Muzaffarnagar is a city in western uttar pradesh .If famous for there loving nature .that Why it also called as mohhabat nagar,Some people call it Laxmi nagar Also . People are full of joy and enjoy there Life .
यह अपने आप में एक निराला शहर है .. हर व्यक्ति में कोई न कोई विशेषता है ... लोग के दिलो में एक दुसरे के लिए भाई चारा व् प्यार है ... जो आज कल कम ही जगहों पर बचा है ...इसी लिए ये मोहोब्बत न
गर भी कहलाता है .....
यंहा के जैसा खान पानी दुनिया में कंही नहीं है .....
इस जनपद का इतिहास बहुत पुराना है । काली नदी के किनारे तहसील सदर के मांडी नाम के गाँव में हड़प्पा कालीन सभ्यता के पुख्ता अवशेष मिले हैं। अधिक जानकारी के लिये भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने वहां पर खुदाई भी करवायी थी। सोने की अंगूठी जैसे आभूषण और बहुमूल्य रत्नों का मिलना यह दर्शाता है कि यह स्थान प्राचीन समय में व्यापार का केन्द्र था। महाभारत कालीन हस्तिनापुर और कुरूक्षेत्र नगरों से निकटता इस तथ्य को बल देती है।
किंवदंती है कि कौरवों तथा पांडवों के बीच महाभारत का युद्व ग्राम पचेन्डा में लड़ा गया । युद्व के दोरान दोनों पक्षों की सेना कुरावली तथा पंडावली ग्राम में विश्राम करती थी ।
शुक्रताल मुजफ्फरनगर जनपद में स्थित एक विश्व प्रसिद्व धार्मिक स्थान माना जाना जाता है ।इस स्थान पर वटवृक्ष के नीचे महर्षि शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षत को भागवत कथा सुनाई थी । आज भी उस स्थान पर वह प्राचीन व पवित्र वटवृक्ष स्थित है ।
हत्यारे लुटेरे तैमूर आक्रमण के समय के फारसी इतिहास में भी इस स्थान का वर्णन मिलता है। 1399 में गंगा के किनारे भोकड़ हेड़ी स्थान पर बड़ी संख्या में हिन्दुओं ने तैमूर की सेना का सामना किया था परन्तु सुव्यवस्थित न होने के कारण पराजित हो गये। लम्बे समय तक मुगल आधिपत्य में रहने के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 1826 में मुज़फ़्फ़र नगर को जिला बना दिया। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शामली के मोहर सिंह और थानाभवन के सैयद-पठानों ने अंगेजों को हरा कर शामली तहसिल पर कब्जा कर लिया था परन्तु अंग्रेजों ने क्रूरता से विद्रोह का दमन कर शामली को वापिस हासिल कर लिया। 6 अप्रैल 1919 को डा0 बाबू राम गर्ग, उगर सेन, केशव गुप्त आदि के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांगेस का कार्यालय खोला गया और पण्डित मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी, मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, सरोजनी नायडू, सुभाष चन्द्र बोस आदि नेताओं ने समय-समय पर मुज़फ़्फ़र नगर का भ्रमण किया। खतौली के पण्डित सुन्दर लाल, लाला हरदयाल, शान्ति नारायण आदि बुद्धिजीवियों ने स्वतंत्रता आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने पर केशव गुप्त के निवास पर तिरंगा फ़हराने का कार्यक्रम रखा गया।
यह जनपद एतिहासिक शहर हस्तिनापुर के करीब है । इसकी सीमाएं मेरठ, बिजनौर, बागपत, सहारनपुर, हरिद्वार, प्रबुद्धनगर (शामली) तथा पानीपत से लगी हुई हैं । रूडकी आई०आई०टी यहॉ से लगभग ४६ कि०मी० दूर स्थित है । दिनांक 28 सितम्बर 2011 को प्रदेश की मा0 मुख्यमंत्री जी ने मुजफ्फरनगर द्वारा कैराना और शामली तहसील को मिलाकर एक नया जनपद प्रबुद्धनगर घोषित किया गया ।
हॉल के दिनों में आर्थिक समृद्धि बढ़ने के साथ ही जनपद में खेलों के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है । प्रकाश चौक के निकट बना सर्विस कलब एक उच्च स्तरीय बहुद्देशीय क्रीडा स्थल है । इस में स्विमिंग पुल, लॉन टेनिस के ग्रास व हार्ड कोर्ट, बैडमिन्टन तथा स्कवेश के कोर्ट बने हैं । प्रत्येक वर्ष महिलाओं की अंर्तराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता भावना मेमोरियल महिला टूर्नामेन्ट का आयोजन इस कलब में किया जाता है । मेरठ रोड पर नुमाईश ग्राऊन्ड के निकट राज्य सरकार की ओर से एक बहुक्रीडा स्टेडियम का निर्माण किया गया है ।
यहॉ इस शहर में बहुत प्रतिष्ठत स्कूल हैं । शहर में एक निजी वित्त पोषित इंजीनियरिंग कॉलेज और एक मेडिकल कॉलेज है। स्वामी कल्याण देव महाराज ने सामुदायिक सेवा करने के लिए और अपने आप को समर्पित किया हुआ था । ग्रामीणों और दूसरों की सेवा करना ही उनका धर्म था । वह एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे । उन्होनें अपने प्रयासों से राष्ट्रीय महत्व के करीब 200 संस्थानों को पिछले सौ वर्षों के दौरान स्थापित किया था. इन में शामिल हैं: गांधी पालीटेक्निक, आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेद अनुसंधान केन्द्र, कृषि कॉलेज, कृषि विज्ञान केन्द्र, अस्पतालों, नेत्र अस्पताल, डिग्री कालेजों, इंटर कालेज, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों, नवोदय स्कूल, गर्ल्स स्कूलों, जूनियर हाई स्कूल, प्राथमिक स्कूलों, संस्कृत पाठशाला बहरा, गूंगा और ब्लाइंड स्कूल, योग प्रशिक्षण केन्द्र, अम्बेडकर छात्रावास, धर्मशाला, अनाथालय, वृद्वाआश्रम, बूढ़ी गाय के संरक्षण केन्द्र और कई अन्य आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र ।