22/07/2025
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाक के मामले की सुनवाई करते हुए एक महिला से महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। इस मामले में महिला ने अपने पति से गुजारे-भत्ते के तौर पर 12 करोड़ रुपये, मुंबई में एक फ्लैट और एक BMW कार की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिला की इस मांग पर हैरानी जताई और उससे कहा, "आप इतनी पढ़ी-लिखी हैं, आपको खुद कमाकर खाना चाहिए, आप भी पढ़ी-लिखी हैं।" CJI गवई ने यह भी पूछा कि जब महिला आईटी क्षेत्र में है और एमबीए कर चुकी है, तो वह काम क्यों नहीं करती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक शिक्षित महिला यह तय नहीं कर सकती कि वह केवल बैठेगी और काम नहीं करेगी।
मामले का संक्षिप्त विवरण
शादी की अवधि: यह शादी केवल 18 महीने चली थी।
महिला की मांग: महिला ने तलाक के एवज में 12 करोड़ रुपये, मुंबई में एक घर और एक BMW कार की मांग की।
महिला का तर्क: महिला के वकील ने तर्क दिया कि यह मांग "सेटलमेंट" का हिस्सा है, कोई "भीख" नहीं। महिला ने यह भी बताया कि उसके पति ने उसे मानसिक रोगी बताकर शादी रद्द करने की कोशिश की थी और उस पर फर्जी FIR भी दर्ज कराई थी, जिससे उसकी नौकरी पर असर पड़ा।
कोर्ट का रुख: सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को "शोषण" और "बर्दाश्त से बाहर" बताया। कोर्ट ने महिला को यह विकल्प दिया कि या तो वह बिना किसी परेशानी के एक फ्लैट ले ले, या फिर 4 करोड़ रुपये की एकमुश्त राशि ले और एक अच्छी नौकरी ढूंढे। कोर्ट ने यह भी आश्वासन दिया कि महिला के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कर दी जाएगी ताकि उसकी नौकरी की संभावनाएँ प्रभावित न हों।
इस टिप्पणी के मायने
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी शिक्षित और सक्षम महिलाओं की आत्मनिर्भरता पर जोर देती है। यह इंगित करती है कि अगर कोई महिला पेशेवर रूप से योग्य है, तो उसे गुजारे-भत्ते के लिए पूरी तरह से पति पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, खासकर ऐसी स्थितियों में जहाँ गुजारे-भत्ते की राशि बहुत अधिक मांगी जा रही हो। यह फैसला तलाक के मामलों में गुजारे-भत्ते की मांग को लेकर एक महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है, जिससे भविष्य में ऐसे मामलों पर भी असर पड़ सकता है।
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है