैं कि फिल्म बड़े पैमाने पर बनी है। पहले से रिलीज हुए गानों और पोस्टरों ने ही दर्शकों के बीच उत्साह पैदा कर दिया था और अब ट्रेलर ने उस उत्साह को और बढ़ा दिया है। कहानी के अंदाज़ से लगता है कि इसमें पारिवारिक ड्रामा, रोमांटिक उलझनें और हास्य के पल एक साथ देखने को मिलेंगे, जो इसे दर्शकों के लिए एक परफेक्ट एंटरटेनमेंट पैकेज बनाते हैं।
फिल्म का निर्देशन शशांक खेतान ने किया है, जिनकी कहानियाँ हमेशा युवा पीढ़ी और परिवार दोनों को जोड़ती रही हैं। "धड़क" और "अजीब दास्तां" जैसी फिल्मों में उन्होंने रिश्तों की गहराई दिखाई, वहीं दुल्हनिया सीरीज़ में उन्होंने रोमांस और कॉमेडी का संगम परोसा। इस बार भी उन्होंने कहानी खुद लिखी है और इसे वरुण-जाह्नवी की जोड़ी के साथ परदे पर उतारा है।
करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी यह फिल्म कलाकारों की लंबी फेहरिस्त से भरी है। वरुण और जाह्नवी के साथ मनीष पॉल, अक्षय ओबेरॉय और रिया विज भी अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे, जिससे फिल्म की परफॉर्मेंस और भी मज़बूत हो जाती है।
"सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी" का ट्रेलर देखकर साफ है कि यह फिल्म हंसी, प्यार, ड्रामा और मस्ती से भरपूर सिनेमाई अनुभव देने वाली है। अब बस इंतजार है 2 अक्टूबर का, जब यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी और दर्शक बड़े परदे पर वरुण-जाह्नवी की जादुई कैमिस्ट्री और शशांक खेतान की रंगीन कहानी का पूरा मज़ा उठा सकेंगे।

जब 10 सितम्बर को "जॉली एलएलबी 3" का ट्रेलर सोशल मीडिया पर आया तो कुछ ही घंटों में वह चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया। ल...
15/09/2025

जब 10 सितम्बर को "जॉली एलएलबी 3" का ट्रेलर सोशल मीडिया पर आया तो कुछ ही घंटों में वह चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया। लोगों ने इसे बार-बार देखा और हर फ्रेम में छिपी कोर्टरूम की गर्मागर्म बहस और ह्यूमर को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ दीं। इस बार फिल्म केवल जॉली के क्लैश तक सीमित नहीं है बल्कि इसका दायरा और बड़ा है क्योंकि इसमें पुराने किरदारों की दमदार वापसी ने इसे और भी खास बना दिया है। ट्रेलर के शुरुआती दृश्यों से ही अंदाजा हो गया था कि यह फिल्म दर्शकों को पहले से ज्यादा हंसी और गहन ड्रामा देने वाली है।
हुमा कुरैशी अपनी चुलबुली और बिंदास पुष्पा पांडे बनकर लौट रही हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी उनका बोल्ड और बिंदास अंदाज़ देखने को मिलेगा। वह कोर्टरूम के बाहर और भीतर दोनों जगह अपने अलग तेवर से दर्शकों को हंसाने और चौंकाने का काम करेंगी। वहीं लंबे समय बाद अमृता राव की वापसी ने फिल्म की चमक को दोगुना कर दिया है। वह संध्या त्यागी की भूमिका में नज़र आएंगी, जो शालीनता और मजबूती का प्रतीक है। उनकी मौजूदगी फिल्म में भावनात्मक गहराई और संतुलन लाती है। दोनों अभिनेत्रियाँ पहली बार एक साथ पर्दे पर दिखेंगी और उनकी जोड़ी अक्षय कुमार और अरशद वारसी जैसे सितारों के साथ मिलकर फिल्म को और भी ऊँचाई देती है।
फिल्म में अक्षय कुमार और अरशद वारसी के बीच कोर्टरूम का जबरदस्त मुकाबला देखने को मिलेगा। दोनों की कॉमिक टाइमिंग पहले से ही दर्शकों के बीच लोकप्रिय है और इस बार तो कहानी का फोकस ही उनके बीच के संघर्ष पर है। सौरभ शुक्ला, जो हमेशा से इस फ्रैंचाइज़ी की जान रहे हैं, अपने खास अंदाज़ में हास्य और व्यंग्य का तड़का लगाते दिखेंगे। वहीं गजराज राव जैसे अनुभवी कलाकार फिल्म की गंभीरता और मज़ाकिया माहौल दोनों को मजबूती देंगे। इन सबके बीच फिल्म का सटायर भी उतना ही गहरा है जितनी कि इसकी कॉमिक टाइमिंग।
"जॉली एलएलबी" सीरीज़ हमेशा से भारतीय न्याय व्यवस्था पर व्यंग्य और हास्य के साथ गंभीर सवाल उठाती रही है। पहले पार्ट में अरशद वारसी ने एक संघर्षशील वकील का रोल निभाकर दर्शकों को जीता था, तो दूसरे पार्ट में अक्षय कुमार ने बड़े स्केल पर कहानी को आगे बढ़ाया। अब तीसरे पार्ट में दोनों का आमना-सामना है और इसी भिड़ंत में दर्शकों को असली मज़ा मिलने वाला है।
स्टार स्टूडियो18 के बैनर तले और सुभाष कपूर के निर्देशन में बनी यह फिल्म पहले ही दिन से चर्चा में रही है। ट्रेलर ने दिखा दिया है कि इस बार कोर्टरूम की दीवारें हंसी, ड्रामा, तकरार और सस्पेंस से गूंजने वाली हैं। दर्शक अब बेसब्री से 19 सितम्बर का इंतजार कर रहे हैं जब यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी और उन्हें मिलेगा एक शानदार कोर्टरूम ड्रामा का अनुभव, जिसमें हर सीन में मनोरंजन, व्यंग्य और भावनाओं का अनोखा संगम होगा।

बॉलीवुड के सुनहरे दौर की कई अदाकाराएँ अपनी खूबसूरती और अदाओं के लिए आज तक याद की जाती हैं। इन्हीं में से एक हैं सलमा आगा...
15/09/2025

बॉलीवुड के सुनहरे दौर की कई अदाकाराएँ अपनी खूबसूरती और अदाओं के लिए आज तक याद की जाती हैं। इन्हीं में से एक हैं सलमा आगा, जिनकी आंखों की चमक और आवाज़ ने 80 के दशक के दर्शकों को दीवाना बना दिया था। उनकी खूबसूरती ऐसी थी कि कहा जाता है कि कोई भी एक बार उन्हें देख ले तो उनका दीवाना हुए बिना न रह सके। लेकिन उनकी ज़िंदगी और करियर की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं रही।
सलमा आगा का जन्म एक फिल्मी खानदान में हुआ था। उनकी नानी अनवारी बाई बेगम भारतीय सिनेमा की शुरुआती अभिनेत्रियों में से थीं, जिन्होंने 1932 में आई ए.आर. कर्दार की पंजाबी फिल्म हीर-रांझा में लीड रोल निभाया था। उनकी मां नसीरीन भी अभिनेत्री रहीं और कमाल अमरोही द्वारा लिखित शहजहां (1946) में काम किया था। यानि सलमा के खून में ही एक्टिंग और कला का हुनर शामिल था। हालांकि, उनकी मां सिंगर बनना चाहती थीं, लेकिन परिवार की परंपरावादी सोच के कारण उनका सपना अधूरा रह गया। यही वजह रही कि सलमा को बचपन से ही गायन और अभिनय का शौक पला-बढ़ा।
दिलचस्प बात यह है कि सलमा आगा का रिश्ता सीधे-सीधे कपूर खानदान से भी जुड़ता है। पृथ्वीराज कपूर की मां और सलमा आगा के नाना सगे भाई-बहन थे। इस रिश्ते से वे राज कपूर की मौसेरी बहन हुईं। शोमैन राज कपूर उन्हें अपनी फिल्म हिना से लॉन्च करना चाहते थे। लेकिन उनके नाना ने इस फैसले का विरोध किया और कहा कि इससे पारिवारिक रिश्तों में खटास आ सकती है। मजबूरन राज कपूर को सलमा को पीछे हटाना पड़ा। बाद में राज कपूर की मौत के बाद हिना (1991) रणधीर कपूर ने बनाई और उसमें ज़ेबा बख्तियार को लॉन्च किया गया।
सलमा आगा ने आखिरकार बॉलीवुड में एंट्री की बी.आर. चोपड़ा की 1982 की विवादास्पद फिल्म निकाह से। इस फिल्म में उनके साथ राज बब्बर और दीपक पाराशर नज़र आए। फिल्म उस दौर में तलाक-ए-हलाला जैसे मुद्दे को लेकर बनी थी, जिस पर चार केस दर्ज हुए और जबरदस्त विवाद खड़ा हुआ। मगर इसी फिल्म ने सलमा को रातों-रात स्टार बना दिया। उनकी खूबसूरती, अदाकारी और आवाज़—सबने मिलकर दर्शकों को मोह लिया।
हालांकि स्टारडम हासिल करने के बावजूद सलमा आगा का करियर ज्यादा लंबा नहीं चला। वे कुछ ही फिल्मों में नज़र आईं और धीरे-धीरे फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली। लेकिन उनकी गाई हुई गज़लें और उनकी अदाएं आज भी चाहने वालों के दिलों में बसी हुई हैं।
सलमा आगा की ज़िंदगी में एक तरफ शोहरत थी, तो दूसरी तरफ ऐसे मोड़ भी आए जहां पारिवारिक रिश्तों और विवादों ने उनके करियर को दिशा बदल दी। शायद यही वजह है कि वे बॉलीवुड की उन अदाकाराओं में गिनी जाती हैं जो सितारों की तरह चमकीं, लेकिन थोड़े ही वक्त में ओझल भी हो गईं।

भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मुकाबला हमेशा रोमांच और भावनाओं से जुड़ा रहता है, लेकिन दुबई में खेले गए एशिया कप मैच के बा...
15/09/2025

भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मुकाबला हमेशा रोमांच और भावनाओं से जुड़ा रहता है, लेकिन दुबई में खेले गए एशिया कप मैच के बाद कहानी कुछ अलग ही रही। भारत ने पाकिस्तान को न सिर्फ सात विकेट से हराया बल्कि इस हार के बाद पाकिस्तान टीम की हालत पर पूर्व भारतीय कप्तान और महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने तंज कसते हुए इसे “पोपटवाड़ी टीम” करार दिया।
गावस्कर ने कहा कि उन्हें लगा ही नहीं कि यह पाकिस्तान की वही पारंपरिक मजबूत टीम है, जो कभी दुनिया की बेहतरीन टीमों में गिनी जाती थी। सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे तो यह टीम पाकिस्तान से ज्यादा पोपटवाड़ी टीम लगी। मुंबई की क्रिकेट भाषा में यह शब्द कमजोर टीम के लिए इस्तेमाल होता है। यह शब्द पुराने दिग्गजों जैसे दिलीप सरदेसाई के जमाने से चला आ रहा है, जब किसी हल्के दर्जे के गेंदबाजी आक्रमण को ‘पोपटवाड़ी अटैक’ कहा जाता था।”
दरअसल, दुबई में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की बल्लेबाजी बेहद फीकी रही। भारतीय स्पिनरों कुलदीप यादव, अक्षर पटेल और वरुण चक्रवर्ती के सामने पाकिस्तानी बल्लेबाज ताश के पत्तों की तरह बिखर गए और पूरी टीम सिर्फ 127/9 का मामूली स्कोर ही बना सकी। जवाब में भारत ने लक्ष्य का पीछा बेहद आसानी से किया। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने 37 गेंदों में नाबाद 47 रन बनाए, जबकि अभिषेक शर्मा और तिलक वर्मा ने 31-31 रनों का योगदान दिया। भारत ने 16वें ओवर में ही मैच जीतकर पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी।
गावस्कर ने आगे कहा कि दशकों से पाकिस्तान क्रिकेट को देखते आए हैं और उनके शुरुआती क्रिकेट अनुभवों में पाकिस्तान के महान बल्लेबाज हनीफ मोहम्मद को देखने की यादें शामिल हैं। उन्होंने कहा, “यह वही पाकिस्तान टीम नहीं है। मुझे नहीं लगता कि वे दूसरी बड़ी टीमों को ज्यादा चुनौती दे पाएंगे।”
भारत ने इस जीत के साथ एशिया कप में लगातार दूसरी जीत दर्ज कर ली और सुपर फोर में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है। गावस्कर ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि भारत के लिए असली चुनौती श्रीलंका और अफगानिस्तान से हो सकती है। उन्होंने श्रीलंका की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों की सराहना की।
इस तरह, भारत की गूंजती जीत के बाद पाकिस्तान टीम की स्थिति पर गावस्कर की तीखी टिप्पणी ने क्रिकेट हलकों में नई चर्चा छेड़ दी। जहां एक ओर भारतीय खेमे में खुशी और उत्साह था, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को न सिर्फ हार का सामना करना पड़ा बल्कि “पोपटवाड़ी टीम” का तमगा भी झेलना पड़ा।

दुबई का मैदान उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना जब भारत ने एशिया कप में पाकिस्तान को सात विकेट से हराकर न सिर्फ जीत दर्ज की बल्...
15/09/2025

दुबई का मैदान उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना जब भारत ने एशिया कप में पाकिस्तान को सात विकेट से हराकर न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि इसे देश के सैनिकों और पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को समर्पित कर दिया। यह जीत सिर्फ क्रिकेट की जीत नहीं थी, यह पूरे देश की भावनाओं, साहस और एकजुटता की गूंज थी। भारत-पाकिस्तान मुकाबले वैसे ही हमेशा संवेदनाओं से भरे रहते हैं, लेकिन इस बार हालात अलग थे। पहलगाम आतंकी हमले के ठीक बाद जब दोनों टीमें आमने-सामने आईं तो पूरे देश की निगाहें सिर्फ स्कोरकार्ड पर नहीं बल्कि उस संदेश पर भी थीं जो मैदान से दुनिया को दिया जाने वाला था।
भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव, जो अपना 35वां जन्मदिन मना रहे थे, इस मैच के नायक बने। उन्होंने न केवल बल्ले से कमाल किया बल्कि अपने बयान से भी दिल जीत लिए। मैच के बाद उन्होंने साफ कहा कि यह जीत भारतीय सशस्त्र बलों को समर्पित है, जिन्होंने अदम्य साहस दिखाया है और जो हमेशा देश के लिए प्रेरणा बने रहते हैं। उन्होंने पीड़ित परिवारों के साथ खड़े होने की बात कहते हुए देशवासियों को भरोसा दिलाया कि भारतीय टीम मैदान पर हर जीत को सैनिकों की मुस्कान का कारण बनाने की कोशिश करेगी। उनके शब्द केवल कप्तानी बयान नहीं थे, बल्कि यह उस दर्द और गर्व की अभिव्यक्ति थी जो पूरा भारत उस समय महसूस कर रहा था।
इस मुकाबले में एक और अनोखी बात सामने आई। आमतौर पर मैच के बाद दोनों टीमें हाथ मिलाती हैं, लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया। टॉस के समय भी सूर्यकुमार और पाकिस्तानी कप्तान सलमान आगा ने हाथ मिलाने से परहेज़ किया। यह कदम किसी औपचारिक शिष्टाचार का उल्लंघन नहीं बल्कि उस गंभीर माहौल का प्रतीक था जिसमें यह मैच खेला गया। यह स्पष्ट था कि भारतीय खिलाड़ी सिर्फ क्रिकेट ही नहीं खेल रहे थे बल्कि वे मौन रूप से एक बड़ा संदेश भी दे रहे थे।
मैदान पर भारत का दबदबा पूरी तरह से साफ नज़र आया। पाकिस्तान की बल्लेबाजी भारतीय स्पिनरों के आगे ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। कुलदीप यादव, अक्षर पटेल और वरुण चक्रवर्ती ने ऐसी सधी हुई गेंदबाज़ी की कि कोई भी पाकिस्तानी बल्लेबाज क्रीज पर टिक नहीं सका। कुलदीप ने तीन विकेट झटके, अक्षर और वरुण ने दो-दो विकेट लेकर पाकिस्तान को महज 127 रनों पर रोक दिया। पाकिस्तान का बल्लेबाजी क्रम भारतीय गेंदबाजों के सामने निस्तेज और बेबस दिखा।
जवाब में भारत की बल्लेबाजी आक्रामक और आत्मविश्वास से भरी हुई थी। युवा बल्लेबाज अभिषेक शर्मा ने शाहीन शाह अफरीदी की गेंदबाज़ी की धज्जियां उड़ा दीं और केवल 12 गेंदों में 31 रन बनाकर पाकिस्तान को शुरुआत में ही दबाव में डाल दिया। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने धैर्य और आक्रामकता का अद्भुत संतुलन दिखाया। उन्होंने 37 गेंदों पर नाबाद 47 रन बनाए और छक्के के साथ मैच खत्म किया। यह छक्का सिर्फ स्कोरबोर्ड पर जीत दर्ज करने वाला शॉट नहीं था बल्कि पूरे देश की धड़कनों को तेज़ करने वाला क्षण था।
सूर्यकुमार ने इस जीत को अपने जन्मदिन पर देशवासियों के लिए ‘रिटर्न गिफ्ट’ कहा। उन्होंने कहा कि चाहे भारत पाकिस्तान से खेले या किसी और टीम से, उनकी रणनीति हमेशा एक जैसी रहती है। असली अंतर केवल जुनून और देशभक्ति का होता है। उन्होंने स्पिनरों की जमकर तारीफ की और कहा कि टीम की इस सफलता का बड़ा श्रेय उन्हें जाता है।
लगातार दूसरे मैच में ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ बने कुलदीप यादव ने कहा कि उन्होंने कुछ नया नहीं किया, बस बल्लेबाजों की कमज़ोरियों को ध्यान में रखकर अपनी गेंदबाज़ी पर फोकस किया। उनका कहना था कि वे हर मैच के साथ बेहतर बनने की कोशिश करते रहेंगे। उनकी यह विनम्रता और मेहनत भारतीय क्रिकेट की उस नींव को दर्शाती है जिसमें व्यक्तिगत अहंकार नहीं बल्कि सामूहिक प्रयास और अनुशासन की चमक नज़र आती है।
यह जीत दुबई से दिल्ली और कश्मीर तक हर भारतीय के दिल में गूंज उठी। यह जीत सिर्फ एशिया कप के अंक तालिका पर दर्ज नहीं हुई, बल्कि यह उन सैनिकों के बलिदान और शहीद परिवारों की पीड़ा के साथ गहराई से जुड़ गई। क्रिकेट का मैदान उस दिन रणभूमि बन गया था, और भारत ने वहां सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं हराया बल्कि यह साबित किया कि खेल के जरिए भी दुनिया को संदेश दिया जा सकता है।
यह जीत याद दिलाती है कि जब मैदान पर तिरंगा लहराता है तो वह सिर्फ खेल का प्रतीक नहीं होता, बल्कि वह देश की आत्मा, साहस और बलिदान की आवाज़ बन जाता है। उस दिन दुबई के मैदान से उठी यह गूंज सीधे पहलगाम की घाटियों तक पहुंची और वहां के शहीद परिवारों को यह अहसास कराया कि भारत उनके साथ खड़ा है।

एशिया कप 2025 का भारत-पाकिस्तान मुकाबला हमेशा से क्रिकेट प्रेमियों के लिए भावनाओं से भरा हुआ रहता है और इस बार भी ऐसा ही...
14/09/2025

एशिया कप 2025 का भारत-पाकिस्तान मुकाबला हमेशा से क्रिकेट प्रेमियों के लिए भावनाओं से भरा हुआ रहता है और इस बार भी ऐसा ही हुआ। दुबई के इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में दोनों टीमें आमने-सामने थीं, स्टेडियम खचाखच भरा था, हजारों दर्शक अपनी-अपनी टीम का झंडा लहराते हुए शोर मचा रहे थे। मैच शुरू होने से पहले ही पूरे माहौल में बिजली-सी गूँज रही थी। भारत और पाकिस्तान का नाम आते ही हर गेंद, हर रन और हर विकेट का रोमांच कई गुना बढ़ जाता है।
पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। यह फैसला कागज पर तो सही लगता था, लेकिन मैदान पर भारतीय गेंदबाजों की धार के आगे पाकिस्तानी बल्लेबाज टिक नहीं सके। शुरुआती ओवर से ही भारतीय गेंदबाजों ने ऐसी सटीक गेंदबाजी की कि पाकिस्तान की पारी खुलने से पहले ही दबाव में आ गई। तेज गेंदबाजों ने गति और स्विंग से परेशान किया तो स्पिनरों ने बीच के ओवरों में कसावट डाली। हर बार जब पाकिस्तानी बल्लेबाज आक्रामक होने की कोशिश करते, भारतीय फील्डरों की चुस्ती और गेंदबाजों की समझदारी ने उन्हें रोक लिया।
नतीजा यह रहा कि पाकिस्तान की टीम पूरे 20 ओवर खेलकर भी सिर्फ 127 रन ही बना सकी और उसके 9 विकेट गिर गए। स्टेडियम में बैठे भारतीय दर्शकों के चेहरे पर उत्साह झलकने लगा क्योंकि यह लक्ष्य भारत के बल्लेबाजों के लिए किसी खतरे की तरह नहीं लग रहा था।
लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने शुरुआत में ही आक्रामक तेवर दिखा दिए। ओपनिंग जोड़ी में शुभमन गिल और अभिषेक शर्मा मैदान पर उतरे। शुभमन गिल ने हालांकि सिर्फ 10 रन बनाए और जल्दी आउट हो गए, लेकिन दूसरी तरफ अभिषेक शर्मा ने अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से पाकिस्तान के गेंदबाजों को दबाव में डाल दिया। उन्होंने सिर्फ 13 गेंदों में 31 रन ठोक दिए। उनकी बल्लेबाजी देखकर भारतीय दर्शकों में उत्साह और भी बढ़ गया।
इसके बाद तिलक वर्मा क्रीज पर आए और उन्होंने पारी को स्थिरता दी। 31 गेंदों में 31 रन बनाकर उन्होंने टीम को सहारा दिया। लेकिन असली किला तो सूर्यकुमार यादव ने खड़ा किया। मैदान पर उनका अंदाज ही अलग था। उन्होंने अपनी स्टाइलिश और दमदार बल्लेबाजी से सिर्फ रन ही नहीं बनाए, बल्कि पूरे खेल का रुख भारत की ओर मोड़ दिया। उनकी 47 रनों की पारी ने भारत को जीत की दहलीज तक पहुँचा दिया।
मैदान पर हर चौका-छक्का लगने पर भारतीय दर्शकों की आवाजें गूंजने लगीं। पाकिस्तान के गेंदबाज सईम अयूब ने तीन विकेट लेकर टीम को कुछ उम्मीद जरूर दी, लेकिन यह भारत की लय को ज्यादा देर रोक नहीं सके। अंत में शिवम दुबे क्रीज पर आए और उन्होंने नाबाद 10 रन बनाए। 15.5 ओवर में ही भारत ने 131 रन पूरे कर लक्ष्य हासिल कर लिया और 7 विकेट से शानदार जीत दर्ज की।
इस जीत के बाद मैदान भारतीय खिलाड़ियों के जश्न और दर्शकों की तालियों से गूंज उठा। हर कोई "इंडिया-इंडिया" के नारे लगा रहा था। खिलाड़ियों ने एक-दूसरे को गले लगाकर जीत की खुशी साझा की। यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, बल्कि भारत की एशिया कप 2025 में लगातार दूसरी जीत थी, जिसने अंकतालिका में टीम को मजबूत स्थिति में ला दिया।
अब भारतीय टीम का अगला मुकाबला 19 सितंबर को ओमान के खिलाफ होगा। अगर भारत वहां भी जीत हासिल करता है तो सेमीफाइनल में उसकी राह लगभग पक्की हो जाएगी। फिलहाल, पाकिस्तान पर मिली इस जीत ने करोड़ों भारतीय प्रशंसकों को गर्व और खुशी का एक और सुनहरा पल दे दिया है।

बॉलीवुड अभिनेत्री मृणाल ठाकुर ने अपनी पहली फिल्म ‘लव सोनिया’ के सात साल पूरे होने पर सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा ...
14/09/2025

बॉलीवुड अभिनेत्री मृणाल ठाकुर ने अपनी पहली फिल्म ‘लव सोनिया’ के सात साल पूरे होने पर सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा किया। उन्होंने इस मौके पर फिल्म की यादों को ताजा करते हुए पूरी टीम और अपने सह-कलाकारों का आभार जताया। मृणाल ने लिखा कि यह फिल्म उनके लिए सिर्फ एक डेब्यू प्रोजेक्ट नहीं थी, बल्कि ऐसा अनुभव था जिसने उनकी सोच, उनकी कला और उनकी जिंदगी को नई दिशा दी।
मृणाल ने फिल्म के सेट से कुछ दुर्लभ तस्वीरें शेयर कीं और लिखा– “सात साल पहले मुझे ‘लव सोनिया’ जैसा अनमोल तोहफा मिला। यह मेरी पहली फिल्म थी और इसने मुझे सिखाया कि सिनेमा जिंदगी बदल सकता है।” उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्हें बड़े-बड़े सितारों के बीच काम करते समय घबराहट होती थी, लेकिन सभी ने उन्हें अपनापन दिया और उनका हौसला बढ़ाया।
इस फिल्म का निर्देशन तबरेज नूरानी ने किया था, जिन्हें मृणाल ने अपना मार्गदर्शक बताते हुए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि निर्देशक की सीख आज भी उनके दिल में बसी हुई है और वही उनके अभिनय के सफर की नींव बनी।
‘लव सोनिया’ में मृणाल ठाकुर के साथ मनोज बाजपेयी, राजकुमार राव, ऋचा चड्ढा, फ्रीडा पिंटो और हॉलीवुड स्टार डेमी मूर जैसे दिग्गज कलाकार थे। इस फिल्म ने न सिर्फ आलोचकों की सराहना हासिल की, बल्कि मानव तस्करी और महिला शोषण जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर कर समाज पर गहरा असर डाला।
मृणाल ने लिखा कि “लव सोनिया सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, बल्कि उसने बदलाव की शुरुआत की। इसने कई एनजीओ को प्रेरित किया और अनगिनत जिंदगियां बचाईं। सोनिया का किरदार मुझे हिम्मत और आवाज देकर हमेशा के लिए सिनेमा से जोड़ गया।”
आज मृणाल ठाकुर इंडस्ट्री की स्थापित अभिनेत्रियों में शुमार की जाती हैं और उनकी गिनती सशक्त किरदार निभाने वाली अभिनेत्रियों में होती है। लेकिन उन्होंने माना कि इस मुकाम तक पहुंचने की नींव ‘लव सोनिया’ ने ही रखी थी।

साउथ सिनेमा के सुपरस्टार और आंध्र प्रदेश की राजनीति में सक्रिय नेता पवन कल्याण ने अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘उस्ताद भगत स...
14/09/2025

साउथ सिनेमा के सुपरस्टार और आंध्र प्रदेश की राजनीति में सक्रिय नेता पवन कल्याण ने अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘उस्ताद भगत सिंह’ की शूटिंग पूरी कर ली है। इस खबर ने न केवल उनके प्रशंसकों को उत्साहित किया है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त हलचल मचा दी है। शूटिंग पूरी होने की जानकारी उनकी को-स्टार राशि खन्ना ने एक भावुक पोस्ट के जरिए दी।
राशि खन्ना ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें पवन कल्याण हाथ में मोबाइल लेकर सेल्फी लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनके साथ राशि खन्ना और फिल्म के कई क्रू मेंबर भी नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर के साथ अभिनेत्री ने लिखा– “पवन कल्याण के साथ काम करना एक अद्भुत अनुभव और सच्चा सम्मान रहा, यह याद हमेशा मेरे दिल में रहेगी।” उनकी इस पोस्ट को देखते ही प्रशंसकों ने बधाई और उत्साह से भरे कमेंट्स की बौछार कर दी।
‘उस्ताद भगत सिंह’ पवन कल्याण की उन बड़ी फिल्मों में से एक मानी जा रही है, जिसे लेकर दर्शकों में लंबे समय से बेसब्री थी। इस फिल्म में पवन कल्याण और राशि खन्ना के अलावा श्रीलीला, आशुतोष राणा, गौतमी, नागा महेश, टेम्पर वामसी और केजीएफ फेम अविनाश जैसे कलाकार भी अहम किरदार निभाते नजर आएंगे। फिल्म का निर्देशन टेम्पर वामसी ने किया है, जबकि इसका निर्माण मैथरी मूवी मेकर्स ने किया है।
संगीत का जिम्मा लोकप्रिय संगीतकार देवी श्री प्रसाद के हाथों में है, जो पहले भी कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों को अपनी धुनों से यादगार बना चुके हैं। फिल्म को एक्शन, ड्रामा और दमदार डायलॉग्स से भरपूर बताया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि पवन कल्याण का यह प्रोजेक्ट बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाएगा और दर्शकों को एक बार फिर उनका करिश्मा देखने को मिलेगा।
पवन कल्याण इससे पहले ‘हरि हर वीर मल्लु’ में नजर आए थे, जो एक ऐतिहासिक एक्शन-एडवेंचर फिल्म थी। इस फिल्म में बॉबी देओल, निधि अग्रवाल, नोरा फतेही और विक्रमजीत विर्क जैसे कलाकार भी शामिल थे। हालांकि बड़े बजट और स्टार कास्ट के बावजूद यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सकी थी।
फैंस का मानना है कि ‘उस्ताद भगत सिंह’ पवन कल्याण के करियर में एक नई ऊर्जा लेकर आएगी और उनकी स्टार पावर को फिर से साबित करेगी। राजनीतिक व्यस्तताओं के बीच उन्होंने जिस समर्पण से इस फिल्म को पूरा किया है, उसने उनके चाहने वालों में उम्मीदें और बढ़ा दी हैं। रिलीज डेट का आधिकारिक ऐलान भले ही अभी बाकी हो, लेकिन शूटिंग पूरी होने के साथ ही दर्शकों का इंतजार और भी बेचैन करने वाला हो गया है।

हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है। इस दिन न केवल हिंदी के महत्व को याद किय...
14/09/2025

हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है। इस दिन न केवल हिंदी के महत्व को याद किया जाता है, बल्कि उसके संरक्षण और संवर्धन का संकल्प भी लिया जाता है। इसी अवसर पर हिंदी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता आशुतोष राणा ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक बेहद भावुक संदेश साझा किया, जिसने लाखों लोगों का दिल छू लिया।
अपने पोस्ट में आशुतोष राणा ने लिखा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि हमारी जड़ों, हमारी सभ्यता और हमारे मूल्यों से जोड़ने वाली आत्मा है। उन्होंने लिखा– “कुछ लोग हिंदी बोलकर हिंदी को गरिमा देते हैं, लेकिन मैं उन सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से हूं, जिसे हिंदी ने गरिमा प्रदान की है। कुछ सिद्ध व्यक्तियों ने हिंदी को प्रसिद्ध किया और मैं उन बड़भागियों में हूं जिसे हिंदी की सिद्धि ने प्रसिद्धि दी।”
उन्होंने आगे कहा कि मां, मातृभाषा और मातृभूमि तीन ऐसे स्रोत हैं, जिनसे हमारी संस्कृति और सभ्यता निरंतर ऊर्जा प्राप्त करती है। ये हमें जोड़ना सिखाते हैं, तोड़ना नहीं; समझाना सिखाते हैं, उलझाना नहीं। उनके अनुसार, इन तीनों के ऋण से कोई भी इंसान कभी मुक्त नहीं हो सकता।
आशुतोष राणा ने अपनी पोस्ट में एक कविता भी साझा की, जिसमें उन्होंने हिंदी को मां का दर्जा देते हुए लिखा कि यह हमें गढ़ती है, हमें पहचान देती है और अगर हम इसे छोड़ देंगे तो हम स्वयं भी अपनी असलियत से कट जाएंगे। उन्होंने अपनी पंक्तियों के माध्यम से लोगों को आह्वान किया कि हिंदी को अपनाएं, उससे प्रेम करें और उसे विश्व मंच पर उसके मान-सम्मान का दर्जा दें।
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए आशुतोष राणा ने यह भी बताया कि इस अवसर पर उनके लोकप्रिय नाटक ‘हमारे राम’ का 300वां मंचन वडोदरा में होगा। यह नाटक हिंदी साहित्य और संस्कृति की धरोहर को मंच पर जीवंत करता है और दर्शकों को भारतीय परंपरा से जोड़ता है।
गौरतलब है कि आशुतोष राणा न केवल अपनी दमदार अदाकारी के लिए जाने जाते हैं, बल्कि हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति उनके गहरे लगाव के लिए भी उनका सम्मान किया जाता है। हाल ही में वे ‘वॉर 2’ फिल्म में कर्नल लुथरा की भूमिका निभाते नजर आए थे, लेकिन वास्तविक जीवन में वे हिंदी के एक प्रबल पक्षधर और संवेदनशील लेखक भी हैं।
उनका यह संदेश हमें याद दिलाता है कि हिंदी सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी पहचान, हमारी आत्मा और हमारी संस्कृति की विरासत है। हिंदी दिवस पर उनका यह भावुक संदेश हर उस भारतीय के दिल तक पहुंचा जिसने कभी अपनी मातृभाषा को गर्व से अपनाया है।

भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह को लोग पावर स्टार के नाम से जानते हैं। पर्दे पर उनकी धाकड़ अदाकारी और दिल छू लेने व...
14/09/2025

भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह को लोग पावर स्टार के नाम से जानते हैं। पर्दे पर उनकी धाकड़ अदाकारी और दिल छू लेने वाले गाने लोगों के बीच उन्हें खास बनाते हैं, लेकिन उनके जीवन का एक दर्दनाक पहलू ऐसा भी है जो हमेशा उनके दिल को टीस देता है। चमक-दमक और शोहरत की इस दुनिया के पीछे उनकी निजी जिंदगी का संघर्ष, टूटे रिश्तों का बोझ और बिछड़े अपने का गम छुपा हुआ है।
इन दिनों पवन सिंह रियलिटी शो ‘राइज एंड फॉल’ में नजर आ रहे हैं। शो में उनके खेल के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी की परतें भी खुल रही हैं। एक एपिसोड के दौरान जब होस्ट अर्जुन बिजलानी ने उनसे उनकी शादी और निजी रिश्तों के बारे में पूछा, तो पवन सिंह ने चुप्पी तोड़ते हुए अपने दिल का दर्द सामने रखा। उन्होंने भारी मन से कहा, “मेरी शादी हुई थी, लेकिन मेरी दुनिया उजड़ गई। शादी के सिर्फ तीन महीने बाद ही मेरी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। वो एक देवी थीं, जिन्हें मैंने खो दिया। उस वक्त मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई थी और मुझे समझ ही नहीं आया कि इस सदमे से कैसे बाहर निकलूं।”
पवन सिंह यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि फिल्मी दुनिया में काम करते-करते कई बार सह-अभिनेत्रियों के साथ नजदीकियां बन जाती हैं और उनके साथ भी ऐसा हुआ, लेकिन उनका परिवार इसे गलत मानता था। परिवार ने यह सोचकर उनका रिश्ता कहीं और तय कर दिया कि लव मैरिज उनके लिए ठीक नहीं होगी। उन्होंने कहा, “जब लगा कि अब घर बस रहा है और जिंदगी पटरी पर लौट रही है, तभी उस रिश्ते में भी दरारें आने लगीं और मामला तलाक तक पहुंच गया।”
पवन सिंह की निजी जिंदगी का यह सफर बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है। साल 2015 में उनकी पहली पत्नी नीलम सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। यह घटना पवन सिंह के लिए जीवन का सबसे बड़ा सदमा थी। इस हादसे के बाद लंबे समय तक उनका नाम भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह से जुड़ता रहा। दोनों के रिश्ते को लेकर अफवाहें भी खूब उड़ीं, लेकिन यह रिश्ता कभी मुकाम तक नहीं पहुंच पाया। इसके बाद 2018 में पवन सिंह ने अचानक ज्योति सिंह से शादी कर ली। शादी के बाद थोड़े समय तक सब सामान्य रहा, लेकिन धीरे-धीरे उनके बीच मतभेद बढ़ते गए। रिश्ते में तनाव इस हद तक पहुंच गया कि ज्योति सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पति पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने लिखा कि पवन सिंह उनसे बात तक नहीं करते, कॉल और मैसेज का जवाब नहीं देते और उन्हें मानसिक पीड़ा देते हैं। ज्योति ने यहां तक कह दिया था कि वह आत्मदाह तक का कदम उठा सकती हैं।
आज पवन सिंह की ज़िंदगी एक खुले किताब की तरह है जिसमें कई अध्याय दर्द और संघर्ष से भरे हैं। एक तरफ वे फिल्मों और गानों के जरिए अपने प्रशंसकों को खुशियां बांटते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनका दिल अधूरे रिश्तों और टूटे सपनों के बोझ तले दबा हुआ है। शो के मंच पर जब उन्होंने अपने जख्मों को शब्दों में ढाला तो दर्शक यह महसूस कर पाए कि स्टारडम की चमक के पीछे एक अकेला इंसान छुपा बैठा है, जिसने अपनी जिंदगी में अपनों को खोने का दर्द झेला है।
पवन सिंह की कहानी यह साबित करती है कि शोहरत और सफलता इंसान को सब कुछ तो दे सकती है, लेकिन सच्चा सुख और मानसिक सुकून केवल रिश्तों की मजबूती और अपनापन ही देता है। उनकी जिंदगी का यह दर्द भरा सच लोगों के दिलों को झकझोर देता है और यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिरकार एक चमकते सितारे के पीछे कितनी अंधेरी कहानियाँ छुपी होती हैं।

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