
28/05/2025
🌺 आज के दिन का इतिहास – 28 मई 1883 🌺
"वीर" शब्द को अर्थ देने वाले क्रांतिकारी का जन्मदिन 🙏🇮🇳
आज ही के दिन, 28 मई 1883 को उस महापुरुष का जन्म हुआ था, जिनका नाम भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में साहस, विचार और बलिदान की मिसाल है — वीर सावरकर।
स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर न सिर्फ एक क्रांतिकारी थे, बल्कि वे एक कवि, लेखक, चिंतक और राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रणेता भी थे। उन्होंने अपनी युवावस्था में ही मातृभूमि को पराधीनता की जंजीरों से मुक्त कराने का संकल्प ले लिया था।
✊ लंदन में बैठकर हिंदुस्तान की आज़ादी का बीज बोने वाले इस योद्धा को ब्रिटिश साम्राज्य ने इतना बड़ा खतरा माना कि उन्हें "काला पानी" की सज़ा दे दी गई।
सेल्युलर जेल की अमानवीय यातनाएं भी उनके इरादों को तोड़ न सकीं। सावरकर ने अपने जेल के दिनों में भी देशभक्ति की कविताएं लिखीं, और अपनी आत्मा की ज्वाला को शब्दों में ढाल दिया।
📚 उनकी लिखी किताब "1857 का स्वतंत्रता संग्राम" को अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया, क्योंकि उसमें भारत की आज़ादी के पहले संगठित युद्ध को सच्चे रूप में दिखाया गया था।
लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज की राजनीति में सावरकर जैसे वीरों को जानबूझकर हाशिये पर रखा जाता है।
कांग्रेस पार्टी और उनके 'राजकुमार' ने कई बार वीर सावरकर के बलिदानों और योगदान का मज़ाक उड़ाया, उन्हें "माफ़ीवीर" कह कर नीचा दिखाने की कोशिश की — जबकि वो 'माफ़ीनामा' नहीं, एक रणनीतिक पत्र था ताकि वो जेल से निकलकर फिर से भारतमाता की सेवा कर सकें।
क्या कोई भी व्यक्ति कायर हो सकता है जो अपने देश के लिए काला पानी जैसी भयावह सज़ा झेले? क्या कोई कमजोर दिल का इंसान अंग्रेजों की आंखों में आंखें डाल कर 'भारत माता की जय' बोल सकता है?
नमन है ऐसे वीर सपूत को।
सावरकर सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, वे विचारधारा थे — जो आज भी हर राष्ट्रभक्त के दिल में जीवित है।
उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे।
🙏 आइए, आज उनके जन्मदिवस पर हम सभी संकल्प लें कि हम भारत माता के ऐसे वीरों का अपमान नहीं होने देंगे।
उनका सम्मान करना, भारत के आत्मसम्मान को सम्मान देना है।
🚩 वीर सावरकर अमर रहें 🚩
जय हिंद, वंदे मातरम् 🇮🇳