11/09/2024
राहुल गांधी की खतरनाक राजनीति
राहुल गांधी अमेरिका में कह रहे हैं कि आज भारत में इस बात की लड़ाई चल रही है कि सिख पगड़ी पहन सकते हैं या नहीं। सच पूछें, तो मुझे इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि विपक्ष ऐसी बातें करें जिससे सरकार को असहज महसूस कराया जा सके मगर पॉलिटिकल नैरेटिव गढ़ने के चक्कर में आप ऐसा झूठ कैसे बोल सकते हैं जिसकी दूर-दूर तक कोई मिसाल ही नहीं है। पंजाब तो भूल जाइए, पंजाब के बाहर ऐसी कौनसी घटना आपने देखी या सुनी जिसमें किसी सिख को पगड़ी पहनने से रोका गया हो।
जिस देश का लोकतंत्र विरोधी आवाज़ों को इतना स्पेस देता है कि वहां अमृतपाल जैसा खालिस्तानी और इंजीनियर राशिद जैसा अलगाववादी जेल से चुनाव लड़कर निर्दलीय जीत सकता है वहां ये बात कहां से आ गई कि नॉर्मल सिख को दबाया जा रहा है। हकीकत तो ये है कि किसान आंदोलन की आड़ में एक बड़े सेगमेंट ने खालिस्तानी सेंटीमेंट को हवा दी। किसान आंदोलन के दौरान ही खुलेआम भिंडरावाले के समर्थन वाली टीशर्ट पहनी गईं। नरेंद्र मोदी को जान से मारने की धमकी दी गई। लाल किले तक पर चढ़कर कुछ लोगों ने खालिस्तान की झंडा फहरा दिया।
आज कंगना रनौत की फिल्म तक इसलिए रिलीज़ नहीं हो पा रही क्योंकि कुछ सिख संगठन उसमें भिंडरावाले को आतंकी बताया जाने से नाराज़ हैं और राहुल गांधी हैं कि सिखों को इतना लाचार बता रहे हैं कि उन्हें पगड़ी तक पहनने नहीं दी जा रही। आज देश की हॉकी टीम का कप्तान हरमनप्रीत सिख हैं। महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर सिख हैं। देश की हॉकी टीम में तो आधे से ज़्यादा खिलाड़ी सिख हैं। दिलजीत दोसांज देश के सबसे बड़े सिंगिंग सुपरस्टार एक सिख हैं। एंटरटेनमेंट से लेकर स्पोर्ट्स तक और राजनीति से लेकर सेना तक ऐसी कौनसी जगह है जहां सिख नहीं हैं और बड़े पदों पर नहीं हैं मगर राहुल गांधी को देश का सिख इतना दबा हुआ लग रहा है कि उस बेचारे को पगड़ी तक नहीं पहनने दी जा रही।
मैंने शुरू में कहा कि आप बेशक ऐसी बात कीजिए जिससे सरकार दबाव में आए, वो असहज महसूस करे, आप विदेश जाकर भी ऐसा कुछ बोल रहे हैं मुझे उसमें भी दिक्कत नहीं है मगर पॉलिटिकल स्कोर करने के क्रम में आप ऐसी बात नहीं कर सकते जो आखिर में देश को कमज़ोर करने वाली हो और जिसका कोई वजूद ही न हो।
क्या राहुल गांधी नहीं जानते पंजाब में एक बड़ा खालिस्तानी वर्ग यही झूठ बेचने की कोशिश कर रहे हैं कि देश में सिखों को दबाया जा रहा है। वो झूठ इसलिए बोल रहे हैं ताकि अपने आंदोलन के लिए समर्थन जुटा सके लेकिन जब यही बात विपक्षी पार्टी का नेता भी बोलने लगेगा तो उनके झूठ को ही मज़बूती मिलेगी। यही खालिस्तानी पंजाब में अपने लोगों को बोलेंगे कि देखो, हम नहीं कहते थे कि सिखों से उनकी पहचान छीनी जा रही है। इस झूठ का जो सबसे बड़ा खतरा ये है कि जब आप ये स्थापित करते हैं कि देश का पीएम सिखों का दुश्मन है तो उस कौम का गुस्सा पीएम से आगे निकलकर देश के लिए पैदा होने लगता है। और अगर वही पीएम या पार्टी फिर से चुनाव जीतती है तो उस कौम को लगेगा कि इस ज़ुल्म से मुक्ति पाने का एक ही तरीका है कि हम देश से अलग हो जाएं।
उन पर ज़ुल्म हो रहा है ये झूठ उन्हें खालिस्तानी बेच रहे हैं फिर राहुल गांधी जैसे बड़े नेता उस पर विदेशों में बयान देकर उस झूठ की पुष्टि करके ये साबित कर देते हैं कि हां, ऐसा ही है। और इसके बावजूद केंद्र में अगर सत्ता परिवर्तन नहीं होता तो उस कौम के लिए मुक्ति का एक ही रास्ता बचता है, अलगाववाद। इसीलिए मैंने कहा कि जब राहुल गांधी ये कहते हैं कि देश में सिखों को पगड़ी पहनने से रोका जा रहा है तो ये सिर्फ राजनीतिक इल्जा़म नहीं बल्कि अलगाववादियों के एजेंडे पर मुहर है। देश तोड़ने की कोशिश है।
एक पंजाबी हिंदू होने के नाते मुझे सिखों के उन धार्मिक सिख नेताओं पर भी तरस आता है जो बार-बार ये साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि सिख, हिन्दू नहीं हैं। अरे भाई, आपको ये साबित करने को ज़रूरत पड़ क्यों रही हैं। क्या पंजाब में या कहीं भी सिखों को उनका धर्म मानने से रोका गया है। सच तो ये है कि पंजाब, हरियाणा या दिल्ली जहां भी बड़ी तादाद में सिख और पंजाबी हिंदू रहते हैं वहां दोनों अपने कल्चर में इस हद तक घुले मिले हुए हैं कि आपको कभी ये ज़रूरत ही महसूस नहीं होती कि दोनों में फर्क किया जाए। पंजाब या दिल्ली में रहने वाला हिंदू भी गुरुद्वारे जाता है। सिख भी हिंदुओं के सारे त्यौहार मनाते है। पंजाब-हरियाणा में तो बहुत सारी हिंदू शादियां तक गुरूद्वारे में होती है।
अब एक बहुसंख्यक कौम अगर अपनी शादियां तक गुरुद्वारे में कर रही है इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि वो आपमें और खुद में फर्क नहीं समझती। वो आपके गुरु को इतना ऊंचा रखती है कि उसको हाज़िर-नाज़िर जानकर शादियां तक करती है। सच तो ये है कि ऐसा करते वो ये बात भी नहीं सोचती। दरअसल वो इस हद तक खुद को आपका और आपको अपना मानती है कि उसने कभी ये फर्क समझा ही नहीं। इसलिए बचपन से ऐसे माहौल में बड़े हुए मुझ जैसे शख्स के लिए ये देखना बहुत ज़्यादा दर्दनाक है जब कुछ लोग ये साबित करने की कोशिश करते हैं कि सिख-हिंदुओं से अलग हैं। या वो हिंदुओं को अपना दुश्मन साबित करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में राहुल गांधी जैसे कुछ लोग उस प्रोपेगेंडा पर मुहर लगाने की कोशिश करते हैं तो उससे खतरनाक कुछ हो ही नहीं सकता।
21वीं शताब्दी में ज़्यादातर बड़े देश एक दूसरे के खिलाफ सीधा हमला करने के बजाए अपने दुश्मन देश की Fault Lines को Exploit करने की कोशिश करते हैं। अमेरिका को अगर लगता है कि वो चीन से सीधी टक्कर नहीं ले सकता है, तो वो हांगकांग में लोकतंत्र के लिए चल रहे आंदोलन को हवा देता है। वो ताइवान को हथियार देता है। उसके डेलिगेशन धर्मशाला में दलाई लामा से मिलकर उसे चिढ़ाता है। अमेरिका को रूस को कमज़ोर करना है तो वो यूक्रेन को हथियार देकर उसे वहां उलझाकर रखता है। एक बंदरगाह न मिलने पर वो शेख हसीन सरकार का तख्तापलट करवा देता है। सालों से पाकिस्तान ऐसी ही कोशिशें कश्मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट और पंजाब तक कर रहा है। मगर चुनाव जीतने के लिए कोई नेता अगर अपने ही देश की Fault Lines का इस्तेमाल करे, तो इससे ज़्यादा खतरनाक और कुछ नहीं हो सकता। फिर चाहे वो पंजाब हो, मणिपुर हो, कश्मीर में दोबारा 370 लाने की बात करना हो या जातिगत राजनीति। आप जानबूझकर ऐसी हर कमज़ोर कड़ी को अपने फायदे में भुनाना चाहते हैं जिससे एक वर्ग में गुस्सा पैदा करके उसे सरकार के खिलाफ खड़ा किया जा सके। आप ये भूल जाते हैं कि ये गुस्सा सरकार से निकलकर देश के खिलाफ भी पैदा हो सकता है।
बांग्लादेश में जब कथित छात्र आंदोलन के दौरान हिंसा हुई और उस हिंसा के बाद जब शेख हसीना का तख्तापलट हुआ तो कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा था कि भारत में भी ऐसा हो सकता है। लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर हिंसा करके उसे उखाड़ सकते हैं। और भी कई लोगों ने ऐसी बात कही। फिर अगले कुछ दिनों में वहां हिंदुओं के खिलाफ जैसी हिंसा हुई, जमात ए इस्लामी जैसे संगठनों पर लगा बैन हटाया गया, हिंदू टीचर्स से इस्तीफे लिए गए, उनके मकानों को लूटा गया, सड़कों पर भारत के खिलाफ नारेबाज़ी की गई, और जल्द ही ये साफ हो गया कि ये कभी छात्र आंदोलन था ही नहीं।छात्र आंदोलन के मुखौटे के पीछे ऐसे तत्व थे जिनके अपने स्वार्थ थे। जिन्हें अपना एजेंडा पूरा करना था। अपनी विचारधारा लागू करनी थी।
इसलिए राहुल गांधी अगर विदेश में जाकर ये कहते हैं कि सिखों को पगड़ी पहनने नहीं दी जा रही है, तो ये कोई मासूमियत में दिया बयान नहीं है कि ये कोशिश है हर उस फॉल्ट लाइन को भुनाने की जिससे देश में अराजकता फैलाई जा सके। फिर चाहे उस अराजकता की आग में देश ही क्यों न झुलस जाए।
Neeraj Badhwar