Nani ki chitthiyan

Nani ki chitthiyan Communicator with children

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18/01/2025

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Hari Prakash Sinha, Amar Goswami

स्वागतम।
10/01/2025

स्वागतम।

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Brijendra Bir Singh, Manmohan Chadha

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21/12/2024

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Brijendra Bir Singh, Manmohan Chadha

07/12/2024

What Indian government is doing to preserve the heritage of indian children's films.
Can anybody help to find out?

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07/12/2024

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Basant Kumar Jha, Sohan Rahi, KP Saxena, गिरिजा कुलश्रेष्ठ, Om Prakash Nautiyal, Durgesh Verma, Rispal Singh Vikal, Sanjay Upadhyay, Manish Goswami, Tanmaya Tyagi, Shashi Prakash Dwivedi, Ram Murari, Sanjay Kumar Tripathi, Rakesh Ranjan, Mukesh Nautiyal, Tushar Rahatgaonkar, निश्चल जी, Atul Gupta, डॉ चंदन शर्मा, गौतम लामा, Ranjeet Kumar Thakur, Smita Srivastava

02/12/2024

अभिभावकों!
नानी की चिट्ठियां, मुख्य रुप से दुनिया के बच्चों को संबोधित होती हैं। आपसे निवेदन है कि इन चिट्ठियों को नानी की ही भाषा में बच्चों से साझा करने में आप माध्यम बनें

01/12/2024

नानी की चिट्ठी- 011224

दुनिया भर के मेरे प्यारे बच्चो!
आज तुम्हारी नानी बहुत दुखी है। धार्मिक उन्माद और कट्टरता वश जिस तरह से निर्दोषों पर जानलेवा हमले और हत्याओं का दौर चल रहा है, वह बहुत ही पीड़ाजनक और भयावह है। मैं आज अपने को बहुत ही अकेला महसूस कर रही हूं।
इसीलिए सब काम छोड़ कर दिनरात एक ही प्रार्थना कर रही हूँ- हे परमात्मा. तू बहुत ही दयालु है, अपने बच्चों को हिंसा की इस विभीषका से बाहर निकाल कर हर देश,हर समाज में स्थायी शांति, सहिष्णुता और सद्भाव को पुनर्जीवित कर। सत् और असत् के बीच बढ़ रहे इस दुर्भाव को खत्म कर पूरी दुनिया में अक्षय शांति और प्रेम का संचार कर।
मैं चाहती हूँ कि विश्व के सभी शांति प्रिय जन इस बूढ़ी की आवाज सुनें और हिंसा के इस भयावह दौर को स्थायी विराम दें।

कैसे कहूँ मेरे बच्चो! तुम्हारी नानी को इस समय एक ही रास्ता नजर आ रहा है - हारे को हरिनाम! बचपन से ही सुनती आ रही हूँ- प्रार्थना में अपार शक्ति होती है।
इसलिये तुम सभी एकजुट होकर प्रार्थना करो -
" सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, माकश्चित दु:ख भाग्भवेत।"
बापूके प्रति किसी की कुछ भी भावना हो पर उनकी दैनिक प्रार्थना का यह अंश हम जैसे असहाय जनों को बहुत ही बल देता है -
ईश्वर,अल्लाह तेरो नाम।
सबको सन्मति दे भगवान।
आगे क्या लिखूँ, समझ नहीं आ रहा। बस,अब प्रार्थनारत होकर कुछ समय के लिये मैं विराम लेती हूँ,मेरे प्यारे बच्चो!
जब मन शांत होगा, फिर मिलूँगी।
शुभाशीष सहित,
तुम्हारी यूनिवर्सल नानी।

25/11/2024

नानी की.चिट्ठी.251024

मेरे प्यारों,राज दुलारों,
तुम सभी को तुम्हारी नानी का
ढेर सारा शुभाशीर्वाद।

आज क्या हुआ। स्कूल से लौट कर जैसे ही मेरा पोता चंदन घर आया, अपना बस्ता सोफे पर फेंक कर किचन की ओर दौड़ा, बोला- 'मम्मी,जोर से भूख लगी है,खाना दो। '

मैं हैरान रह गई, चंदन की माँ से बोली-'अरे,अरे आज.क्या होगया चंदन को? न जूते उतारे,न हैंडवाश किया, और न बस्ता सही जगह पर रखा। सीधे रसोई में एन्ट्री!
चंदन की माँ ने भी झिड़क दिया, चंदन! चलो,चलो किचन से बाहर निकलो। पहले जूते बाहर, फिर बस्ता ठीक जगह,फिर हैंड वाश फिर..
और आज सुबह टिफिन भी तो दिया था,वो क्या हुआ? नहीं खाया? या और कोई खा गया।
'हाँ मम्मी. वो,वो..सोनूका बच्चा खा गया।' चंदन रुआँसा होकर बोला। चंदन की हालत देखकर मुझे दया आ गई। उसके सिर पर हाथ फेर कर बोली -अले,अले, मेला बच्चा,आज भूखा रह गया। कोई बात नहीं,जल्दी से हाथ मुँह धोकर आजा,आज मेरे साथ खाना खाएगा मेरा चंदन। लेकिन खाने में हाथ लगाने से पहले क्या करना है, पता है? ' हाँ,हाँ,पता है नानी! भगवान को हाथ.जोड़ कर धन्यवाद देना है।' हाँ मेरे बच्चे! ...,क्योंकि हमें जो कुछ भी मिलता है वह सब भगवान यानी प्रकृति की कृपा से मिलता है। हमारी प्रकृति ही हमारा भगवान है। और देने वाला कौन होता है?
देवता! चंदन बोला।
हाँ..आ, तो देने वाले को धन्यवाद देना तो बनता ही है। है ना?
चंदन ने हामी भरी और जल्दी जल्दी खाना मुँह में डालने लगा।
आखिर फिर मुझे टोकना पडा़ - धीरे धीरे बेटा, फंस जाएगा गले में। और सुन! खाना खा कर सीधे मेरे पास आकर बैठना। आज तुम्हें जीवन के कुछ आदर्श,शाश्वत नियम बताऊँगी। बहुत काम आएंगे तुम्हारे।
दरअसल हम प्रकृति के साथ जीने के सार्वभौमिक नियम पालन करना भूल गए हैं, उसी का नतीजा है,आज दुनिया भर में विनाश की लहर दौड़ रही है। हवा,पानी सब खराब होगया है।
बेटा, इसके बारे में और भी बहुत कुछ बताऊँगी तुम्हें।'
ठीक है नानी,पर आज नहीं, कल! चंदन खिसकने का बहाना ढूँढ़ रहा था! मैं समझ गई।
बेमन से बोली -चलो कल सही,पर कल का मतलब कल।
ओके नानी! अभी पंकज के घर जाना है। बाय नानी!
चदन पंकज से मिलने घर के बाहर निकल गया। मेरी सारी आदर्शवादी बातों को धता बता कर। अब कल पकडूँगी बच्चू को।

वो क्या है, मेरे नन्हे मुन्नो! कभी कभी बच्चों के साथ दौड़ने में बड़े बूढ़ों को एक कदम पीछे रहना पड़ता है। जानते हो ना?
तेज कितना भी चलो लेकिन चलने में एक कदम आगे तो दूसरा पीछे ही रहता है। बस,यूँ समझो,बड़े-बूढ़े पीछे का कदम होते है। लेकिन यह भी न भूलना कि पीछे के कदम बिना आगे के कदम की कोई दौड़ नह़ी होती। बात आई समझ में मेरे नटखट बच्चो!
चलो,कल यानी अगले रविवार फिर मिलते हैं, तब तक
राजी खुशी रहो और इंतजार करो नानी की अगली चिट्ठी का।
तुम्हारी प्यारी प्यारी पढ़ाकू लडा़कू नानी।

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