26/06/2021
जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के पश्चात पहली बार 24 जून 2021 को केंद्र सरकार(नरेंद्र मोदी) के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक आयोजित की।यह बैठक करीब साढ़े तीन घंटे चली।इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह,जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और जम्मू-कश्मीर के 8 दलों के 14 नेताओं ने हिस्सा लिया।बैठक में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी शामिल हुई।बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सबके सुझावों को ध्यानपूर्वक सुना।प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से यह कहा कि"भले ही हमारे बीच राजनैतिक मतभेद हो,लेकिन हमें एक साथ मिलकर कश्मीर की दिल्ली से दूरी ही खत्म नहीं करनी बल्कि कश्मीर की दिल से दूरी भी खत्म करनी है।"महत्वपूर्ण बात यह है की जम्मू कश्मीर में पहले परिसीमन(Delimitation) किया जाएगा,और फिर जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे और उसके बाद जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया दे जाएगा। यानी पहले परिसीमन फिर इलेक्शन और उसके बाद पूर्ण राज्य का दर्जा।
परिसीमन~परिसीमन का अर्थ है सीमा निर्धारण यानी किसी राज्य के विधानसभा या लोकसभा क्षेत्रों की सीमाओं को तय करना।संविधान के अनुच्छेद के अनुसार सरकार हर 10 साल में परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है और जनसंख्या के आधार पर नई विधानसभा या लोकसभा सीटों की सीमा तय कर सकती है।आखिरीबार देश में 1971 में लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन हुआ था,लेकिन जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का परिसीमन वर्ष 1995 में हुआ था।जम्मू-कश्मीर पहले तीन क्षेत्रों में बंटा हुआ था~
1.जम्मू
2.कश्मीर
3.लद्धाख
लेकिन अनुच्छेद 370 समाप्त होने के पश्चात लद्धाख को अलग कर दिया गया।यानी जम्मू-कश्मीर अब दो क्षेत्रों में बंटा हुआ है वह है~ 1.जम्मू
2.कश्मीर
2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू कश्मीर की कुल आबादी करीब 1 करोड़ 25 लाख है।इसमें से 35 लाख हिन्दू आबादी,85 लाख मुस्लिम,और 2 लाख 30 हजार सिख हैं।
जम्मू~हिन्दू बहुल
कश्मीर~मुस्लिम बहुल
जम्मू-कश्मीर की स्थानीय पार्टी परिसीमन और अनुच्छेद 370 के हटने का विरोध कर रही है,क्योकि परिसीमन के पश्चात विधानसभा सीटों में बढ़ोतरी की जा सकती है,और तब जम्मू-कश्मीर से इन दलों का प्रभाव कम हो जाएगा।स्थानीय दलों के द्वारा जम्मू-कश्मीर में एक ऐसी राजनैतिक संरचना रची गई थी,जिससे कोई दूसरे दल का नेता या हिन्दू व्यक्ति वहाँ से निर्वाचित ही न हो सके,और स्थानीय दलों(नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी) का ही जम्मू-कश्मीर में वर्चस्व कायम रहे।लेकिन परिसीमन और चुनाव के पश्चात जम्मू कश्मीर में हालात बिल्कुल बदल जाएगा।यह भी हो सकता है वहाँ पहली बार कोई हिन्दू मुख्यमंत्री बने।लेकिन स्थानीय दलों और कांग्रेस के द्वारा धारा 370 को फिर से लागू करने की मांग लगातार उठ रही है ताकि ये अपनी राजनीतिक रोटियां सकते रहें और पाकिस्तान को भारत में मजबूत बनाने में अहम भूमिका अदा करें।
अनुच्छेद 370 हटने के पश्चात भारत में रहने वाले कोई भी व्यक्ति वहाँ जमीन खरीद कर वहाँ रह सकते हैं।
।।एक हिन्द,जय हिंद।।