20/07/2025
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# # 🌟 **कहानी: “वास्तु का संयोग”**
**स्थान:** राजस्थान का एक प्राचीन शहर — *बूंदी*
**मुख्य पात्र:** *विद्या*, एक विधवा माँ, और उसका बेटा *आरव*
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# # # 🌼 **प्रारंभ**
विद्या एक सीधी-सादी विधवा थी, जो अपने बेटे आरव को पालने के लिए सिलाई-कढ़ाई का काम करती थी। वह अपने पुराने पुश्तैनी घर में रहती थी, जो सालों से जर्जर हो चुका था।
एक दिन आरव अचानक बीमार पड़ गया। डॉक्टरों ने कहा कि शरीर ठीक है, लेकिन उसमें ऊर्जा की कमी है — कोई मानसिक या वातावरणीय प्रभाव है।
विद्या घबरा गई। इलाज के साथ-साथ उसने मंदिर में पूजा करवाई, लेकिन आरव की हालत जस की तस रही।
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# # # 🔍 **एक रहस्यमय सुझाव**
एक दिन पड़ोस की बुज़ुर्ग महिला ने कहा,
> "बेटा, ये बीमारी डॉक्टर की नहीं, *घर की दिशा* की है। कभी किसी वास्तु विद्वान को बुला कर दिखवा।"
विद्या ने पहले हँस कर टाल दिया। लेकिन जब कुछ दिनों में घर के बल्ब बार-बार फूटने लगे, दरवाज़े खुद-ब-खुद खुलने लगे, और उसे रातों को डरावने सपने आने लगे — तब वह डर गई।
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# # # 🧓 **पंडित समरजी की सलाह**
विद्या ने शहर के प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री *पंडित समरजी* को बुलाया।
उन्होंने आते ही पूछा,
> "क्या तुम्हारा पूजा घर दक्षिण-पश्चिम में है?"
विद्या चौंक गई, "हाँ, कैसे जाना?"
पंडित बोले, "ईश्वर का स्थान वहाँ नहीं होता। दक्षिण-पश्चिम *राहु* और *काले विचारों* की दिशा है। इसीलिए घर में असंतुलन है।"
उन्होंने पूरे घर की जांच की और बताया:
* पूजा घर को उत्तर-पूर्व में बनाओ
* रसोई को दक्षिण-पूर्व में शिफ्ट करो
* मास्टर बेडरूम को दक्षिण-पश्चिम में बनवाओ
* घर के केंद्र (ब्रह्मस्थान) को खुला और साफ़ रखो
विद्या ने अपनी छोटी सी कमाई से धीरे-धीरे बदलाव करवाए।
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# # # 🌞 **परिणाम**
कुछ ही हफ्तों में आरव की तबीयत बेहतर होने लगी। घर में जैसे नई ऊर्जा भर गई। जहाँ पहले डर लगता था, अब वहाँ शांति थी।
विद्या ने भावुक होकर पंडित जी से कहा:
> “मैंने सोचा था वास्तु केवल अमीरों की चीज़ है… लेकिन अब समझ में आया कि ये *प्रकृति की व्यवस्था* है, जो सभी के लिए है।”
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# # 📜 **सीख:**
वास्तुशास्त्र केवल दिशा की बात नहीं करता, ये ऊर्जा, मन, और शरीर के संतुलन का विज्ञान है। यदि हम अपने घर को प्रकृति के अनुरूप बनाएं, तो वह *मकान नहीं, मंदिर* बन जाता है।