22/07/2025
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार की शाम को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने पत्र में धनखड़ ने कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं. धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था. धनखड़ को अपने बेबाक बयानों को लेकर जाना जाता है, जिसके कारण वह अक्सर चर्चा में रहते हैं. उपराष्ट्रपति रहते उनकी विभिन्न मुद्दों पर स्पष्ट राय ने कई बार संवैधानिक, सामाजिक और प्रशासनिक बहसों को हवा दी है. आइए जानते हैं धनखड़ के पांच बड़े बयानों के बारे में धनखड़ ने आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में 'सेकुलरिज्म' और 'सोशलिज्म' जैसे शब्दों को जोड़े जाने को "नासूर" करार दिया.धनखड़ ने कहा, "किसी भी संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा होती है. भारत के अलावा दुनिया के किसी भी देश की संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं हुआ, क्योंकि प्रस्तावना अपरिवर्तनीय होती है. संविधान की आत्मा होती है. लेकिन भारत की प्रस्तावना को 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत बदल दिया गया, उसमें ‘समाजवादी', ‘धर्मनिरपेक्ष' और ‘अखंडता' जैसे शब्द जोड़ दिए गए.साथ ही कहा, "अगर आप गहराई से सोचें तो यह एक ऐसा परिवर्तन है, जो अस्तित्व गत संकट को जन्म देता है. ये जोड़े गए शब्द नासूर हैं. ये उथल-पुथल पैदा करेंगे. आपातकाल के दौरान प्रस्तावना में इन शब्दों का जोड़ा जाना संविधान निर्माताओं की मानसिकता के साथ धोखा है. यह हमारे हजारों वर्षों की सभ्यता की संपदा और ज्ञान का अपमान है. यह सनातन की आत्मा का अपवित्र अनादर है.जगदीप धनखड़ ने अनुच्छेद 142 को न्यूक्लियर मिसाइल" की संज्ञा देते हुए कहा, "हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते, जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वह भी किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145 के तहत संविधान की व्याख्या करना है. इसके लिए पांच या उससे अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता होती है.साथ ही कहा, "हाल ही में जजों ने राष्ट्रपति को लगभग आदेश दे दिया और उसे कानून की तरह माना गया, जबकि वे संविधान की ताकत को भूल गए. अनुच्छेद 142 अब लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ एक ‘न्यूक्लियर मिसाइल' बन गया है, जो चौबीसों घंटे न्यायपालिका के पास उपलब्ध है