11/07/2025
▶️ महाराष्ट्र की मस्जिदों में अज़ान की आवाज़ के बारे में हाईकोर्ट का क्या निर्णय है?
डीपसर्च, वेब सर्च कीजिए और हाईकोट के निर्णय बताईये और महाराष्ट्र सरकार का इस पर क्या कहना है ये भी बताइए
*महाराष्ट्र हाईकोर्ट का अज़ान की आवाज़ पर निर्णय*
महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने हाल के वर्षों में मस्जिदों में लाउडस्पीकर के उपयोग और अज़ान की आवाज़ के संबंध में ध्वनि प्रदूषण (नॉइज़ पॉल्यूशन) के नियमों का पालन करने पर जोर दिया है। विशेष रूप से, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2016 और इसके बाद के कुछ मामलों में यह स्पष्ट किया कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत लाउडस्पीकर का उपयोग केवल अनुमति प्राप्त समय और स्थान पर ही किया जा सकता है। कोर्ट ने यह नहीं कहा कि अज़ान पर पूरी तरह प्रतिबंध है, बल्कि यह निर्देश दिया कि लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए स्थानीय पुलिस या संबंधित प्राधिकरण से अनुमति लेना अनिवार्य है, और ध्वनि का स्तर निर्धारित सीमा (आवासीय क्षेत्रों में 55 डेसिबल दिन में और 45 डेसिबल रात में) से अधिक नहीं होना चाहिए।
हाल के एक मामले में, 2025 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रुख दोहराया कि किसी भी धार्मिक गतिविधि के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग बिना अनुमति के नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह नियम सभी धार्मिक स्थलों, चाहे मस्जिद, मंदिर, या अन्य, पर समान रूप से लागू होता है। यह निर्णय धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (संविधान के अनुच्छेद 25) और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए लिया गया।
*महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया*
महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय का समर्थन किया है और इसे लागू करने के लिए कदम उठाए हैं। सरकार ने पुलिस और स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे ध्वनि प्रदूषण नियमों का सख्ती से पालन करवाएं। 2025 में, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई और अन्य शहरों में पुलिस ने मस्जिदों से बिना अनुमति के लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई शुरू की। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि सभी धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण नियमों को लागू करने का हिस्सा है।
महाराष्ट्र सरकार ने यह भी कहा कि वह धार्मिक भावनाओं का सम्मान करती है और अज़ान जैसे धार्मिक कृत्यों पर कोई प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं है। हालांकि, लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए अनुमति लेना और ध्वनि स्तर को नियंत्रित करना अनिवार्य है। कुछ स्थानों पर, सरकार ने डिजिटल अज़ान ऐप्स जैसे वैकल्पिक उपायों को बढ़ावा देने की बात कही है ताकि ध्वनि प्रदूषण कम हो और धार्मिक प्रथाएं भी जारी रहें।
*निष्कर्ष*
हाईकोर्ट का निर्णय:
लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए अनुमति अनिवार्य है, और ध्वनि स्तर को ध्वनि प्रदूषण नियमों के अनुसार नियंत्रित करना होगा। यह नियम सभी धार्मिक स्थलों पर लागू होता है, न कि केवल मस्जिदों पर।
*महाराष्ट्र सरकार का रुख:* सरकार कोर्ट के निर्देशों का पालन कर रही है और ध्वनि प्रदूषण नियमों को लागू करने के लिए कदम उठा रही है। साथ ही, यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान हो।
*2025 में कोई विशिष्ट बयान:*
2025 में अज़ान या धार्मिक स्थानों के लिए लाउडस्पीकर के उपयोग पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से कोई नया बयान या शासनादेश (जैसा कि maharashtra.gov.in या dgipr.maharashtra.gov.in पर उपलब्ध है) नहीं मिला। सरकार सामान्यतः हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करने और ध्वनि प्रदूषण नियमों को लागू करने की नीति अपनाती है।
*मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों की भूमिका:*
माहिती व जनसंपर्क महासंचालनालय के अनुसार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार की अध्यक्षता में मंत्रिमंडळ निर्णय सामाजिक सामंजस्य और कल्याणकारी योजनाओं पर केंद्रित रहे हैं। अज़ान या धार्मिक स्थानों के लिए लाउडस्पीकर पर कोई विशिष्ट प्रतिक्रिया दर्ज नहीं की गई है।
*क्या यह निर्णय केवल मस्जिदों पर लागू है या अन्य धार्मिक स्थानों पर भी?*
▶️सामान्य नियम: बॉम्बे हाईकोर्ट के 2016 के निर्णय और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत ध्वनि प्रदूषण नियम सभी धार्मिक स्थानों—मस्जिद, मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च, और अन्य—पर समान रूप से लागू होते हैं। इसमें कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
▶️उदाहरण के लिए:मंदिरों में भक्ति भजनों या आरती के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग भी उसी नियम के अधीन है।
▶️गुरुद्वारों में कीर्तन या चर्चों में प्रार्थना सभाओं के लिए भी ध्वनि सीमा का पालन करना अनिवार्य है।
*विशिष्टता:* जलगांव मस्जिद मामले (2023) जैसे कुछ उदाहरणों में स्थानीय विवादों के कारण मस्जिदों पर विशेष ध्यान गया, लेकिन यह ध्वनि प्रदूषण से अधिक ऐतिहासिक या सामुदायिक विवाद से संबंधित था। कोई भी हाईकोर्ट निर्णय या सरकारी नीति केवल मस्जिदों को लक्षित नहीं करती; नियम सभी धार्मिक स्थानों पर लागू होते हैं।
*हाईकोर्ट का निर्णय:*
2025 तक, अज़ान की आवाज़ पर विशेष रूप से कोई नया हाईकोर्ट निर्णय नहीं मिला। ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के तहत लाउडस्पीकर का उपयोग सभी धार्मिक स्थानों पर नियंत्रित है, जिसमें अनुमति और ध्वनि सीमा का पालन अनिवार्य है।
*महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया:*
सरकार हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करती है और ध्वनि प्रदूषण नियमों को लागू करने पर ध्यान देती है। 2025 में अज़ान या लाउडस्पीकर पर कोई नया बयान या नीति सामने नहीं आई।
*दायरा:* नियम मस्जिदों, मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों और सभी धार्मिक स्थानों पर समान रूप से लागू होते हैं।