17/01/2025
दो अक्षर बेशक कम पढ़ना मेरे बच्चों
जीवन से बस प्यार ज्यादा करना।
कभी रात फुर्सत में बैठ तारे देखना
किसी बुजुर्ग से कोई कहानी सुनना
चार दोस्त ज्यादा बनाना
खूब सारी बातें करना।
जुगनू तो नहीं तुम्हारे हिस्से
पर हाँ कभी आग जला सरकंडे को गोल-गोल घुमाना
फूलों की खुशबू महसूस करना
आस-पास पेड़ों से गुजरती हवा के लिए शुक्र मंद होना
कभी नदी में पैर डूबो बैठ जाना यूं ही
देर तक सूरज को जाता हुआ देखना
यह फिर आएगा
पर जीवन में मृत्यु के बाद कोई जीवन नहीं
मां तो कहती है, मरना कोई मामा के घर जाना नहीं
जहाँ आना-जाना लगा रहेगा।
कोई जगह सताए
तो जगह बदल लेना
पर जीवन मत छोड़ना।
कभी जीने का मन ना भी हो
तब भी जी लेना।
कुछ गलत हो भी जाए
स्वीकार कर लेना, हाँ गलती हो गई
इज्जत जीवन से छोटी है
जीवन हर हाल में बड़ा है।
जब भी घुटन हो, मरने का ख्याल आए
मरना जीवन पर हावी होने लगे
तो बात कुछ दिन पर टाल देना।
सोचना अपने किसी करीबी का जाना
उस मां का विलाप याद करना
पिता की झुकी गर्दन याद करना
अपने ही बच्चे की पोस्टमार्टम होती हड्डियों पर
हथोड़ी से होती चोट सुनना
छाती फटती है
कितना दर्द होता है इन्हीं हाथों से झूले झूलाते बच्चों को
फाँसी से उतरना
सबसे बोझिल है अपने बच्चों की अर्थी।
तुम्हारे जाने से
कोई उम्र भर तुम्हारे जाने पर मरेगा
कोई चश्मा संभाल कर रखेगा
कोई किताब देख खूब रोएगा
कोई मैली शर्ट बरसों नहीं धोएगा।
मेरे प्यारे बच्चों
हार जाने का मतलब मरना नहीं होता
हार जाने का मतलब होता है
एक काम था
जो हमसे नहीं हुआ
बस।
✍️ 😊