Raj chauhan Bjp

Raj chauhan Bjp एक चाहत होती हैं दोस्तों के साथ जीने की जनाब,
वरना पता तो हमें भी है कि मरना अकेले ही है ....!!

*सुविचार - "यह सत्य है कि मनुष्य कोई साधना करे या न करे, कोई तप करे या न करे, पर यदि उसकी आत्मा लोक-कल्याण की भावना से स...
17/07/2025

*सुविचार - "यह सत्य है कि मनुष्य कोई साधना करे या न करे, कोई तप करे या न करे, पर यदि उसकी आत्मा लोक-कल्याण की भावना से सदैव विह्वल रहती है तब भी उस अकेली परिव्याप्त लोक -कल्याण की भावना से उसकी वाणी तथा व्यक्तित्व में इतना तेज आ जाता है कि उसके संपर्क में आया हुआ कोई भी बड़े-से-बड़ा व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रहता।"*💐💐💐🌹🌹*

*सुविचार - "अक्सर धार्मिक विद्वान भोगों को बुरा, घृणित और पापपूर्ण बताया करते हैं। असल में उनके कथन का मर्म यह है कि इन्...
16/07/2025

*सुविचार - "अक्सर धार्मिक विद्वान भोगों को बुरा, घृणित और पापपूर्ण बताया करते हैं। असल में उनके कथन का मर्म यह है कि इन्द्रिय भोगों का दुरूपयोग करना बुरा है । मध्यम मार्ग का अवलम्बन करना चाहिए, अति और अभाव दोनों बुरे हैं।"*💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*सुविचार - "यह सच है कि दूसरों की राह में रोड़ा बनने से, दूसरों को नीचा देखने व दिखाने के फिराक में रहने से, दूसरों की ख...
15/07/2025

*सुविचार - "यह सच है कि दूसरों की राह में रोड़ा बनने से, दूसरों को नीचा देखने व दिखाने के फिराक में रहने से, दूसरों की खुशियाँ छीनने से कभी किसी व्यक्ति का भला नहीं होता, बल्कि इससे उसके स्वंय की राह में रोड़े आने लगते हैं; वह स्वयं ही दूसरों के समक्ष मजाक का पात्र बनता है। अपने किए कराए पर अंततः उसे स्वयं ग्लानि होती है, जिससे उसके स्वंय की सुख-शांति जाती रहती है।"*💐💐💐💐💐💐💐💐

*सुविचार - "पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति समझ-बूझ पूर्ण रवैया तथा सहनशीलता का भाव रखना भी अत्यंत आवश्यक है। भगवान ने एक...
14/07/2025

*सुविचार - "पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति समझ-बूझ पूर्ण रवैया तथा सहनशीलता का भाव रखना भी अत्यंत आवश्यक है। भगवान ने एक कंकड़ को भी दूसरे कंकड़ के समान नहीं बनाया, तो दो व्यक्तियों की मनोभूमि और विचारधारा एक दूसरे के समान कहाँ से बनाता? अतः यह समझना भी आवश्यक है कि पति-पत्नी की विचारधाराएँ और मनोभूमियाँ एक समान होना संभव नहीं है। यदि इस तथ्य के प्रति समझ पूर्ण रवैया नहीं अपनाया गया तो पति-पत्नी दो भिन्न ध्रुव बन जाते हैं और उनके जीवन में आवश्यक तालमेल नहीं रह जाता। ऐसे स्थिति में एक पक्ष ने यदि अपनी ही बात पर अड़े रहने और दूसरे से भी उसको ही मनवाने की हठधर्मी पकड़ ली तो बात विगड़ती चली जाएगी।"*💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*सुविचार - "जीवनेच्छा चाहे कितनी प्रबल क्यों न हो, मरण से बचा नहीं जा सकता। मृत्यु की चलती चक्की में अन्न के दानों की तर...
13/07/2025

*सुविचार - "जीवनेच्छा चाहे कितनी प्रबल क्यों न हो, मरण से बचा नहीं जा सकता। मृत्यु की चलती चक्की में अन्न के दानों की तरह हमें आज नही तो कल पिसकर ही रहना है। इस प्राकृतिक सत्य को न तो झुठलाया जा सकता है और न उसका सामना करने से बचा जा सकता है। अनिच्छा, भय-भीरूता, कृपण-कातरता कुछ भी मन में क्यों न हो, प्रकृति का यह सुनिश्चित क्रम रूकने वाला नहीं। हमें परम प्रिय लगने वाला आज का सुनिश्चित अस्तित्व, कल महाशून्य में विलीन होकर रहेगा ही।"*💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*सुविचार - "मनुष्य समाज दो भागों में बँटा हुआ है- (१)नर (२) नारी। आजकल नर की उन्नति, सुविधा और सुरक्षा के लिए तो प्रयत्न...
12/07/2025

*सुविचार - "मनुष्य समाज दो भागों में बँटा हुआ है- (१)नर (२) नारी। आजकल नर की उन्नति, सुविधा और सुरक्षा के लिए तो प्रयत्न किया जाता है, परंतु नारी हर क्षेत्र में पिछड़ी है, फलस्वरूप हमारा आधा राष्ट्र,आधा समाज, आधा परिवार, आधा जीवन पिछड़ा हुआ रह जाता है। जिस रथ का एक पहिया बड़ा और दूसरा छोटा हो, वह ठीक ढंग से नहीं चल सकता । हमारा देश,समाज,जाति तब तक सच्चे अर्थों में विकसित नहीं कहे जा सकते, जब तक नारी को भी नर के समान ही क्रियाशीलता और प्रतिभा प्रकट करने का अवसर न मिले।"*💐💐💐💐💐💐💐💐💐

Copy.....क्या दुनिया में ईश्वर मौजूद है?एक बार मैं नौकरी के कार्य से बाहर गया था वापिस आने पर मैने टाट मिल  से ऑटो किया ...
11/07/2025

Copy.....क्या दुनिया में ईश्वर मौजूद है?

एक बार मैं नौकरी के कार्य से बाहर गया था वापिस आने पर मैने टाट मिल से
ऑटो किया घर जाने को।
ऑटो वाले ने मुझे साकेत नगर में ही उतार दिया। बोला, माफ करना सर,
ऑटो का पेट्रोल खत्म हो गया है।
आप और कोई रिक्शा कर लें ,
पास में ही तो आपको जाना हैं...

मैंने उसका किराया दिया,
और पैदल चल दिया।
मुझे ब्लाक ए में जाना था, मैं वही रहता था..

वहां से रिक्शा तो मिल ही जाता है,
लेकिन ढाई बज रहे थे,
तो शायद खाने का टाइम होगा।
इसलिए कोई भी रिक्शा नहीं मिला...

मैने सोचा पास में ही तो घर है,
30 मिनट में पैदल ही पहुंच जाऊंगा।
तो मैं चल दिया पैदल।
मार्केट के बीचो बीच से ही निकलने की सोची।
उस वक्त लगभग सारी दुकानें बंद थी,
जैसा कि दोपहर में होता हैं।
मैंनें मोड़ पार किया तो देखा -
समोसा और चाय वाली दुकान खुली हुई है,
और इस वक्त वहां लंच कर रहे
बहुत सारे आस पास के फेरी
और दुकान वाले हैं...

वहां एक रिक्शा भी खड़ा था,
जिसकी हालत बहुत खराब थी,
पुराना सा दिख रहा था,
और सीट भी फटी थी।
मैं थका तो नही था ज्यादा,
लेकिन पता नही किस प्रेरणा से
उस रिक्शे पर घर जाने के लिए सवार हो गया। इतने में एक बूढ़ा दुबला लंबा सा व्यक्ति
मेरी तरफ आया।
वो रिक्शे का मालिक था...

आते ही उसने पूछा- "कहां जाना है?"
मैने बताया।
तो उसने कहा-
" क्या आप मुझे किराया पहले दे सकते हैं ?
मैं सुबह से भूखा हूं।
उसकी बात सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ।
मैने किराए के 20 रुपए उसे दिए,
साथ ही जाकर अलग से एक थाली
खाना भी खरीद दिया...

उसने जल्दी- जल्दी में सारा खाना खा लिया।
फिर रिक्शा से मुझे लेकर चल दिया।
रास्ते में मैंने ही पूछा कि-
आज कमाई नहीं हुई थी क्या भाई ?
तो उसने कहा- "मेरी रिक्शा की हालत
देखकर कोई सवारी नहीं मिलती,
इसे ठीक करना मेरे बस में नहीं।
पैसे की तंगी हैं,
और अकेला मैं ही कमाने वाला,
आज घर से जल्दी निकला
क्योंकि रात से कुछ खाया नहीं था,
पत्नी ने बोला था- देखना,
आज जरूर तुम्हे खाना और किराया मिलेगा।
पर दिन भर कोई सवारी नहीं मिली,
सब मेरे रिक्शे की हालत देखकर छोड़ देते...

समोसे की दुकान के पास मैं
ये सोचकर खड़ा था कि शायद किसी को
सवारी की जरूरत हो।
लेकिन गर्मागर्म खाने की खुशबू से
मन में लालच आ रहा था,
सोच रहा था काश!
खा पाता प्रभु।
और देखो मेरे भगवान ने मेरी सुन ली।
ना जाने कब से इस होटल के खाने को
तरसता था,
मगर खा नही पाता था...

उसकी बाते सुनकर यही लगा कि
शायद ईश्वर ने मुझे इसीलिए
उसके पास भेजा हो ,
ताकि उसका भोजन का प्रबंध हो सके।
उसकी लीला वो ही जाने...
उस दिन पहली बार ईश्वर को
बहुत पास महसूस किया...

ईश्वर एक विश्वास है,
अंतरात्मा की ज्योति है,
सत्य है।
ईश्वर हर एक में हैं,
और हर एक की सुनता भी है।
बस हम किसी की मदद कर के
उन्हें महसूस कर सकते हैं...

आप भी किसी की मदद करके देखिए,
बहुत सुकून मिलता है...🙏🙏

🔱🚩 *गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं जीवन पथ पर गुरुदेव का आशीर्वाद 🙌🏻 बना रहे 🙏🏻* गुरु शब्द दो अक्षरों के योग से बनत...
10/07/2025

🔱🚩 *गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं जीवन पथ पर गुरुदेव का आशीर्वाद 🙌🏻 बना रहे 🙏🏻*

गुरु शब्द दो अक्षरों के योग से बनता है। 'गु' का अर्थ है अंधकार या अज्ञान और 'रु' का अर्थ है प्रकाश या ज्ञान अर्थात जो शिष्य को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर अग्रसर करता है, वह गुरु है। इसलिए ऋषि- मुनियों ने गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश कहा है*।

*गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वरः*
*गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम*।।🔱🚩🌹🌹🌹
माता-पिता के उपरांत यदि किसी का कोई सच्चा हितचिंतक है तो वह है उसका गुरु। गुरु ही वह महान शक्ति है , जो मनुष्य को परमात्मा से मिलाती है। गुरु की महानता का बखान करते हुए संत कबीरदास जी ने तो गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर माना है।
गुरु गोविंद दोउ खड़े , काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।
भगवान कृष्ण की अनन्य भक्तिन मीराबाई को तो राम नाम रूपी अमूल्य रत्न गुरु की कृपा से ही प्राप्त हुआ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
इसी प्रकार अनेक संत कवियों जैसे दादू, गोस्वामी तुलसीदास, सूरदास आदि ने गुरु महिमा का वर्णन किया है। गुरु नानकदेव जी ने तो यहां तक कहा है-
*गुरु बिन गति नहीं ।*
गुरु की इस महत्ता को समझते हुए प्राचीन समय में माता-पिता बच्चों को विद्याध्ययन के लिए आश्रम में भेजते थे। आश्रम में गुरु शिष्य को आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक सभी प्रकार की विद्या देते थे। गुरु से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए शिष्य में गुरु के प्रति श्रद्धा एवं आस्था का होना अत्यावश्यक है। त्रेता युग में श्री राम , भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न ने गुरु वशिष्ठ के आश्रम में रहकर वेद-वेदांगों व धनुर्विद्या में निपुणता प्राप्त की। द्वापर में संदीपन ऋषि के शिष्य के रूप में श्री कृष्ण ने ज्ञान प्राप्त किया । द्रोणाचार्य ने गुरु के रूप में कौरवों और पांडवों को धनुर्विद्या का प्रशिक्षण दिया। एकलव्य ने गुरु द्रोण की प्रतिमा को ही गुरु के रूप में स्वीकार कर सच्ची लगन से धनुर्विद्या में प्रवीणता प्राप्त की । उन्नीसवीं शताब्दी में गुरु विरजानंद ने स्वामी दयानन्द को तथा श्री रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को शिष्यत्व प्रदान कर गुरु- शिष्य परंपरा की मर्यादा को अक्षुण्ण बनाए रखा।
गुरु वह प्रकाशपुंज है जो जीवन के अंधकार में भटकते हुए शिष्य को ज्ञान की मशाल जलाकर सही मार्ग दिखलाता है। बालक एक कच्चे घड़े के समान है उसे बचपन में जैसे संस्कार एवं शिक्षा दी जाएगी वह वैसा ही बनेगा। जिस प्रकार कुम्हार घड़े को पीट - पीटकर तथा सहारा देकर उसके सभी दोष दूर कर देता है, उसी प्रकार एक अच्छा गुरु भी शिष्य के सभी दोष दूर करके उसे अच्छा नागरिक बना देता है।
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट ।
अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट वर्तमान समय में चारों ओर जीवन मूल्यों का विघटन दिखाई दे रहा है। भागदौड़ एवं धनोपार्जन की जिंदगी बिताता मनुष्य स्वार्थी बनता जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में माता-पिता का कर्तव्य है कि अपनी संतान को योग्य गुरु से शिक्षा दिलायें।
पदमपुराण, उत्तरखंड में एक स्थान पर लिखा है-
'चिंतामणि केवल लौकिक सुख देती है, कल्पवृक्ष स्वर्ग तक की संपत्ति दे सकता है, किंतु यदि गुरुदेव प्रसन्न हो जाएं तो वे योगियों को भी कठिनता से मिलने वाला नित्य बैकुंठधाम तक दे सकते हैं'
गुरु बिन ज्ञान कहां से पाऊं,
दीजो ज्ञान हरि गुण गाऊँ l
कौन बताए बाट गुरु बिन कौन बताए बाट ll
बड़ा विकट यम घाट गुरु बिन
उक्त पंक्तियों से सभी परिचित हैं इसका मतलब जीवन मे गुरु का होना जरूरी है
और उनके बताए पथ पर चलना भी यह नहीं कि आप गुरु बनाये वहिं गुरु कहलायेंगे
आपके जीवन की शुरुआत मां रूपी गुरु से होती है फिर शिक्षक के रूप में गुरु मिले आपको और फिर हरेक को कोई गुरु गादी के सन्त के रूप में गुरु मिलते हैं जिनके द्वारा आपको ज्ञान प्राप्त होता है उस आचरण का पालन करना आपका कर्तव्य होता है
कहते हैं गुरु अवश्य बनाएं और बहोत लोग बनाते भी हैं पर कहीं यह भी ज्ञात हुआ है गुरु बनाने के बाद नियमो का पालन बहोत लोग नहीं करते जो सही और सत्संग का ज्ञान दे वह भी गुरु ही है
सभी गुरुजनों को धन्यबाद 🙏🏻

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷        *सुविचार - "नारी लक्ष्मी का अवतार है। भगवान मनु स्पष्ट शब्दों में कह गए हैं कि जहाँ ...
09/07/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
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*सुविचार - "नारी लक्ष्मी का अवतार है। भगवान मनु स्पष्ट शब्दों में कह गए हैं कि जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं। अर्थात उस स्थान में सुख, शांति का निवास रहता है । सम्मानित और संतुष्ट नारी अनेक सुविधाओं और सुव्यवस्थाओं का घर बन जाती है, उसके साथ गरीबी में भी अमीरी का आनंद बरसता है। धन-दौलत तो निर्जीव लक्ष्मी है, किंतु स्त्री तो लक्ष्मी की सजीव प्रतिमा है। उसके समुचित आदर, सहयोग और संतोष का सदैव ध्यान रखना चाहिए।"*💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*सुविचार - "आदमी अपनी स्थिति को सुधारने के लिए बेचैन रहता है, पर अपने को सुधारना नहीं चाहता।"* 💐💐💐💐💐💐💐💐💐
08/07/2025

*सुविचार - "आदमी अपनी स्थिति को सुधारने के लिए बेचैन रहता है, पर अपने को सुधारना नहीं चाहता।"* 💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷      *सुविचार - "आज बेशक भारत उभरती हुई शक्ति है, लेकिन आज भी अपना देश काफी पिछड़ा हुआ है। द...
07/07/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*सुविचार - "आज बेशक भारत उभरती हुई शक्ति है, लेकिन आज भी अपना देश काफी पिछड़ा हुआ है। देश में आज भी कन्याजन्म को दुर्भाग्य माना जाता है। सरेआम महिलाओं से छेड़छाड़ और बलात्कार के किस्से भारत में आम बात हो गए हैं। कई युवा एक तरफ जहाँ हमारे देश का नाम रोशन कर रहे हैं तो वहीं कई ऐसे युवा भी हैं, जो देश को शर्मसार कर रहे हैं। हमें पैदा होते ही महिलाओं का सम्मान करना सिखाया जाता है, पर आज भी विकृत मानसिकता के कई युवा घर से बाहर निकलते ही महिलाओं की इज्जत को तार-तार करने से नहीं चूकते। इस सबके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार सही, संस्कारित करने वाली शिक्षा एवं संवेदनशीलता का अभाव है।"*💐💐💐💐💐💐💐

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️* 🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷*दिनांक-०६-०७-२५ दिन रविवार**आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष एकादशी २०८२*🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷           *सुविचार ...
06/07/2025

*🕉️🙏"शुभप्रभात"🙏🕉️*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*दिनांक-०६-०७-२५ दिन रविवार*
*आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष एकादशी २०८२*
🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷
*सुविचार - "प्रकृति से साथ कुछ पल अवश्य बिताएं। प्रकृति के सानिध्य में बिताए कुछ पल जीवन में नई उर्जा एवं शांति का संचार करते हैं। प्रातः-सायं भ्रमण के साथ इसका क्रम प्रारंभ कर सकते हैं। सप्ताह या माह के अंत में प्रकृति के बीच अधिक समय के लिए विचरण का विशेष संयोग बिठाया जा सकता है। साथ ही प्रकृति को अपनी सच्ची सहचरी, संरक्षिका मानते हुए इसके संरक्षण-संवर्द्धन में भी अपना योगदान अवश्य दें।"*💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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