07/10/2025
सारा नेता अपने कैरियर के लिए कुछ भी कर सकता है वैसा आप भी किये , तेजस्वी को भर दम तेल लगाए बापू सभागार मे भी दिखा ? बोचहा अमर पासवान जीत गए तो ढोल पीट रहे थे कि आप ही जीतवा दिए बोल रहे हैं कि राजद का समर्थन नहीं किया, भ्रष्टाचारी हत्या का आरोपी सातवीं पास उपमुख्यमंत्री के गाने पर भाजपा ज्वाइन कर लिए जो सबसे बड़ा फॉरवर्ड का विरोधी है आपसे कोई जल नहीं रहा है आपका चरित्र ही ऐसा है आप भी अपने स्वार्थ और भविष्य का राजनीति कीए है शुरू से समाज को सामने रखकर ? ज्यादा अंड बंड लीखीएगा आप भी फेंका जाइएगा
थोड़ा लंबा है, लेकिन पढ़ियेगा और अपना विचार भी साझा कीजिएगा।
राजनीति में मौकापरस्त लोग हर 5 साल पर अपनी पार्टी बदलते रहते हैं, परन्तु हमने अपने तेरह वर्षों के संघर्ष में पहली बार किसी दूसरी पार्टी का दामन थामा है और मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि यह हमारे राजनैतिक जीवन की आखिरी पार्टी भी होगी। इससे पहले हमने भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच फा. नामक समाज का संगठन बनाया और विगत 13 वर्षों में अपने और संगठन से जुड़े साथियों के सहयोग से बहुत ही सीमित संसाधनों में जितना संभव हो सका हमने समाज के लोगों के हर सुख-दुःख में साथ खड़े रहने का हर संभव प्रयास किया। पटना के गांधी मैदान में समाज के लोगों की अपील पर हमने राष्ट्रीय जन जन पार्टी नामक एक राजनीतिक दल भी बनाया और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 47 सीटों पर उम्मीदवार भी उतारा परन्तु समाज ने अपेक्षाकृत वोट नहीं दिया, बल्कि अधिकांश लोगों ने यह कहा कि आप समाज के लिए काम अच्छा करते हैं परंतु यदि हम आपकी पार्टी को वोट दे देंगे तो भाजपा (NDA) हार जाएगी और राजद (महागठबंधन) जीत जाएगी। समाज के हजारों प्रबुद्धजनों ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि आपको भाजपा (NDA) के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए। हमारे सामने उस समय यह सवाल था कि NDA हमारी पार्टी के साथ गठबंधन क्यों करेगी? जब NDA को यह बात पता है कि हमारे सामान्य वर्ग के 90% लोग विगत 40 वर्षों से भाजपा के नाम पर NDA को अपना वोट बगैर कोई शर्त के देते आ रहे हैं फिर उस वर्ग की एक नई पार्टी क्यों खड़ी की जाए?
खैर.! इसी बीच मुजफ्फरपुर के बोचहां विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ, समाज के लोग राजद उम्मीदवार के पक्ष में गोलबंद थे और स्थानीय सैकड़ों लोगों ने मुझे कॉल और मैसेज के माध्यम से बोचहां में राजद प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने की अपील की। उपचुनाव प्रचार के अंतिम दिन हमने बोचहां पहुंचकर राजद प्रत्याशी के पक्ष में लोगों से वोट करने की अपील की। समाज पहले ही मूड बना चुका था और अंततः लगभग 35 हजार से अधिक मतों से राजद प्रत्याशी की जीत हुई। उसके बाद हमने पटना के बापू सभागार में परशुराम जयंती का आयोजन किया। इस अवसर पर हमने बिहार NDA और महागठबंधन के लगभग सभी बड़े नेताओं को आमंत्रित किया। चुकीं उस दिन बिहार के विभिन्न जिलों में परशुराम जयंती मनाई जा रही थी, इसीलिए माननीय ललन बाबू, माननीय विजय सिंहा जी नें किसी और कार्यक्रम में भाग लेने का पूर्व में वादा करने के कारण बापू सभागार कार्यक्रम में उपस्थित होने में अपनी असमर्थता व्यक्त की। इसी क्रम में हमने तेजस्वी यादव और तत्कालीन बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास जी को भी आमंत्रित किया था। तेजस्वी यादव और भक्त चरण दास हमारे कार्यक्रम में आए और इनके अलावा दर्जनों वर्तमान तथा पूर्व मंत्री व सांसद भी उपस्थित हुए। बड़ी बात यह हुई कि जिस तेजस्वी यादव ने अपने जीवन में कभी भी भगवान परशुराम या भूमिहार ब्राह्मण शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था वही तेजस्वी यादव उस दिन 5 हजार से अधिक भूमिहार ब्राह्मणों के सामने न केवल भगवान परशुराम के आगे शीश झुकाए बल्कि भूमिहार ब्राह्मण समाज से अपने माता पिता की ग़लतियों के लिए माफी भी माँगी। तेजस्वी से माफी मंगवाने के बाद भी जो लोग कह रहे थे कि भूमिहारों के मंच पर तेजस्वी को बुलाकर आशुतोष कुमार ने समाज को बेच दिया वही लोग आज कुछ नेताओं के राजद में शामिल होने पर अब जयकारा लगाते हुए सर्वदलीय राजनीति की बात कर रहे हैं, कितने दोहरे चरित्र के गिरे हुए लोग हैं ये, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगाइए। बोचहां के अलावा हमने मोकामा उपचुनाव में बड़े भाई पूर्व विधायक अनंत सिंह जी की धर्मपत्नी के प्रचार में मोकामा में राजद के लिए वोट मांगा। मोकामा में हमने किसी राजद प्रत्याशी के कारण नहीं बल्कि व्यक्तिगत संबंधों के कारण उनके पक्ष में प्रचार किया। आज भी उनका कॉल मेरे पास आया है और पुनः उनके प्रचार में मोकामा जाउँगा। हमने अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी राजद या महागठबंधन का समर्थन नहीं किया और ना ही कभी राजद या महागठबंधन के साथ कोई गठबंधन किया या किसी पार्टी की सदस्यता ली। हमने दर्जनों भूमिहार, ब्राह्मण और राजपूत नेताओं को लालू यादव और तेजस्वी यादव का चरण पखारते देखा भी है और सुना है लेकिन आज तक किसी के द्वारा लालू या तेजस्वी से अपनी पिछली ग़लतियों के लिए माफी मंगवाते नहीं देखा था। समाज का एक हिस्सा जो धनबली, बाहुबली और राजनीति में उच्च पदों पर बैठे नेताओं, चाहे हो वो लाख भ्रष्ट, हत्यारा या लुटेरा ही क्यों न हो, वैसे नेताओं और उनके बेटों की जय-जयकार तो हँसी-ख़ुशी स्वीकार कर लेता है लेकिन एक गरीब परिवार का लड़का जिसने अपनी सरकारी नौकरी, जवानी सब कुछ समाज के नाम क़ुर्बान कर दी, उसकी लोकप्रियता को पचा नहीं पाते और पुरी ताकत से उसे गिराने में लग जाते हैं। ऐसा नहीं है कि षड्यंत्र करते हुए वे लोग अपनी नजरों से नहीं गिरते होंगे, यदि सोचने समझने की क्षमता होगी और दिल पर हाँथ रख कर विचार करते होंगे तो निश्चित ही वे अपनी नज़रों में भी गिर जाते होंगे परन्तु ईर्ष्या, जलन, द्वेष होती ही ऐसी है कि जिसके सामने अच्छे-अच्छे आँख वाले भी अंधे हो जाते हैं। वे लोग ऐसा कर केवल मेरा मनोबल तोड़ते का प्रयास नहीं करते बल्कि गरीब और साधारण परिवार से आने वाले और सामाजिक और राजनीतिक जीवन में कुछ बेहतर करने का प्रयास करने वाले उन तमाम युवाओं का भी मनोबल तोड़ देते हैं।
समाज के लोगों के अपील पर ही पार्टी बनी थी और जब समाज के लोगों ने ही चुनाव में भाजपा या NDA के हारने के डर से हमारी पार्टी को उम्मीद के मुताबिक़ वोट नहीं दिया तो हमारे पास बेहतर राजनीतिक विकल्प के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
जन सुराज पार्टी के कार्यालय से दर्जनों बार कॉल आने के बाद हमने विकल्प के रुप में जन सुराज को प्राथमिकता देते हुए प्रशांत किशोर से मुलाकात की। प्रशांत किशोर से मुलाक़ात के बाद मुझे यह स्पष्ट हो गया कि इस व्यक्ति के पास अपने धन और बुद्धि का हिसाब से ज्यादा घमंड है और बहुत दिनों तक हमारी इसके साथ बन नहीं सकती। आधे घंटे की मुलाकात के बाद जब मैं निकलने लगा तो प्रशांत किशोर ने पुनः मिलने की बात कही जिसे हमने अनमने तरीके से अस्वीकार कर दिया। इसी बीच हमारी मुलाकात बिहार के उप मुख्यमंत्री माननीय श्री सम्राट चौधरी जी, उप मुख्यमंत्री माननीय श्री विजय सिंहा जी, प्रदेश अध्यक्ष माननीय श्री दिलीप जायसवाल जी, बिहार भाजपा सह प्रभारी श्री दीपक प्रकाश जी से हुई। सबों ने भाजपा में शामिल होकर राज्य व देश के विकास में योगदान देने की बात कही। हमने कुछ समय माँग कर गहनता पूर्वक विचार किया और अंततः भाजपा परिवार में शामिल होने का निर्णय लिया। चुकी हमारे साथी किसी एक विधानसभा, लोकसभा या राज्य तक सीमित नहीं थे, इसलिए हमें ऐसी पार्टी के साथ जुड़कर कार्य करना बेहतर लगा, जिसके साथ भारत के विभिन्न राज्यों से जुड़े अपने साथियों को जोड़ा जा सके, जरुरत पड़ने पर उनकी हर संभव मदद की जा सके और मेरे समझ से भाजपा से बेहतर कोई विकल्प नहीं था। हमने पार्टी का विलय किया परन्तु संगठन आज भी सक्रिय है और आगे भी रहेगा। हमारे संगठन बनाने से पहले इस समाज का जमीन पर कोई भी संगठन सक्रिय नहीं था यहां तक कि 10 साल पहले भूमिहार शब्द सोशल मीडिया पर देखने को नहीं मिलता था और जो भूमिहार नेता हमारे संगठन का विरोध यह बोलते हुए करते थे कि भूमिहार-भूमिहार करने से क्या होगा? बाद में वही लोग हमारे विरुद्ध एकत्रित होकर भूमिहारों का संगठन चलाने लगे। आज से 10 साल पहले की कोई भी तस्वीर दिखा दीजिए जिसमें बिहार में हमारे अराध्य भगवान श्री परशुराम जी की जयंती मनाई जा रही हो। जहां हमारा समाज भूमिहार नेताओं को एक अच्छे पद पर देखने को तरसता था, अचानक ऐसा क्या हुआ जो बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश में कांग्रेस ने भूमिहार प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था, जदयू ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया था, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री जैसा पद अचानक से मिलने लगा, आखिर ऐसा हुआ क्या जो 2020 के चुनाव में घोषणा कर एक भी भूमिहार को टिकट नहीं देने वाली पार्टी राजद आज 10 भूमिहारों को टिकट देने की बात करने लगी। ये सब अचानक हृदय परिवर्तन नहीं हुआ है। इसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा है, लाठियां खानी पड़ी है, मुकदमे झेलने पड़े हैं। हृदय पर हाँथ रख कर यदि ईमानदारी पूर्वक सोचिएगा तो आपको एहसास हो जायेगा की इसमें आशुतोष कुमार का क्या योगदान रहा है।
जो अभी जनम के अच्छे से खड़ा नहीं हुआ उसको क्या पता है संघर्ष किसे कहते हैं? वो तो धनबलियों के मीडिया कवरेज और अच्छी-अच्छी लोकलुभावनी बातों में आकर अपनो का ही विरोध शुरू कर देते हैं। जो लोग यह कहते हुए हमारा विरोध कर रहे हैं कि प्रशांत किशोर भी ब्राह्मण हैं उनका विरोध आप मत करें। हमने कब कहा कि वो ब्राह्मण नहीं मुसलमान हैं? लेकिन जितनी तरफदारी उन्होंने आज तक मुसलमानों के वोट के लिए कर ली क्या 2, 4 बार भी अपने मुंह से वे यह बात बोलने की हिम्मत जुटा पाए हैं कि वे ब्राह्मण हैं? क्या विगत 3 वर्षों में जब से वे बिहार घूम रहे हैं, इस बीच में एक भी ब्राह्मण की हत्या नहीं हुई? क्या एक भी ब्राह्मण की बेटी का बलात्कार नहीं हुआ? क्या एक भी ब्राह्मण को झूठे मुकदमे में फंसाया नहीं गया? अगर ऐसा हुआ है तो मुझे वो तस्वीर दिखा दीजिए जिसमें प्रशांत किशोर उस पीड़ित परिवार के आंसू पोछते दिखाई दे रहे हों या खानापूर्ति के लिए ही कम से कम उसका हाल जानने पहुंचे हों? एक सर्वे के मुताबिक अपने प्रचार पर हर रोज 40 से 50 लाख खर्च करने वाले और अब तक कुल 500 करोड़ से अधिक खर्च करने वाले प्रशांत किशोर क्या इतने पैसों में अपने समाज के कुछ जरूरतमंद लोगों का जीवन नहीं सुधार सकते थे? मेरा प्रशांत किशोर से कोई व्यक्तिगत विरोध या दुश्मनी नहीं है लेकिन सवाल यह है कि कल तक पैसे के लिए किसी भी भ्रष्ट, धर्म विरोधी और देशद्रोही नेता को कथित तौर पर मुख्यमंत्री बना देने वाले प्रशांत किशोर अचानक देशभक्त और ईमानदार कैसे बन गए? क्या सम्राट चौधरी, मंगल पांडे, तेजस्वी यादव, लालू यादव, ममता बनर्जी, केजरीवार, स्टालिन, अखिलेश यादव सब इन्हें उस समय हरिश्चंद्र के परिवार नजर आ रहे थे? नहीं ऐसा नहीं था! दरअसल उस समय उन्हें केवल रुपया दिखाई दे रहा था, सामने वाला चाहे कितना भी भ्रष्ट हो उससे कोई मतलब नहीं था। अब इन्हें कुर्सी चाहिए तो सबसे ज्यादा खुद को ईमानदार और बाकी सब को बेईमान बताने में लगे हैं। कुछ हमारे तथाकथित शुभचिंतक एक पूर्व भाजपाई यूट्यूबर का हवाला देकर सवाल करते हैं कि आपका भी वही हाल तो नहीं होगा। हम उन शुभचिंतकों को बताना चाहते हैं कि आपको ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं है। हमारी पहचार यूट्यूबर के तौर पर नहीं है, हमारी पहचान समाजसेवा और राजनीतिक व्यक्ति के तौर पर है। हमारे पास संसाधनों की कमी जरुर है लेकिन राजनीतिक समझ की कमी नहीं है।यदि टिकट ही चाहिए होता तो 2020 में ही भाजपा/ राजद और कांग्रेस जैसी पार्टियों से टिकट का ऑफर दर्जनों बार मिल चुका था और यह बात समाज के कई माननीयों और हमारे संगठन के साथियों को भी पता है। इसलिए मुझे टिकट की परवाह नहीं है। हम जानते हैं कि यदि हम पार्टी को मजबूत करेंगे तो पार्टी हमें भी मजबूत करेगी। यहाँ राजद वाला सिस्टम तो है नहीं कि लालू जी के बाद तेजस्वी का ही नम्बर लगना फिक्स है। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि अब हम उस पार्टी में हैं जहाँ हमारे समाज के 90% से अधिक लोग पहले से ही मौजूद हैं।
हम इस बात से भी संतुष्ट हैं कि हमने राजद के राजकुमार से उनके माता-पिता की ग़लतियों के लिए भरे मंच पर माफ़ी मँगवाई लेकिन कभी राजद में शामिल होकर समाज के साथ ग़द्दारी नहीं की। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि भाजपा में रह कर भी हमारे समाज या महापुरुषों के खिलाफ बोलने वालों का मुँहतोड़ जवाब दे पा रहे हैं। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि लाख विरोध के बाद भी भाजपा ने हमें सम्मानपूर्वक स्वीकारा है और आज भी दोनो माननीय उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष जी के अलावा तमाम वरीय नेताओं का स्नेह व आशीर्वाद हमें प्राप्त होता है। हमने अपने जीवन में कभी किसी नेता की चापलूसी नहीं की लेकिन वर्तमान में मैं जिस दल में हूँ उस दल के या दल के नेताओं के खिलाफ बोलने वालों के सामने मैं चुप नहीं रह सकता, जब भी आवश्यकता पड़ेगी ठोक कर जवाब दूँगा और जरुरत पड़ी तो सड़कों पर भी संघर्ष करूँगा।
हाँ.! कुछ जलनखोर मानसिकता के वैसे लोग हैं जो समाज के लिए लड़ते-लड़ते यदि हम अपने प्राण भी त्याग दें तो वैसे लोग तब भी दबी ज़ुबान से कहते फिरेंगे कि जरुर इसमें आशुतोष का कुछ व्यक्तिगत स्वार्थ होगा। इतने के बाद भी यदि कुछ लोगों को समझ नहीं आती तो भाई तुम सच में वही हो जो हम बोलना नहीं चाहते।
वैसे लोगों से बस एक ही सवाल पूछना है कि तुम पैदा ही ऐसा लिए थे या हमारी लोकप्रियता देखकर बाद ऐसा हो गए..😄
तुम जलन बरकरार रखो.. हम जलवा बरकरार रखेंगे।
जय भाजपा✌️