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storyline021  यौवन से भरपूर नईनवेली दुलहन सिया के हावभाव इतने ठंडे थे कि आदित्य को अपनी मर्दानगी पर शक होने लगा था. आखिर...
18/12/2024

storyline021 यौवन से भरपूर नईनवेली दुलहन सिया के हावभाव इतने ठंडे थे कि आदित्य को अपनी मर्दानगी पर शक होने लगा था. आखिर क्यों थी सिया ऐसी...
शादी के बाद जब सारे मेहमान विदा हो गए, तो आदित्य थकावट से चूर था। शादी में खूब रौनक थी, लेकिन अब घर सूना और शांत हो चुका था। उसने अपनी मां सुजाता को आवाज लगाई,
"मां, एक कप चाय बना देंगी?"

चाय का ख्याल आते ही आदित्य ने सोचा कि सिया से भी पूछ ले। नई-नवेली दुल्हन थी, पता नहीं नए घर में कैसा महसूस कर रही होगी।

सिया का ठंडा व्यवहार
आदित्य ने सिया के कमरे का दरवाजा धीरे से खटखटाया। अंदर से सिया की धीमी आवाज आई,
"कौन है?"

"मैं हूं, आदित्य," उसने कहा।

अंदर जाकर देखा, सिया हल्के बादामी रंग का सूट पहने खड़ी थी। न होंठों पर लिपस्टिक, न आंखों में काजल, और न ही कोई सजावट। ऐसा नहीं था कि आदित्य को सिया के सजने-संवरने की उम्मीद थी, लेकिन उसके चेहरे पर खुशी की कोई झलक नहीं थी।

आदित्य ने चिंतित स्वर में पूछा,
"सब ठीक है, सिया? चाय पीओगी?"

सिया ने सपाट स्वर में जवाब दिया,
"नहीं, मुझे चाय नहीं चाहिए।"

उसका रूखा व्यवहार देखकर आदित्य उलझन में पड़ गया और बिना कुछ कहे कमरे से बाहर आ गया।

शादी के बाद का पहला दिन
रात में आदित्य कई अरमान लेकर सिया के पास गया था। उसने सोचा था कि वे ढेर सारी बातें करेंगे, अपने भविष्य के सपनों को साझा करेंगे। लेकिन जब वह कमरे में पहुंचा, तो सिया गहरी नींद में सो रही थी।

आदित्य को थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने सोचा,
"शायद शादी की थकावट की वजह से सो गई होगी।"

सिया की उलझन का कारण
अगले दिन भी सिया का व्यवहार वैसा ही ठंडा रहा। वह ज्यादा बात नहीं करती थी और घर के लोगों से भी दूर-दूर रहती थी। आदित्य ने महसूस किया कि वह न सिर्फ उससे, बल्कि पूरे माहौल से अलग-थलग महसूस कर रही थी।

आखिरकार, आदित्य ने सिया से बात करने का फैसला किया। उसने शाम को उसे बैठाया और पूछा,
"सिया, क्या तुम खुश नहीं हो? तुम मुझसे खुलकर बात क्यों नहीं करती?"

सिया ने सिर झुका लिया और कुछ देर चुप रहने के बाद बोली,
"आदित्य, मुझे इस शादी के लिए मानसिक रूप से तैयार होने का मौका नहीं मिला। मेरे माता-पिता ने मेरे लिए यह फैसला किया। मैं अब भी खुद को इस बदलाव के लिए तैयार करने की कोशिश कर रही हूं।"

आदित्य की समझदारी
सिया की बात सुनकर आदित्य को उसकी परेशानी समझ आई। उसने सिया का हाथ पकड़ते हुए कहा,
"सिया, मैं तुम्हें समझने और इस बदलाव के लिए समय देने के लिए तैयार हूं। यह हमारा घर है, और मैं चाहता हूं कि तुम इसे अपना घर मानो। अगर तुम्हें कभी मुझसे बात करनी हो, तो झिझको मत।"

सिया की आंखों में पहली बार नरमी और कृतज्ञता की झलक आई। उसने धीमे स्वर में कहा,
"धन्यवाद, आदित्य। मैं कोशिश करूंगी।"

धीरे-धीरे बढ़ती नजदीकियां
आदित्य ने सिया को खुश करने के लिए छोटे-छोटे प्रयास किए। उसने सिया के पसंदीदा फूल लाकर दिए, उसके साथ उसकी पसंदीदा फिल्म देखी, और कभी-कभी चुपचाप उसके लिए चाय बना लाया। सिया ने भी अपने मन के डर और उलझनों को पीछे छोड़ते हुए घर को अपनाना शुरू कर दिया।

एक नई शुरुआत
कुछ हफ्तों के भीतर, सिया और आदित्य के बीच की दीवारें टूटने लगीं। सिया ने अपने दिल की बात साझा करना शुरू किया और आदित्य ने उसकी हर भावना को सम्मान दिया।

निष्कर्ष
सिया और आदित्य की यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्ते धैर्य, समझ और आपसी सम्मान से मजबूत होते हैं। सिया ने जहां नए रिश्ते को अपनाना सीखा, वहीं आदित्य ने उसकी भावनाओं को समझते हुए एक सच्चे साथी का फर्ज निभाया। धीरे-धीरे उनकी शादी एक खूबसूरत साझेदारी में बदल गई ?

storyline021  बेटी जब शादी के मंडप से ससुराल जाती है तब पराई नहीं लगती मगर जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टं...
02/12/2024

storyline021 बेटी जब शादी के मंडप से ससुराल जाती है तब पराई नहीं लगती मगर जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है।
जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है।
जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है।
जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है।
जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है।
जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है।
जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है.....
और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है।
लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से
अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती है।

नहीं चाहिए हिस्सा भइया मेरा मायका सजाए रखना ,
कुछ ना देना मुझको
बस प्यार बनाए रखना ,
पापा के इस घर में
मेरी याद बसाए रखना ,
बच्चों के मन में मेरामान बनाए रखना ,
बेटी हूँ सदा इस घर की
ये सम्मान सजाये रखना।।....
बेटी से माँ का सफ़र (बहुत खूबसूरत पंक्तिया ,
सभी महिलाओ को समर्पित)
बेटी से माँ का सफ़र ।
बेफिक्री से फिकर का सफ़र ।
रोने से चुप कराने का सफ़र उत्सुकत्ता से संयम का सफ़र ।
पहले जो आँचल में छुप जाया करती थी।
आज किसी को आँचल में छुपा लेती हैं।
पहले जो ऊँगली पे गरम लगने से घर को सर पे उठाया करती थी ।
आज हाथ जल जाने पर भी खाना बनाया करती हैं।
पहले जो छोटी छोटी बातों पे रो जाया करती थी।
आज बो बड़ी बड़ी बातों को मन में छुपाया करती हैं।
पहले भाई,,दोस्तों से लड़ लिया करती थी।
आज उनसे बात करने को भी तरस जाती हैं।
माँ,माँ कह कर पूरे घर में उछला करती थी।
आज माँ सुन के धीरे से मुस्कुराया करती हैं।
10 बजे उठने पर भी जल्दी उठ जाना होता था।
आज 7 बजे उठने पर भी लेट हो जाया करती हैं।
खुद के शौक पूरे करते करते ही साल गुजर जाता था।
आज खुद के लिए एक कपडा लेने को तरस जाया करती है।
पूरे दिन फ्री होके भी बिजी बताया करती थी।
अब पूरे दिन काम करके भी काम चोर कहलाया करती हैं।
एक एग्जाम के लिए पूरे साल पढ़ा करती थी।
अब हर दिन बिना तैयारी के एग्जाम दिया करती हैं।
ना जाने कब किसी की बेटी किसी की माँ बन गई।
कब बेटी से माँ के सफ़र में तब्दील हो गई .?
बेटी है तो कल है।

बहुत प्यारी होती है बेटियाँ ,
न जाने लोग बोझ क्यों समझते हैं बेटियाँ l 💗 💞

storyline021  सुबह का समय था, और पति-पत्नी के बीच किसी बात पर ज़बरदस्त झगड़ा हो गया। गुस्से में पत्नी चिल्लाते हुए बोली,...
02/12/2024

storyline021 सुबह का समय था, और पति-पत्नी के बीच किसी बात पर ज़बरदस्त झगड़ा हो गया। गुस्से में पत्नी चिल्लाते हुए बोली, "अब बहुत हो गया! मैंने काफी सहा, लेकिन अब एक मिनट भी आपके साथ नहीं रह सकती।"

पति भी कोई कम नहीं था। उसने भी गुस्से में कहा, "तंग आ चुका हूँ तुम्हारी शक्ल देखकर! जब दफ्तर से घर आता हूँ, तो सुकून नहीं मिलता। अगर इतनी दिक्कत है, तो अपना सामान उठाओ और यहां से चली जाओ।"

पति गुस्से में दफ्तर चला गया। इधर पत्नी का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने तुरंत अपनी माँ को फोन किया और कहा, "अब और नहीं सह सकती। मैं बच्चों को लेकर हमेशा के लिए मायके आ रही हूँ। यह घर मेरे लिए जहन्नुम बन चुका है।"

माँ ने बात सुनी और सख्ती से जवाब दिया, "खबरदार, अगर मायके की ओर कदम भी बढ़ाया तो! तेरी बड़ी बहन भी इसी तरह अपने पति से लड़कर यहां आई थी। जिद्द और गुस्से में तलाक लेकर बैठ गई। अब तूने भी वही ड्रामा शुरू कर दिया है। अपनी ज़िंदगी बर्बाद मत कर। अपने पति से सुलह कर। वो इतना भी बुरा नहीं है जितना तू समझ रही है।"

माँ की बातों ने पत्नी को सोचने पर मजबूर कर दिया। गुस्सा शांत हुआ और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। जब रोकर उसका दिल हल्का हुआ, तो उसे अपनी कई गलतियाँ भी याद आईं।

फिर उसने सोचा कि लड़ाई-झगड़े से कुछ हासिल नहीं होगा। उसने खुद को संभाला, मुंह धोया, और पति के पसंदीदा खाने की तैयारी शुरू कर दी। साथ में खीर भी बना ली। उसने मन ही मन ठान लिया कि शाम को पति से माफी मांग लेगी।

शाम को जब पति घर आए, तो पत्नी ने उनका मुस्कान से स्वागत किया। ऐसा लग रहा था जैसे सुबह कुछ हुआ ही न हो। पति भी थोड़े हैरान थे, लेकिन खुशी हुई।

खाना खाते समय जब पति ने खीर चखी, तो वे बोले, "सॉरी, कभी-कभी मैं भी ज्यादा बोल जाता हूँ। गुस्से में कुछ कह देता हूँ, लेकिन तुम्हें दिल पर नहीं लेना चाहिए। इंसान हूँ, गलतियाँ हो जाती हैं।"

पत्नी मुस्कुराई और दिल ही दिल में अपनी माँ को धन्यवाद दिया, जिनकी सख्ती ने उसे सही रास्ते पर ला दिया था। अगर वह अपनी माँ की बात न मानती, तो शायद जज्बाती फैसले से उसका घर बर्बाद हो जाता।

इस कहानी का संदेश साफ है: गुस्से में लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं। प्यार और समझदारी से ही रिश्तों को बचाया जा सकता है। **अपना घर, आखिर अपना ही होता है। 💗 💔

मैं लेटा हुआ था, और मेरी पत्नी मेरे सिर को सहला रही थी। उसके कोमल हाथों का स्पर्श मेरे थके हुए मन और शरीर को गहरा सुकून ...
26/11/2024

मैं लेटा हुआ था, और मेरी पत्नी मेरे सिर को सहला रही थी। उसके कोमल हाथों का स्पर्श मेरे थके हुए मन और शरीर को गहरा सुकून दे रहा था। उसकी उंगलियों की हल्की हरकतें मेरे माथे पर घूम रही थीं, और मैं धीरे-धीरे नींद की गहराइयों में डूबता जा रहा था। इस अहसास ने मुझे एक अजीब सी शांति और सुरक्षा का अनुभव दिया, जैसे मैं किसी अदृश्य शक्ति की गोद में था।

जब मेरी आंखें खुलीं, तो मैंने उसे देखा। वह मेरे गले पर विक्स लगा रही थी, और उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं। उसने मेरी ओर झुककर पूछा, "कुछ आराम मिल रहा है?" उसकी आवाज में इतनी कोमलता और प्यार था कि मेरा दिल भर आया। मैंने हल्के से सिर हिलाया, और मेरी आंखों में नमी आ गई। वह तुरंत मेरी हालत समझ गई और बोली, "खाना खाओगे?"

भूख महसूस हो रही थी, और मैंने कहा, "हां।" वह फौरन उठी और जल्दी से रोटी, सब्जी, दाल, चटनी और सलाद तैयार कर लाई। उसने न सिर्फ खाना बनाया बल्कि मुझे अपने हाथों से खिलाना शुरू कर दिया। मैं आधा लेटा हुआ था, और वह एक-एक कौर मेरे मुंह में डालती जा रही थी। मुझे महसूस हो रहा था जैसे मैं कोई बच्चा हूं, और वह मेरी मां की तरह मुझे अपने प्यार से भर रही थी। मैंने बिना कुछ कहे खाना खा लिया, और उसका चेहरा संतोष और ममता से भरा हुआ था।

खाना खिलाने के बाद वह चुपचाप रसोई में चली गई, और मैं बिस्तर पर लेटा रहा, लेकिन नींद अब नहीं आ रही थी। उसकी छवि मेरी आंखों के सामने बार-बार घूम रही थी। मैं सोचने लगा, कुछ ही दिन पहले जब वह बीमार थी, मैंने उसके लिए कुछ नहीं किया था। ना उसका हाल पूछा, ना ही उसे सहलाया। बस उसे ब्रेड पकड़ा दी और खुद को यह सोचकर गर्वित महसूस किया कि मैंने उसकी मदद कर दी।

उसे तेज बुखार था, लेकिन मैंने जानने की कोशिश तक नहीं की। वह पूरे दिन बिना खाए पड़ी रही, शायद उसने भी चाहा होगा कि कोई उसकी देखभाल करे, उसे प्यार से सहलाए, उसका हाल पूछे। पर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। यह सोचकर मेरा दिल भारी हो गया और आँखों में शर्म की हल्की सी नमी आ गई।

पत्नी के रूप में उसकी ममता, उसका त्याग और उसकी करुणा को मैं शायद अब तक सही मायनों में समझ नहीं पाया था। सोचने लगा कि क्या सचमुच महिलाओं के दिल को भगवान ने अलग बनाया है? क्या पुरुषों में वह ममता और करुणा नहीं होती? जिस दिन वह बीमार थी, शायद उसने भी चाहा होगा कि उसका पति उसके पास बैठे, उसका सिर सहलाए, उसका हाल पूछे।

मुझे महसूस हुआ कि हर पुरुष को एक बार औरत बनकर यह अनुभव करना चाहिए कि औरत होना कितना कठिन है। मां होना, बहन होना, पत्नी होना ये केवल रिश्ते नहीं हैं, ये जीवन की सबसे बड़ी परीक्षाएं हैं, जहाँ हर दिन करुणा और ममता से भरे दिल की आवश्यकता होती है। मैं मन ही मन अपनी पत्नी का शुक्रिया अदा कर रहा था, और यह ठान लिया था कि अब से उसकी भावनाओं का सम्मान और उसकी देखभाल में कोई कमी नहीं आने दूंगा।💗 🥰 💞 storyline021

24/11/2024

storyline021 भक्ति एक ऐसा अनुभव है, जो हमें दीवीदा के ओर ले जाता है ,

लड़की अपने बॉयफ्रेंड से पूछती है - "अच्छा, अगर मेरी किसी और से शादी हो जाए, तो तुम क्या करोगे?"लड़का - "तुम्हें भूल जाऊं...
23/11/2024

लड़की अपने बॉयफ्रेंड से पूछती है - "अच्छा, अगर मेरी किसी और से शादी हो जाए, तो तुम क्या करोगे?"

लड़का - "तुम्हें भूल जाऊंगा।" (लड़के ने छोटा सा जवाब दिया)

ये सुनकर लड़की गुस्से में दूसरी तरफ घूम कर बैठ गई। फिर लड़के ने कहा - "पर सबसे बड़ी बात ये है कि तुम मुझे भूल जाओगी, शायद मुझसे भी जल्दी।"

लड़की ने हैरानी से पूछा - "कैसे?"

लड़का बोलने लगा - "सोचो, शादी का पहला दिन है। तुम एक नए घर में हो, सुंदर गहनों और मेकअप में सजी हुई, हर तरफ कैमरों का फ्लैश और लोगों की भीड़। उस माहौल में चाहकर भी तुम मुझे याद नहीं कर पाओगी।

"और मैं? तुम्हारी शादी की खबर सुनकर कहीं दोस्तों के साथ, किसी कोने में पड़ा रहूंगा। फिर जब होश आएगा, तो शायद मैं तुम्हें बेवफा कहूंगा, तुम्हारी याद में रो दूंगा।

"शादी के बाद तुम्हारा बिजी वक्त शुरू हो जाएगा। तुम अपने पति और नई जिम्मेदारियों में व्यस्त हो जाओगी। हो सकता है कभी-कभार मुझे याद करोगी, जब पति का हाथ पकड़ोगी या बाइक पर उसके पीछे बैठोगी।

"और मैं? मैं तो जैसे जिंदगी का मकसद ही खो दूंगा, अपने दोस्तों को समझाऊंगा कि 'प्यार मत करना, इसमें कुछ नहीं मिलता, सब खत्म हो जाता है।'

"फिर वक्त बीतेगा, तुम नई जिम्मेदारियों में और घिर जाओगी। एक दिन तुम माँ बन जाओगी। तब तुम शायद मुझसे पूरी तरह आगे बढ़ जाओगी, क्योंकि अब तुम्हारी दुनिया में एक नई ज़िम्मेदारी होगी। और तब तक मैं शायद तुम्हारी जिंदगी से पूरी तरह गायब हो चुका होऊंगा।

"उधर मैं भी धीरे-धीरे अपनी जिंदगी में बिजी हो जाऊंगा, और तुम्हारी यादें धुंधली हो जाएंगी। हाँ, कभी कोई जोड़ी दिखेगी तो शायद तुम्हारी याद आ जाए, लेकिन अब तकलीफ नहीं होगी।"

यहाँ तक सुनने के बाद, लड़की की आँखों में आँसू छलक आए। दोनों चुपचाप एक-दूसरे की ओर देख रहे थे, और आँखें भरी हुई थीं।

थोड़ी देर बाद लड़की ने कहा - "तो क्या सब कुछ यहीं खत्म हो जाएगा?"

लड़का - "नहीं। किसी दिन जब तुम अपने पति से नाराज़ होकर रात में जाग रही होगी, और उधर मैं भी अपनी पत्नी से खफा होकर जागूंगा, तो उस रात हमारी आँखों में नींद नहीं होगी। पूरी दुनिया सो रही होगी, बस हम दोनों जाग रहे होंगे। हम अपने अतीत को याद करेंगे, एक-दूसरे को महसूस करेंगे, लेकिन इस बात का पता सिर्फ हमें और शायद ऊपरवाले को ही होगा।"

ये कहानी कहीं पढ़ी थी, अपनी सी लगी, इसलिए यहाँ लिख दी है। 💞-💗-😶‍🌫️

22/11/2024

storyline021 धर्म का युद्ध करो कर्म का फल हमें मिलता है,

05/03/2024

storyline021 एक लड़की ने छथ पर से एक लड़के को देखते रहे थे प्यार से 💗

💗--🌹--👩‍❤️‍👨अंतिम भागरोहित अपने रूम में जा कर लेट गया। ये सोच रहा था की ऐसे चक्रव्यू में फंस गया।जिसमे से निकलना मुश्किल...
17/12/2023

💗--🌹--👩‍❤️‍👨अंतिम भाग
रोहित अपने रूम में जा कर लेट गया। ये सोच रहा था की ऐसे चक्रव्यू में फंस गया।जिसमे से निकलना मुश्किल हो रहा था
ना वो विवेक से धोखा कर सकता था ना वो सुधा के साथ धोखा होते देखना चाहता था मगर कैसे वो इस चक्रव्यू से बाहर आए।इसी उधेड़ बुन में लगा हुआ था उसके लिए दोनो जरूरी थे।सारा दिन इसी सोच सोच में गुजर गया।मगर कोई राह नजर नही आ रही थी।मगर वो हर हालत में इस स्थिति से निकलना चाहता था
अगले दिन वो ऑफिस में गया।मगर मन कही और था।विवेक ने उसे अपने केबिन में बुलाया और पूछा कुछ हुआ क्या।मगर रोहित कोई जवाब नही दे सका। वैसे अनमने मन से काम खत्म कर घर आ गया।
कुछ दिन बाद उसकी बहन की भी शादी थी। तो उसने यही तरीका निकाला वो विवेक और सलोनी को बुला ले और इधर से सुधा भी आ जाए।कुछ ना कुछ समस्या का समाधान जरूर मिलेगा। रोहित ने विवेक और सलोनी को अपनी बहन की शादी का कार्ड दिया और आने के लिए जोर दिया। वो दोनो राजी हो गए।विवेक भी दिल्ली से ही था।रोहित अपने घर चला गया शादी की तैयारियों करने। वहा जाकर उसने सुधा को भी उसके स्कूल में जाकर कार्ड दिया।और आने के लिए request की मगर उसने विवेक के बारे में कुछ नही बताया।
अब शादी के दिन विवेक सलोनी के साथ दोपहर को पहुंच गया। वो सलोनी को अपने घर तो नही ले जा सकता था इसलिए उसने रोहित के घर सलोनी को छोड़ दिया। और अपने घर चला गया। रोहित ने अपने परिवार से मिलवाया और खुद काम में लग गया। शाम होते होते सुधा भी रोहित के घर आ गई। रोहित ने सलोनी और सुधा की मुलाकात करवा। अब वो दोनो बातचीत में लग गई। यहां पर नई कहानी बन गई। सुधा को लग रहा था सलोनी रोहित की फ्रेंड है सलोनी को लग रहा था सुधा रोहित की फ्रेंड है कुछ वक्त बाद विवेक भी आ गया। सलोनी और सुधा को एक साथ देख कर उसके रंग उड़ गए। ये कैसे हो गया दोनो कैसे मिल गई।वो भाग कर रोहित के पास गया और पूछा ये माजरा क्या है उसने बताया सुधा उसकी बहन की सहेली है विवेक और रोहित दोनो उन दोनो के पास आ गए। सुधा विवेक को देख कर मानो अचंभित हो गई आप यहां कैसे। विवेक रोहित को समझा कर लाया था की सलोनी को बुला कर अंदर ले जा। विवेक ने बताया कि रोहित उसका जूनियर है ऑफिस में। सुधा विवेक को देख कर बहुत खुश हुई। मानो मन की मुराद पूरी हो गई। मगर विवेक डरा हुआ था की कुछ गड़बड़ न हो जाए। वो सुधा को बोला उसे कोई जरूरी काम है कल बात करते हैं इतना कह कर वो वहा से चला गया।इतने में रोहित और सलोनी भी आ गए। सुधा ने बताया कि आपके फ्रेंड को जल्दी थी कोई काम याद आ गया। इसलिए चले गए। सलोनी को बहुत बुरा लगा। विवेक उससे मिले बिना ही चला गया। सलोनी भी विवेक से नाराज हो गई और रात को ही फ्लाइट बैंगलोर वापसी चली गई।अगले दिन विवेक ने पहले सलोनी को कॉल किया उसने उठाया नही फिर उसने रोहित को कॉल किया और पूछा कुछ गड़बड़ तो नही हुई। रोहित ने कहा की सलोनी वापसी चली बंगलौर। और कुछ तो नही हुआ। फिर सुधा को कॉल किया और उससे बातचीत करने लगा। सुधा पूछती ये सलोनी कौन है कैसी है लड़की। विवेक डर गया कुछ हुआ क्या। नही मुझे तो अच्छी लगी।ये रोहित की फ्रेंड है क्या। विवेक की सांस में सांस आया। और फटक से बोला हां हां दोनो अच्छे फ्रेंड है सुधा बहुत खुश और बोलती है सच में।ये तो बहुत अच्छी बात है फिर दोनो अपनी बात करने लगे। कुछ वक्त बाद सुधा ने रोहित को कॉल किया।
और कहा शादी को बाते करने लगी ।और फिर उसने कहा विवेक तुम्हारे सीनियर है मुझे तो कल पता लगा ।फिर कहा विवेक ने मुझे सब बता दिया सलोनी के बारे में। रोहित हैरान था की विवेक ने सब कुछ बता दिया फिर भी सुधा इतनी खुश कैसे हैं खैर ये समझ से परे था। मामला उलझता जा रहा था
रोहित भी शादी के बाद बैंगलोर चला जाता है
अगले ऑफिस गया तो सलोनी ऑफिस में नही आई थी विवेक के केबिन में गया तो वो उदास सा बैठा था क्या हुआ बॉस विवेक ने कहा सलोनी नाराज हैं फोन भी नही उठा रही। रोहित ने कहा ये कितनी बात है मै करता हूं कॉल। रोहित ने कॉल किया पहली बार में कॉल उठा ली।क्या हाल है सलोनी रोने लग गई।क्या हुआ सलोनी ने कहा की मै हॉस्पिटल में हूं ऐसा क्या हो गया।सलोनी ने कहा वो प्रेगनेंट हैं उसकी वजह से चक्कर आ गया और चोट लग सिर में। ये सब विवेक स्पीकर पर सुन रहा था विवेक के माथे से पसीना बहने लगा। क्या करू कैसे करू। विवेक रोहित को बोलता यार कुछ करो। रोहित बोलता है मै जाता हुं हॉस्पिटल आप टेंशन ना लो। विवेक कहता है तुम सलोनी को बोल देना विवेक मीटिंग के लिए बाहर गया हुआ है। रोहित हॉस्पिटल में सलोनी से मिलता। सलोनी गले लग कर रोने लग जाता है अब क्या होगा रोहित। मै क्या करू। विवेक कहा है रोहित बोलता है वो बाहर गया है मीटिंग के लिए।तुम परेशान मत हो सब ठीक होगा।
उसे बेड पर लिटा कर dr से मिलने चला गया उसी दौरान सुधा कॉल करती है रोहित तुम मिल कर भी नही गए। रोहित बोलता है अभी मै हॉस्पिटल में हूं बाद में बात करता हूं सुधा पूछती है क्या हुआ।रोहित ने बताया सलोनी बीमार है और एडमिट है। सुधा ने फोन कट कर के
सलोनी को फोन मिला लिया। सलोनी उसके सामने भी रोने लग गई। और सारी बात बता दी। सुधा को भी झटका लगा। उसके मन में न जाने कैसे कैसे ख्याल आए रोहित के लिए। उसकी नजर में गिर चुका था।एक गलतफैमी की वजह से सब कुछ गड़बड़ हो गई। सुधा को बहुत बुरा लग रहा था वो रोहित को कितना अच्छा समझ रही थी वो क्या निकला। रोहित सलोनी को छुट्टी दिलवा कर उसके रूम पर छोड़ देता है और खुद विवेक के घर आ जाता है और उसे समझाता है की अब कैसे करना चाहिए। विवेक रोहित को बताता है सुधा का फोन आया था और तुम्हारे बारे में बुरा भला बोल रही थी। रोहित अचंभित हो गया मैने क्या किया अब। विवेक ने बताया सुधा को लग रहा है सलोनी तुम्हारी गर्लफ्रेंड है तुम्हारी वजह से प्रेगनेंट हुई है रोहित की तो हवाइयां उड़ गई। सांस सूख गई। यार तुमने तो बताना था सच उसे।विवेक ने कहा मेरी हिम्मत नही हुई।रोहित गुस्से में आ कर बोला यार मैं तो आपके लिए भागदौड़ कर रहा हू आपने म

💗--🌹--👩‍❤️‍👨भाग 2बड़ा अजीब लगा रोहित का बर्ताव देख कर।मगर उसने ऐसा किया क्यो।यही सोच रही थी सुधा। फिर वो भी अपने स्कूल म...
05/12/2023

💗--🌹--👩‍❤️‍👨भाग 2
बड़ा अजीब लगा रोहित का बर्ताव देख कर।मगर उसने ऐसा किया क्यो।यही सोच रही थी सुधा। फिर वो भी अपने स्कूल में चली गई
मगर उसका मन काम में नही लग रहा था आखिर रोहित ने ऐसा किया क्यो। वो स्टॉफ रूम में जाकर इसी सोच विचार में थी तभी उसकी फ्रेंड आ गई। सुधा आज इतनी उदास कैसे लग रही हो।कुछ हुआ क्या।
सुधा ने उसे सारा वाक्या बताया।
तो उसने एक दम से कहा कही रोहित को तुमसे प्यार तो नही हो गया। और वो ये जानकर तुम्हारी मंगनी हो गई है उसे बुरा लगा हो।
सुधा एकदम से सकपका गई।
अरे ऐसे कैसे।ऐसा तो कुछ था भी नही ना मेरी तरफ से ना उसकी तरफ से। सुधा और बेचैन हो गई।
अब उसे ये बात क्लियर करनी थी रोहित से।कही वो गलत ना समझ ले । अब उसके लिए एक एक पल भारी हो रहा था कब वो घर जाए और सुबह रोहित से साफ साफ बात करे।उस दिन पहली बार सुधा ने गुलाब नही खरीदा।वो आज कुछ जल्दी ही बस स्टॉप पर आ गई।
काफी वक्त बीत जाने पर भी रोहित नजर नही आया। उसके लिए अब और दिक्कत हो गई। आखिर वो मन मसोस कर चली गई।उसका मन नही लग रहा था स्कूल में।जैसे उसे आत्मगलानी हो रही हो।वो रोहित को सिर्फ एक दोस्त मानती थी और और प्यार वो अपने होने पति से करती थी रोहित अगले दिन भी नही आया। अब उसे चिंता होने लगी।कहा गया रोहित कुछ हुआ तो नही उसकी वजह से। काफी दिन बीत गए। धीरे धीरे सुधा अपने काम में व्यस्त हो रही थी उसकी शादी की तारिख भी नजदीक आ रही थी।
लेकिन अब उसकी नजर रोहित को ढूंढती रहती थी। कैसे उससे बात हो और उसे सब क्लियर करे। एक दिन
अचानक से रोहित सुधा के स्कूल पहुंच जाता है सुधा के मानो जैसे ख्वाइश पूरी हो गई हो।मगर उसने अपनी खुशी जाहिर नही की। उसने रोहित से स्कूल के बाद मिलने के लिए बोलती है ताकि कुछ वक्त अच्छे बात कर सके।वो स्कूल में कोई मुद्दा नहीं चाहती थी।फिर दोनो एक कॉफी शॉप में मिलते हैं रोहित सुधा से अपने बर्ताव के माफ़ी मांगता है और बोलता है उस दिन जो भी हुआ मुझे नही करना चाहिए था सुधा उसे समझाती है की उसके मन में रोहित के लिए ऐसा कुछ भी नही ना ही ऐसा कोई विचार लाना चाहती है रोहित उसे बताता है कि उसने जॉब छोड़ दी और अब वो बैंगलोर जा रहा है वही पर जॉब करेगा। सुधा को बड़ा अजीब सा लगा मगर उसने ऐसे भाव नही दिखाया की रोहित को कुछ और लगे। बस सुधा ने कहा उसकी शादी में जरूर आना।मगर रोहित ने एक दम से मना कर दिया। बस उठा और बिल दे कर चला गया।सुधा देर तक टकटकी लगाए बैठी रही।सुधा को भी समझ नही आ रहा था उसे हो क्या रहा है सुधा अटपटे मन से उठी और घर की और चल दी।उसका मन ना घर में लग रहा था ना स्कूल में।
वक्त गुजरता गया। रोहित ने बैगलोर में नई कंपनी ज्वॉइन कर ली। वो सिर्फ सुधा से दूर जाना चाहता था
मगर शायद किस्मत में कुछ और लिखा था। रोहित की अपने सीनियर विवेक से बहुत बनती थी वैसे विवेक बहुत तेज तर्रार आदमी था उसे मालूम था कि किस से कैसे काम लिया जाता है विवेक भी अभी विदेश से वापिस आया था विवेक पार्टी का बहुत शौंक रखता था और females में जल्दी ही famous हो गया था जबकि रोहित इन चीजों से बहुत परहेज रखता था एक दिन विवेक ने अपने फ्लैट पर पार्टी रखी
जहा उसने बहुत कम लोगो को बुलाया। हालाकि मै इच्छुक नहीं था वहा जाने में।मगर विवेक ने बहुत जोर दे कर मुझे बुला ही लिया।
मै दिए वक्त पर पहुंच गया था अभी तक कोई वहा पहुंचा नही था
मै और विवेक इधर उधर की बाते करने लगे। फिर विवेक के बाकी फ्रेंड्स भी आ गए। विवेक ने मुझे सबसे मिलवाया। उनमें एक सलोनी भी थी सलोनी विवेक बहुत करीबी जैसे उसने बताया। पार्टी शुरू होते बहुत टाइम लग गया। शराब डांस में सब इतने मशगूल हो गए वक्त का पता नही चला।मेरे लिए बहुत uncomfort था सब कुछ।
मैने विवेक से काफी request की जाने।
मगर विवेक ने जाने नही दिया।और कहा अगर कंफर्ट नही तो यार खाना खा कर दूसरे रूम में सो जाओ।
अब जाना नही। मै जिद भी नही कर सकता। मुझे नहीं मालूम कब आंख लग गई। करीब सुबह चार बजे आंख खुली सब लोग जा चुके थे
सिर्फ सलोनी और विवेक थे उन दोनो ने बहुत पी रखी थी। मुझसे हिम्मत नही हुई उनके करीब जाने की। फिर से रूम में जाकर लेट गया। सुबह करीब 8 बजे विवेक ने उठाया और कहा ready हो जाओ ऑफिस चलते हैं सलोनी तब तक जा चुकी थी।हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठे ब्रेकफास्ट कर रहे थे
विवेक ने खामोशी तोड़ते हुए कहा
कैसी लगी पार्टी। मैने कहा बहुत अच्छी।यार तुम तो बिलकुल भी एंजॉय नही करते। चलो कोई बात नही धीरे धीरे सीख जाओगे।
अच्छा सलोनी कैसी लगी। मैने कहा हां अच्छी है मुझे बहुत पसंद है ये।
मगर! मै इससे शादी नही कर सकता। मैने कहा क्यों क्या हुआ।
उसने कहा की मेरी मंगनी हो चुकी।
और मै सलोनी विदेश में मिले थे मेरी मंगनी के बाद।मेरा दिमाग कही और चला गया।जैसे कोई कहानी के तार जुड़ रहे हो। विवेक ने खुद ही बता दिया। उनकी मंगनी सुधा से हुई जो
एक टीचर है दिल्ली में रहती है
मानो जैसे आसमान फट गया हो।जिससे भाग कर इतनी दूर आया था
वही अब फिर से टकरा गई।
मेरे मुंह में निवाला नही जा रहा था
हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था क्या बोलूं क्या नही।
बस यही कहा विवेक मै घर जाना चाहता हूं
अंतिम भाग (कल)
अनुराज

💗--🌹--👩‍❤️‍👨भाग बस स्टॉप 1सुधा और मै (रोहित) एक बस स्टॉप से अपने ऑफिस जाया करते थेवो एक स्कूल में टीचर थी मैं एक कंपनी म...
30/11/2023

💗--🌹--👩‍❤️‍👨भाग बस स्टॉप 1
सुधा और मै (रोहित) एक बस स्टॉप से अपने ऑफिस जाया करते थे
वो एक स्कूल में टीचर थी मैं एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब करता था सुधा बहुत शांत और सादगी पसंद लड़की थी हमेशा गंभीर मुद्रा में रहती थी मुझे भी जायदा बोलना पसंद नही था
एक अजीब वाक्या रोज होता था
उसके हाथ में एक गुलाब का फूल रोज होता था जिसे वो थामे रखती थी शुरू मे कभी हिम्मत ना हुई पूछने की।इसके पीछे कारण क्या।
वैसे भी मुझे काम का बहुत प्रेशर होता था तो ध्यान उस तरफ नही जाता था धीरे धीरे एक रूटीन सा बनने लगा एक वक्त पर हम दोनो बस स्टाप पर आमने सामने हो जाते थे मगर कोशिश दोनो की तरफ से ना हुई बात करने की।एक दिन सुधा ने मुझे मेरे नाम से बुलाया मै एक दम से अचंभित हो गया। उसे मेरा नाम कैसे मालूम। मैने मुड़ के कहा जी कहिए,उसने कहा कि आप के पास चेंज मिलेगा 500 का मैने कहा चेंज तो नही हां आप ये 100 का है आप कल मुझे वापिस कर देना। एक बार तो उसने मना कर दिया।
फिर ना जाने क्या मन में आया उसने हां कर दी।हम दोनो अपने अपने ऑफिस चले गए।
अगले दिन सुबह उसने आते ही सबसे पहले 100 रूपये वापिस किए और मेरा धन्यवाद किया।
मैने वो पैसे ले लिए। और एक दम से पूछा आपको मेरा नाम कैसे पता।
सुधा एक दम से मुस्कराई।आज पहली बार मैने उसे मुस्कराते हुए देखा।उसने कहा की आप को अक्सर कॉल पर बात करते सुना। बस तभी जानती हु नाम आपका।
मुझे मेरे सवाल का जवाब तो मिल गया। मगर ना जाने क्यों उसकी हंसी कही न कही दिल में कुछ अलग सा कर गई।बस फिर धीरे धीरे बातचीत का कारवां शुरू हो गया।
फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके पूछ लिया की ये गुलाब का किस्सा क्या है सुधा ने कहा की लंबी कहानी है
फिर एक दिन मै सुधा के साथ में ही बस में सवार हो गया है आज आप कैसे मेरे रूट पर।मुझसे झूठ नही बोला गया। मैने कहा तुम्हारी कहानी सुननी है। सुधा ने मुस्करा का नजर फेर ली। मानो मेरी जान निकल गई हो। उसने बताया कि उसकी मंगनी को दो साल होने को है वो अपने मंगेतर को बहुत प्यार करती है वो ही पहला और आखरी लड़का उसकी जिंदगी में आया था वो आजकल विदेश में study करने गए हैं ये गुलाब उन्ही के लिए खरीदती हूं उसके मुंह से निकला एक एक लब्ज़ चुभ रहा था लग रहा था सब खत्म हो गया। मै बिना बोले ही अगले स्टॉप पर उतर गया।
अनुराज
शेष अगले भाग में।

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