Himanshu Santmat

Himanshu Santmat आध्यात्मिक ज्ञान,संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कि वाणी, संतमत सत्संग संदेश।।
💐🙏जय गुरु महाराज 🙏💐

05/05/2025
सांसारिक सुख पाकर ईश्वर को भूल जाओ, यह ठीक नहीं। संत कबीर साहब ने कहा -*सुख के माथे सिल पड़ै, नाम हृदय से जाय।**बलिहारी व...
24/04/2025

सांसारिक सुख पाकर ईश्वर को भूल जाओ, यह ठीक नहीं। संत कबीर साहब ने कहा -

*सुख के माथे सिल पड़ै, नाम हृदय से जाय।*
*बलिहारी वा दु:ख की, पल-पल नाम रटाय।।*

समाज में लोग रहते हैं। अपना अच्छा नमूना देकर अच्छे कर्मों में समाज को लगाओ, तो बहुत अच्छा होता है। अच्छे समाज में रहते हुए ईश्वर की उपासना करो। हम लोगों के यहाँ ठाकुरबाड़ी है। उसमें पूजा के समय बाजा बजाते हैं। उसका तात्पर्य है कि उसमें सभी लोग भाग लें। मुसलमान लोग नमाज पढ़ते हैं। ईसाई भी सामूहिक प्रार्थना करते हैं। जितने आस्तिक लोग हैं, सभी सामूहिक प्रार्थना करते हैं। वेद में यही आज्ञा है - *"सब कोई आपस में मिलकर रहो।"* इसके लिए पंच पापों से बचो। सब पापों में सरदार है झूठ। झूठ छोड़ना और सत्य को ग्रहण करना, यह संतों ने बहुत जोरों से कहा है।
*ईश्वर उपासना भी सभी मिलकर कीजिए। सभी कोई मिलकर रहिए। सदाचार का पालन कीजिए। साँच को ग्रहण कीजिए। सत्य की बड़ी प्रतिष्ठा है - प्रशंसा है। सत्यनिष्ठ ही ईश्वर की उपासना में अग्रसर हो सकते हैं।* इसलिए सदाचार का पालन मजबूती से कीजिए। आलस्य छोड़कर अपना काम करना चाहिए।
*जीवन का अंत होना अनिवार्य है। ईश्वर की भक्ति करके वैसे लोक में जाना होगा, जहाँ से फिर दु:ख सागर में नहीं गिरेंगे। इसलिए सबों को ईश्वर का भक्त बनना चाहिए।*
-- महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज
जय गुरु!🙏🙏

जय गुरु महराज 🙏🙏
24/04/2025

जय गुरु महराज 🙏🙏

जय गुरु महराज....
24/04/2025

जय गुरु महराज....

------- रात में जगकर ध्यान करें ------पूज्य गुरुदेव महर्षि मेंहीँ परमहंसजी महाराज कटिहार गामीटोला संतमत-सत्संग मंदिर में...
23/04/2025

------- रात में जगकर ध्यान करें ------

पूज्य गुरुदेव महर्षि मेंहीँ परमहंसजी महाराज कटिहार गामीटोला संतमत-सत्संग मंदिर में बोले-जो अपने अंदर में ब्रह्मप्रकाश और ब्रह्मनाद को देखना-सुनना चाहते हैं, वे रात में जगकर ध्यान करें; नींद सतावे सो जाएँ, फिर जगकर ध्यान करें।
इनके कहने का आशय यही था कि साधक को रात में
जगकर ध्यानाभ्यास करना चाहिए।

ध्यानाभ्यास उसी तरह आवश्यक है, जिस प्रकार भोजन। मनुष्य तब मनुष्य होता है, जब ध्यान करता है। जो कोई ध्यान नहीं करता, उसकी...
28/12/2024

ध्यानाभ्यास उसी तरह आवश्यक है, जिस प्रकार भोजन। मनुष्य तब मनुष्य होता है, जब ध्यान करता है। जो कोई ध्यान नहीं करता, उसकी बहुत बड़ी हानि होती है। ध्यानाभ्यास करके जो अपने को नियम में कर लेगा, वह अपने को परमात्मा में जोड़कर, उसमें विराजनेवाली शान्ति प्राप्त करेगा। पवित्र वत्र्तन में ही पवित्र चीज रह सकती है। हृदय की पवित्रता चाहिए। पाप कर्मों को करो, तो हृदय की पवित्रता नहीं रहेगी। पाप कर्मों को छोड़कर चलो, पुण्य कर्म होगा। पवित्र होने पर संसार का

मैल मन पर नहीं रहेगा। पुण्य बढ़ते-बढ़ते आखिर में ऐसा होगा कि वह पवित्र हो जाएगा। इसके लिए

ध्यानाभ्यास करना चाहिए। ध्यानाभ्यास करते-करते सदा मोक्ष मिलेगा। संसार के कर्मों को करते हुए

मानस जप और मानस ध्यान करते रहो। प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में करो। स्नान के बाद तुरंत, फिर सायंकाल और सोने

के समय कुछ करके सोओ। हर एक काम के साथ मानस जप करो। मनुष्य जीवन को बर्बाद मत करो।

ध्यानाभ्यास करनेवाला क्रियमाण कर्मरूप पाप से बचता रहता है; क्योंकि पाप करनेवाले से ध्यान नहीं होगा। पाप कर्म करनेवालों का मन विषयी होता है, वह संसार में लिपटा रहता है, उसे ध्यानाभ्यास में एकाग्रता आवे और उसका ध्यान बने, यह संभव नहीं है जो साधन करता है, जो अपनी दृष्टि की धारों को एक कर सकता है, वह योगी है। जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति से ऊपर जाने के लिए संतों ने कहा है। इन तीनों अवस्थाओं से उठकर जो तुरीय अवस्था में जाता है, उसको आत्मा की झलक होती है। जो तुरीय से ऊपर जाते हैं, वे आत्मा को जानते हैं और आत्मा को जानकर परमात्मा ही हो जाते हैं।

गुरु से मंत्र लेकर मन को एकाग्र करो। एकाग्र करने के लिए नासाग्र में देखो; लेकिन दिशाओं को छोड़कर अपने अन्दर में देखो, तब दिशाएँ छूटेंगी। आँख बन्द कर अपने अन्दर देखो, यह दृष्टि-साधन है। दृष्टि-साधन में कुछ देखा जाता है, फिर कुछ सुना जाता है; लेकिन नादानुसंधान में केवल सुना जाता है। इस साधना की पूर्णता में परम प्रभु परमात्मा का दर्शन होता है और आवागमन का चक्र मिटता है।
🌷🌷🌹🌹 पूज्यपाद महर्षि मेंही परमहंसजी महाराज🌹🌹🌷🌷👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏

Jay guru Maharaj 🙏🙏
05/10/2024

Jay guru Maharaj 🙏🙏

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