
12/01/2024
यह हिस्सा वरिष्ठ पत्रकार राजेश जोशी के 'साभार मीडिया फ़ाउंडेशन' के पहले 'मीडिया डायलॉग' में 'मीडिया और लोकतंत्र' पर दिए गए व्याख्यान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस हिस्से में उन्होंने पिछले तीन दशकों के अपने पत्रकारिता के अनुभवों के आधार पर भारत में 'मीडिया और लोकतंत्र' की पड़ताल की है.
जनसत्ता, आउटलुक और फिर बीबीसी के दौर के अपने अनुभवों और, इस दौरान बदलती सरकारों, नेताओं और उनके भारतीय लोकतंत्र के प्रति व्यवहार, पत्रकारिता जगत के बदलते गए हालात का इस व्याख्यान में उन्होंने आंकलन किया है.
उनके व्याख्यान का हिस्सा इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजे अराजक हालात भी हैं और राजीव गांधी की 400 का आंकड़ा पार कर जाने वाली जीत भी, जिसकी आकांक्षा 2024 में मौजूदा सरकार को भी है.
पत्रकारों की नकेल कसने के लिए लाए गए राजीव गांधी के एंटी डिफ़ेमेशन बिल का भी वे ज़िक्र करते हैं साथ ही मौजूदा मोदी सरकार की पूरी न्यूज़ मीडिया पर ऑक्टोपसी जकड़ की कड़ी आलोचना से भी वे नहीं चूकते.
इस व्याख्यान में राजेश जोशी ने बीबीसी के स्वर्णिम अतीत का ज़िक्र किया है तो भविष्य को लेकर गहरी आशंकाओं का भी. पिछले दिनों बीबीसी के दफ़्तरों पर पड़े छापों के बाद बने नए हालत में बीबीसी क्या पुराने दौर के बीबीसी की तरह रह पाएगा, इसे लेकर राजेश जी ने चिंता जाहिर की है.
भारतीय लोकतंत्र और मीडिया की गहरी पड़ताल करते इस व्याख्यान को सुनना/देखना ना भूलें..
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