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21/11/2024

*भारत में रह रहे चालीस करोड़ मुसलमान, "वैधानिक" रीत से भारतीय नागरिक नहीं हैं।*
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यह काल्पनिक अवधारणा नहीं है अपितु ऐतिहासिक सत्य है। इसका विवरण देखे...।

15 अगस्त 1947 को रात के 12 बजे स्वतंत्रता और देश विभाजन की घोषणा होते ही भारत में रहने वाले सभी मुसलमान पाकिस्तानी नागरिक हो गये थे। देश का विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ था। मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बनाया गया था और बाकी हिन्दुस्तान हिन्दुओं के लिए माना गया।

मुसलमानों की जनसंख्या के आधार पर एक तिहाई भू-भाग और एक तिहाई खजाना दिया गया पाकिस्तान के लिए और उपरोक्त भू-भाग और खजाना प्राप्त करने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना ने डायरेक्ट ऐक्शन द्वारा बीस लाख हिन्दुओ का नरसंहार कराया था।

बनाये गये पाकिस्तान को छोड़कर केवल 72 लाख मुसलमान भारतीय भू-भाग से गयेे थे और लगभग तीन करोड़ मुसलमान अपने जमीन मकान आदि बेचकर पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे कि mc कटुवे गांधी ने अपने मुस्लिम प्रेम के वश प्रोपेगेंडा फैलाया कि जो मुसलमान पाकिस्तान जाना चाहे वे पाकिस्तान जा सकते हैं और जो भारत में रहना चाहे वे भारत में रह सकते हैं।

गांधी की इस उद्घोषणा का कोई आधिकारिक या वैधानिक महत्व नहीं था, क्योंकि गांधी किसी सरकारी पद पर नहीं था। परन्तु मुसलमानों ने मान लिया कि गांधी तो राष्ट्रपिता हैं इसलिए उसकी बात तो संविधान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होगी। इसलिए तीन करोड़ मुसलमान भारत में ही रुक गये।

ध्यान देने की बात है कि इन्डिपैन्डैन्स एक्ट या पार्टिशन डीड या पार्टिशन के नियमों में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि मुसलमान चाहे पाकिस्तान जाए या भारत में रुकना चाहे तो भारत में रुक सकते हैं! यह विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ था और बीस लाख हिन्दुओ के बलिदान के बाद हुआ था। इसलिए किसी भी मुसलमान को भारत में रुकने का कोई अधिकार नहीं था।

श्री बी. आर. अम्बेडकर ने भी अपनी प्रसिद्ध पुस्तक Pakistan Or partition of India में भी कहीं नहीं लिखा है कि धार्मिक आधार पर हो रहे देश विभाजन के बाद किसी भी मुसलमान को अपनी चॉइस का यह अधिकार होगा कि वह चाहे तो पाकिस्तान जाये और चाहे तो भारत में रुके रहे। श्री अम्बेडकर ने तो यहाँ तक कहा था कि यदि एक भी मुसलमान भारत में रहता है तो यह पार्टिशन के नियमों का उल्लंघन होगा।

नेहरू की लोकप्रियता उस समय शून्य हो गयी थी और सरदार पटेल के प्रधानमंत्रित्व के अधिकार को गांधी से मिलीभगत करके धूर्तता से हडप लिया था। इसलिए उसे लग रहा था कि हिन्दू उसे वोट नहीं देंगे और प्रधानमंत्रित्व कायम रखना मुश्किल हो जायेगा। इसलिए मुसलमानों को अपना वोटबैंक बनाकर देश में रोकना सही कूटनीति समझी।

सरदार पटेल ने मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने के लिए बार-बार उकसाया, यहाँ तक कि जिन्ना ने भी सभी मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने के लिए कई बार सन्देश भेजा, लेकिन नेहरू ने अपने निहित स्वार्थ के वश किसी की भी बात पर ध्यान नहीं दिया और गाँधी के साथ मिल कर तीन करोड़ मुसलमानों को भारत में रोके रखा।

जब सम्विधान का लिखना पूरा होने को आया और चुनाव होना निकट आ गया, तब नेहरू को ध्यान आया कि मेरे मुसलमान वोटर तो भारत के नागरिक ही नहीं हैं, तो ये वोट कैसे कर पाएंगे? कोई भी विपक्षी पार्टी या चुनाव आयोग मुसलमानों के वोट करने पर अडंगा डाल सकते हैं तो फिर क्या होगा?

तो फिर उसने कूटनीति का आश्रय लिया। उस समय तक सरदार पटेल और जिन्ना का देहावसान हो चुका था। इसलिए उसकी कूटनीति की सफलता में कोई रुकावट नहीं रही थी। उसने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाक़त अली खान से फोन पर मंत्रणा की और उसे दिल्ली बुलाया।

8 अप्रैल 1950 को दोनों ने एक समझौता किया, जिसे "नेहरू लियाकत अली खान पैक्ट" के नाम से इतिहास में दर्ज किया गया है। उस पैक्ट में सबसे पहली टर्म है कि दोनों देशों में विभाजन के बाद जो अल्पसंख्यक रुके रह गए हैं उन्हें नागरिकता देने और उनकी जान-माल की रक्षा अपने अपने देश में दोनों देश करेंगे।
देखिए एक्जैक्ट वर्डिंग क्या है

"The governments of India and Pakistan solmanly agree that each shall ensure, to the minorities throughout it's territory compelet equality of citizenship irrespective of religion, a full sense of security in respective of life culture..."

इस प्रथम टर्म से यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि विभाजन के बाद से 08-04-1950 तक मुसलमान भारत के नागरिक नहीं थे, और उससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह बात है कि इस पैक्ट के बाद भारत सरकार के द्वारा मुसलमानों को विधिवत नागरिकता दी गयी हो इस का कोई ऐतिहासिक रिकार्ड या प्रमाण नहीं मिलता है, न तो किसी आर्डीनैन्स के द्वारा मुसलमानों को सामूहिक नागरिकता दी गई और न ही व्यक्तिगत रूप से मुसलमानों को नागरिकता दी गयी।
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डा गोविन्द शाही कौशिक
अध्यक्ष
सनातन बोर्ड

अतः अब केवल ये ही प्रचार करो कि मुसलमान यहाँ का नागरिक नहीं है, और इन्हें कोई वोटिंग राइट नहीं है

इनको देश की कोई भी सुविधा नहीं दी जानी चाहिये । ✍️

24/09/2024

गुजरात के अहमदाबाद में वंदे भारत ट्रैन में एक लैपटॉप चोरी होता है

जब रेलवे पुलिस जांच करती है तब CCTV में उन्हें एक व्यक्ति लैपटॉप का बैग ले जाता हुआ दिखता है

पुलिस ने जिस मोबाइल नंबर से सीट बुक हुई थी उस नंबर को सर्विलेंस पर डाल दिया

इसके बाद चोर की लोकेशन दिल्ली की आती है, फौरन पुलिस की एक टीम दिल्ली के लिए निकलती है और जब ये टीम वहां की लोकल पुलिस के साथ उस होटल में पहुंचती है तब हर्षित चौधरी बना हुआ ये व्यक्ति शराब पी रहा था

पुलिस जैसे ही इसे पकड़ती है तो यह कहता है कि मैं सेना में मेजर हूँ और यह बैग गलती से मेरे पास आ गया था

सेना का नाम सुनकर पुलिस थोड़ा झिझकती है पर CCTV में यह व्यक्ति साफ साफ चोरी करता दिख रहा था तो पुलिस इसकी पूछताछ करना शुरू करती है तब यह सेना का एक फर्जी ID कार्ड पुलिस को देता है और बार बार अपना नाम हर्षित चौधरी बताता है

इसके बाद पुलिस इसकी ड्यूटी की जगह पूछती है और इसके बताये पोस्टिंग की जगह पर जब सेना से पता करती है तब असली खुलासा होता है

वास्तव मे इस व्यक्ति का असली नाम मोहम्मद शाहबाज खान था जो फर्जी तौर पर सेना का मेजर हर्षित चौधरी बना हुआ था, इसकी पहचान नकली होने के साथ साथ काफी डॉक्युमेंट भी नकली थे

मोहम्मद शाहबाज खान अलीगढ़ का रहने वाला एक शादी शुदा व्यक्ति है जिसके 2 बच्चे भी थे, यह 2015 में सेना का सिपाही था मगर अनुशासन हीनता के चलते इसे फौज से निकाल दिया गया था और फिर ये चोरी चकारी करने लगा

अभी यह सब जांच चल ही रही थी कि पुलिस के पास इसके जब्त मोबाइल में एक महिला का फ़ोन आता है और उसके बाद एक हैरान करने वाला कांड और सामने आता है

इस आदमी ने अपनी इस हिन्दू पहचान और मेजर की फर्जी पहचान के सहारे 100 से अधिक हिन्दू महिलाओं के साथ शादी डॉट कॉम के जरिये संपर्क किया जिसमें से 40 से 50 को ये आमने सामने मिल चुका था इसी नकली पहचान के साथ और उनमें से कई के लाखो रुपये लूट चुका था

पुलिस ने खुलासा किया है कि बड़े घरों की नौकरीपेशा अब तक कम से कम 24 लड़कियों के साथ यह शारीरिक संबंध बना चुका है जबकि एक लड़की के साथ LJ करके इसने मंदिर में शादी कर ली और उसे अलीगढ़ के ही एक मकान में किराए पर रखा हुआ था

ये उसी लड़कीं का फ़ोन था जो खुद को इसकी पत्नी बता रही थी

अब ये अहमदाबाद जेल में है और इससे कड़ी पूछताछ की जा रही है साथ मे यह भी जांच की जा रही है कि इसने और क्या क्या किया है

इसने जिस लड़की से पहचान छुपा कर शादी की उसने भी इसके खिलाफ अलीगढ़ के ही एक थाने में FIR करवा दी है, उसने अपनी FIR में मारपीट और LJ सहित धर्मांतरण के दबाव का मामला दर्ज करवाया है

इसके अलावा जो नकली पहचान इसने बनाई थी वह भरतपुर, राजस्थान के किसी हर्षित जादौन नाम के व्यक्ति की थी जिससे पुलिस ने संपर्क किया जिसके बाद अब उसने भी मोहम्मद शाहबाज खान पर FIR दर्ज करवा दी है

इसके द्वारा कितनी महिलाओं का शोषण और किया गया है इसकी जांच अभी जारी है और यह संख्या बढ़ भी सकती है

न जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी इसने बर्बाद कर दी

बहुत ज्यादा सावधान रहें।
सतर्क रहें। धन्यवाद 🙏

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