
07/03/2025
"बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार॥"
अर्थ:
हे पवनपुत्र हनुमान! मैं अपने आपको बुद्धिहीन जानकर आपका स्मरण करता हूँ। मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करें और मेरे सभी कष्टों और दोषों को दूर करें।
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