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18/09/2023

मेरे दोस्त संघर्ष ही जीवन है
एक माँ को, शिशु को जन्म देने के लिए
संघर्ष करना पड़ता है।

शिशु को जन्म लेने के लिए
संघर्ष करना पड़ता है।

मनुष्य को खुद को साबित करने के लिए
संघर्ष करना पड़ता है।

बीज को पौधा बनने के लिए
संघर्ष करना पड़ता है।

जंगल में भोजन पाने के लिए
जानवरों को संघर्ष करना पड़ता है।

बारिश होने के लिए
सागर को संघर्ष करना पड़ता है।

रंगों को इंद्रधनुष
बनने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

उपहार स्वरूप मिली चीजों को
सहेज कर रखने के लिए भी
संघर्ष करना पड़ता है।

जीवन एक कठिन संघर्ष है
हमें संकल्प लेना होगा
कि अंतिम साँस तक
संघर्ष करना ही
हमारी नियति है।

13/09/2023

😇:
जो बीत गया वो खत्म हुआ
समय की आग से भस्म हुआ
वो सोच पर हावी हो सकता है
पर रोक नही सकता तुमको
अगर ठान लिया आगे बढ़ना है
वो मोड़ नही सकता तुमको
कमजोर है वो बलवान नही
भूत है वो कोई आज नही
खुद से पूछो क्या करना है
जीवन एक नया अब रचना है
घावो से तुम गुणवान बनो
कर्मो से तुम बलवान बनो
चलना अभी बहुत है तुम्हे
सर उठाओ आशावान बनो
तुम हवा बनो बहते जाओ
सुने जग में तुम प्राण भरो
पीछे को नीचे रख दो अब
मुक्त होकर नई उड़ान भरो



📝The Poem:
मैं कभी झुक नही सकता♥️💫

विराट लक्ष्य धारण कर,
चला हूँ जीवन में
इसलिये मैं रुक नही सकता
असफलताओं की चोट खाकर भी
मैं झुक नही सकता...

प्रयास जब होकर नाकाम बिखरते है
तो अंग अंग तड़क तड़क जाता है
चूक रह गयी कहाँ पुरूषार्थ में
इस प्रश्न से रोष भड़क जाता है..

इन जटिल और दुष्कर पलों में भी
मैं रुक नही सकता
विश्व कल्याण ही साध्य है मेरा
अतः कभी झुक नही सकता...

ह्रदय की प्रचंड ज्वाला से लेकर अग्नि
अपने हौंसलों की पुनः मशाल जलाता हु
निराशा, हताशा,को करके भस्म
स्वयम को महाविकराल बनाता हूँ...

क्यों डरता है फिर तू
इन मुश्किल घड़ियों में
बनाएं रख संयम
इन टूटी कड़ियों में..

वो नही मैं
जो ठोकर खाकर मर जाऊँगा
नीलकंठ का अंश हूँ
यह विष पीकर भी, जी जाऊंगा...✅

औकात नही इन हालातों की जो
ह्रदय की धधकती अग्नि मुझमें शांत करें
उन हुंकारों का मूर्त होना निश्चित है
जिनका गुंजन "कृतान्त" करें...

देवताओं का सूर्य सा ओज हूँ मैं
खुद में ही खुद की खोज हूँ मैं
आत्मविश्वास अनन्त है मुझमें
स्वयम से कहता रोज़ रोज़ हूँ मैं...

परिणाम से आसक्ति नही रखता
न ही नाकामी को सिर चढ़ने देता हूँ
निष्काम कर्मयोगी हूँ मैं
यही शब्द सिर्फ मन को पढ़ने देता हूँ

रख धैर्य को मस्तिष्क में अपने 👈

तू कोई धूर्त श्रृंगाल नही
सिंह की महाप्रचण्ड दहाड़ है
प्रयास रिक्त हो सकते नही तेरे
निश्चय की दृढ़ता में तू पहाड़ है...

ऐसे अदभुत अदम्य संकल्पों के रथ पर
होकर वज्र सा गति कर रहा हूँ
इसीलिये कभी रुक नही सकता
असफलता की ठोकरें खाकर भी

मैं कभी झुक नही सकता...🔥
मैं कभी झुक नही सकता...🔥

धन्यवाद😊

📝शिक्षा:- प्यारे युवा साथियों यह " वीर रस युक्त कविता" हमारे आंतरिक बल को सदा जाग्रत रख , जीवन के मुश्किल क्षणों से बाहर निकलने में हमारा साथ निभाती रहेगी...

ओनली ONE शेयर For Energetic वाइब्स...👍

🏐🏐🏐

13/09/2023

📝The Poem:
मैं कभी झुक नही सकता♥️💫

विराट लक्ष्य धारण कर,
चला हूँ जीवन में
इसलिये मैं रुक नही सकता
असफलताओं की चोट खाकर भी
मैं झुक नही सकता...

प्रयास जब होकर नाकाम बिखरते है
तो अंग अंग तड़क तड़क जाता है
चूक रह गयी कहाँ पुरूषार्थ में
इस प्रश्न से रोष भड़क जाता है..

इन जटिल और दुष्कर पलों में भी
मैं रुक नही सकता
विश्व कल्याण ही साध्य है मेरा
अतः कभी झुक नही सकता...

ह्रदय की प्रचंड ज्वाला से लेकर अग्नि
अपने हौंसलों की पुनः मशाल जलाता हु
निराशा, हताशा,को करके भस्म
स्वयम को महाविकराल बनाता हूँ...

क्यों डरता है फिर तू
इन मुश्किल घड़ियों में
बनाएं रख संयम
इन टूटी कड़ियों में..

वो नही मैं
जो ठोकर खाकर मर जाऊँगा
नीलकंठ का अंश हूँ
यह विष पीकर भी, जी जाऊंगा...✅

औकात नही इन हालातों की जो
ह्रदय की धधकती अग्नि मुझमें शांत करें
उन हुंकारों का मूर्त होना निश्चित है
जिनका गुंजन "कृतान्त" करें...

देवताओं का सूर्य सा ओज हूँ मैं
खुद में ही खुद की खोज हूँ मैं
आत्मविश्वास अनन्त है मुझमें
स्वयम से कहता रोज़ रोज़ हूँ मैं...

परिणाम से आसक्ति नही रखता
न ही नाकामी को सिर चढ़ने देता हूँ
निष्काम कर्मयोगी हूँ मैं
यही शब्द सिर्फ मन को पढ़ने देता हूँ

रख धैर्य को मस्तिष्क में अपने 👈

तू कोई धूर्त श्रृंगाल नही
सिंह की महाप्रचण्ड दहाड़ है
प्रयास रिक्त हो सकते नही तेरे
निश्चय की दृढ़ता में तू पहाड़ है...

ऐसे अदभुत अदम्य संकल्पों के रथ पर
होकर वज्र सा गति कर रहा हूँ
इसीलिये कभी रुक नही सकता
असफलता की ठोकरें खाकर भी

मैं कभी झुक नही सकता...🔥
मैं कभी झुक नही सकता...🔥

धन्यवाद😊

📝शिक्षा:- प्यारे युवा साथियों यह " वीर रस युक्त कविता" हमारे आंतरिक बल को सदा जाग्रत रख , जीवन के मुश्किल क्षणों से बाहर निकलने में हमारा साथ निभाती रहे

🏐🏐🏐

13/09/2023

से करूँ
इस कविता की
समझ नही पाता हूँ
हमारा आरम्भ ही इन्ही से है
चलो यही से बात बढ़ाता हूँ...

शब्द हल्के पड़ेंगे मेरे अब
रुतबा इनका बड़ा भारी है
ये वो है, जिनके आशिष ने
लाखो जिंदगियां संवारी है...

खुद रो लेते है अकेले में ये
पर हमें तो हरपल हंसाया है
होने से जिनके
सबकुछ अपना लगता है
ऐसा तो बस,
सिर्फ माँ बाप का साया है...

खून पसीने से पाला है हमको
और कतरा कतरा प्यार से सींचा है
त्याग और बलिदान कितना ये करते है
पुष्पों का अपने जैसे सदाबहार बगीचा है...

माँ किसी की है झाड़ू करती,
तो कोई गैरो के बर्तन धोती है
औलाद के खातिर वो तो
मुश्किल हालातों में
सिसक सिसक कर रोती है...

जगती है बड़ा जल्दी कुछ तो
और कुछ दिन भर न सोती है
खाना बनाने से फुर्सत मिल जाये तो
बच्चों के सभी कपड़े भी वही धोती है...

खासी जुकाम जब हो जाये, तो
काढ़ा बनाकर के वो पिलाती है
प्यारे दुलारो का मन उदास हो जब
लोरी गाकर अपनी गोद मे सुलाती है

सिर पर जब मां हाथ फेरती है हमारे
तो सच मे कितना अच्छा लगता है
स्वर्ग देखा नही कभी पर
हमें तो यही पल ,सुख सच्चा लगता है...

गोदी मे प्यार से पापा ने खिलाया है
माँ ने अपने आँचल से अमृत पिलाया है
नज़र न लगे उनके राजा रानी को
इसीलिये काला टिका भी जमकर लगाया है...

रक्तबूँद से पिता के हम है जन्मे
और आज
वटवृक्ष की भांति खुद को फैलाया है
ये वही मासूम है जिनका
नादानी में हमने बहुत दिल दुखाया है...

अपनी रानी बिटिया का
पहला प्यार है पापा...👌
राजा बेटा के खिलौनों का
सारा संसार है पापा

जहाँ भी है
वे वंदनीय है
हर घर की खुशी का
अभिन्न आधार है पापा...

लोग प्रश्न उठाएंगे तुम पर
लेकिन वही तुम्हें गले लगाएंगे
असफलता के मुश्किल मोड़ पर
अम्मा बाउजी ही हम पर
अधिक विश्वास जताएंगे...

बचपन मे पिता बेटों को
बड़ा ही लाड़ लड़ाते है
पता नही क्यों जवानी में
क्यों दूरी उनसे बढ़ाते है?

हाल यह अजीब सा
हमें तो समझ नही आता है
आखिर क्यों कोई पुत्र अपने पिता से
सहज गले नही मिल पाता है..🤔

कठोर बहुत रवैया है उनका
पर ह्रदय तो बड़ा शीतल होता हैं
सन्तानो के खातिर वही
कभी सोना चांदी और
कभी तो पीतल होता है...

कुछ तो हुआ है असर अंग्रेज़ी हवा का
माँ बाप से अब दूरी जो बढ़ने लगी है
संस्कार टांग दिये है खूंटे पर शायद
वृद्धाश्रमों में भीड़ थोड़ा बढ़ने लगी है...

हुआ क्या है
देश के गृहस्थ जवानों को
नई पीढ़ी माँ बाप से
क्यों लड़ने लगी है..?

धीरज रख उनके समर्पण को जानो
पाश्चात्यकरण की यह कैसी खुमारी
अब हमारे
सिर पर चढ़ने लगी है...?

धन्य है हम, जो भारतीय माँ बाप मिले
ठोकर देकर घर से हमें नही निकाला है
बेरोजगार है ,तो भी चलेगा
तब भी खिलाते हर दिन प्रेम का निवाला है...

माँ बाप की यह कमज़ोरी नही
उनकी जिम्मेदारी और ममता है
औलाद का पालन इतना आसान नही
उनके ह्रदय की यह असीम सरलता है...

जब युवा मन इस गूढ़ सत्य को समझेगा
खुद को अंतर में अपने तब
अनवरत खरोंचेगा
करेगा मेहनत और अध्ययन दिन रात वो
फिर जाकर माँ बाप के आँसू पोंछेगा...

धन्य है यह भारत भूमि
जहाँ माँ है बालक की प्रथम गुरु और
पिता उसका सच्चा" संरक्षक "होता है
नींव बनती है प्रथम पाठशाला में उसकी
फिर वही अनीति,
और अन्याय का भक्षक होता है...

नोंक झोंक जायज़ है माँ बाप से
और खटपट भी थोड़ा चलती रहती है
हर बात भले उनकी उचित नही हो
तो क्या
असहमतियों में भी
खुशियां आखिर पलती रहती है...

पर दिल दुखाना उन फरिश्तों का
हरगिज़ है नही जायज़
ये वही है ,जिनके मीठे बोल,
हमारे सुरो को रोशन करते है...

ये वही है,जिनकी दुआए
हमारी तकदीर बुलंद करती है...

ये वही है
जिनके दिल से निकले अल्फ़ाज़
हमारी सल्तनत को
कभी थमने नही देंगे...

ये वही है,
जिनका वरदान हमारे साम्राज्य को
पूरी दुनिया के दिलो से
जोड़ने की क्षमता रखता है...

ये वही है
जो तेरी सारी खुशियो का आधार है
और ये वही है, जो तेरा पूरा संसार है....👍

बोल, क्या अब भी,
तू इन्हें रुलाएगा
बोल, क्या अब भी
इन्हें तू घर से दूर भगाएगा...

निर्णय अब तुमको करना है
खुद से यही वादा करना है
माँ बाप का दिल न कभी तोड़ेंगे
आंहे भरने को, अकेला उन्हें नही छोड़ेंगे...

कर्म करेंगे हम सभी इतने अच्छे
नाम रोशन उनका फिर जग में होगा
यही तो चाहते है वे मासूम फरिश्ते
उनके

बच्चो का यश पूरे नभ में होगा...
बच्चो का यश पूरे नभ में होगा...

धन्यवाद

27/08/2023

🔰 कोशिश करने वालों की ❤️

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, बार बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर एक बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

HAVE A GREAT DAY 💌

14/08/2023

Ahujha sir motivational speech

14/08/2023

Johamrahim best fight scene

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