Shree Nathdwara

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(335)

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व्रज - भाद्रपद कृष्ण षष्ठी ६ 14 August 2025, Thursdayविशेष – जन्माष्टमी के पूर्व श्रीजी को घर के श्रृंगार धराये जाते हैं...
14/08/2025

व्रज - भाद्रपद कृष्ण षष्ठी ६
14 August 2025, Thursday

विशेष – जन्माष्टमी के पूर्व श्रीजी को घर के श्रृंगार धराये जाते हैं. इन्हें ‘आपके श्रृंगार’ भी कहा जाता है.
इस श्रृंखला में आज श्रीजी को हरा सफ़ेद लहरिया और श्रीमस्तक पर पाग और सुनहरी जमाव का कतरा धराया जाता है.
आज सभी समय झारीजी में यमुनाजल आता है.
आज श्रीजी में जन्माष्टमी की पानघर की सेवा की जाती हैं.
आज प्रभु को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मेवाबाटी (मेवा मिश्रित खस्ता ठोड़) अरोगायी जाती है.

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राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)

सब ग्वाल नाचे गोपी गावे l प्रेम मगन कछु कहत न आवे ll 1 ll
हमारे राय घर ढोटा जायो l सुनि सब लोक बधाये आयो ll 2 ll
दूध दधि घृत कांवरि ढोरी l तंदुल डूब अलंकृत रोरी ll 3 ll
हरद दूध दधि छिरकत अंगा l लसत पीत पट बसन सुरंगा ll 4 ll
ताल पखावज दुंदुभि ढोला l हसत परस्पर करत कलोला ll 5 ll
अजिर पंक गुलफन चढि आये l रपटत फिरत पग न ठहराये ll 6 ll
वारि वारि पटभूषन दीने l लटकत फिरत महारस भीने ll 7 ll
सुधि न परे को काकी नारी l हसि हसि देत परस्पर तारी ll 8 ll
सुर विमान सब कौतिक भूले l मुदित त्रिलोक विमोहित फूले ll 9 ll

साज - श्रीजी में आज हरे-श्वेत रंग के लहरिया की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी में आज हरे-श्वेत लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
माणक तथा जड़ाव स्वर्ण के सर्वआभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर हरे-सफेद लहरिया की पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, सुनहरी जमाव का कतरा एवं सुनहरी तुर्री तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मानक के कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्रीकंठ में हार एवं दुलड़ा धराया जाता हैं.
पीले पुष्पों की विविध रंग की थागवाली दो मालाजी धरायी जाती है एवं इसी प्रकार की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट शतरंज का हरा एवं गोटी स्वर्ण की शतरंज की धराई जाती हैं.
आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में सोना की डांडी की आती है.

व्रज - भाद्रपद कृष्ण षष्ठी ६ 14 August 2025, Thursdayआज के मंगला दर्शन
14/08/2025

व्रज - भाद्रपद कृष्ण षष्ठी ६
14 August 2025, Thursday

आज के मंगला दर्शन

व्रज – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी ४ Wednesday, 13 August 2025        आपके श्रृंगार प्रारम्भविशेष – आज के दिन श्रीजी में चंदरव...
13/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी ४
Wednesday, 13 August 2025

आपके श्रृंगार प्रारम्भ

विशेष – आज के दिन श्रीजी में चंदरवा, टेरा, वंदनमाल, कसना, तकिया के खोल आदि बदले जाते हैं.
आज से भाद्रपद कृष्ण नवमी के दिन तक सभी समय झारीजी में यमुनाजल आता है.
सभी बड़े उत्सवों के पूर्व श्रीजी को नियम के घर के श्रृंगार धराये जाते हैं जिन्हें घर के श्रृंगार या आपके श्रृंगार भी कहा जाता है और इन पर श्रीजी के तिलकायत महाराज का विशेष अधिकार होता है.
जन्माष्टमी के पूर्व आज से घर के श्रृंगार धराये जाते हैं. इस श्रृंखला में आज श्रीजी को लाल एवं पीले रंग की इकदानी चूंदड़ी का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर लूम की किलंगी धरायी जाती है.
आज श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनोर (इलायची-जलेबी) के लड्डू आरोगाये जाते हैं.
आज ही जन्माष्टमी के दिन श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्र एवं साज के लिए सफेद मलमल एवं डोरिया के वस्त्र केसर से रंगे जाते हैं.
वस्त्र रंगते समय नक्कारे, थाली एवं मादल बजाये जाते हैं एवं सभी वैष्णव बधाईगान करते हैं.
राजभोग आरती पश्चात पूज्य तिलकायत परिवार के सदस्य, मुखियाजी वस्त्र रंगते हैं, वैष्णवजन और दर्जीखाना के सेवकगण अपने हाथ में रख के सुखाते हैं.
भाद्रपद कृष्ण पंचमी के दिन ये वस्त्र रंगे जाते हैं इसका यह भाव है कि “हे प्रभु, जिस प्रकार ये श्वेत वस्त्र आज केशर के रंग में रंगे जा रहे हैं, मेरी पाँचों ज्ञानेन्द्रियाँ और पाँचों कर्मेन्द्रियाँ भी आज पंचमी के दिवस आपके रंग में रंग जाएँ.”

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राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)

आँगन नंदके दधि कादौ l
छिरकत गोपी ग्वाल परस्पर प्रगटे जगमे जादौ ll 1 ll
दूध लियो दधि लियो लियो घृत माखन मांट संयुत l
घर घर ते सब गावत आवत भयो महरि के पुत ll 2 ll
बाजत तूर करत कुलाहल वारि वारि दे दान l
जायो जसोदा पुत तिहारो यह घर सदा कल्यान ll 3 ll
छिरके लोग रंगीले दीसे हरदी पीत सुवास l
‘मेहा’ आनंद पुंज सुमंगल यह व्रज सदा हुलास ll 4 ll

साज - श्रीजी में आज लाल एवं पीले रंग की मलमल पर इकदानी चूंदड़ी की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर मेघश्याम मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी में आज लाल एवं पीले रंग की इकदानी चूंदड़ी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.
श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्वआभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर चुंदड़ी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम की किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज चार माला धरायी जाती हैं.
पीले पुष्पों की दो मालाजी धरायी जाती है इसी प्रकार श्वेत पुष्पों की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल एवं गोटी स्वर्ण की छोटी धराई जाती हैं.
आरसी श्रृंगार में स्वर्ण की छोटी एवं राजभोग में सोने की डांडी की आती है.

व्रज – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी ४ 13 August 2025, Wednesday   आज के मंगला दर्शन
13/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी ४
13 August 2025, Wednesday

आज के मंगला दर्शन

व्रज – भाद्रपद कृष्ण तृतीया  ३ 12 August 2025, Tuesdayगुलाबी मलमल की धोती, पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर दोहरा क...
12/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण तृतीया ३
12 August 2025, Tuesday

गुलाबी मलमल की धोती, पटका एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर दोहरा क़तरा के श्रृंगार

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राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)

ऐ री ऐ आज नंदराय के आनंद भयो l
नाचत गोपी करत कुलाहल मंगल चार ठयो ll 1 ll
राती पीरी चोली पहेरे नौतन झुमक सारी l
चोवा चंदन अंग लगावे सेंदुर मांग संवारी ll 2 ll
माखन दूध दह्यो भरिभाजन सकल ग्वाल ले आये l
बाजत बेनु पखावज महुवरि गावति गीत सुहाये ll 3 ll
हरद दूब अक्षत दधि कुंकुम आँगन बाढ़ी कीच l
हसत परस्पर प्रेम मुदित मन लाग लाग भुज बीच ll 4 ll
चहुँ वेद ध्वनि करत महामुनि पंचशब्द ढ़म ढ़ोल l
‘परमानंद’ बढ्यो गोकुलमे आनंद हृदय कलोल ll 5 ll

साज - श्रीजी में आज गुलाबी मलमल पर रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है.
गादी तकिया के ऊपर सफेद मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी रंग की मलमल पर रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित धोती एवं पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के होते हैं.
श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हरे मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, दोहरा क़तरा ,लूम तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
आज श्रीकंठ में चार माला धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी और वेत्रजी धराये जाते हैं..
पट गुलाबी एवं गोटी चाँदी की धराई जाती हैं.

व्रज – भाद्रपद कृष्ण तृतीया ३ Tuesday, 12 August 2025आज के मंगला दर्शन
12/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण तृतीया ३
Tuesday, 12 August 2025

आज के मंगला दर्शन

व्रज – भाद्रपद कृष्ण द्वितीया  २11 August 2025, Mondayपुष्टि प्रणाली की रचना में श्री गुसाईंजी ने प्रवीणता पूर्वक प्रभु ...
11/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण द्वितीया २
11 August 2025, Monday

पुष्टि प्रणाली की रचना में श्री गुसाईंजी ने प्रवीणता पूर्वक प्रभु सुख के साथ ज्योतिषीय पक्ष को भी ध्यान में रखा है.
भारतीय ज्योतिष के अनुसार हिंडोलना विजय बुधवार या शनिवार को नहीं किया जा सकता है. इसलिए भाद्रपद कृष्ण द्वितीया के दिन इन दोनों वार में यदि कोई पड़ता है तो प्रभु को एक अतिरिक्त दिन हिंडोलना झुलाया जाता है और अगले दिन हिंडोलना विजय किया जाता है.

श्रीजी में आज सायं आरती पश्चात हिंडोलना विजय होगा.

चांदी को शुभ माना जाता है अतः प्रथम हिंडोलने की भांति ही हिंडोलना विजय के दिन भी श्री मदनमोहनजी चांदी के हिंडोलना में झूलते हैं.

आचार्यचरण श्री महाप्रभुजी और प्रभुचरण श्री गुसाँईजी के समय से श्रीजी में लगभग 30 दिन हिंडोलना होते थे. भारतीय विक्रमाब्द 1995 में प्रधानगृह में श्री गोवर्द्धनलालजी का प्राकट्य हुआ जो कि हिंडोलना विजय के एक दिन उपरान्त हुआ. युवावस्था में श्री गोवर्धन लालजी के हृदय में मनोरथ हुआ कि श्रीजी मेरे जन्मदिन पर भी हिंडोलना में झूलें. इस मनोरथ को पूर्ण करने आपश्री ने सोने का भव्य हिन्डोलना सिद्ध करवाया. प्रभु प्रेरणा से आपने श्री चन्द्रावली जी स्वरूप श्री नवनीतप्रियाजी को पधराकर हिंडोलना झुलाये.

पुष्टि प्रणाली की रचना में श्री गुसाईंजी ने प्रवीणता पूर्वक प्रभु सुख के साथ ज्योतिषीय पक्ष को भी ध्यान में रखा है.
भारतीय ज्योतिष के अनुसार हिंडोलना विजय बुधवार या शनिवार को नहीं किया जा सकता है. इसलिए भाद्रपद कृष्ण द्वितीया के दिन इन दोनों वार में यदि कोई पड़ता है तो प्रभु को एक अतिरिक्त दिन हिंडोलना झुलाया जाता है और अगले दिन हिंडोलना विजय किया जाता है.

श्रीजी में आज सायं हिंडोलना विजय होगा. संध्या-आरती दर्शन के पश्चात हिंडोलना विजय होता है. गोविन्दस्वामी के चार हिंडोलना के निम्नलिखित पद गाये जाते हैं.

हिंडोलना विजय के पद

कीर्तन – (राग : मल्हार)
झूलन आई व्रजनारी गिरिधरनलालजु के सुरंग हिंडोरना l
सुभग कंचन तन पहेरे कसुम्भी सारी गावत परस्पर हस मृदुबोलना ll 1 ll
ईत नंदलाल रसिकवर सुन्दर ऊत वृषभानसुता छबि सोहना l
रमकत रंग रह्यो पियप्यारी ‘गोविंद’ बलबल रतिपति जोहना ll 2 ll

कीर्तन – (राग : मल्हार)
झूलत सुरंग हिंडोरे राधामोहन l
बरन बरन चूनरी पहेरे व्रजवधू चंहू ओरे ll 1 ll
राग मल्हार अलापत सातसूरन तीनग्राम जोरे l
मदनमोहन जु की या छबि ऊपर ‘गोविंद’ बल तृण तोरे ll 2 ll

कीर्तन – (राग : मल्हार)
तैसोई वृन्दावन तेसीये हरित भूमि तेसीये वीर वधू चलत सुहाई माई l
तेसोई कोकिल कल कुहुकुहु कुंजत तेसोई नाचत मोर निरखत नयना सुखदाई ll 1 ll
तेसीय नवरंग नवरंग बनी जोरी तेसेई गावत राग मल्हार तान मन भाई l
‘गोविंद’ प्रभु सुरंग हिंडोरे झूले फूले आछे रंग भरे चंहु दिशते घटा जुरि आई ll 2 ll

कीर्तन – (राग : मल्हार)
रंग मच्यो सिंघद्वार हिंडोरे व झूलना l
गौरश्याम तन नील पीतपट घनदामिनी हेम बिराजत निरख निरख व्रजजन मन फूलना ll 1 ll
ऊर पर वनमाल सोहे इन्द्रधनुष मानो उदित भयो मोतीनहार बगपंगति समतूलना l
वरषत नवरूप वारी घोख अवनि रत्न खचित ‘गोविंद’ प्रभु निरख कोटि मदन भूलना ll 2 ll

अंतिम कीर्तन के उपरांत मुखियाजी, सभी भीतरिया आदि सेवक हिंडोलना की परिक्रमा करते हैं एवं तत्पश्चात आरती की जाती है और ठाकुरजी हिंडोलना से भीतर पधरा लिए जाते हैं.

श्रीजी के उस्ताखाना के सेवक हिंडोलना की सभी साजा बड़ी कर लेते हैं.

आज से हिंडोलने की बिछायत, दीवालगरी आदि उतार लिए जाते हैं. केवल मणिकोठा में आगामी सप्तमी तक दीवालगरी रहती है.

व्रज – भाद्रपद कृष्ण द्वितीया  २ 11 August 2025, Monday    हिंडोलना विजय के दिन, प्रथम हिंडोलना रोपण के दिन धराये गये सा...
11/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण द्वितीया २
11 August 2025, Monday

हिंडोलना विजय के दिन, प्रथम हिंडोलना रोपण के दिन धराये गये साज दीवालगरी, वस्त्र, श्रृंगार आदि सभी वैसे ही धराये जाते हैं.
श्रीजी को सुनहरी लप्पा से सुसज्जित लाल पिछोड़ा व श्रीमस्तक पर आसमानी बाहर की खिड़की वाली लाल छज्जेदार पाग पर सादी मोर-चन्द्रिका धरायी जाती है.
चांदी को शुभ माना जाता है अतः प्रथम हिंडोलने की भांति ही हिंडोलना विजय के दिन भी श्री मदनमोहनजी चांदी के हिंडोलने में झूलते हैं.

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राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)

आज महा मंगल महराने ।
पंच शब्द ध्वनि भीर वधाई घर घर बैरख बाने ।।१।।
ग्वाल भरे कांवरि गोरसकी वधू सिंगारत वाने ।
गोपी गोप परस्पर छिरकत दधि के माट ढुराने ।।२।।
नामकरन जब कियो गर्ग मुनि नंद देत बहु दाने ।
पावन जस गावति कटहरिया जाहि परमेश्वर माने ।।३।।

साज – श्रीजी में आज साज लाल रंग की मलमल की सुनहरी लप्पा की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल की बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल रंग की मलमल का सुनहरी लप्पा से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के होते हैं.
श्रृंगार - आज प्रभु को हीरों का छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है.
हीरे के सर्वआभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर आसमानी मलमल की सुनहरी बाहर की खिड़की वाली छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
मोतियों की माला के ऊपर चार पान घाट की जुगावली धराई जाती हैं.श्रीकंठ में त्रवल नहीं धराया जाता हैं. हीरे की बघ्घी धराई जाती हैं.
पीले एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोने के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट लाल एवं गोटी छोटी स्वर्ण की छोटी धराई जाती हैं.
आरसी श्रृंगार में लाल मख़मल की एवं राजभोग में सोने की डांडी की आती है.

व्रज – भाद्रपद कृष्ण द्वितीया २11 August 2025, Monday आज के मंगला दर्शन
11/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण द्वितीया २
11 August 2025, Monday

आज के मंगला दर्शन

व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा १Sunday, 10 August 2025स्वर्णयुगदाता नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महारा...
10/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा १
Sunday, 10 August 2025

स्वर्णयुगदाता नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का प्राकट्योत्सव, स्वर्ण(हेम) हिंडोलना

आज गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से श्रीजी को केशरयुक्त जलेबी के टूक एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केशरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.

राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता, सखड़ी में छःभात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात और नारंगी भात), मीठी सेव और केसरी पेठा आदि अरोगाये जाते हैं.

आज राजभोग दर्शन में पिछवाई बड़ी करदी जाती है, राजभोग से संध्या-आरती तक में प्रभु सोने के बंगले में विराजते हैं.

कीर्तन - (राग : सारंग)

सब ग्वाल नाचे गोपी गावे।
प्रेम मगन कछु कहत न आवे॥1॥
हमारे राय घर ढोटा जायो।
सुनि सब लोग बधाये आयो॥2॥
दूध दही घृत कावरि ढोरी।
तंदुल दूब अलंकृत रोरी॥3॥
हरद दूध दधि छिरकत अंगा।
लसत पीत पट वसन सुरंगा॥4॥
ताल पखावज दुंदुभी ढोला।
हसत परस्पर करत कलोला॥5॥
अजिर पंक गुलफन चढि आये।
रपटत फिरत पग न ठहराये॥6॥
वारिवारि पट भूषन दीने।
लटकत फिरत महा रस भीने॥7॥
सुधि न परे को काकी नारी।
हसिहसि देत परस्पर तारी॥8॥
सुर विमान सब कौतुक भूले।
मुदित ’त्रिलोक’ विमोहित फूले॥9॥

व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा १ 10 August 2025, Sundayस्वर्णयुगदाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महार...
10/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा १
10 August 2025, Sunday

स्वर्णयुगदाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का प्राकट्योत्सव, स्वर्ण(हेम) हिंडोलना
विशेष – आज नाथद्वारा के स्वर्णयुग दाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का उत्सव है.
आज श्रीजी को नियम से मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा.
आज गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से श्रीजी को केशरयुक्त जलेबी के टूक एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केशरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता, सखड़ी में मीठी सेव, केसरी पेठा व छहभात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात और नारंगी भात) अरोगाये जाते हैं.
भोग समय अरोगाये जाने वाले फीका के स्थान पर घी में तले बीज चालनी के सूखे मेवे अरोगाये जाते हैं.

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राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)

सब ग्वाल नाचे गोपी गावे l प्रेम मगन कछु कहत न आवे ll 1 ll
हमारे राय घर ढोटा जायो l सुनि सब लोक बधाये आयो ll 2 ll
दूध दधि घृत कांवरि ढोरी l तंदुल डूब अलंकृत रोरी ll 3 ll
हरद दूध दधि छिरकत अंगा l लसत पीत पट बसन सुरंगा ll 4 ll
ताल पखावज दुंदुभि ढोला l हसत परस्पर करत कलोला ll 5 ll
अजिर पंक गुलफन चढि आये l रपटत फिरत पग न ठहराये ll 6 ll
वारि वारि पटभूषन दीने l लटकत फिरत महारस भीने ll 7 ll
सुधि न परे को काकी नारी l हसि हसि देत परस्पर तारी ll 8 ll
सुर विमान सब कौतिक भूले l मुदित त्रिलोक विमोहित फूले ll 9 ll

साज – श्रीजी में आज सखीभाव से खड़ी अष्टसखी के भाव से व्रज की गोपीजनों के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज केसरी मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं गाती का पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी (चिकन) के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरे के सर्व आभरण धराये जाते हैं. कली, कस्तूरी और कमल माला धरायी जाती है.
श्रीमस्तक पर टंकमां हीरा की टोपी व मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में हीरे के मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
दो हार पाटन वाले धराए जाते हैं.
सफेद पुष्पों की एवं लाल गुलाब की थागवाली मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट केसरी, गोटी राग-रंग की व आरसी सोने की डांडी की आती है. श्रृंगार समय आरसी चार झाड की आती है.

व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा १ Sunday, 10 August 2025आज के मंगला दर्शनस्वर्णयुगदाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री ...
10/08/2025

व्रज – भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा १
Sunday, 10 August 2025

आज के मंगला दर्शन

स्वर्णयुगदाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का प्राकट्योत्सव, स्वर्ण(हेम) हिंडोलना

विशेष – आज नाथद्वारा के स्वर्णयुग दाता नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का उत्सव है.
जीवन परिचय - आज के उत्सवनायक नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज का जन्म श्री गिरिधारीजी के यहाँ विक्रम संवत 1917 में हुआ. विक्रम संवत 1927 में नाथद्वारा में आपका उपनयन संस्कार हुआ. विक्रम संवत 1932 में आप तिलकायत पद पर आसीन हुए.
श्रीजी सेवा एवं नाथद्वारा के अभ्युदय में आपश्री का अग्रणी योगदान रहा. आपश्री का समय नाथद्वारा का स्वर्णयुग कहा जाता है.
आपश्री के अथक प्रयासों से व्रज में गौवध बंद हुआ एवं कई गौशालाएँ खोली गयीं. आपश्री ने श्रीजी के विविध मनोरथ किये. सारंगी वाध्य कीर्तनों में बजाना शुरू हुआ.
बारह मास के आभूषण, वस्त्र, श्रृंगार, कीर्तन आदि के नियमों की प्रणालिका पुनः परिभाषित की गयी.
श्रीजी के लिए सोने का बंगला, सोने का पलना एवं सोने का हिंडोलना बनवाया. जडाऊ साज, जडाऊ चौखटा, जड़ाव के मुकुट, कांच, चन्दन आदि के बंगले, दीवालगरी, पिछवाई एवं ऋतु अनुसार सुन्दर कलात्मक साज आदि सिद्ध कराये.
वर्षपर्यंत श्रीजी के अभ्यंग, श्रृंगार एवं सामग्री निश्चित की. इस प्रकार आपने सेवा में प्रीतिपूर्वक प्रभु के सुख के विचार से भोग, राग एवं श्रृंगार की वृद्धि की.
नाथद्वारा नगर के अभ्युदय में भी आपका विशेष योगदान रहा है. नाथद्वारा में बनास नदी के ऊपर पुल, हायर सेकेंडरी स्कूल, हॉस्पिटल, धर्मशालाएं, विभिन्न बाग़-बगीचे, औषधालय, गोवर्धन मंडान, श्री नवनीतप्रियाजी का बगीचा, बैठक का बगीचा आदि बनवाये.
आपने श्री जगन्नाथ पुरी में महाप्रभुजी की बैठक प्रकट कर सेवा व्यवस्था प्रारंभ की. विक्रम संवत 1990 में अश्विन शुक्ल द्वितीया के दिन आपने नित्यलीला में प्रवेश किया.
सभी वैष्णवों को नित्यलीलास्थ गोस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराजश्री के उत्सव की अनेकानेक बधाईयाँ
श्रीजी का सेवाक्रम - उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
दिन भर सभी समय यमुनाजल की झारीजी आती है. चारों समां (मंगला, राजभोग संध्या व शयन) की आरती थाली में की जाती है.
गेंद, चौगान, दीवाला आदि सभी सोने के आते हैं. मुड्ढा, पेटी, दीवालगिरी का साज केसरी आता है वहीँ तकिया लाल काम (work) वाले आते हैं.
उपरना केसरी मलमल का

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