06/09/2025
AIIFA ने इस्पात क्षेत्र में सुधार की रखी मांग, मुंबई में होगा ‘STEELEX-2025’ का आयोजन
ऑल इंडिया इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन (AIIFA) सस्टेनेबल स्टील मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने देश के इस्पात उद्योग को मजबूत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए मानकों, सतत विकास प्रथाओं और कराधान में व्यापक सुधार की मांग की है।
देश के कुल इस्पात उत्पादन में लगभग 47% योगदान देने वाला द्वितीयक इस्पात क्षेत्र अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात क्षमता के लक्ष्य को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके बावजूद यह क्षेत्र कच्चे माल की कीमतों में अस्थिरता, बढ़ती ऊर्जा लागत, लॉजिस्टिक चुनौतियों और कार्बन उत्सर्जन घटाने के दबाव जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।
इसी कड़ी में, AIIFA स्टील मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र (SMAM) के सहयोग से और भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के संरक्षण में ‘STEELEX-2025’ का आयोजन 19-20 सितंबर को मुंबई के बॉम्बे एक्ज़िबिशन सेंटर में करेगा। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) समर्थित यह आयोजन इस्पात उद्योग का “महाकुंभ” माना जा रहा है, जिसमें 300 से अधिक प्रदर्शक और 3,500 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल होंगे।
चर्चा के मुख्य बिंदु :
डिकार्बोनाइजेशन और ग्रीन स्टील रोडमैप
हाइड्रोजन-आधारित इस्पात निर्माण
नवीकरणीय ऊर्जा का समावेश
कच्चे माल की सुरक्षा और सर्कुलर इकोनॉमी
वैश्विक व्यापार चुनौतियां, खासकर यूरोपीय संघ का CBAM मैकेनिज्म
AIIFA अध्यक्ष योगेश मंधानी ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) मानकों की समीक्षा की मांग करते हुए कहा कि “वन-साइज-फिट्स-ऑल” दृष्टिकोण उपयुक्त नहीं है। उन्होंने IS: 1786 जैसे मानकों में क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार संशोधन और प्रदर्शन-आधारित ढांचा अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि ग्रीन स्टील की ओर संक्रमण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं बल्कि रणनीतिक अवसर भी है। स्क्रैप-आधारित उत्पादन मॉडल के कारण द्वितीयक इस्पात क्षेत्र इस बदलाव का नेतृत्व करने में सक्षम है। उन्होंने सरकार से कार्बन क्रेडिट लाभ, सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन स्टील परियोजनाओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की मांग की।
AIIFA के मानद महासचिव कमल अग्रवाल ने स्क्रैप लेनदेन में जीएसटी अनुपालन की समस्या उठाते हुए कहा कि छोटे आपूर्तिकर्ताओं को कर प्रणाली में शामिल करना जरूरी है। इससे सर्कुलर इकोनॉमी मजबूत होगी और उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
अंत में मंधानी ने कहा कि यदि मानकों का आधुनिकीकरण, ग्रीन स्टील रोडमैप और सरल जीएसटी ढांचा समय पर लागू हुआ, तो भारत न केवल अपने घरेलू लक्ष्य पूरे करेगा बल्कि वैश्विक लो-कार्बन अर्थव्यवस्था में भी एक अग्रणी भूमिका निभाएगा।