Shree Nathdwara

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(335)

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01/11/2025
01/11/2025
व्रज - कार्तिक शुक्ल दशमी १० 01 November 2025, Saturdayआगम का श्रृंगार, छप्पनभोग (बड़ा) मनोरथआज श्रीनाथजी में किन्हीं वैष...
01/11/2025

व्रज - कार्तिक शुक्ल दशमी १०
01 November 2025, Saturday

आगम का श्रृंगार, छप्पनभोग (बड़ा) मनोरथ

आज श्रीनाथजी में किन्हीं वैष्णव द्वारा आयोजित छप्पनभोग का मनोरथ होगा.

कल कल देव प्रबोधिनी का उत्सव है . अतः आज उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला आगम के लाल-पीले वस्त्र व मोर चंद्रिका का हल्का श्रृंगार धराया जायेगा.

यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है और इसे उत्सव के आगम का श्रृंगार कहा जाता है.
इस श्रृंगार को धराये जाने में उत्सव के आगमन के आभास का भाव है.
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व्रज - कार्तिक शुक्ल दशमी १० 01 November 2025, Saturdayआज के मंगला दर्शन
01/11/2025

व्रज - कार्तिक शुक्ल दशमी १०
01 November 2025, Saturday

आज के मंगला दर्शन

31/10/2025

अक्षय नवमी ✨
भाव-दर्शन-स्मरण💫

प्रभु श्रीनाथजी बावा की आज की स्मरणीय भाव-दर्शन झांकी

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व्रज - कार्तिक शुक्ल नवमी  ९ 31 October 2025, Fridayअक्षय नवमी(We post late or temporarily skip darshan posts these days...
31/10/2025

व्रज - कार्तिक शुक्ल नवमी ९
31 October 2025, Friday
अक्षय नवमी

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इस तिथी का कभी क्षय नहीं होता और आज के दिन किये गये पुण्य व कर्म का क्षय नहीं होता अतः आज की तिथी अक्षय नवमी कहलाती है.
आज के दिन से जुड़ा हुआ एक प्रसंग आपसे साझा करना चाहूँगा जो की
नित्यलीलास्थ श्री कृष्णरायजी से जुड़ा हुआ हैं.
प्रभु श्री विट्ठलनाथजी की कृपा से द्वितीय गृह अत्यन्त वैभवपूर्ण स्वरुप में था और तत्समय श्रीजी में अत्यधिक ऋण हो गया.
जब आपको यह ज्ञात हुआ तब आपने अपना अहोभाग्य मान कर प्रभु सुखार्थ अपना द्रव्य समर्पित किया और प्रधान पीठ को ऋणमुक्त कराया.
आप द्वारा की गयी इस अद्भुत सेवा के बदले में श्रीजी कृपा से आपको कार्तिक शुक्ल नवमी (अक्षय नवमी) की श्रीजी की की पूरे दिन की सेवा और श्रृंगार का अधिकार प्राप्त हुआ था.
आज भी प्रभु श्री गोवर्धनधरण द्वितीय गृह के बालकों के हस्त से अक्षय नवमी के दिन की सेवा अंगीकार करते हैं.
आज श्रीजी प्रभु को अन्नकूट के दिन धराये वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं एवं गायों के चित्रांकन वाली सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. हम ऐसा कह सकते हैं कि आज अन्नकूट का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है.
आज के पश्चात इस ऋतु में जल रंग से चित्रांकित पिछवाई नहीं आएगी.
आज प्रभु को पूरे दिन तुलसी की माला धरायी जाती है.
अक्षयनवमी का पर्व होने के कारण श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में दही की सेव (पाटिया) के लड्डू अरोगाये जाते हैं.
प्रभु को केशर, कस्तूरी व बूरे से युक्त पेठे के टूक अरोगाये जाते हैं.
राजभोग की सखड़ी में केसरयुक्त पेठा अरोगाया जाता है.

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राजभोग दर्शन –
कीर्तन – (राग : सारंग)

सोहत लाल लकुटी कर राती l
सूथन कटि चोलना अरुन रंग पीताम्बरकी गाती ll 1 ll
ऐसे गोप सब बन आये जो सब श्याम संगाती l
प्रथम गुपाल चले जु वच्छ ले असीस पढ़ात द्विज जाती ll 2 ll
निकट निहारत रोहिनी जसोदा आनंद उपज्यो छाती l
‘परमानंद’ नंद आनंदित दान देत बहु भांति ll 3 ll

साज – आज श्रीजी में बड़ी गायों के अद्भुत चित्रांकन से सुसज्जित सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया के ऊपर लाल रंग की एवं चरणचौकी के ऊपर सफेद रंग की बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल सलीदार ज़री का सूथन, रुपहली फुलकशाही ज़री की चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं. पटका सुनहरी ज़री का धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र अमरसी (चंपाई) रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – श्रीजी को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) दो जोड़ी (माणक व पन्ना) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. मिलवा – हीरा, माणक, पन्ना तथा जड़ाव सोने के अन्नकूट की भांति आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर रुपहली फुलकशाही ज़री की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, लाल ज़री का गौ-कर्ण, पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. चोटीजी बायीं ओर धरायी जाती है.
श्रीकंठ में टोडर व त्रवल दोनों धराये जाते हैं. कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं.
गुलाबी एवं श्वेत पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (हीरा व स्वर्ण के) धराये जाते हैं.
पट नित्य का, गोटी जडाऊ व आरसी (दर्पण) सोने की व अन्य दर्शनों में पीले खंड की होती है.
🌺
संध्या-आरती दर्शन में तुलसी की गोवर्धन-माला (कन्दरा पर) धरायी जाती है.
प्रातः धराये श्रीकंठ के श्रृगार संध्या-आरती उपरांत बड़े (हटा) कर शयन समय छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर कुल्हे होती है अतः लूम, तुर्रा नहीं धराये जाते हैं.
प्रातः की पिछवाई बड़ी कर फुलकशाही ज़री की पिछवाई आती है.
शयनभोग की सखड़ी में पेठा-वड़ी का शाक एवं केसर युक्त पेठा अरोगाया जाता है.

30/10/2025

गोपाष्टमी ❤️

भाव-दर्शन-स्मरण ✨

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व्रज - कार्तिक शुक्ल अष्टमी ८ 30 October 2025, Thursdayगोपाष्टमीमंगला दर्शन उपरांत प्रभु को चन्दन, आवंला, एवं फुलेल (सुग...
30/10/2025

व्रज - कार्तिक शुक्ल अष्टमी ८
30 October 2025, Thursday
गोपाष्टमी

मंगला दर्शन उपरांत प्रभु को चन्दन, आवंला, एवं फुलेल (सुगन्धित तेल) से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है.
पिछवाई श्याम आधारवस्त्र पर खण्डों में कशीदे की श्वेत गायों की आती है.
गौचारण के भाव से आज प्रभु को नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जाता है.
मुकुट के इस श्रृंगार के विषय में मैं पहले भी कई बार बता चुका हूँ कि प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है.
इस उपरांत निकुँज लीला में भी मुकुट धराया जाता है. मुकुट उद्बोधक है एवं भक्ति का उद्बोधन कराता है.
आज इस ऋतु में मुकुट-काछनी का श्रृंगार अंतिम बार धराया जायेगा.

व्रज - कार्तिक शुक्ल अष्टमी ८ 30 October 2025, Thursdayगोपाष्टमीआज के मंगला दर्शन आज के दिन बालक नन्दकुमार पहली बार गौ-च...
30/10/2025

व्रज - कार्तिक शुक्ल अष्टमी ८
30 October 2025, Thursday
गोपाष्टमी

आज के मंगला दर्शन

आज के दिन बालक नन्दकुमार पहली बार गौ-चारण हेतु वन में पधारे थे. आज से ही प्रभु श्रीकृष्ण को गोप (ग्वाल) का दर्ज़ा मिला था. इस भाव से आज का उत्सव गोपाष्टमी कहलाता है. गोपगण गायों की अष्टांग योग से सेवा करते हैं जिससे अष्टमी की तिथी को गौ-पूजन कर प्रभु गौ-चारण करने पधारे थे.
पुष्टिमार्ग ही ऐसा मार्ग अथवा संप्रदाय है जिसमें गौ-पालन, गौ-क्रीड़न, गौ-संवर्धन आदि होते हैं और गौ-सेवा प्रभु की सेवा की भांति की जाती है.
व्रज में प्रभु श्रीकृष्ण की समस्त जीवन क्रिया गौ-चारण में ही हुई तभी प्रभु को गोपाल कृष्ण भी कहा जाता है.
श्री महाप्रभुजी भी गौ-सेवा के प्रति पूर्णतः समर्पित थे. श्रीजी ने जब गाय मांगी तब आपश्री अपने आभूषण बेच कर प्रभु के लिए गाय लाये.
प्रभु गायों के बिना एक क्षण भी नहीं रहते. आज वैष्णव विशेष रूप से गौशाला जाकर गायों को चारा, घांस, लड्डू आदि खिलाते हैं.
आज के दिन उत्थापन उपरांत गौशाला में पाडों (भैंसों) की भिड़ंत करायी जाती है जिसमें हजारों की संख्या में नगरवासी गौशाला में एकत्र हो कर पाडों (भैंसों) की भिड़ंत का आनंद लेते हैं. आज की भिड़ंत के लिए ग्वालबाल कई माह पूर्व से पाडों (भैंसों) को अच्छी खुराक खिला कर तैयार करते हैं.
आज श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में नहीं परन्तु अन्य निधि स्वरूपों व वैष्णव मंदिरों में कुंडवारा का मनोरथ होता है. प्रभु गौ-चारण को पधारें तब सभी ग्वाल-बालों के साथ भोग अरोग कर पधारते हैं इस भाव से कुंडवारा का भोग अरोगाया जाता है.
श्रीजी का सेवाक्रम – गोपाष्टमी का पर्व होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
आज सभी समय यमुना जल की झारीजी भरी जाती हैं. दो समां (राजभोग एवं संध्या आरती) की आरती थाली में की जाती है.

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