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04/07/2025

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बिहार मतदाता सूची में शामिल होने के लिए, चुनाव आयोग ने 11 प्रकार के दस्तावेजों की सूची जारी की है, जो जन्म तिथि और/या जन...
04/07/2025

बिहार मतदाता सूची में शामिल होने के लिए, चुनाव आयोग ने 11 प्रकार के दस्तावेजों की सूची जारी की है, जो जन्म तिथि और/या जन्म स्थान को साबित करने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। ये दस्तावेज विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया के तहत मांगे गए हैं, जो बिहार में 25 जून 2025 से शुरू होकर 30 सितंबर 2025 तक चलेगी। निम्नलिखित 11 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज पर्याप्त है, बशर्ते वह आपकी पात्रता (जन्म तिथि और/या जन्म स्थान) को साबित कर सके:जन्म प्रमाणपत्र (Birth Certificate)पासपोर्ट (Passport)पैन कार्ड (PAN Card) - केवल जन्म तिथि के लिए, क्योंकि यह जन्म स्थान को साबित नहीं करता।ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) - केवल जन्म तिथि के लिए, क्योंकि यह जन्म स्थान को साबित नहीं करता।आधार कार्ड (Aadhaar Card) - यह जन्म तिथि और/या जन्म स्थान के लिए स्वीकार्य हो सकता है, लेकिन इसका उपयोग Electoral Registration Officer (ERO) के विवेक पर निर्भर करता है।एससी/एसटी/ओबीसी प्रमाणपत्र (SC/ST/OBC Certificate)पेंशन भुगतान आदेश (Pension Payment Order)स्थायी निवास प्रमाणपत्र (Permanent Residence Certificate)ग्राम पंचायत द्वारा रखा गया परिवार रजिस्टर (Family Register maintained by local authorities)भूमि आवंटन प्रमाणपत्र (Land Allotment Certificate)2003 की मतदाता सूची में माता-पिता का नाम (Extract of parents' name in the electoral roll of Bihar as of January 1, 2003)क्या कोई एक प्रमाण पर्याप्त है?हां, उपरोक्त 11 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज पर्याप्त है, बशर्ते वह आपकी जन्म तिथि और/या जन्म स्थान को साबित कर सके। हालांकि, कुछ शर्तें लागू होती हैं:1987 से पहले जन्मे व्यक्तियों के लिए: केवल स्वयं की जन्म तिथि और/या जन्म स्थान का एक दस्तावेज देना होगा।1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे व्यक्तियों के लिए: स्वयं की जन्म तिथि और/या जन्म स्थान का एक दस्तावेज और माता-पिता में से किसी एक का जन्म तिथि/जन्म स्थान का दस्तावेज देना होगा।2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे व्यक्तियों के लिए: स्वयं की जन्म तिथि और/या जन्म स्थान का दस्तावेज और माता-पिता दोनों के जन्म तिथि/जन्म स्थान के दस्तावेज देने होंगे।महत्वपूर्ण नोट:यदि आपका या आपके माता-पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज है, तो आपको अतिरिक्त दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी। आप 2003 की मतदाता सूची का अंश (extract) जमा कर सकते हैं, जो बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) या ऑनलाइन उपलब्ध है।आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे कुछ दस्तावेजों की स्वीकार्यता ERO के विवेक पर निर्भर करती है, क्योंकि ये हमेशा जन्म स्थान को साबित नहीं करते।यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका नाम मतदाता सूची में शामिल हो, आपको फॉर्म 6 भरना होगा और इसके साथ एक स्व-प्रमाणित घोषणा देनी होगी कि आप भारत के नागरिक हैं।सुझाव:अपने नजदीकी बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से संपर्क करें या आधिकारिक वेबसाइट https://voters.eci.gov.in पर जाएं, जहां आप 2003 की मतदाता सूची डाउनलोड कर सकते हैं और फॉर्म जमा कर सकते हैं।यदि आपके पास उपरोक्त में से कोई दस्तावेज नहीं है, तो स्थानीय अधिकारियों (जैसे ग्राम पंचायत) से परिवार रजिस्टर या अन्य वैध दस्तावेज प्राप्त करने का प्रयास करें।अधिक जानकारी के लिए, आप बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं: ईमेल - [email protected], फोन - 0612-2217956, या टोल-फ्री नंबर 1950।

सुप्रीम कोर्ट और संवैधानिक मूल्यों की अवमानना या अपमान करने वालों के लिए सजा के प्रावधान निम्नलिखित हैं:1. संवैधानिक मूल...
21/04/2025

सुप्रीम कोर्ट और संवैधानिक मूल्यों की अवमानना या अपमान करने वालों के लिए सजा के प्रावधान निम्नलिखित हैं:
1. संवैधानिक मूल्यों की अवमानना:संवैधानिक मूल्य जैसे न्याय, स्वतंत्रता, समानता और लोकतंत्र भारतीय संविधान के आधार हैं। इनकी अवमानना को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की अवमानना (Contempt of Court) के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि ये न्यायालय संविधान के रक्षक हैं।प्रावधान और सजा:अनुच्छेद 129: सुप्रीम कोर्ट को "कोर्ट ऑफ रिकॉर्ड" का दर्जा देता है, जिसमें अपनी अवमानना के लिए सजा देने का अधिकार है।अनुच्छेद 142: सुप्रीम कोर्ट को न्याय के लिए ऐसे आदेश देने का अधिकार देता है जो संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करें।Contempt of Courts Act, 1971:धारा 2: अवमानना को दो प्रकार में बांटा गया है:सिविल कंटेम्प्ट: न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन।क्रिमिनल कंटेम्प्ट: ऐसा कार्य जो न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाए, न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप करे, या न्याय प्रशासन को प्रभावित करे।धारा 12: अवमानना के लिए सजा:सजा: 6 महीने तक की कैद, या 2000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों।माफी: यदि अवमानना करने वाला न्यायालय से माफी मांगता है और कोर्ट इसे स्वीकार करता है, तो सजा माफ हो सकती है।धारा 13: सजा तभी दी जाएगी जब अवमानना न्याय प्रक्रिया को गंभीर रूप से प्रभावित करती हो।उदाहरण:प्रशांत भूषण केस (2020): वकील प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट करने के लिए अवमानना का आरोप लगा। उन्हें 1 रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना देना पड़ा।कुणाल कामरा केस: कॉमेडियन कुणाल कामरा के सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के लिए अवमानना का केस दर्ज हुआ।2. निंदा (Defamation) के प्रावधान:संवैधानिक मूल्यों के अलावा, किसी व्यक्ति या संस्था की निंदा भी अपराध है, क्योंकि यह व्यक्ति की प्रतिष्ठा (अनुच्छेद 21) को प्रभावित करता है। निंदा को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499-502 में परिभाषित किया गया है, जो अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 में शामिल है।प्रावधान:धारा 499 (IPC): निंदा की परिभाषा:कोई व्यक्ति जो शब्दों (लिखित या बोले गए), संकेतों, या चित्रों के माध्यम से किसी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के इरादे से या जानबूझकर कुछ प्रकाशित करता है, वह निंदा करता है।अपवाद: सत्य, जनहित, या सद्भावना में किए गए कार्य निंदा नहीं माने जाते।धारा 500 (IPC): निंदा की सजा:सजा: 2 साल तक की साधारण कैद, या जुर्माना, या दोनों।धारा 501-502 (IPC): निंदात्मक सामग्री के प्रकाशन या बिक्री के लिए भी 2 साल तक की कैद या जुर्माना।संवैधानिक संदर्भ:अनुच्छेद 19(1)(a): नागरिकों को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) इसके लिए "उचित प्रतिबंध" लगाता है, जिसमें निंदा और न्यायालय की अवमानना शामिल हैं।अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, जिसमें प्रतिष्ठा का अधिकार भी शामिल है।महत्वपूर्ण केस:श्रेया सिंघल केस (2015): आईटी एक्ट की धारा 66A को असंवैधानिक घोषित किया गया, क्योंकि यह निंदा के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करती थी।सुब्रमण्यम स्वामी केस (2016): सुप्रीम कोर्ट ने धारा 499 और 500 को संवैधानिक माना, क्योंकि प्रतिष्ठा का अधिकार अनुच्छेद 21 का हिस्सा है।निष्कर्ष:सुप्रीम कोर्ट के पास संवैधानिक मूल्यों की अवमानना और निंदा के लिए सख्त प्रावधान हैं। Contempt of Courts Act, 1971 के तहत 6 महीने तक की कैद या जुर्माना और IPC (अब BNS) की धारा 499-502 के तहत निंदा के लिए 2 साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। ये प्रावधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा के अधिकार के बीच संतुलन बनाते हैं।अगर आप किसी विशिष्ट केस या प्रावधान के बारे में और जानना चाहते हैं, तो कृपया बताएं!

20/04/2025

एक समझदार नागरिक बनने के लिए निम्नलिखित कदम और जिम्मेदारियाँ महत्वपूर्ण हैं
कैसे बनें एक समझदार नागरिक?
जानकारी रखें: देश और समाज से जुड़े मुद्दों, कानूनों, और अधिकारों की जानकारी रखें। समाचार, किताबें, और विश्वसनीय स्रोतों से अपडेट रहें।शिक्षा और जागरूकता: शिक्षा को महत्व दें और अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करें। सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा करें।कानून का पालन: देश के कानूनों और नियमों का सम्मान करें। नैतिकता और ईमानदारी के साथ व्यवहार करें।सामाजिक सहभागिता: सामुदायिक गतिविधियों, स्वयंसेवी कार्यों, और समाज कल्याण के लिए योगदान दें।सहिष्णुता और सम्मान: विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, और विचारों का सम्मान करें। एकता और भाईचारे को बढ़ावा दें।मतदान करें: लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिस्सा लें। सूझबूझ से अपने मताधिकार का उपयोग करें।एक समझदार नागरिक को क्या करना चाहिए?समाज की भलाई के लिए काम करें: स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में योगदान दें।अधिकार और कर्तव्यों का संतुलन: अपने अधिकारों का उपयोग करें, लेकिन कर्तव्यों को भी न भूलें, जैसे कर चुकाना और सार्वजनिक संपत्ति की देखभाल।सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाएँ: अन्याय, भ्रष्टाचार, या असमानता के खिलाफ जागरूकता फैलाएँ और जरूरत पड़ने पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करें।सहायता करें: जरूरतमंद लोगों की मदद करें, चाहे वह दान, समय, या संसाधनों के माध्यम से हो।डिजिटल जिम्मेदारी: सोशल मीडिया पर सही जानकारी साझा करें और फर्जी खबरों से बचें।पर्यावरण की रक्षा: ऊर्जा बचत, कचरा प्रबंधन, और पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें।निष्कर्षएक समझदार नागरिक वही है जो अपने देश, समाज, और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार हो। सूचनाओं के साथ सक्रियता, नैतिकता, और सहयोग की भावना अपनाकर आप एक आदर्श नागरिक बन सकते हैं। छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

20/04/2025

UPSC में सफलता का प्रतिशत

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) भारत की सबसे कठिन और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक है, जिसमें सफलता का प्रतिशत 1% से भी कम है। यहाँ इसका विवरण है:आवेदन और उपस्थिति: हर साल लगभग 10-13 लाख उम्मीदवार यूपीएससी प्रीलिम्स के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन केवल 50% (5-6 लाख) ही परीक्षा देते हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में करीब 13 लाख उम्मीदवार प्रीलिम्स में शामिल हुए, जिनमें से 14,624 मेन्स के लिए चुने गए (चयन अनुपात ~0.11%)।मेन्स और इंटरव्यू: मेन्स से केवल 2,800-3,000 उम्मीदवार इंटरव्यू के लिए चुने जाते हैं, और अंत में 900-1,000 उम्मीदवारों को IAS, IPS, IFS जैसी सेवाओं के लिए चुना जाता है। 2023 में 1,016 उम्मीदवार अंतिम रूप से चुने गए, यानी कुल सफलता दर 0.078% थी।चरण-वार सफलता:प्रीलिम्स: गंभीर उम्मीदवारों (जो अच्छी तैयारी करते हैं) में से लगभग 25% प्रीलिम्स पास करते हैं, लेकिन कुल पास प्रतिशत ~1-2% है।मेन्स: मेन्स के 15-20% उम्मीदवार इंटरव्यू के लिए क्वाल Gender (1.5%) के लिए चुने जाते हैं।इंटरव्यू: इंटरव्यू तक पहुँचने वाले लगभग 50% उम्मीदवार अंतिम मेरिट लिस्ट में जगह बनाते हैं।यह कम सफलता दर परीक्षा के तीन चरणों (प्रीलिम्स, मेन्स, इंटरव्यू), विस्तृत सिलेबस और सीमित रिक्तियों (2023 में 1,255) के कारण है।असफल उम्मीदवारों का क्या होता है?हालांकि यूपीएससी कई लोगों का सपना है, लेकिन अधिकांश उम्मीदवार इसे पास नहीं कर पाते। फिर भी, असफलता का मतलब अवसरों का अंत नहीं है। असफल उम्मीदवारों के साथ क्या होता है:दोबारा प्रयास:उम्मीदवार तब तक कई बार प्रयास कर सकते हैं जब तक उनकी सीमा (जनरल के लिए 6, OBC के लिए 9, SC/ST के लिए असीमित, आयु सीमा के साथ) खत्म न हो। डेटा दिखाता है कि 90% सफल उम्मीदवार एक से अधिक प्रयासों के बाद पास करते हैं, जिसमें तीसरे या चौथे प्रयास में सबसे ज्यादा संभावना होती है।कई असफल उम्मीदवार अपनी गलतियों से सीखकर, रणनीति सुधारकर तैयारी जारी रखते हैं। कुणाल आर. विरुलकर जैसे लोग, जिन्होंने 12 बार प्रयास किया, उनकी मेहनत प्रेरणा देती है।वैकल्पिक करियर विकल्प:राज्य पीसीएस परीक्षाएँ: कई उम्मीदवार UPPSC, BPSC जैसी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं की ओर बढ़ते हैं, जो यूपीएससी से कम प्रतिस्पर्धी हैं और डिप्टी कलेक्टर या DSP जैसे पद देती हैं।अन्य सरकारी नौकरियाँ: उम्मीदवार SSC CGL, IBPS PO, RBI Grade B या CAPF जैसी परीक्षाओं में शामिल होते हैं, जो स्थिर सरकारी नौकरियाँ देती हैं।निजी क्षेत्र: कुछ अपनी यूपीएससी तैयारी (जो सामान्य ज्ञान, विश्लेषणात्मक कौशल और व्यक्तित्व को बढ़ाती है) का उपयोग कॉर्पोरेट, थिंक टैंक, NGO या पत्रकारिता में नौकरियाँ पाने के लिए करते हैं। एक ट्विटर यूजर ने कहा कि अगर सुंदर पिचाई यूपीएससी पास कर लेते, तो शायद कलेक्टर होते, यह दर्शाता है कि बाहर भी बड़े अवसर हैं।शिक्षण और कोचिंग: कई उम्मीदवार यूपीएससी मेंटर, कंटेंट क्रिएटर या कोचिंग संस्थानों में शिक्षक बनते हैं। कुणाल आर. विरुलकर असफल होने के बाद भी मेंटर बने।उद्यमिता: कुछ अपनी मेहनत और ज्ञान का उपयोग कर स्टार्टअप शुरू करते हैं।व्यक्तिगत विकास:यूपीएससी की तैयारी एक परिवर्तनकारी यात्रा है। असफल उम्मीदवार भी समय प्रबंधन, आलोचनात्मक सोच और दृढ़ता जैसे कौशल हासिल करते हैं, जो किसी भी करियर में उपयोगी हैं। IPS अधिकारी भिशम सिंह ने कहा, “कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।”यह प्रक्रिया उम्मीदवारों को शासन, राजनीति और समाज की गहरी समझ देती है, जिससे वे बेहतर नागरिक बनते हैं।चुनौतियाँ:भावनात्मक और वित्तीय तनाव: बार-बार असफलता तनाव, आत्म-संदेह या वित्तीय बोझ ला सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो सालों और पैसों को कोचिंग में लगाते हैं। सोशल मीडिया पर पोस्ट इस भावनात्मक बोझ को दर्शाती हैं, एक यूजर ने यूपीएससी को “लव सर्कल” कहा।अवसर लागत: यूपीएससी पर सालों बिताने से अन्य करियर अवसरों में देरी हो सकती है। एक ट्विटर यूजर ने कहा कि 20 का दशक उत्पादक होता है, और सिलेबस को बार-बार दोहराने की “अनंत” अवसर लागत है।सामाजिक दबाव: उम्मीदवारों को अक्सर सामाजिक या पारिवारिक अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है, जो दबाव बढ़ाता है।आगे बढ़ना:कई उम्मीदवार प्रयास खत्म होने या यूपीएससी के अनुपयुक्त होने पर अन्य क्षेत्रों में चले जाते हैं। ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म ऐसे उम्मीदवारों का समर्थन करते हैं, उन्हें याद दिलाते हैं कि “असफलता अंत नहीं है,” और उमा हराथी जैसे उदाहरण, जो चार असफलताओं के बाद यूपीएससी पास कीं, प्रेरित करते हैं।कुछ MBA, LLB जैसे उच्च अध्ययन कर अपने करियर को बढ़ाते हैं।निष्कर्ष: यूपीएससी की सफलता दर बहुत कम (~0.078-0.2%) है, जो इसकी कठिनाई और प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है। हालांकि, असफल उम्मीदवारों के पास कई विकल्प हैं, जैसे दोबारा प्रयास, सरकारी या निजी क्षेत्र में वैकल्पिक करियर, या उद्यमिता। तैयारी से मूल्यवान कौशल मिलते हैं, और कई टॉपर्स की कहानियाँ, जो कई असफलताओं के बाद सफल हुए, दूसरों को प्रेरित करती हैं। जैसा कि एक ट्विटर यूजर ने कहा, “संघर्ष जीवन का दूसरा नाम है

20/04/2025

UPSC Success Rate Percentage:The Union Public Service Commission (UPSC) Civil Services Examination (CSE) is one of the most competitive exams in India, with a success rate of less than 1%. Here’s a breakdown based on available data:Application and Appearance: Every year, approximately 10-13 lakh candidates apply for the UPSC Prelims, but only about 50% (5-6 lakh) actually appear for the exam. For instance, in 2023, around 13 lakh candidates appeared for the Prelims, out of which 14,624 qualified for the Mains (a selection ratio of ~0.11%).Mains and Interview: From the Mains, only about 2,800-3,000 candidates are selected for the Personality Test (Interview), and ultimately, around 900-1,000 candidates are recommended for various services (e.g., IAS, IPS, IFS). In 2023, 1,016 candidates were finally selected, resulting in an overall success rate of approximately 0.078%.Stage-wise Success:Prelims: Around 25% of serious candidates (those well-prepared) clear the Prelims, but the overall pass percentage is ~1-2% of those who appear.Mains: About 15-20% of Mains candidates qualify for the Interview.Interview: Roughly 50% of candidates who reach the Interview stage are selected for the final merit list.This low success rate is due to the exam’s rigorous three-stage process (Prelims, Mains, and Interview), vast syllabus, and intense competition for a limited number of vacancies (e.g., 1,255 vacancies in 2023).Fate of Unsuccessful Candidates:While the UPSC exam is a dream for many, the majority of candidates do not clear it. However, failure in UPSC does not mean the end of opportunities. Here’s what happens to unsuccessful candidates:Multiple Attempts:Candidates can attempt the UPSC CSE multiple times until they exhaust their attempts (6 for General category, 9 for OBC, unlimited for SC/ST, with age limits). Data shows that 90% of successful candidates clear the exam after more than one attempt, with the highest success probability around the 3rd or 4th attempt.Many unsuccessful candidates continue preparing, learning from past mistakes, and improving their strategy. Stories like Kunal R. Virulkar, who attempted the exam 12 times without success, highlight the resilience of aspirants.Alternative Career Paths:State PCS Exams: Many candidates shift to State Public Service Commission exams (e.g., UPPSC, BPSC), which are similar to UPSC but less competitive and offer roles like Deputy Collector or DSP.Other Government Jobs: Unsuccessful candidates often appear for exams like SSC CGL, IBPS PO, RBI Grade B, or CAPF, which provide stable government jobs.Private Sector: Some leverage their UPSC preparation (which enhances general knowledge, analytical skills, and personality) to secure jobs in corporate sectors, think tanks, NGOs, or journalism. For example, a Twitter user remarked that if Sundar Pichai had cleared UPSC, he might be a collector, implying broader opportunities outside UPSC.Teaching and Coaching: Many candidates become UPSC mentors, content creators, or faculty at coaching institutes, using their experience to guide others. Kunal R. Virulkar, despite failing, became a UPSC mentor.Entrepreneurship: Some start their own ventures, leveraging the discipline and knowledge gained during preparation.Personal Growth:UPSC preparation is a transformative journey. Even unsuccessful candidates gain skills like time management, critical thinking, and perseverance, which are valuable in any career. IPS officer Bhisham Singh noted, “Hard work never goes to waste,” emphasizing that the preparation process itself is rewarding.The process often makes candidates more informed citizens, with a deep understanding of governance, polity, and society.Challenges Faced:Emotional and Financial Strain: Repeated failures can lead to stress, self-doubt, or financial burdens, especially for those who invest years and money in coaching. Social media posts reflect the emotional toll, with one user calling UPSC a “love circle” of repeated failures.Opportunity Cost: Spending years on UPSC can delay other career opportunities, as noted by a Twitter user who said the 20s are productive years, and revising the UPSC syllabus yearly has an “infinite” opportunity cost.Social Pressure: Aspirants often face societal or familial expectations, which can add to the pressure of failure.Moving On:Many candidates eventually pivot to other fields after exhausting attempts or realizing UPSC isn’t their path. Social media platforms like Twitter show support for such aspirants, reminding them that “failure is not the end” and citing examples like Uma Harathi, who cleared UPSC after four failures.Some pursue higher studies (e.g., MBA, LLB) to enhance their career prospects.Conclusion: The UPSC success rate is extremely low (~0.078-0.2%), reflecting the exam’s difficulty and competition. However, unsuccessful candidates have numerous options, from reattempting the exam to exploring alternative careers in government, private sectors, or entrepreneurship. The preparation itself equips them with valuable skills, and stories of resilience, like those of toppers who succeeded after multiple failures, inspire others to keep pushing forward. As one Twitter user aptly said, “Struggle is another name for life.”If you’d like specific advice for UPSC preparation or career options after failure, let me know!

20/04/2025

यूट्यूब पर कितने प्रतिशत चैनल मोनेटाइज्ड हैं, इसका सटीक आंकड़ा मिलना मुश्किल है क्योंकि यूट्यूब इस बारे में व्यापक डेटा सार्वजनिक नहीं करता। हालांकि, उपलब्ध अनुमानों और क्रिएटर्स की चर्चाओं के आधार पर कुछ जानकारी इस प्रकार है:अनुमानित आंकड़े: ट्यूबफिल्टर और रेडिट जैसे प्लेटफॉर्म्स के अनुसार, 1% से भी कम यूट्यूब चैनल लाभकारी हैं या नियमित रूप से अच्छा पैसा कमा रहे हैं। 2023 के एक मीडियम लेख में दावा किया गया कि केवल 0.25% चैनल ही कोई पैसा कमाते हैं, हालांकि इसमें बहुत कम कमाई भी शामिल है।यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम (YPP): मोनेटाइजेशन के लिए चैनल को YPP में शामिल होना पड़ता है, जिसके लिए कम से कम 500 सब्सक्राइबर्स और पिछले एक साल में 3,000 पब्लिक वॉच आवर्स या 90 दिनों में 3 मिलियन शॉर्ट्स व्यूज चाहिए। पूरी ऐड रेवेन्यू के लिए 1,000 सब्सक्राइबर्स और 4,000 वॉच आवर्स या 10 मिलियन शॉर्ट्स व्यूज चाहिए। लगभग 66 मिलियन यूट्यूब चैनलों में से केवल 2 मिलियन क्रिएटर्स YPP में हैं, यानी लगभग 3% चैनल इन शर्तों को पूरा करते हैं।मोनेटाइजेशन की चुनौतियां: YPP में शामिल चैनल भी सभी वीडियो मोनेटाइज नहीं कर पाते, क्योंकि इसके लिए कंटेंट को एडवर्टाइजर-फ्रेंडली होना जरूरी है। कुछ क्रिएटर्स मोनेटाइजेशन चुनते ही नहीं। X पर एक पोस्ट में दावा किया गया कि 96% चैनल YPP में स्वीकार नहीं होते, लेकिन यह सत्यापित नहीं है और शायद अतिशयोक्ति हो।66 मिलियन चैनलों और 2 मिलियन YPP चैनलों को देखते हुए, अनुमान है कि 3-5% यूट्यूब चैनल किसी न किसी स्तर पर मोनेटाइज्ड हैं, लेकिन 1% से भी कम चैनल ठोस आय अर्जित करते हैं। ये आंकड़े अनुमानित हैं, क्योंकि "मोनेटाइज्ड" की परिभाषा (कोई भी आय बनाम अच्छा मुनाफा) पर निर्भर करते हैं।

धोनी का ये लुक कैसा लगा आपको?
04/10/2023

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09/09/2023
09/09/2023

Dr. Vikas Divyakirti - New UPSC, Personal Life,..
Vedio taken from TRS copyright Act to be used

राजनाथ सिंह का बड़ा बयान कहा...   #
06/09/2023

राजनाथ सिंह का बड़ा बयान कहा... #

बिहारी शिक्षक किसी से कम है क्या?मिलिए बिहार के कुछ महान शिक्षकों से👏👏✍️
03/09/2023

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