30/09/2025
Remembering Hon. Adv. Vimalsurya Chimankar sir - (7 Sep 1955 - 30 Sep 2020)
Miles to go before I sleep...
आंबेडकरी तत्वज्ञान के भाष्यकार ॲड. विमलसूर्य चिमणकर सर जिन्हे आंबेडकरी आंदोलन में "भाऊ" / 'भैय्या' नामसे जाना जाता है, वे आंबेडकरी साहीत्य, सांस्कृतिक, सामाजिक आंदोलन के सुंदर, निर्मल, प्रखर समर्पित विद्रोही सपना थे। नागपूर की कांतीभूमी में उनका जन्म हुआ, बी.एस.सी करते हुये आबेडकरी आंदोलन में खुद को समर्पित कर दिया। परम पूज्य डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजी द्वारा स्थापित 'समता सैनिक दल' इस मातृसंगठन के वे संपर्क में आते है।
1970 के दशक में महाराष्ट्र में बौध्दो पर अन्याय-अत्याचार की घटनाए घटीत होती है यह युवा महाराष्ट्र के अत्याचारग्रस्त इलाको में जाकर सच्चाई को सामने लाने का काम करते है। शहीद पोचीराम कांबळे से लेकर जवखेडा तक उनकी मौजूदगी रहती है। रिडल्स, नामांतर आंदोलन में सक्रीय सहभागीता 15 ऑगस्ट 1993 को आर.पी.आय. के विधायक मा. उपेन्द्रजी शेंडे नामांतर के लिये मुंबई में आमरण अनशन पर बैठते है, चिमणकर सर अपने साथीयों के साथ मुंबई में रहकर यह संपूर्ण आंदोलन विजय की ओर ले जाने का ऐतिहासीक काम उन्होने कीया ।
'दि पिपल' इस मासिक पत्रीका के मुख्य संपादक के तौर पर उन्होने काम किया। उनके द्वारा लिखे गये लेख जो सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, राष्ट्रीय-आंतरराष्ट्रीय मसलो पर, संविधान, आरक्षण, मुलनिवासीवाद, बहुजनवाद, विपश्यना, इनके उपर उनका बेबाक विश्लेषण आंबेडकरी आंदोलन को दिशा देते रहा है। 2001 में ऐतिहासीक "संविधान जागृती अभियान लाँग मार्च" 1200 कि.मी. चैत्यभूमी (मुंबई) से दिक्षाभूमी (नागपूर) तक का उन्होने सफल आयोजन कीया स्मृतिशेष मार्शल विमलसुर्य चिमणकर इनकी दुरदृष्टीता और उनका विश्लेषण यह सटीक और सत्य को लेकर आता था चाहे राजनितीक या आंतरराष्ट्रीय विषयों लेकर उनका बेबाक विश्लेषण आज भी हमें मार्गदर्शन करता है उनका 'दुसरा महायुध्द और डॉ बाबासाहब आंबेडकर', 'कार्लमार्क्स' और डॉ बाबासाहब आंबेडकर यह उनकी रचनाए आंबेडकरी आंदोलन को नयी दिशा देने में समर्थ है। उन्होने देश के कोने-कोने में समता सैनिक दल को पहुंचॉकर बढा ऐतीहासिक काम किया है। उन्होने बाबासाहब की उंगली थामकर 46 बरस तक अपने मसिहा के लिये जींदगी दाँव पर लगा दी। उन्होने खुद के साथ जो प्रॉमीसेस कीये थे उसे पुरा करने की पुरजोर कोशिश अपनी आखरी साँस तक की और उसमें वह सफल रहे ।
डॉ. बाबासाहब इनके इस सच्चे सूर्याकूर ने 30 सितंबर 2020 को इस दुनिया को अलविदा कहा। उनकी स्मृती में 'आंबेडकरी समर्पित कार्यकर्ता गौरव पुरस्कार' आंबेडकरी आंदोलन में समर्पित होकर काम करनेवाले आंबेडकरी योध्दा-ओकों यह पुरस्कार दिया जा रहा है। । उनका उनका क्रांतीकारी जिवन उर्जा से परिपूर्ण था। उनकी निष्ठा, समर्पण, त्याग और उनका निष्कलंक चरित्र यह उनके बलस्थान थे। उनका जिवन आनेवाली पिढीयोंको मार्गदर्शक रहे इसलिये यह पुरस्कार दिया जा रहा है। पहला पुरस्कार 2021 को मार्शल सुधाकर सोमकुंवर (महाराष्ट्र) इन्हे दिया गया । वर्ष 2022 का पुरस्कार आद. बुध्द शरण हंस (पटना) बिहार इन्हे दिया गया। वर्ष 2023 का पुरस्कार आ. मार्शल अभय कुंभारे वर्धा (महाराष्ट्र) इन्हे दिया गया, 2024 का पुरस्कार छायाताई खोब्रागडे इन्हे दीया गया। इस वर्ष 2025 का पुरस्कार मार्शल डॉ. शिलाताई दांडगे इन्हे दिया जा रहा है।
आप इस कार्यक्रम के लिये सादर आमंत्रीत है। आइये हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें की आंबेडकरी आंदोलन को उसकी उँचाईयो तक ले जाने का संकल्प करें आज हम मार्शल ॲड. विमलसूर्य चिमणकर सर इनके समान समर्पण, नैतिकता और त्याग के साथ आंबेडकरी आंदोलन को उँचाईयो पर पहुँचाते है तो यही आंबेडकरी आंदोलन के सच्चे क्रांतीयोध्दा को भावभिनी आंदरांजली होगी ।