
29/07/2025
सरसों की खली बन रही किसानों की पहली पसंद, धान की खेती में बढ़ाएगी उत्पादन और गुणवत्ता
सरसों की खली में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम के साथ कई सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैं. ये तत्व न केवल धान के पौधे को मजबूत बनाते हैं, बल्कि उसकी जड़ों को गहराई तक पोषण देते हैं. खली के प्रयोग से धान की पत्तियां अधिक हरी, चमकदार और रोगमुक्त बनी रहती हैं. यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी सहायक है.
उत्तराखंड के पर्वतीय और तराई क्षेत्रों में अब खेती के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. परंपरागत रासायनिक खादों और यूरिया की जगह किसान जैविक विकल्पों को प्राथमिकता देने लगे हैं. खासतौर पर सरसों की खली ने एक बेहतरीन जैविक खाद के रूप में अपनी पहचान बनाई है. बागेश्वर, कपकोट और गरुड़ जैसे क्षेत्रों में धान की खेती करने वाले किसानों के बीच सरसों की खली का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है.
धान की फसल को देता है संपूर्ण पोषण
सरसों की खली में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम के साथ कई सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद होते हैं. ये तत्व न केवल धान के पौधे को मजबूत बनाते हैं, बल्कि उसकी जड़ों को गहराई तक पोषण देते हैं. खली के प्रयोग से धान की पत्तियां अधिक हरी, चमकदार और रोगमुक्त बनी रहती हैं. यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी सहायक है. जिससे खेत की गुणवत्ता वर्षों तक बनी रहती है.
रासायनिक खादों से हो रहा था नुकसान
स्थानीय किसान आर पी कांडपाल बताते हैं कि पहले हम यूरिया और डीएपी जैसे रासायनिक खादों का उपयोग करते थे. इससे फसल तो तेजी से बढ़ती थी, लेकिन मिट्टी की ताकत हर साल घटती जा रही थी. वहीं जब से हमने सरसों की खली का उपयोग शुरू किया है. फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है और उत्पादन में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है.
उपयोग में आसान और किफायती
सरसों की खली का प्रयोग बेहद सरल है. खेत की जुताई के समय या रोपाई के तुरंत बाद इसे मिट्टी में अच्छी तरह मिला दिया जाता है. पानी देने के बाद खली धीरे-धीरे घुलकर पौधों को पोषण देती रहती है. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, और मिट्टी में जैविक क्रियाओं को भी प्रोत्साहन मिलता है.
किचन गार्डन के लिए भी फायदेमंद
केवल बड़े खेतों तक ही नहीं, बल्कि घरों में बनाए जाने वाले किचन गार्डन में भी सरसों की खली का उपयोग किया जा सकता है. टमाटर, मिर्च, पालक जैसे पौधों के लिए यह एक उत्तम खाद मानी जाती है. छोटे गमलों में भी सप्ताह में एक बार थोड़ी मात्रा में खली मिलाने से पौधे तेजी से बढ़ते हैं और फल भी अधिक लगते हैं
सतत कृषि की ओर एक ठोस कदम
जैविक खेती के क्षेत्र में सरसों की खली जैसे विकल्प आने वाले समय में पर्यावरण के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुधारने में मदद करेंगे. कृषि वैज्ञानिकों का भी मानना है कि यह प्रयोग सतत कृषि की दिशा में एक मजबूत और टिकाऊ कदम है. इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि लोगों का स्वास्थ्य और मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी. इस प्रकार सरसों की खली, खेती में एक क्रांतिकारी बदलाव ला रही है. जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, पोषक और पर्यावरण अनुकूल कृषि सुनिश्चित हो सकेगी.
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