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20/10/2025
दीपोत्सव के दिन फूलों से सजे श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के प्रवेश द्वार.....
20/10/2025

दीपोत्सव के दिन फूलों से सजे श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के प्रवेश द्वार.....

तिथि (उज्जैन) -20 अक्टूबर 2025, सोमवारकृष्ण पक्ष अमावस्यासूर्योदय - 6:29 AMसूर्यास्त - 5:53 PMविक्रम संवत - 2082, कालयुक...
20/10/2025

तिथि (उज्जैन) -
20 अक्टूबर 2025, सोमवार
कृष्ण पक्ष अमावस्या

सूर्योदय - 6:29 AM
सूर्यास्त - 5:53 PM

विक्रम संवत - 2082, कालयुक्त
शक संवत - 1947, विश्वावसु
युगाब्द - 5126, कलियुग

पूर्णिमांत - कार्तिक
अमांत - आश्विन

अयन - दक्षिणायन
द्रिक ऋतु - शरद

व्रत - दीपावली / अमावस्या तिथि

आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
19/10/2025

आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

19/10/2025

*अपने बच्चों को अवश्य बताएं* अधिकतर घरों में बच्चे यह दो प्रश्न अवश्य पूछते हैं जब दीपावली भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है तो दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है?
राम और सीता की पूजा क्यों नही?
दूसरा यह कि दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों होती है, विष्णु भगवान की क्यों नहीं?
इन प्रश्नों का उत्तर अधिकांशतः बच्चों को नहीं मिल पाता और जो मिलता है उससे बच्चे संतुष्ट नहीं हो पाते।आज की शब्दावली के अनुसार कुछ ‘लिबरर्ल्स लोग’ युवाओं और बच्चों के मस्तिष्क में यह प्रश्न डाल रहें हैं कि लक्ष्मी पूजन का औचित्य क्या है, जबकि दीपावली का उत्सव राम से जुड़ा हुआ है। कुल मिलाकर वह बच्चों का ब्रेनवॉश कर रहे हैं कि सनातन धर्म और सनातन त्यौहारों का आपस में कोई तारतम्य नहीं है।सनातन धर्म बेकार है।आप अपने बच्चों को इन प्रश्नों के सही उत्तर बतायें।
दीपावली का उत्सव दो युग, सतयुग और त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी इसलिए लक्ष्मीजी का पूजन होता है। भगवान राम भी त्रेता युग में इसी दिन अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने घर घर दीपमाला जलाकर उनका स्वागत किया था इसलिए इसका नाम दीपावली है।अत: इस पर्व के दो नाम है लक्ष्मी पूजन जो सतयुग से जुड़ा है दूजा दीपावली जो त्रेता युग प्रभु राम और दीपों से जुड़ा है।
लक्ष्मी गणेश का आपस में क्या रिश्ता है
और दीवाली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?
लक्ष्मी जी सागरमन्थन में मिलीं, भगवान विष्णु ने उनसे विवाह किया और उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया। लक्ष्मी जी ने धन बाँटने के लिए कुबेर को अपने साथ रखा। कुबेर बड़े ही कंजूस थे, वे धन बाँटते ही नहीं थे।वे खुद धन के भंडारी बन कर बैठ गए। माता लक्ष्मी खिन्न हो गईं, उनकी सन्तानों को कृपा नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने कहा कि तुम कुबेर के स्थान पर किसी अन्य को धन बाँटने का काम सौंप दो। माँ लक्ष्मी बोली कि यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं उन्हें बुरा लगेगा।
तब भगवान विष्णु ने उन्हें गणेश जी की विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी। माँ लक्ष्मी ने गणेश जी को भी कुबेर के साथ बैठा दिया। गणेश जी ठहरे महाबुद्धिमान। वे बोले, माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊँगा , उस पर आप कृपा कर देना, कोई किंतु परन्तु नहीं। माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी।अब गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न, रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे।कुबेर भंडारी देखते रह गए, गणेश जी कुबेर के भंडार का द्वार खोलने वाले बन गए। गणेश जी की भक्तों के प्रति ममता कृपा देख माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्रीगणेश को आशीर्वाद दिया कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें।
दीवाली आती है कार्तिक अमावस्या को, भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं, वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद देव उठनी एकादशी को। माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में।इसलिए वे अपने सँग ले आती हैं अपने मानस पुत्र गणेश जी को।
इसलिए दीवाली को लक्ष्मी गणेश की पूजा होती है।
यह कैसी विडंबना है कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नही है और जो वर्णन है वह अधूरा है।इस *लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों और अपनी अगली पीढ़ी को भी बतायें।*
🙏🙏🙏🙏🙏

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Vasa Aasvasan, Ajay Singh Yadav, Pawan Bhoria, Roshan Ram...
18/10/2025

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Vasa Aasvasan, Ajay Singh Yadav, Pawan Bhoria, Roshan Ramesh Tamboli, Shalav Majmudar, Giri Raj Babu, Rohan Mane, Bharat Pal Pal, Manoj Kumar, वाचनीय समूह, Bjp Mahendra Soni, Ramprasad Sharma, Mahesh Malu, Madanmohan Mishra, Vikas Mishra, Jayant Hatwankar, Prem Singh Bhati Sonu, पण्डित देवी सहाय शास्त्री, विजय बिश्नोई, Laxman Banjara Banjara Laxman, Prasanta Debroy, Sagar Modak, Rao Brajrajsingh Dobar, Dwarakadhish Joshi, Avinash Mishra, Kumar Mukesh, Raghavendra Derashri, Bhisham Choudhary, Chandrakant Sharma, Manish Kumar, मोहित सिंह विधान, Sanjay Modanwal, Pinku Purohit, Bipin Patel, Manoj Singhal, कुलदीप मिश्र, Manharsinh Thakor, Narendra Wadyalkar, Subhash Iatkawar, नरेश कुमार, Rupesh Singh, चौ. सुमित गुर्जर कनारसी, Haresh Ahir, Syed Mohammed Hussain, Minhaz Khan, यशवन्त गोरे, Bel Mazdoor Sangh, Dilip M Vala, Iswari Shamachar, Rajkishor Thakur

18/10/2025

* तेज कृसानु रोष महिषेसा। अघ अवगुन धन धनी धनेसा॥
उदय केत सम हित सबही के। कुंभकरन सम सोवत नीके॥3॥
भावार्थ:-जो तेज (दूसरों को जलाने वाले ताप) में अग्नि और क्रोध में यमराज के समान हैं, पाप और अवगुण रूपी धन में कुबेर के समान धनी हैं, जिनकी बढ़ती सभी के हित का नाश करने के लिए केतु (पुच्छल तारे) के समान है और जिनके कुम्भकर्ण की तरह सोते रहने में ही भलाई है॥3॥
English: In splendour they emulate the god of fire and in anger they vie with the god of death, who rides a buffalo. They are rich in crime and vice as Kubera, the god of riches, is in gold. Like the rise of a comet their advancement augurs ill for others’ interests; like the slumber of Kumbhakaran, their decline alone is propitious for the world.

प्रकृति के साथ शाश्वत जीवन का मार्ग भारत के पास है – डॉ. मोहन भागवत जीलोनावला, 17 अक्तूबर 2025।लोनावला स्थित स्वामी कुवल...
18/10/2025

प्रकृति के साथ शाश्वत जीवन का मार्ग भारत के पास है – डॉ. मोहन भागवत जी

लोनावला, 17 अक्तूबर 2025।
लोनावला स्थित स्वामी कुवल्यानंद द्वारा स्थापित कैवल्यधाम योग अनुसंधान संस्था के 101वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भौतिक प्रगति के नाम पर मानव ने प्रकृति को भारी नुकसान पहुंचाया है। सतत विकास के लिए मानव के साथ-साथ प्रकृति के उत्थान का मार्ग आवश्यक है। सृष्टि के पोषण का यह विचार योग शास्त्र में है। प्रकृति के साथ शाश्वत जीवन का मार्ग भारत के पास है और हमें इसे विश्व कल्याण के लिए प्रशस्त करना होगा।

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