
19/03/2025
आदिवासी समुदाय पारंपरिक औजार बनाने में बहुत निपुण होते हैं। वे अपने स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके कृषि, शिकार, मछली पकड़ने और दैनिक जीवन के लिए उपयोगी औजार बनाते हैं। नीचे बताया गया है कि वे औजार कैसे बनाते हैं:
1. सामग्री का चयन
लकड़ी: कुल्हाड़ी के हत्थे, हल के डंडे और अन्य उपकरणों के लिए।
पत्थर: चाकू, हथौड़ी, बाणों की नोक और अन्य धारदार औजारों के लिए।
धातु (लोहा, तांबा): यदि उपलब्ध हो तो लोहे से तेज धार वाले औजार बनाते हैं।
बाँस: हल्के हथियार, टोकरी बनाने के लिए।
2. औजार बनाने की प्रक्रिया
(A) पत्थर के औजार
सही आकार और मजबूती वाले पत्थर का चयन किया जाता है।
दो पत्थरों को आपस में रगड़कर या ठोककर धारदार किनारे बनाए जाते हैं।
इन धारदार पत्थरों का उपयोग शिकार और काटने के लिए किया जाता है।
(B) लकड़ी और बाँस के औजार
लकड़ी को आकार देने के लिए जलाने या चाकू से काटने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
बाँस को छीलकर नुकीले भाले, तीर, टोकरी और मछली पकड़ने के जाल बनाए जाते हैं।
(C) धातु के औजार
यदि कोई आदिवासी समुदाय लोहा पिघलाने की कला जानता है, तो वे इसे आग में तपाकर औजार बनाते हैं।
धातु को तपाकर हथौड़े से पीटकर चाकू, कुल्हाड़ी और हल जैसी चीजें तैयार की जाती हैं।
3. अंतिम रूप देना और उपयोग
औजारों को चिकना और मजबूत बनाने के लिए धार लगाई जाती है।
लकड़ी के हत्थे लगाए जाते हैं, जिससे औजार पकड़ने में आसान हो।
इन औजारों का उपयोग खेती, शिकार, लकड़ी काटने और अन्य जरूरतों के लिए किया जाता है।
यह पारंपरिक तकनीकें आज भी कई आदिवासी समुदायों में देखने को मिलती हैं और यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं।