
03/01/2025
नवम्बर 2011 की बात है । भाजपा के वरिष्ठतम नेता श्रद्धेय लालकृष्ण आडवाणी जी देश भर में “जन चेतना यात्रा” निकाल रहे थे । यात्रा का जोधपुर में आग़ाज़ होना था । आडवाणी जी जोधपुर पहुँचते ही सीधा भाजपा के वरिष्ठ नेता श्रद्धेय जसवंत सिंह जी के फ़ार्म हाउस पधारे । मैं वहीं मौजूद था । वहाँ मेरी मित्रता आडवाणी जी की यात्रा में युवा सहयोगी के रूप में शामिल दो साथियों से हुई … तेजस्वी सूर्या और मधुकेश्वर देसाई । तेजस्वी आज बैंगलोर से सांसद एवं युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और मधुकेश्वर पूर्व प्रधानमंत्री स्व मोरारजी देसाई के पौत्र है और युवा मोर्चा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं । ख़ैर.. जसवंत सिंह साहब के फ़ार्म से हम सभी आडवाणी जी के क़ाफ़िले के साथ सभा स्थल पर पहुँच गये । हमारी गाड़ी गेट के बिलकुल निकट रुकी और हमे entry मिल गयी । आडवाणी जी का स्वागत चल रहा था सो तेजस्वी, मधुकेश्वर और मैं गेट के पास ही रुक गये । पीछे मुड़कर देखा की VIP गेट पर सत्ता संगठन के कुछ नेता लाल बत्ती गाड़ी ( जिनमे कुछ लाल बत्ती तो ख़रीदी हुई थी, allotted नहीं ) और PSO के भरोसे गेट में entry के लिए लड़ाई लड़ रहे थे .. पुलिस वालों को कोस रहे थे.. नेताओ से आगे उनके कार्यकर्ता पुलिस से लड़ रहे थे .. इतने में एक गाड़ी वहाँ पहुँची.. ना लाल बत्ती, ना PSO और ना ही कोई आडंबर । उस गाड़ी के आते ही सभी लाल बत्ती वाली गाड़ियाँ और PSO वाले नेता अपने आप side में हो गये .. और वह साधारण, बिना लाल बत्ती की गाड़ी के लिए गेट खुला । मेरे मन में उत्सुकता हुई की VIP - लाल बत्ती - PSO के बीच यह साधारण गाड़ी वाला व्यक्ति कौन है । अंदर झांक कर देखा तो गाड़ी में जसवंत सिंह साहब बिराज रहे थे । गाड़ी से उतरते ही पीछे वीआईपी गेट पर चल रहे कौतूहल को देख कर मुस्कुराते हुए बोले "एह हाका कीकर वे रिया है" । ऐसे थे जसवंत सिंह साहब.. उनका व्यक्तित्व और बौद्धिक क्षमता उन्हें VIP बनाती थी.. उनका राजनीतिक पद नहीं ।
आज जसवंत सिंह साहब की जयंती पर मालाणी के गौरव को कोटिशः श्रद्धांजली 🙏🏻
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