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हमारे प्रभु राम आ गए! #राम_का_भव्य_धाम 🙏🙏
22/01/2024

हमारे प्रभु राम आ गए!

#राम_का_भव्य_धाम 🙏🙏

26/09/2023

India shines as a global renewable energy leader, lighting the way to a cleaner & greener future!



25/09/2023

गर्मियों के दिनों में जब नए पौधे को पानी पिलाते है तो वो पानी सतह पर ही रहता है और जल्दी से सुख जाता है परंतु इस तकनीक से पिलाया गया पानी सीधा जड़ो तक पहुंचेगा और पौधा जल्द से जल्द पेड़ का रूप ले लेगा।।

पेड़ लगाओ,, पर्यावरण बचाओ।।

घेरे में "जॉर्ज मैकलौरिन" है, जो 1948 में ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय में भर्ती हुए पहले अश्वेत व्यक्ति थे, उन्हें अपने साथी...
20/09/2023

घेरे में "जॉर्ज मैकलौरिन" है, जो 1948 में ओक्लाहोमा विश्वविद्यालय में भर्ती हुए पहले अश्वेत व्यक्ति थे, उन्हें अपने साथी गोरे पुरुषों से दूर एक कोने में बैठने के लिए मजबूर किया गया था।
लेकिन कॉलेज में टॉप तीन छात्रों में से एक के रूप में उनका नाम सम्मान सूची में कायम है।
ये उनके शब्द हैं:
"कुछ साथियों ने मुझे एक जानवर की तरह देखा, कोई भी मुझसे बात नहीं करता, शिक्षकों के लिए मैं मौजूद भी नहीं था, उन्होंने शायद ही कभी मेरे सवालों का जवाब दिया। मैंने अपने आप को इतना समर्पित किया कि उसके बाद मेरे साथी मुझे ढूढने लगे और शिक्षक मुझे ध्यान में रखने लगे। मैंने उनके लिए अदृश्य होना बंद कर दिया। "
शिक्षा में हथियार से ज्यादा शक्ति होती है।

16/08/2023

🙏🙏

सन 1979 में पाकिस्तान के भौतिकविद डॉक्टर अब्दुस सलाम ने नोबेल प्राइज़ जीतने के बाद भारत सरकार से रिक्वेस्ट की कि उनके गुर...
16/08/2023

सन 1979 में पाकिस्तान के भौतिकविद डॉक्टर अब्दुस सलाम ने नोबेल प्राइज़ जीतने के बाद भारत सरकार से रिक्वेस्ट की कि उनके गुरु प्रोफ़ेसर अनिलेंद्र गांगुली को खोजने में उनकी मदद करे। प्रोफ़ेसर अनिलेंद्र गांगुली ने डॉक्टर अब्दुस सलाम को लाहौर के सनातन धर्म कॉलेज में गणित पढ़ाया था। प्रोफ़ेसर अनिलेंद्र गांगुली को खोजने के लिए डॉक्टर अब्दुस सलाम को 2 साल का इंतजार करना पड़ा और फ़ाइनली 19 जनवरी 1981 को कलकत्ता में उनकी मुलाकात प्रोफ़ेसर गांगुली से हुई।

प्रोफ़ेसर गांगुली विभाजन के पश्चात लाहौर छोड़कर कलकत्ता में शिफ्ट हो गए थे। जब डॉक्टर अब्दुस सलाम प्रोफ़ेसर गांगुली से मिलने उनके घर पहुंचे तो देखा कि वे बहुत वृद्ध और कमज़ोर हो चुके थे। यहाँ तक कि उठ कर बैठ भी नहीं सकते थे। उनसे मिलकर डॉक्टर अब्दुस सलाम ने अपना नोबेल मेडल निकाला और उनको देते हुए कहा कि सर यह मेडल आपकी टीचिंग और आप द्वारा मेरे अंदर भरे गए गणित के प्रति प्रेम का परिणाम है।

अब्दुस सलाम ने वह मेडल गांगुली के गले में डाल दिया और कहा सर यह आपका प्राइज़ है, मेरा नहीं। पाकिस्तान के भौतिकविद इस जेस्चर ने बताया कि भले ही देश विभाजित हो गया था लेकिन उसके मूल्य और उसकी आत्मा ज़िंदा थी।

किसी भी विभाजित सीमा के पार जाकर अपने गुरु को इस तरह से ट्रिब्यूट देना बताता है कि यही वह सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है जो एक गुरु अपने शिष्य से अपेक्षा कर सकता है।

लेकिन प्रोफेसर अब्दुस को पाकिस्तान में खूब प्रताड़ित किया गया क्योंकि वह अहमदिया यानी कादियानी थे उनके ऊपर कई बार हमले हुए यहां तक की पाकिस्तान ने उन्हें पाकिस्तानी मानने से इनकार कर दिया।

जीते जी तो छोड़िए मरने के बाद भी उन्हें प्रताड़ित किया गया और उनके कब्र पर लिखी शिलापट को पाकिस्तान सरकार के आदेश से हटवा दिया गया क्योंकि पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान की लोगों में उनका गुनाह यह था कि वह अहमदिया मुस्लिम थे।

साभार

#इतिहासनामा

मोहब्बत की दुकान👇👇यह बंद दुकान दीनानाथ की है जो इंडिया-पाकिस्तान बटवारे के वक़्त बहुत अफसोस के साथ इस दुकान को पाकिस्तान...
15/07/2023

मोहब्बत की दुकान👇👇

यह बंद दुकान दीनानाथ की है जो इंडिया-पाकिस्तान बटवारे के वक़्त बहुत अफसोस के साथ इस दुकान को पाकिस्तान छोड़कर इंडिया चले आए लेकिन जाते वक्त बहुत रोए ओर पूरे गांव को भी रुलाया।
फिर गाँव के लोगों को यह दिलासा दिलाया कि मैं वापिस आप लोगों के पास लौट कर आऊँगा। पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रोविंस के जिला लोरा लाई में मौजूद इस दुकान पर अभी तक वही ताला लगा है जो दुकानदार दीनानाथ जी जाते वक्त लगाकर चाबी अपने साथ ले गया थे। 73 साल से यह दुकान बंद पड़ी है। पाकिस्तानी मकान मालिक जो अब इस दुनियाँ में नही रहा उसने एक कदम आगे बढाते हुए वसीयत कर दी कि इस दुकान का ताला तोड़ना नही जब तक दुकानदार बापिस नहीं आता। इस दुकान के मालिक के मरने के बावजूद उसके बच्चों ने भी इसका ताला नहीं तोड़ा।
वसीहत में लिखा कि मैंने उस दुकानदार को जबान दी है कि यह दुकान तुम्हारे आने तक बन्द रहेगी। मकान मालिक की औलादों ने आज तक उस ताले को हाथ तक नही लगाया।हालाँकि उन्हें मालूम है की दुकानदार यानी दीनानाथ जी इस दुनियाँ में नही रहे लेकिन वफ़ा की यादगार के तौर पर अब तक यह दुकान दो इंसानों के बीच यादगार की मिसाल बन गई है।
कमाल के बंदे थे दोनों-मकान मालिक और दुकानदार।
इंसानों के बीच इतना प्यार ! फिर नफ़रतें कहाँ से आ गई ? कौन ले आया ?

ध्यान् दीजिये 👇👇 सीमा हैदर : 4 बच्चे, उम्र 27 साल।5वी पास होकर - फर्राटेदार इंगलिश बोलना,कंप्यूटर चलाने की अच्छी जानकारी...
12/07/2023

ध्यान् दीजिये 👇👇
सीमा हैदर : 4 बच्चे, उम्र 27 साल।
5वी पास होकर - फर्राटेदार इंगलिश बोलना,
कंप्यूटर चलाने की अच्छी जानकारी होना,
पांच पांच पासपोर्ट होना,
तीन तीन मोबाइल फोन का होना,
सिमकार्ड का पाया जाना,
भाई का पाकिस्तानी सेना में होना,
पाकिस्तान से दुबई,
दुबई से नेपाल ,
चुपके से नेपाल के रास्ते भारत आना,
आते ही तुरन्त साड़ी, नमस्ते, अभिवादन, सादगी व भारतीय परिवेश में ढल जाना, फर्राटेदार हिंदी और अँग्रेजी बोलना, उर्दू का एक लफ्ज़ भी जुबान पर नहीं आने देना...।
मीडिया में दनादन इंटरव्यू... ये कोई उत्सव का विषय नहीं, पड़ताल का विषय है।

आज मराठा वीर बाजीराव जी का सही इतिहास, शायद ही किसी को मालूम होगा क्योंकि फिल्म में उन्हें देवदास की तरह का दिखा दिया है...
08/05/2023

आज मराठा वीर बाजीराव जी का सही इतिहास, शायद ही किसी को मालूम होगा क्योंकि फिल्म में उन्हें देवदास की तरह का दिखा दिया है ।

बाजीराव जी को दूसरा छत्रपति शिवाजी महाराज माना जाता है, संभाजी महाराज के बाद मराठा उतने शक्तिशाली नही रह गए, निजाम का हस्तक्षेप महाराष्ट्र तक बढ़ने लगा था और मराठाओं में भी अंतर्कलह था

तब 20 वर्ष की आयु में पेशवा बने बाजीराव जी ने अपनी चतुर रणनीति से निजाम को कई बार हराया, उन्हे मुगल विध्वंसक माना जाता है।

जितनी कम आयु उनकी रही उतनी ही तेजी से और अधिक महत्वपूर्ण काम करके चले गए

वास्तव में वे चाहते थे कि मुगल दक्कन के क्षेत्रों में उन्हे चौथ दे जिसपर मुगल बादशाह मुहम्मद शाह तैयार नहीं हुए, जिसपर उन्होंने दिल्ली में मुगलों को पराजित कर दिया और 3 दिन तक उन्हे बंधक बनाए रखा

किसी की उस समय हिम्मत नही थी कि कोई दिल्ली में हमला कर दे, जब बाजीराव वापस लौटने लगे तब मुगलों ने अवध के नवाब और हैदराबाद के निजाम से सहायता मांगी और उनकी और अपनी संयुक्त सेना से मिलकर भोपाल में हमला कर दिया

लेकिन प्रयास असफल हो गया बाजीराव जी ने उन्हे फिर से हरा दिया, जिससे उनका वर्चस्व उत्तर भारत तक हो गया

इससे पहले उन्होंने मालवा, गुजरात में भी हमला करके जीत लिया था जो पहले मुगलों के वफादार थे।

इसके बाद उन्होंने पुर्तगालियों पर भी हमला किया और उन्हें संधि करने को मजबूर कर दिया

बाद में उनकी मृत्यु मध्यप्रदेश के खरगोन में हो गई कुछ लोग मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताते है तो कुछ लू लगने को

 #बुद्ध_पूर्णिमा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏बुद्ध पूर्णिमा  #हिंदू और  #बौद्ध धर्म के त्योहारों में से एक है। बुद्...
05/05/2023

#बुद्ध_पूर्णिमा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏

बुद्ध पूर्णिमा #हिंदू और #बौद्ध धर्म के त्योहारों में से एक है। बुद्ध का जन्म, ज्ञान (बुद्धत्व, संबोधि) और निर्वाण प्राप्ति, तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। यह त्योहार भारत के अलावा नेपाल और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

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