दिल की बातें by Amit Sagar

दिल की बातें by Amit Sagar दिल की बातें

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ᴿᵉᵃᵈᵉʳ | ᵂʳⁱᵗᵉʳ | ᴰʳᵉᵃᵐᵉʳ | ᴸᵒᵛᵉʳ | ᴾʰⁱˡᵒᵐᵃᵗʰ
𝗖𝗼𝗻𝗻𝗲𝗰𝘁𝗶𝗻𝗴 𝘁𝗵𝗿𝗼𝘂𝗴𝗵 𝗛𝗲𝗮𝗿𝘁𝗳𝗲𝗹𝘁 𝗪𝗼𝗿𝗱𝘀 💞
Poetry | Shayari | Two Liner Shayari |
Quotes | Motivation |
© 𝗖𝗼𝗻𝘁𝗲𝗻𝘁 💯

‘ख़राब’ सीरीज़ के अंतिम भाग में पढ़ें: "कभी-कभी चीज़ें भी… यादों की तरह छू जाती हैं।" 💭🕰️'ख़राब' सीरीज की अन्य ३ कविताएं भी ...
27/08/2025

‘ख़राब’ सीरीज़ के अंतिम भाग में पढ़ें: "कभी-कभी चीज़ें भी… यादों की तरह छू जाती हैं।" 💭🕰️

'ख़राब' सीरीज की अन्य ३ कविताएं भी पढ़ें।

#कविता ✍️ #यादें 💭 #दिलसे ❤️ #भावनाएँ 🌸 #ज़िंदगी 🕰️ #रिश्ते 🤝
#हिंदीकविता 📖
💡 💔

"ख़राब होना… भी एक सबक है। 📖💭"'ख़राब' सीरीज में "१ और 2" भी पढ़ें।  ✨  #ख़ाससोच 🌿 #खराबभीज़रूरी 🌿  💔✨  🌸  💫
26/08/2025

"ख़राब होना… भी एक सबक है। 📖💭"

'ख़राब' सीरीज में "१ और 2" भी पढ़ें।

✨ #ख़ाससोच 🌿 #खराबभीज़रूरी 🌿 💔✨ 🌸 💫

👉 कोशिश और सुधार ही जीवन को आगे बढ़ाते हैं।🛠️💭"जो ख़राब है,वो तभी तक ख़राब रहता है,जब तक हम सही नहीं करते।"🌱✨ दिल की बात...
24/08/2025

👉 कोशिश और सुधार ही जीवन को आगे बढ़ाते हैं।

🛠️💭
"जो ख़राब है,
वो तभी तक
ख़राब रहता है,
जब तक हम
सही नहीं करते।"
🌱✨ दिल की बातें by Amit Sagar

🔖
#जीवनसत्य #सुधार #प्रेरणा #सोच #अनमोलविचार #हिंदीकविता #प्रेरणादायक #खुदकोबदलें

💔 अधूरी मोहब्बत की दास्तान📝 कुछ रिश्ते दिल को अपने लगते हैं,मगर हक़ीक़त में वो हमारे नहीं होते... ✨ #💔दिलकीबात #🌙अधूरीमो...
23/08/2025

💔 अधूरी मोहब्बत की दास्तान
📝
कुछ रिश्ते दिल को अपने लगते हैं,
मगर हक़ीक़त में वो हमारे नहीं होते... ✨

#💔दिलकीबात
#🌙अधूरीमोहब्बत
#🖤तन्हाई
#✨रिश्तोंकीसच्चाई
#📖शायरीएहसास
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इंसान जब तक अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करता, तब तक कोई बदलाव नहीं आ सकता।सच्चाई से डरना नहीं चाहिए; यही वो पहलू है जो ...
21/08/2025

इंसान जब तक अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करता, तब तक कोई बदलाव नहीं आ सकता।
सच्चाई से डरना नहीं चाहिए; यही वो पहलू है जो हमें बेहतर बना सकता है।
असली सुधार उसी पल से शुरू होता है, जब हम खुद से और दुनिया से सच बोलने की हिम्मत दिखाते हैं।

"सुधार वहीं से शुरू होता है,
जहाँ सच कबूल लिया जाए..."
~ अमित सागर

ा_सामना 🔍
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आईना कुछ नहीं छुपाता...📝 कुछ सच ऐसे होते हैं जो आईना हर रोज़ दिखाता है,पर हम ही हैं जो हर रोज़ नज़रें चुरा लेते हैं।ये च...
20/08/2025

आईना कुछ नहीं छुपाता...
📝
कुछ सच ऐसे होते हैं जो आईना हर रोज़ दिखाता है,
पर हम ही हैं जो हर रोज़ नज़रें चुरा लेते हैं।
ये चेहरा... ये हालात... सब हमने खुद ही गढ़े हैं।

"मैंने खुद ही बिगाड़ी है शक्ल अपनी,
आईने का दोष कुछ भी नहीं है..."
~ अमित सागर

#दिल_की_बात 💔
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ा_सामना 🥀
#जवाब_मैं_ही_हूं 🤍
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“भूरा” पूरी कविता 👇"35 बरस बीत गए… पर भूरा आज भी मेरे गांव के घर की दहलीज़ पर बैठा दिखाई देता है। 🐾वो सिर्फ़ एक कुत्ता न...
18/08/2025

“भूरा” पूरी कविता 👇
"35 बरस बीत गए… पर भूरा आज भी मेरे गांव के घर की दहलीज़ पर बैठा दिखाई देता है। 🐾
वो सिर्फ़ एक कुत्ता नहीं था, वो घर का हिस्सा था…
उसका निश्छल स्नेह और वफ़ादारी आज भी दिल को गीला कर देती है।
कुछ रिश्ते इंसानों से नहीं, जानवरों से भी ज़्यादा गहरे हो जाते हैं…
और भूरा उन्हीं में से एक था। ❤️"

पढ़ें ये 'स्मृति कविता'

भूरा
~
मैंने देखा था उसका प्यार
घर के हर एक इंसान के लिए
वो किसी रखवाले की तरह
चौखट पर बिता देता था दिन

हमें देखता,
घर में आने वालों को देखता
उसकी उम्मीदें ज़्यादा थी
सबके अपने-अपने लालच थे
जब घर जिसकी ज़रूरतें,
जिनके लालच पूरे न कर सका
उसने घर आना छोड़ दिया
जैसे हमसे कोई रिश्ता तोड़ दिया

वो मगर दहलीज़ पे ही बैठा रहा
मैं जब जहां गया साथ चल दिया
घर सारा निकला तो पीछे दौड़ गया

उसने कभी कोई शिकायत नहीं
न उसने कभी जताया
कि आज खाने को कम मिला उसे
न कभी बारिश में भीगने की शिकायत की
न कभी गर्मी में तपने का रोना रोया
ठंड में भी वो सुकड़ा देखा मैंने
पर उसने मांग नहीं कभी कुछ
बीमार भी पड़ा तो हमने
बस थोड़ा ज़्यादा ख़याल रखा

मैंने देखा तो इतना था उसको
कि तमाम ज़रूरतें लगती हैं मुझको
जो पूरी न हों तो छूट जाते हैं बंधन

हां, पर मैं बच्चा था उस समय
आज जो मैं सोचता हूं
उस समय नहीं सोच सकता था

हम घर में सभी से एक दूसरे को प्यार करते थे
उसके लिए भी प्यार इतना था कि
किसी पर दौड़ पड़ता था वो
तो लोग हमें भला - बुरा कहते थे

मुझे लगता है
जिस तरह वो हमें ये नहीं बता सका
कि वो हमें प्यार करता है
शायद, हम भी उसे नहीं बता पाए
कि वो हम में से नहीं है लेकिन
वो घर का हिस्सा है
जिसे सारा घर प्यार करता है

उसकी ज़रूरत रोटी से ज़्यादा रही होगी
या, मैं कहूं कि होती भी है
पर तब, हम
खेत खलियान वाले घर
कहां पूरी कर पाते थे
ख़ुद की भी ज़रूरतें पूरी
कुत्ते की भी ज़रूरत पूरी

हां, कुत्ता
आदमी को काट ले तो
आदमी भी कुत्ता बन सकता है
मैं इसी कुत्ते के बारे में लिख रहा था

आज, 35 बरस बाद भी मुझे
वो कुत्ता अपने इन 35 बरस में मिले
आदमियों या इंसानों से अधिक भावुक करता है

उसने कभी किसी को नहीं काटा
पर मैंने इंसानों को देखा है
इंसान भी और जानवर भी काटते हुए

कुत्ते के काटने से
आदमी का आदमी सा बचने
और कुत्ता न होने की संभावना
उतनी ही अधिक है
जितनी असंभावना ये कि
आदमी,
आदमी को काटकर बच जाए

मेरा बिन पालतू का वो प्रिय कुत्ता
जो घर के कुत्ते के नाम से जाना जाता था
घर ने शायद कोई नाम भी रखा था.. उसके रंग के हिसाब से शायद 'भूरा'

भूरा हमारे स्नेह में
इतना वफादार - चाहतदार था कि
इक रोज़ जब पूरा घर गंगा जी नहाने
कोसों दूर जा रहा था
भूरा पीछे-पीछे दौड़ा था

हमने भूरा को
अपनी ज़ुबान में वापस जाने को कहा
भूरा, लेकिन पीछे नहीं हटा
वो पीछे पीछे चला - दौड़ा
यहां तक कि हम बस में बैठ गए थे
भूरा, पीछे - पीछे भागता चला आ रहा था

हम अभी गंगा जी तक नहीं पहुंचे थे
कि, भूरा हमारे स्नेह में बहुत दूर निकल गया था
घर की दहलीज़ से हमेशा-हमेशा के लिए
चला गया था - दौड़ पड़ा था
घर और घर की दहलीज़ को
हमेशा के लिए छोड़कर

इतना दूर कि हम किसी बस,
रेलगाड़ी, हवाई जहाज से भी
अब उसके पीछे नहीं दौड़ सकते थे

भूरा, जा चुका था
हम सबसे दूर

मेरे प्रिय भूरा को
किसी इंसानी कुत्ते ने
अपनी गाड़ी से कुचल दिया था

इसके आगे और बीच में
भूरा की, घर की,
तमाम बातें हैं जो मैं नहीं लिख सका

मैं भूरा को याद करते हुए
इतना भावुक हो गया हूँ कि रोने लगा हूँ
लिखना मुश्किल हो रहा है
हाथ आंसुओं को पौंछना चाह रहे हैं
और आँखें बस रोना

आँखें भूरा को याद करके
35 बरस पहले जाकर
भूरा के साथ आंख मिचौली करना चाह रही हैं
दिल चाह रहा है कि
भूरा को एक बार गले लगा लूं

पर भूरा तो है ही नहीं, और
इन बरसों में वो घर भी घर नहीं रहा
जो भूरा को जानते, पहचानते थे
पड़ोस में कुछ लोग हैं अब भी
जिनसे बात करूंगा तो
याद करने की कोशिश करेंगे वो !

आखिर, एक कुत्ते के लिए
कोई इतना स्नेह रखे भी क्यों?

मैं भी तो कबका वो घर छोड़ दिया
और शहर में बस गया
जहाँ घर होते हैं, लेकिन
'भूरा' बैठा रहे वैसी दहलीज़ नहीं होती

हमने शायद उस रोज
गंगा जी में डुबकी नहीं लगाई
हम सब घर वाले
रस्ते से ही घर वापस आ गए थे
सब अपनी चुप्पी में चुप थे
और भूरा हमेशा के लिए चुप था

भूरा, मगर
मेरे गांव के घर वाली घर की दहलीज पर
आज भी बैठा दिखता है
आज भी वो पीछे - पीछे चल देता है

भूरा, शायद कमसे कम मेरे होने तक
मेरे साथ ही रहेगा, हमेशा के लिए!

मेरा प्यार भूरा!
तुम इंसान नहीं हुए
कि मैं तुम्हें बेहतर समझ पाता
इस बात का मुझे कोई मलाल नहीं है
बल्कि सोचता हूं कि
बेहतर था इस निश्छल स्नेह के लिए
कि तुम जानवरों की बिरादरी से थे

~ अमित सागर दिल की बातें by Amit Sagar

#भूरा 🐶 #स्मृतिकविता ✍️ #यादें 💭 #बचपनकीस्मृतियां 🌿 #गांवकीयादें 🏡 #निश्छलप्यार ❤️ #वफ़ादारी 🐾 😢 #कविता_प्रेमी 📚 🌾 🌸 💞

"बड़े शहर में आदमी" दिल की बातें by Amit Sagar 📖 बड़े शहरों में आदमी की पहचान न धर्म से होती है, न जाति से, न बिरादरी से...
17/08/2025

"बड़े शहर में आदमी" दिल की बातें by Amit Sagar
📖
बड़े शहरों में आदमी की पहचान न धर्म से होती है, न जाति से, न बिरादरी से और न गाँव-मुहल्ले से।
इन सबसे पहले, उसकी पहचान सिर्फ़ काम से होती है। 🏙️💼
यही है बड़े शहर का सच – यहाँ इंसान उतना ही है, जितना उसका काम।

#बड़े_शहर 🏙️ #काम_की_पहचान 💼 #ज़िंदगी_की_सच्चाई 🌍 #समाज_की_सोच 🤔 ✨

"बच्चों की हंसी में छुपी होती है खुशियों की चाबी,मासूमियत में बसता है घर का असली रंग।" 💛✨
15/08/2025

"बच्चों की हंसी में छुपी होती है खुशियों की चाबी,
मासूमियत में बसता है घर का असली रंग।" 💛✨

सफ़र भी अजीब है... और मंज़िलें भीज़िंदगी के सफ़र में कभी-कभी मंज़िल से पहले ही राह बदलनी पड़ती है… और शायद यही इसका असली...
11/08/2025

सफ़र भी अजीब है... और मंज़िलें भी
ज़िंदगी के सफ़र में कभी-कभी मंज़िल से पहले ही राह बदलनी पड़ती है… और शायद यही इसका असली इम्तिहान है!

"लंबी दूरियाँ — जब दर्द आदत बन जाए" 💭💔कभी-कभी दूरी सिर्फ फासलों की नहीं होती, बल्कि दिल की भी होती है…लंबी दूरियाँ दर्द ...
10/08/2025

"लंबी दूरियाँ — जब दर्द आदत बन जाए" 💭💔

कभी-कभी दूरी सिर्फ फासलों की नहीं होती, बल्कि दिल की भी होती है…
लंबी दूरियाँ दर्द को इतना पुराना कर देती हैं कि वो हमारे जीने का हिस्सा बन जाता है।

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